आत्मविश्वास को बढाएं
खुदी को कर बुलंद इतना..
May 16, 12:26 am
- मीनाक्षी स्वामी
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आत्मविश्वास के बगैर आप सफल जिंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकतीं। सांसें लेना और छोड़ना ही जिंदगी नहीं है। जिंदगी का आशय है आत्मविश्वास के साथ सम्मानपूर्वक अपने किसी सकारात्मक मिशन और लक्ष्य को हासिल करना, लेकिन हर तस्वीर के दो पहलू होते हैं। आत्मविश्वास के बारे में भी यही बात लागू होती है। आत्मविश्वास के बारे में चर्चा करना आसान है, पर खुद को वास्तविक रूप में आत्मविश्वासी बनाना सहज बात नहीं है। मशहूर मनोवैज्ञानिक एब्राहम मैसलो का कहना था कि अक्सर पुरुष और महिलाएं स्वयं की योग्यताओं को कमतर करकर आंकते है। यही कारण है कि उनमें आत्मविश्वास की कमी होती है। आत्मविश्वास की कमी का ही यह नतीजा होता है कि वह उन लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर पाते, जिन्हे दूसरे लोग हासिल कर लेते है। कुछ लोग तो ऐसे होते है कि आत्मविश्वास की कमी के कारण किसी कार्ययोजना पर प्रयास ही शुरू नहीं करते।
मनोचिकित्सकों की राय में चुनौतियां स्वीकारने से ही व्यक्ति के मन में आत्मविश्वास का जज्बा पैदा होता है। जब आप अपनी जिंदगी व हालात को सुचारु रूप से नियंत्रित करती है, तब आप स्वयं को आत्मविश्वासी महसूस करती है। अधिकतर बिहेवियरल एक्सपर्ट्स की राय है कि तनाव व हीनता की ग्रंथि के कारण व्यक्ति का आत्मविश्वास विचलित हो जाता है और वह हालात पर से अपना नियंत्रण खो देता है।
आत्मविश्वास को बढ़ावा देने वाले कुछ सुझाव-
[संबंधों में सुधार]
आत्मविश्वासी होने पर आपके परिवेश से जुड़े लोगों के साथ संबंधों में स्वत: ही सकारात्मक सुधार होने लगता है। आप जितना अधिक आत्मविश्वासी बनती जाती है, उतने ही आपके सामाजिक और व्यावसायिक संबंध अधिक अच्छे, व्यापक और गहरे होते जाते हैं। आपके संपर्को का दायरा भी स्वत: बढ़ जाता है। लोग आपके व्यक्तित्व से आकर्षित होकर खुद-ब-खुद आपके पास चले आते है।
[कॅरियर में कामयाबी]
आंतरिक आत्मविश्वास आपको सफलता की राह पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। आत्मविश्वासी व्यक्ति अपने कॅरियर में भी आगे बढ़ता है। असल में कोई भी नियोक्ता अपने कर्मचारी को आत्मविश्वास से परिपूर्ण देखना चाहता है। कारण, उसे पता रहता है कि ऐसा शख्स किसी भी चुनौती या कार्य का समाधान करने की हरसंभव कोशिश करता है। इसके साथ ही वह सकारात्मक सोच रखता है। नियोक्ता इस बात को अच्छी तरह जानते है कि कोई भी व्यक्ति जॉब से संबंधित जिम्मेदारियों को तो चंद दिनों में सीख सकता है, पर आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच ऐसे गुण है, जो चंद दिनों में या अचानक पैदा नहीं होते। ये आपके व्यक्तित्व के गुण है।
[हाव-भाव का महत्व]
आप अपने व्यक्तित्व व हावभाव को बाहरी रूप से किस तरह से पेश करती है, यह बात भी आपके आत्मविश्वास को बढ़ाती है। जैसे मुस्कराते हुए प्रेम और विश्वास के साथ दूसरों के साथ संवाद स्थापित करना। अगर आप खुशमिजाजी से दूसरों के साथ पेश आएंगी, तो इससे दूसरे लोग बरबस ही आपके व्यक्तित्व की ओर आकर्षित होंगे।
[कुशल वार्ताकार बनें]
जो लोग बात करने में कुशल होते है, उन्हे लोग सराहते ही नहीं है, बल्कि ऐसे लोग दूसरों पर प्रभाव छोड़कर अपना कार्य भी करवा लेते है। संवाद स्थापित करने का हुनर एक दिन में नहीं आता। यह अभ्यास से विकसित होता है। जो लोग कुशल वार्ताकार है, उनकी बातों को एक अच्छी श्रोता बनकर सुनें। जिन लोगों की संवाद क्षमता से आप प्रभावित है, उनके बोलने का अंदाज, हावभाव और बॉडी लैंग्वेज आदि को निरीक्षित करे। खुद भी अध्ययन करे और अवसर आने पर सामाजिक समारोह या किसी फंक्शन में बोलें। अपने विचार और प्रतिक्रिया व्यक्त करे।
[आत्मचिंतन करे]
आत्मविश्वास का जज्बा विकसित करने के लिए यह जरूरी है कि आप खुद पर विश्वास करे यानी किसी पर निर्भर होकर फैसले न लें। अक्सर होता यह है कि लोग सही कार्य कर रहे है या गलत, इन बातों की जानकारी के लिए अपने किसी प्रियजन या दोस्त की राय लेते है। सहेलियों व दोस्तों से राय लेना बुरा नहीं है, पर इस क्रम में हमारा जोर इस बात पर है कि आप सुनें सबकी, लेकिन अपने कॅरियर और जिंदगी से संबंधित फैसले आत्मचिंतन करने के बाद करे। साथ ही कोई फैसला लेने से पहले अपने अंतर्मन की पुकार भी सुनें।
[जोखिम लें]
कॅरियर में आपको जोखिम उठाना चाहिए। जोखिम उठाने का आशय यह नहीं कि आप आगा-पीछा सोचे बगैर कोई निर्णय लें। अगर कॅरियर में आपको कोई अच्छा अवसर मिल रहा है, तो उसे इसलिए हाथ से न गंवाएं कि मैं जहां हूं, वहीं पर ठीक हूं। कॅरियर में कुछ अवसर ऐसे भी आते है, जब आगे बढ़ने के लिए आपको जोखिम भी उठाने पड़ सकते है। जोखिम उठाने से आपके आत्मविश्वास में इजाफा होता है।
[नकारात्मक सोच से बचें]
आपके आत्मविश्वासी बनने की राह में एक सबसे बड़ी बाधा नकारात्मक सोच व विचार हैं। निराशावादी सोच आपके मन-मस्तिष्क को कुंठित कर आपके आत्मविश्वास को डगमगा देती है। नकारात्मक सोच से बचने की एक ही दवा है सकारात्मक सोच। सकारात्मक यानी आशावादी सोच विपरीत स्थितियों में भी आपका आत्मविश्वास बरकरार रखती है। अपने मन में इस तरह के सकारात्मक वाक्यों जैसे जो कार्य मैंने अपने हाथ में लिया है, उसमें मैं कामयाबी हासिल करके ही रहूंगी आदि को मन में बैठाएं।
[अभ्यास से पूर्णता आती है]
वस्तुत: कोई व्यक्ति जन्म से नकारात्मक सोच लेकर पैदा नहीं होता। असल में नकारात्मक सोच यह संकेत देती है कि आप में सकारात्मक ढंग से सोचने का हुनर नहीं है। साथ ही आप में आत्मविश्वास की भी कमी है। इसलिए आप भयों और आशंकाओं से घिरी है। अपने जीवन में सकारात्मक सोच को तरजीह दें। इसके लिए अभ्यास की जरूरत है। यह भी याद रखें कि विफलता कभी भी अंतिम नहीं होती और सफलता का सिलसिला कभी खत्म नहीं होता।
[मीनाक्षी स्वामी]
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