गंदी हो गई, राजनीति...
- अरविन्द सीसौदिया
* जो जो भी नेता अपने को अच्छा साफ सुथरा बताते हैं, उनकी वास्तविकता में पहली पशंद माल कमा कर देने वाला होता है।राज - दरवार में जिस तरह महफिलें सजतीं थी , सुरा सुंदरी दौर चलता था । वह आज भी बदले रूप में नेताओं के चरित्र में मौजूद है। इन नेताओं के लिये गुंडे बदमाश सुरक्षा कर्मी की तरह जरूरी हैं।जो इनके काले पीले कामों पर जोर जबरदस्ती के द्वारा पर्दा डाल सकें । जिस तरह भंवरी को एक नामीं गुडे के द्वारा ही उठवाया गया ... अब उसके सच के सबूत दफन हो जायेंगें।
* राजनीति में अब नेता वह होता है जो समाज से सरकार से कुछ ले सके...., लूट का नेतृत्व करने वाला नेता है। आज हर दल में , हर शहर में बहुत से इस तरह के नेताजी मिल जायेंगें, जिन पर आय के ज्ञात स्त्रोत ही नहीं हैं मगर वे करोडपति , अरबपति बन गये। सही बात यह है कि आयकर विभाग की कायरतापूर्ण अनदेखी के कारण ही पूरे देश में राजनीति भ्रष्टाचार के केंसर में फंस गई ।
* अब राजनीति में विचारों और लोककल्याण की भावना नहीं रही है। अब तो सबसे पहले अति सुन्दर को प्राथमिकता है जैसे भंवरी देवी , फिर मेरा चमचा, फिर मरर्डर यानी बाहूबली , माफिया जिसमें भू माफिया अब नम्बर एक है। अतिसम्पन्न अर्थात सूटकेस संस्कृति को प्राथमिकता है, जो गाडी बंगला ऐसो आराम और धन सम्पत्ती बनवाने में मददगार हो। अब राजनीति का सेवा और विचारों से कोई लेना देना नहीं हे। कार्यकर्ता तो डिस्पोजल के गिलास , दोनें , पत्तल की तरह है। उपयोग करो और.... अच्छी जगह नहीं कचरे में फेंक दो.....!!
* अकुशल , अर्ध कुशल,चपरासी,ड्राईवर,कन्डक्टर इन्हे तो योग्यता और शैक्षणिक स्तर की अनिवार्यता और योग्यता परिक्षण से गुजरना पडता है। मगर राजनेता को सब माफ है। एक प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मंत्री,एक सांसद , विधायक बनने के लिये किसी भी योग्यता की जरूरत नहीं । बीएसएनएल में एक पाकिस्तानी नागरिक किसी ठेके वाले के मार्फत काम कर गया तो बहुत हल्ला हुआ । मगर एक विदेशी संसद में पहुच जाये जो कोई हल्ला नहीं । देश का शासक बन जाये कोई रोक नहीं ।।। वाहरे लोकतंत्र तू खूव बना देश का लूट तंत्र।।
* जिस तरह गंदी जगह पर गंदगी खाने वाले मिल जाते हें उसी तरह किसी भी बडे नेताजी के यहां चले जाओ,उस इलाके के अवैध कामों के ज्यादातर सूरमा मिल जाते हें। क्यों कि अवैध कामों को करने वाले दोनों तीनों दलों और सभी प्रमुख नेताओं से हाथ मिला कर रखते है। उनकी आर्थिक सेवा करते हैं।
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