केन्द्र की कांग्रेस सरकार अल्पमत में : मुलायम और मायावती धोकेबाज


केन्द्र की कांग्रेस सरकार अल्पमत में

केन्द्र सरकार ने सरकार चलाने का नैतिक अधिकार खोया - अरविन्द सीसौदिया

कोटा 5 दिस्मबर। भाजपा जिला उपाध्यक्ष अरविन्द सीसौदिया ने लोकसभा में कांग्रेस की कथित जीत को भ्रामक बताते हुये कहा “ सरकार चलाने के लिये लोकसभा में सत्तारूढ़ दल को 272 की संख्या जरूरी है। किन्तु गुरूवार को हुये दो बार मतदान में स्पष्ट हो गया कि सरकार के पास जरूरी 272 की संख्या नहीं है। उसे मात्र 253 मतों का ही समर्थन प्राप्त है। उस प्रकार से कांग्रेस नेतृत्व सरकार को एक क्षण भी सरकार में रहने का हक नहीं बचा है। ”
सीसौदिया ने कहा सरकार ने मुलायमसिंह और मायावती के दलों द्वारा बहिष्कार से सदन में प्रस्ताव भले ही बचा लिया हो मगर वह पूरी तरह अपने अल्पमत के साथ बेनकाव हो चुकी है। उसे सदन में नैतिक बहूमत 272 प्राप्त नहीं है। यह स्पष्ट साबित हुआ है। इसलिये सरकार का कोई भी निर्णय नैतिक बहूमत का नहीं कहा जा सकेगा है।

भवदीय
अरविन्द सीसौदिया
जिला उपाध्यक्ष
9414180151

मल्टीब्रैंड रिटेल एफडीआई पर सरकार की जीत

Wed, दिसम्बर 05, 2012
मल्टीब्रैंड रिटेल में एफडीआई पर लोकसभा में हुई वोटिंग में सरकार को बहुमत हासिल हुआ है। सरकार के पक्ष में 253 वोट पड़े, जबकि 218 सांसदों ने एफडीआई के खिलाफ वोट डाले। वोटिंग के पहले सपा और बसपा सांसदों के लोकसभा से बाहर निकलने की वजह से सरकार को जीतने में आसानी हुई। साथ ही, फेमा संशोधन बिल रद्द करने का भी प्रस्ताव खारिज हुआ है। अब मल्टीब्रैंड रिटेल सेक्टर में 51 फीसदी एफडीआई का रास्ता साफ हो गया है। केंद्र सरकार ने पहले ही साफ कर दिया है कि एफडीआई लागू किया जाए या नहीं ये राज्य सरकारों पर निर्भर होगा। सिंगलब्रैंड रिटेल में 100 फीसदी एफडीआई की इजाजत है।
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रिटेल में एफडीआई के खिलाफ विपक्ष का प्रस्ताव गिरा

नई दिल्ली। एफडीआई पर लोकसभा में विपक्ष का प्रस्ताव गिर गया।जैसी उम्मीद थी, वैसा ही हुआ। सरकार को सदन से एसपी और बीएसपी के वॉकआउट का फायदा मिला और सरकार की फजीहत होने से बच गई। सरकार को 251 वोटों की जरूरत थी। पक्ष में 253 वोट जबकि विपक्ष में 218 वोट पड़े। एसपी-बीएसपी के वॉकआउट ने सरकार का काम आसान कर दिया। माया और मुलायम के इस रुख के चलते सदन में प्रस्ताव गिर गया। इससे पहले सदन में एफडीआई पर घंटों लंबी बहस चली। आरजेडी नेता लालू प्रसाद यादव ने एफडीआई के पक्ष में अपना भाषण दिया। इसके बाद वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने एफडीआई पर सरकार का रुख सदन के सामने रखा।
जवाब में लोकसभा में नेता विपक्ष सुषमा स्वराज ने सरकार पर सहमति ना बनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि 18 में से 14 पार्टियों ने इसके खिलाफ भाषण दिया है। ऐसे में सरकार कैसे कह सकती है कि उसने सहमति के बाद ही रिटेल में एफडीआई का फैसला लिया है। तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने अपनी पार्टी की तरफ से एफडीआई पर रुख रखा।
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रिटेल में एफडीआई : माया-मुलायम के साथ से सरकार जीती

नई दिल्ली: लोकसभा में रिटेल में एफडीआई पर विपक्ष का प्रस्ताव 218 के मुकाबले 253 मत से गिरा। सरकार को जीत के लिए 236 वोट चाहिए थे। कुल 471 मत डाले गए। 70 सांसद वोटिंग के दौरान उपस्थित नहीं रहे। इसी के साथ सरकार ने रिटेल में एफडीआई पर लोकसभा में जीत दर्ज की। माना यह भी जा रहा है कि सरकार कम से कम 40 सांसदों के गैरहाजिर होने की उम्मीद कर रहे वहीं आज करीब 70 सांसद बाहर रहे जिससे सरकार को काफी बल मिला। इस सरकार के बेहतरीन फ्लोर मैनेजमेंट के रूप में देखा जा रहा है।
इससे पहले स्पीकर ने ध्वनिमत से भी प्रस्ताव के समर्थन और विरोध में राय मांगी थी जिसके बाद प्रस्ताव गिरने का ऐलान किया गया था। विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज का यह प्रस्ताव बुधवार को सदन में गिरा घोषित किया गया।
वहीं, तृणमूल सांसद सौगत रॉय का भी फेमा में संशोधन के खिलाफ प्रस्ताव आज गिर गया। इसके समर्थन में 224 मत पड़े वहीं 254 मत इसके खिलाफ डाले गए।
बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के मुद्दे पर लोकसभा में मतदान के परिणाम का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार के इस फैसले को सदन की भी मंजूरी मिल गई है। वहीं, सोनिया गांधी ने जीत पर खुशी जताते हुआ कहा कि अब राज्यसभा में जीत की चिंता नहीं है। लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने सदन में अपने प्रस्ताव के गिरने के बाद कहा कि यह सरकार की नैतिक हार है।
लोकसभा में जीत के बाद केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि यह रिफॉर्म की जीत है और आग्रह किया कि विपक्ष विचारात्मक चश्मे से यह सब देखना बंद करे। वहीं, कपिल सिब्बल ने कहा कि संसद में सरकार के निर्णय पर मुहर लग गई है।
मल्टीब्रांड रिटेल में एफडीआई पर बुधवार को होने वाली वोटिंग के लिए राजनीतिक लामबंदी तेज की गई थी। सरकार इस अग्निपरीक्षा में पास हो गई क्योंकि सपा और बसपा के सांसद वोटिंग से पहले वॉकआउट कर गए।
लोकसभा में बीएसपी सांसदों ने वॉकआउट कर दिया था। बीएसपी सांसदों ने केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा के विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज के प्रश्नों के जवाब देने की वजह से यह वॉकआउट किया। उनका कहना था कि मंत्री उनके प्रश्नों का कोई जवाब नहीं दे रहे हैं।
वहीं, सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने वॉकआउट करने के बाद मीडियाकर्मियों से  कहा कि रिटेल में एफडीआई किसानों और छोटे दुकानदारों का अपमान बताया। इसे ही वजह बताते हुए उन्होंने लोकसभा से अपनी पार्टी के समर्थकों के साथ वॉकआउट किया।
सपा के लोकसभा में 22 सांसद और बसपा के 21 सांसद हैं। इससे बहुमत का आंकड़ा कम हो जाता है।
लोकसभा में वोटिंग से पहले समाजवादी पार्टी ने एनडीटीवी से बातचीत में पहली बार साफ किया था कि वह सरकार के पक्ष में वोट नहीं देगी। इसलिए उन्होंने वोटिंग से पहले वॉकआउट कर सरकार का साथ दिया।
बुधवार की सुबह एनडीटीवी इंडिया के पॉलिटिकल एडिटर मनोरंजन भारती से बातचीत में समाजवादी पार्टी के महासचिव रामगोपाल यादव ने साफ कहा है कि सदन में वोटिंग के वक्त या तो वे सरकार के खिलाफ वोट देंगे या फिर सदन में मौजूद नहीं होंगे।
वहीं सरकार ने आज कहा कि वह समर्थन के लिए विभिन्न दलों से संपर्क बनाए हुए है। संसदीय राज्य मंत्री राजीव शुक्ला ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा, हम सभी (दलों) से संपर्क बनाए हुए हैं। हमने उनसे समर्थन का अनुरोध किया है। एफडीआई से किसानों और छोटे व्यापारियों के हितों पर कुठाराघात नहीं होगा, बल्कि इससे उन्हें मदद ही मिलेगी।
जनता दल (युनाइटेड) के नेता शरद यादव ने बुधवार को लोकसभा में सरकार से आग्रह किया कि उसे रिटेल में एफडीआई के निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए। यादव ने कहा कि यूपीए सरकार सदन में यह लड़ाई भले ही जीत सकती है, लेकिन इस नीति के दूरगामी परिणाम होंगे।
शरद यादव ने कहा, आप लड़ाई जीत सकते हैं... लेकिन भावी पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी। यादव ने केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल की ओर इशारा करते हुए कहा, आपको इस निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए। शरद यादव ने कहा कि विपक्ष का इरादा सरकार को अस्थिर करने का नहीं है, बल्कि खुदरा में एफडीआई को वापस लेने का दबाव बनाने का है।
जेडीयू नेता ने कहा, यदि हम सरकार को अस्थिर करना चाहते, तो हम शीतकालीन सत्र के आरंभ में तृणमूल कांग्रेस द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन किए होते। अब उनके नेता हमसे बात नहीं कर रहे हैं। यादव ने कहा, हम देश को बचाने के लिए एफडीआई का विरोध कर रहे हैं... वालमार्ट यहां मुनाफे के लिए है। यह देश के गरीबों के खिलाफ है और आप इसे थोप रहे हैं।
इससे पहले, मंगलवार को मल्टीब्रांड रिटेल में एफडीआई के फैसले को वापस लेने की जोरदार वकालत करते हुए समाजवादी पार्टी नेता मुलायम सिंह यादव ने सरकार को आगाह किया कि यदि उसने कदम पीछे नहीं खींचे, तो उसे आगामी आम चुनाव में भारी नुकसान होगा और बीजेपी सत्ता में आ जाएगी।
मुलायम ने इसके साथ ही इस मसले पर सर्वदलीय बैठक बुलाकर देश के विकास के लिए ठोस ढांचा तैयार किए जाने की वकालत की। एफडीआई का कड़ा और स्पष्ट विरोध करते हुए मुलायम ने भावी चुनावी समीकरणों का संकेत देते हुए कहा कि वह या तो कांग्रेस को समर्थन देंगे या फिर समर्थन लेंगे।
मुलायम ने एफडीआई की पृष्ठभूमि में आगामी आम चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस को आगाह करते हुए कहा, चुनाव आ रहा है। ये (बीजेपी) चालाक लोग हैं। गांव-गांव में संघ (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) फैला हुआ है। आपको (कांग्रेस) चुनाव की दृष्टि से भी कोई लाभ नहीं होगा। ये (बीजेपी) सत्ता में आ जाएगी। हम तो आने वाले नहीं हैं। हम तो सहयोग देंगे या लेंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से एफडीआई के फैसले को कुछ समय के लिए टालने का आग्रह करते हुए कहा कि अगर फायदा मिलता दिखेगा, तो हम भी समर्थन कर देंगे, लेकिन अभी इसे छोड़ दीजिए।


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