विजय बहुगुणा,कांग्रेस के सिर्फ 10 विधायक,22 विधायक नदारद रहे..
- अरविन्द सिसोदिया
कुल मिला कर एक बार फिर से सामने आगया कांग्रेस ने वास्तविक योग्यता को दफना कर चमचा वाद को चुना ..यही वह बिंदु हे जिसके कारण देश पर राज करने वाली कांग्रेस मात्र कुछ राज्यों में सिमट गई और १९८४ के बाद से आज तक हुए लोकसभा चुनावों में पूर्ण बहुमत में नहीं आई...कांग्रेस से बहार होकर सरकारें बनाने वाले नेताओं की एक लंम्बी श्रंखला है ...कांग्रेस पहले एक वंसा की और फिर चमचावाद की पार्टी के रमें उभरी है
क्या बहुगुणा की सरकार अल्पमत में है?
dainikbhaskar.com 13/03/12
http://www.bhaskar.com/article
नई दिल्ली. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के तौर पर विजय बहुगुणा ने देहरादून के परेड ग्राउंड में मंगलवार शाम को शपथ ले ली। राज्यपाल मारग्रेट अल्वा ने उन्हें शपथ दिलाई। लेकिन इस दौरान कांग्रेस के बीच फूट साफ नज़र आई। शपथ ग्रहण समारोह में कई कुर्सियां खाली देखी गईं और कांग्रेस के सिर्फ 10 विधायक ही समारोह के दौरान मौजूद रहे। उत्तराखंड विधानसभा में कांग्रेस के 32 विधायक हैं। शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस के 22 विधायक नदारद रहे। बताया जा रहा है कि देहरादून में जब शपथ ग्रहण समारोह चल रहा था तब कांग्रेस के 17 विधायक हरीश रावत के दिल्ली स्थित आवास पर मौजूद थे।
हरीश रावत ने अपने ताजा़ बयान में कहा है कि वे आलाकमान को अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं। उनका कहना है कि वे संगठन में रहकर काम करेंगे। रावत ने यह भी कहा है कि उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री का चुनाव करने गए केंद्रीय पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट गलत थी। हरीश के मुताबिक उनके समर्थन में आए विधायकों से यह बात साबित होती है कि पर्यवेक्षकों ने केंद्रीय नेतृत्व को गलत रिपोर्ट सौंपी थी। रावत ने कहा कि उन्हें इस बात का इंतजार है कि अब केंद्रीय नेतृत्व पर्यवेक्षकों पर क्या कार्रवाई करता है। कांग्रेस के सांसद और हरीश रावत के समर्थक प्रदीप टम्टा ने कहा है कि विजय बहुगुणा विधानसभा में अपना बहुमत साबित नहीं कर पाएंगे। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का उदाहरण दिया, जो लोकसभा में अपना बहुमत साबित नहीं कर पाए थे।
वहीं, पार्टी के एक अन्य प्रमुख नेता हरक सिंह रावत का भी विजय बहुगुणा को लेकर असंतोष सामने आ गया है। रावत ने मंगलवार शाम को मीडिया से बातचीत में कहा कि अगर बहुगुणा अपना बहुमत साबित कर देंगे तो वह बहुगुणा को नेता मान लेंगे। इससे पहले मंगलवार को दिन में हरक सिंह रावत ने खुद को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बताते हुए साफ कर दिया था कि विजय बहुगुणा के नेतृत्व में बनने वाली सरकार ज़्यादा दिनों तक कायम नहीं रहेगी। उन्होंने देहरादून में मीडिया से बातचीत में कहा कि यह सरकार भानुमति का पिटारा साबित होगी।
इससे पहले मंगलवार की दोपहर में कांग्रेस ने विजय बहुगुणा को लेकर अपने तेवर कड़े कर लिए थे। कांग्रेस कोर ग्रुप ने तमाम विरोधों को दरकिनार करते हुए विजय बहुगुणा के नाम पर अंतिम मुहर लगा दी थी।
लेकिन बहुगुणा को बतौर मुख्यमंत्री चुनना कांग्रेस के लिए बड़ा 'सिरदर्द' साबित हो रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा बहुगुणा को बतौर मुख्यमंत्री चुने जाने से सबसे ज़्यादा नाराज हरीश रावत हैं। हरीश रावत पार्टी आलाकमान से इतने नाराज बताए जा रहे हैं कि उन्होंने बीजेपी से बात करनी शुरू कर दी है। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक हरीश रावत ने सोमवार रात बीजेपी के अध्यक्ष नितिन गडकरी से गैर कांग्रेसी सरकार बनाने के लिए मदद मांगी है। बताया जा रहा है कि गडकरी ने हरीश को हरी झंडी दे दी है।
इससे पहले रावत ने नाराजगी में केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा भी दे दिया। उन्होंने यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि वे पार्टी के आम कार्यकर्ता के तौर पर काम करना चाहते हैं। वह सोमवार सुबह संसदीय कार्य मंत्रालय की बैठक से भी गैरहाजिर रहे। इससे पहले उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक चिट्ठी भी लिखी। इसमें उन्होंने अपने समर्थकों की भावनाओं को तरजीह दिए जाने की मांग की। उनके समर्थक सोमवार रात से ही प्रदर्शन कर रहे थे और सोनिया के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे।
रावत इतने नाराज थे कि उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल का फोन तक नहीं उठाया। हालात की नजाकत को भांपते हुए सोनिया ने विजय बहुगुणा और हरीश रावत को अपने घर पर आने का संदेशा भिजवा दिया।
हरीश रावत द्वारा इस्तीफा प्रधानमंत्री को भेजने और हरक सिंह रावत के बगावती तेवर सामने आने के बाद कांग्रेस में हड़कंप मच गया। पार्टी आलाकमान ने बहुगुणा, हरीश रावत के अलावा सतपाल महाराज, यशपाल आर्य और हरक सिंह रावत को भी दिल्ली तलब किया है।
संभव है कि कांग्रेस आलाकमान किसी तरह रावत को समझा कर स्थिति शांत करने की फिराक में है। लेकिन भाजपा भी स्थिति का फायदा उठाने के लिए तैयार बैठी है। सूत्र बताते हैं कि रावत समर्थकों की मदद से सरकार बनाने की संभावना बनती है तो भाजपा इसे भुनाने से चूकेगी नहीं। भाजपा आलाकमान रावत से लगातार संपर्क बनाए हुए है।
कौन हैं विजय बहुगुणा
विजय बहुगुणा उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा के बेटे हैं। विजय टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट से संसद सदस्य हैं। वे 14वीं लोकसभा में भी सदस्य थे। रीता बहुगुणा जोशी विजय बहुगुणा की बहन हैं, जो खुद उत्तर प्रदेश कांग्रेस की प्रमुख नेता हैं। विजय बहुगुणा का जन्म इलाहाबाद में हुआ था। विजय बहुगुणा ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीए और एलएलबी की पढ़ाई की थी। इसके बाद वे इलाहाबाद हाई कोर्ट में बतौर वकील प्रैक्टिस करने लगे थे। बाद में वे जज भी बने।
कुल मिला कर एक बार फिर से सामने आगया कांग्रेस ने वास्तविक योग्यता को दफना कर चमचा वाद को चुना ..यही वह बिंदु हे जिसके कारण देश पर राज करने वाली कांग्रेस मात्र कुछ राज्यों में सिमट गई और १९८४ के बाद से आज तक हुए लोकसभा चुनावों में पूर्ण बहुमत में नहीं आई...कांग्रेस से बहार होकर सरकारें बनाने वाले नेताओं की एक लंम्बी श्रंखला है ...कांग्रेस पहले एक वंसा की और फिर चमचावाद की पार्टी के रमें उभरी है
क्या बहुगुणा की सरकार अल्पमत में है?
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नई दिल्ली. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के तौर पर विजय बहुगुणा ने देहरादून के परेड ग्राउंड में मंगलवार शाम को शपथ ले ली। राज्यपाल मारग्रेट अल्वा ने उन्हें शपथ दिलाई। लेकिन इस दौरान कांग्रेस के बीच फूट साफ नज़र आई। शपथ ग्रहण समारोह में कई कुर्सियां खाली देखी गईं और कांग्रेस के सिर्फ 10 विधायक ही समारोह के दौरान मौजूद रहे। उत्तराखंड विधानसभा में कांग्रेस के 32 विधायक हैं। शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस के 22 विधायक नदारद रहे। बताया जा रहा है कि देहरादून में जब शपथ ग्रहण समारोह चल रहा था तब कांग्रेस के 17 विधायक हरीश रावत के दिल्ली स्थित आवास पर मौजूद थे।
हरीश रावत ने अपने ताजा़ बयान में कहा है कि वे आलाकमान को अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं। उनका कहना है कि वे संगठन में रहकर काम करेंगे। रावत ने यह भी कहा है कि उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री का चुनाव करने गए केंद्रीय पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट गलत थी। हरीश के मुताबिक उनके समर्थन में आए विधायकों से यह बात साबित होती है कि पर्यवेक्षकों ने केंद्रीय नेतृत्व को गलत रिपोर्ट सौंपी थी। रावत ने कहा कि उन्हें इस बात का इंतजार है कि अब केंद्रीय नेतृत्व पर्यवेक्षकों पर क्या कार्रवाई करता है। कांग्रेस के सांसद और हरीश रावत के समर्थक प्रदीप टम्टा ने कहा है कि विजय बहुगुणा विधानसभा में अपना बहुमत साबित नहीं कर पाएंगे। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का उदाहरण दिया, जो लोकसभा में अपना बहुमत साबित नहीं कर पाए थे।
वहीं, पार्टी के एक अन्य प्रमुख नेता हरक सिंह रावत का भी विजय बहुगुणा को लेकर असंतोष सामने आ गया है। रावत ने मंगलवार शाम को मीडिया से बातचीत में कहा कि अगर बहुगुणा अपना बहुमत साबित कर देंगे तो वह बहुगुणा को नेता मान लेंगे। इससे पहले मंगलवार को दिन में हरक सिंह रावत ने खुद को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बताते हुए साफ कर दिया था कि विजय बहुगुणा के नेतृत्व में बनने वाली सरकार ज़्यादा दिनों तक कायम नहीं रहेगी। उन्होंने देहरादून में मीडिया से बातचीत में कहा कि यह सरकार भानुमति का पिटारा साबित होगी।
इससे पहले मंगलवार की दोपहर में कांग्रेस ने विजय बहुगुणा को लेकर अपने तेवर कड़े कर लिए थे। कांग्रेस कोर ग्रुप ने तमाम विरोधों को दरकिनार करते हुए विजय बहुगुणा के नाम पर अंतिम मुहर लगा दी थी।
लेकिन बहुगुणा को बतौर मुख्यमंत्री चुनना कांग्रेस के लिए बड़ा 'सिरदर्द' साबित हो रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा बहुगुणा को बतौर मुख्यमंत्री चुने जाने से सबसे ज़्यादा नाराज हरीश रावत हैं। हरीश रावत पार्टी आलाकमान से इतने नाराज बताए जा रहे हैं कि उन्होंने बीजेपी से बात करनी शुरू कर दी है। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक हरीश रावत ने सोमवार रात बीजेपी के अध्यक्ष नितिन गडकरी से गैर कांग्रेसी सरकार बनाने के लिए मदद मांगी है। बताया जा रहा है कि गडकरी ने हरीश को हरी झंडी दे दी है।
इससे पहले रावत ने नाराजगी में केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा भी दे दिया। उन्होंने यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि वे पार्टी के आम कार्यकर्ता के तौर पर काम करना चाहते हैं। वह सोमवार सुबह संसदीय कार्य मंत्रालय की बैठक से भी गैरहाजिर रहे। इससे पहले उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक चिट्ठी भी लिखी। इसमें उन्होंने अपने समर्थकों की भावनाओं को तरजीह दिए जाने की मांग की। उनके समर्थक सोमवार रात से ही प्रदर्शन कर रहे थे और सोनिया के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे।
रावत इतने नाराज थे कि उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल का फोन तक नहीं उठाया। हालात की नजाकत को भांपते हुए सोनिया ने विजय बहुगुणा और हरीश रावत को अपने घर पर आने का संदेशा भिजवा दिया।
हरीश रावत द्वारा इस्तीफा प्रधानमंत्री को भेजने और हरक सिंह रावत के बगावती तेवर सामने आने के बाद कांग्रेस में हड़कंप मच गया। पार्टी आलाकमान ने बहुगुणा, हरीश रावत के अलावा सतपाल महाराज, यशपाल आर्य और हरक सिंह रावत को भी दिल्ली तलब किया है।
संभव है कि कांग्रेस आलाकमान किसी तरह रावत को समझा कर स्थिति शांत करने की फिराक में है। लेकिन भाजपा भी स्थिति का फायदा उठाने के लिए तैयार बैठी है। सूत्र बताते हैं कि रावत समर्थकों की मदद से सरकार बनाने की संभावना बनती है तो भाजपा इसे भुनाने से चूकेगी नहीं। भाजपा आलाकमान रावत से लगातार संपर्क बनाए हुए है।
कौन हैं विजय बहुगुणा
विजय बहुगुणा उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा के बेटे हैं। विजय टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट से संसद सदस्य हैं। वे 14वीं लोकसभा में भी सदस्य थे। रीता बहुगुणा जोशी विजय बहुगुणा की बहन हैं, जो खुद उत्तर प्रदेश कांग्रेस की प्रमुख नेता हैं। विजय बहुगुणा का जन्म इलाहाबाद में हुआ था। विजय बहुगुणा ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीए और एलएलबी की पढ़ाई की थी। इसके बाद वे इलाहाबाद हाई कोर्ट में बतौर वकील प्रैक्टिस करने लगे थे। बाद में वे जज भी बने।
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