जनरल वी के सिंह को घूस का ऑफर प्रकरण , ४० लाख का टाट्रा ट्रक, १ करोड़ से भी अधिक में सेना की सप्लाई में
- अरविन्द सिसोदिया ,आज का दिन जनरल के पक्ष का रहा , रक्षा मंत्री का यह दावा ख़त्म हो गया की लिखित शिकायत नहीं थी । वैसे तो मंत्री स्तर के व्यक्ती से सेना का मुख्य जनरल कोई बात कह रहा हो तब , यह बात हल्की ही थी की कोई लिखित शिकायत नहीं...मगर लिखित शिकायत तो कई वर्ष पहले से थी...... यह बात सामने आनें के बाद अब रक्षा मंत्री के पास बचाव का कोई साधन नहीं बचा .....इसी कारण अब मंत्री से इस्तीफा मांगा जा रहा हे....यूँ भी अब इतनी किरकिरी होने के बाद उन्हें पद पर बने रहने का हक़ नहीं बचाता ...
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40 लाख में मिल जाते हैं सेना को एक करोड़ में बेचे गए ट्रक!
आईबीएन-7 Mar 30, २०१२http://khabar.ibnlive.in.com
नई दिल्ली। सेना में अब तक 7000 टाट्रा ट्रक खरीदे गए हैं। दशकों से ये खरीद चल रही है लेकिन सेनाध्यक्ष वीके सिंह ने एक झटके में इस सारी खरीद पर सवाल उठा दिए। उन्हें घूस का ऑफर करने वाले दलाल ने ये कहकर सारी खरीद को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया कि आपसे पहले भी लोग पैसे लेते थे और आपके बाद भी लोग पैसे लेंगे। जाहिर है ये बयान जनरल वी के सिंह को मनाने की कोशिश में दिया गया था। लेकिन इसके पीछे एक सच्चाई भी छुपी हुई थी।
टाट्रा ट्रकों की पहली डील एक चेक कंपनी ओमनीपोल से 1986 में साइन की गई। चेकोस्लोवाकिया के बंटने के बाद 1992 से ये ट्रक बीईएमएल यानि भारत अर्थ मूवर लिमिटेड ने टाट्रा सिपॉक्स यूके नाम की कंपनी से लेना शुरू किया और यहीं से शुरू हुआ असली खेल, यहीं से टूटा सेना का पहला नियम, पहला कायदा।
आईबीएन7 के पास मौजूद दस्तावेज बताते हैं कि टाट्रा सिपॉक्स यूके लंदन की एक ट्रेडिंग कंपनी है। ये टाट्रा ट्रक खुद नहीं बनाती। किसी भी सौदे में ये सेना का पहला नियम है कि खरीद हमेशा निर्माता से सीधे होनी चाहिए। किसी भी बिचौलिया कंपनी से नहीं। लेकिन इसके बावजूद टाट्रा सिपॉक्स कंपनी से ट्रक खरीदे गए। सार्वजनिक क्षेत्र बीईएमएल ने खरीद जारी रखी। आईबीएन7 के पास उस वक्त की टाट्रा सिपॉक्स कंपनी की बैलेंस शीट है। जिसमें ये साफ होता है कि इस कंपनी की कैपिटल महज 24 करोड़ रुपये की है लेकिन इसे ठेके हजारों करोड़ के मिले।
इस कंपनी के शेयर होल्डर रवि ऋषि और जोसेफ माजेस्की हैं। स्लोवाकियन पेपर्स के मुताबिक ये लोग अवैध तरीके से पैसों के हेरफेर में जेल तक जा चुके हैं। हालांकि रवि ऋषि का दावा है कि उनकी कंपनी कई देशों को ये ट्रक सप्लाई करती है। बीईएमएल ने सिपॉक्स कंपनी के साथ जो समझौता साइन किया उसके मुताबिक सिपॉक्स आध्यात्मकि, धार्मिक और सामाजिक सेवा मुहैया करवाती है। ये कंपनी इसी काम के लिए रजिस्टर्ड हुई है। यानी आध्यात्मिक, धार्मिक और सामाजिक सेवा मुहैया कराने वाली कंपनी भारत को सैन्य ट्रकों की सप्लाई कर रही है।
ये डील हर तरह से सवालों के घेरे में है। 2003 में खुद सेना का इक्विपमेंट ब्रांच सिपॉक्स से ट्रकों की खरीद पर सवाल उठा चुका है। आईबीएन7 के पास इस ब्रांच की लिखी चिट्ठियां मौजूद हैं। इस चिट्ठी में अफसर ने सवाल उठाए हैं कि आखिर इन ट्रकों का वास्तविक निर्माता कौन है, किससे और किस कीमत पर हो रही है इनकी खरीद। इस पूरी खरीद में आखिरकार टाट्रा सिपॉक्स की क्या भूमिका है लेकिन इस खत ने फाइलों में ही दम तोड़ दिया।
इस खत के बाद स्थिति में थोडा़ बदलाव आया। 2003 में बीईएमएल ने टाट्रा और वेक्ट्रा नाम की दो कंपनियों के साथ ज्वाइंट वेंचर साइन किया। खास बात ये थी कि इस बार फिर टाट्रा और वेक्ट्रा के बड़े शेयर होल्डर रवि ऋषि ही थे। 2003 में बीईएमएल ने टाट्रा सिपॉक्स के साथ दस सालों का अग्रीमेंट किया। नियमों के मुताबिक सेनाध्यक्ष को इस डील पर हर साल साइन करना पड़ता है। इस डील पर आखिरी बार फरवरी 2010 में हस्ताक्षर हुए और ये साइन थे जनरल दीपक कपूर के। इसके बाद जनरल वीके सिंह ने इस डील पर ही सवाल उठा दिए।
इस पूरी डील में बीईएमएल की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। 2003 में बीईएमएल ने चिट्ठी लिखकर सरकार से टाट्रा ट्रकों के लिए टाट्रा सिपॉक्स यूके से ज्वाइंट वेंचर करने की इजाजत मांगी। उस वक्त बीईएमएल ने दावा किया था कि टाट्रा सिपॉक्स यूके चेक रिपब्लिक कंपनी एमएस टाट्रा की मेजर शेयरहोल्डर है। सिपॉक्स इस कंपनी के लिए मार्केटिंग का काम करती है लेकिन दस्तावेज बीईएमएल के दावे पर ही सवाल उठाते हैं। इस कंपनी की कोई ओवरसीज खरीद-बिक्री की डिटेल मौजूद नहीं है।
सिपॉक्स यूके की कोई ब्रांच नहीं है। कंपनी को करोड़ों की डील महज 24 करोड़ रुपये के वर्किंग कैपिटल पर मिली। इस कंपनी के शेयरों की कीमत महज एक पाउंड यानि 80 रुपए है। कंपनी के मेजर शेयर होल्डर रवि ऋषि हैं। जिन्होंने बाद में वेक्ट्रा कंपनी बनाई जिसके पास टाट्रा सिपॉक्स के ज्यादातर शेयर हैं। चेक मीडिया में भी इस ट्रक बनाने वाली कंपनी पर सवाल उठ चुके हैं। बहरहाल जो एक ट्रक यूरोप में 40 लाख तक में मिल जाता है। उस एक ट्रक की खरीद के लिए भारतीय सेना को एक करोड़ रुपये तक चुकाने पड़े। सवाल ये है कि आखिर इस नुकसान का जिम्मेदार कौन-कौन है।
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एंटनी को थी टाट्रा घोटाले की जानकारी!
Friday, March 30, 2012
ज़ी न्यूज ब्यूरो http://zeenews.india.com
नई दिल्ली: टाट्रा ट्रक पर डीएनए अखबार के नए खुलासे ने खलबली मचा दी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक रक्षा मंत्री एके एंटनी को टाट्रा ट्रकों की खरीद में गड़बड़ी की जानकारी वर्ष 2009 से ही थी। सरकार में शामिल मंत्रियों की तरफ से भी इस सिलसिले में कई बार शिकायत दर्ज कराई गई। इसके बावजूद रक्षा मंत्री ने ध्यान नहीं दिया।
रक्षा मंत्री एंटनी ने राज्यसभा में कहा था कि सेना प्रमुख जनरल वी के सिंह ने उन्हें घटिया क्वालिटी के 600 टाट्रा ट्रक की फाइल आगे बढ़ाने के लिए 14 करोड़ रुपए की रिश्वत पेशकश की बात मौखिक रुप से बताई थी। लिखित शिकायत करते तो कार्रवाई जरूर होती। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इसकी जानकारी सरकार में शामिल दो केंद्रीय मंत्रियों को भी थी।
डीएनए के पास मौजूद दस्तावेजों के मुताबिक कर्नाटक के वरिष्ठ नेता डॉ. हनुमनथप्पा ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र भेजा था। जिसमें उन्होंने कहा था कि बीईएमएल के सीएमडी वीआरएस नटराजन ने 6000 करोड़ रुपए का टाट्रा ट्रकों का ठेका सीधे उत्पादन कंपनी को न देते हुए उसके ब्रिटिश एजेंट को दिया था।
यह रक्षा खरीद से जुड़े दिशा-निर्देशों का उल्लंघन था। जिस पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखा था। जवाब में रक्षा मंत्रालय ने जांच की बात कही थी। लेकिन यह भी कहा गया था जांच में समय लग सकता है।
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टाट्रा ट्रक सौदे पर गिरी गाज, मामला दर्ज
प्रकाशित Fri, मार्च 30, 2012 , 30 मार्च 2012,आईबीएन-7,नीतीशhttp://hindi.moneycontrol.com
नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्योरो (सीबीआई) ने आज टाट्रा ट्रक सौदा दलाली मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है। सीबीआई सिर्फ आर्मी चीफ की चिट्ठी की सिफारिशों के मुताबिक ही नहीं, बल्कि पूरे मामले की जांच करेगी।
सूत्रों के मुताबिक टाट्रा ट्रक कंपनी चीफ रवि ऋषि से भी सीबीआई पूछताछ करेगी। उनके कार्यालयों की तलाशी भी सीबीआई ले सकती है। सीबीआई ने टाट्रा चीफ को इस संबंध में नोटिस जारी किया है।
भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि टाट्रा डील में बहुत दिन से दाल में काला चल रहा है।
एक सवाल के जवाब में राजीव शुक्ला ने कहा कि रक्षा मंत्री ने पहले ही कह दिया है कि वे जो कुछ कहेंगे संसद में कहेंगे।
वहीं, भाजपा नेता जसवंत सिंह नें कहा कि प्रधानमंत्री अपना मौन व्रत तोड़ें।
रक्षामंत्री को टाट्रा ट्रक घोटाले की जानकारी थी?
आखिर क्या है विवादों में घिरी टाट्रा डील?
सेनाध्यक्ष जनरल वी. के. सिंह द्वार कथित तौर पर ट्राटा डील में रिश्वत की पेशकश के आरोप के बाद यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर यह टाट्रा डील है क्या?
आरोप है कि ट्रकों की सप्लाई में एक कंपनी बीईएमएल ने भारी मुनाफा कमाया। एक करोड़ रुपए में खरीदे गए ट्रक पूर्वी यूरोप से आधी कीमत पर खरीदे जा सकते थे।
भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड यानी बीईएमएल सेना को 1986 से ही टाट्रा ट्रकों की सप्लाई करती आ रही है। 2010 में बीईएमएल को 632 करोड़ के अनुमानित खर्चे पर 788 और टाट्रा ट्रक की सप्लाई का ऑर्डर दिया गया। सूत्रों के मुताबिक जनरल वी.के. सिंह ने तीन मुद्दों पर गंभीर आपत्तियां जताई थीं।
पहला टाट्रा ट्रकों को बीईएमएल ने खुद न बनाकर आयात किए थे, दूसरा ट्रकों में ड्राइविंग सीट बाईं ओर थी, जबकि भारत में वाहनों की ड्राइविंग सीट दाईं ओर होती है और तीसरा ट्रकों की सप्लाई में बीईएमएल भारी मुनाफा कमा रही थी।
एक करोड़ रुपए में खरीदे गए यही ट्रक पूर्वी यूरोप से आधी कीमत पर खरीदे जा सकते थे। टाट्रा ने साल 1997 में 7000 हजार गाड़ियां सप्लाई की थीं। 1964 से टाट्रा इंडियन आर्मी को अलग-अलग गाड़ियां सप्लाई करते आ रहा है। इन सभी पहलुओं की सीबीआई जांच करेगी। साथ ही टाट्रा के साथ सौदे की मियाद की भी जांच की जाएगी।
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