तिरंगे से बड़ी सत्ता है कांग्रेस के लिए


- अरविन्द सीसोदिया
तिरंगा जम्मू - कश्मीर में पहलीबार फहराने की बात हो रही हो यह नहीं है ,पहले भी कई वार और लगातार हर साल वहां तिरंगा फहराया जाता रहा है ! तिरंगे में आग भी लगाई जाती रही है , आग लगाने वालों पर कोई कार्यवाही नहीं होती क्यों की तिरंगे के अपमान के विरुद्ध दंड देने वाला कानून जम्मू और कश्मीर में लागू नहीं होता !  मगर कांग्रेस के समर्थन पर टिकी सरकार तिरंगा फहराने से मना कर रही है यह आश्चर्य है ..! और उससे बड़ा आश्चर्य कांग्रेस के द्वारा तिरंगा फहरानें से रोकने वालों की होंसला अफजाई है ..! कांग्रेस  सत्ता के लिए इतनी गिर सकती है यह सोचा भी नहीं जा सकता ...!
दूसरी बात यह है की भाजपा की जम्मू के लाल चौक पर तिरंगा फहराने की कोशिस राजनीति से प्रेरित है तो आप तिरंगा फहरा कर उसके राजनैतिक एजेंन्ड़े को फेल करदो या हथिया लो ..! देश में राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान भी कांग्रेस की कायरता का शिकार होता है तो यह स्थिति दुर्भाग्य  पूर्ण ही होगी!! उसकी  तमाम   विफलताओं  में  गिनती  बड़ाने  वालीं  होगी !   
'राष्ट्रीय एकता यात्रा'जम्मू एवं कश्मीर की सीमा में प्रवेश   
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की 'राष्ट्रीय एकता यात्रा' २५ जनवरी २०११ मंगलवार शाम को 300 से अधिक कार्यकर्ताओं के साथ जम्मू एवं कश्मीर की सीमा में प्रवेश कर गई.
           प्रवेश करने के कुछ ही समय बाद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं अरुण जेटली और सुषमा स्वराज सहित अन्य नेताओं व कार्यकर्ताओं को आदेशों का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. पंजाब की तरफ से रावी नदी पर बने पुल को पार करने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं ने अपनी खुशी का इजहार विजय चिन्ह बनाकर किया. कार्यकर्ताओं ने घोषणा की कि अपने वादे के अनुसार वे जम्मू एवं कश्मीर में प्रवेश कर चुके हैं.गिरफ्तार होने से पहले सुषमा स्वराज ने कहा, "हम यहां जम्मू एवं कश्मीर में हैं, कल तक हमें राज्य से बाहर रोके रखने के लिए सरकार ने जिन फासीवादी प्रवृत्तियों का प्रदर्शन किया, उसका यह करारा जवाब है."
* प्रशिध्द ब्लोगर सुरेश चिपलूनकर ने कहा है ....
(१) इससे राज्य में “कानून-व्यवस्था”(?) की स्थिति खराब होगी… (मानो पिछले 60 साल से वहाँ रामराज्य ही हो)
(२ ) लोगों की भावनाएं(?) आहत होंगी… (लोगों की, यानी गिलानी-मलिक और अरूंधती जैसे “भाड़े के टट्टुओं” की)
(३ ) तिरंगे का राजनैतिक फ़ायदा न उठाएं… (क्योंकि तिरंगे का राजनैतिक फ़ायदा लेने का कॉपीराइट सिर्फ़ कांग्रेस ने ले रखा है)
* कानून की तेजतरार शख्शियत सुब्रह्मण्यम स्वामी ने  कहा..... 
 नई दिल्ली | जनता पार्टी प्रमुख सुब्रह्मण्यम स्वामी ने केंद्र को श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने के वास्ते दायित्व बाध्य करार देते हुए रविवार को कहा कि यदि राज्य सरकार वहां राष्ट्रीय ध्वज फहराने में सहयोग करने में विफल रहती है तो जम्मू कश्मीर में केंद्र शासन लगा दिया जाना चाहिए। स्वामी ने यहां जारी एक बयान में कहा, संविधान में उल्लेखित नियमों के पालन के तहत संप्रग सरकार का यह दायित्व है कि वह लाल चौक पर आधिकारिक रूप से तिरंगा फहराए। उन्होंने कहा कि राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीपीए) ने वर्ष 1991 में जनवरी के पहले सप्ताह में इस संबंध में एक प्रस्ताव मंजूर किया था। उस समय चंद्रशेखर प्रधानमंत्री थे और वह केंद्रीय कानून, न्याय एवं वाणिज्य मंत्री थे। उन्होंने कहा, वरिष्ठ मंत्री एवं सीसीपीए का सदस्य होने के नाते मैंने यह मुद्दा सीसीपीए में उठाया था क्योंकि वीपी सिंह सरकार ने इस मामले पर विचार करने के बाद वर्ष 1990 में लाल चौक पर झंडा फहराने की परंपरा पर रोक लगाने का फैसला किया क्योंकि इससे राज्य की जनता की भावनाओं को ठेस पहंुच सकती थी। स्वामी ने कहा, चंद्रशेखर सेवा प्रमुख , गुप्तचर प्रमुखों और कैबिनेट सचिव से बात करने के बाद मुझसे सहमत हुए और निर्देश दिया कि सरकार झंडा फहराए और यदि कोई समस्या खड़ी होती है तो सेना सुरक्षा मुहैया कराए। राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला ने बाद में इससे सहमति जताने के साथ ही 26 जनवरी 1991 को तिरंगा झंडा फहराए जाने के दौरान शांति व्यवस्था सुनिश्चित करने में सहयोग प्रदान किया। उन्होंने कहा कि लाल चौक को कोई बाजार क्षेत्र नहीं बल्कि एक ऐतिहासिक स्थान है जिसे तत्कालीन मुख्यमंत्री भी स्वीकार कर चुके हैं इसलिए वह मांग करते हैं कि 26 जनवरी को वहां पर तिरंगा फहराया जाए। यदि राज्य सरकार सहयोग नहीं करती है तो राज्य में केंद्र शासन घोषित करके शासन व्यवस्था सेना को सौंप दिया जाए।
* जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट प्रमुख मोहम्मद यासीन मलिक ने भाजपा को चुनौती देते हुए कहा कि पार्टी को श्रीनगर के लाल चौक पर झंडा नहीं फहराने दिया जाएगा.पूर्व आतंकी मालिक ने ललकारते हुए कहा, ‘मैं भाजपाइयों को चुनौती देता हूं कि वे लालचौक में घंटाघर पर तिरंगा फहराकर दिखाएं. हम उन्हें यहां बताएंगे कि झंडा कैसे फहराया जाता है और कौन फहरा सकता है.’
* उमर अब्दुल्ला से एक सवाल करना चाहते हैं कि उन्होंने क्या जम्मू कश्मीर के लिए कोई अलग राष्ट्रीय झंडा निर्धारित कर रखा है? अगर ऐसा नहीं, तो राष्ट्रीय झंडा क्यों नहीं फहराया जा सकता?
     जिस तिरंगे को फहराने के लिए बड़े-बड़े राष्ट्रीय आयोजन किए जाते हैं. पूरे देश की जनता आयोजन को एक राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाती है. जिस तिरंगे पर गांधी से लेकर गांव के अंतिम व्यक्ति को भी नाज़ है. उसे फहराने के लिए उन्माद भड़कने जैसी क्या बात? रह गयी बात राज्य के अलगाववादी नेताओं की, तो उसपर मुख्यमंत्री का अंकुश तो होना ही चाहिए, यदि ऐसा नहीं तो राज्य की जेलें क्या देशभक्तों के लिए बनी हैं? अगर यह भी नहीं कर सकते तो मैं कहूंगा कि या तो उनकी देशभक्ति पर सीधा सवाल है या उनके पद की काबिलियत पर? durbhagy 

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