महाकुम्भ प्रयाग : पृथ्वी पर सबसे बड़ा मेला
इलाहाबाद कुम्भ मेला 2013 : मुख्य स्नान तिथियां
जब सूर्य एवं चंद्र मकर राशि में होते हैं और अमावस्या होती है तथा मेष अथवा वृषभ के बृहस्पति होते हैं तो प्रयाग में कुम्भ महापर्व का योग होता है। मुख्य स्नान तिथियों पर सूर्योदय के समय रथ और हाथी पर संतों के रंगारंग जुलूस का भव्य आयोजन होता है। पवित्र गंगा नदी में संतों द्वारा डुबकी लगाई जाती है।
विक्रम संवत् 2069 में प्रयागराज (इलाहाबाद) में पड़ने वाले महापर्व में निम्न शाही स्नान और सामान्य स्नान की तिथियां यहां प्रस्तुत हैं -
स्नान सूची | पर्व नाम | दिनांक | वार | स्नान महत्व |
प्रथम स्नान | मकर संक्रांति | 14 जनवरी 2013 | सोमवार | शाही स्नान |
द्वितिय स्नान | पौष पूर्णिमा | 27 जनवरी 2013 | रविवार | शाही स्नान |
तृतीय स्नान | एकादशी | 6 फरवरी 2013 | गुरुवार | सामान्य स्नान |
चतुर्थ स्नान | मौनी अमावस्या | 10 फरवरी 2013 | रविवार | शाही स्नान |
पंचम स्नान | बसंत पंचमी | 15 फरवरी 2013 | शुक्रवार | शाही स्नान |
छठवां स्नान | रथ सप्तमी | 17 फरवरी 2013 | रविवार | सामान्य स्नान |
सप्तम स्नान | भीष्म एकादशी | 18 फरवरी 2013 | सोमवार | सामान्य स्नान |
अष्टम स्नान | माघी पूर्णिमा | 25 फरवरी 2013 | सोमवार | शाही स्नान |
नवम स्नान | महाशिवरात्रि | 10 मार्च 2013 | रविवार | सामान्य स्नान |
कुम्भ: विश्व का सबसे विशालतम मेला...
पृथ्वी पर सबसे बड़ा महाकुम्भ मेला
आगामी 14 जनवरी, 2013 को गंगा और यमुना के तट पर शुरू होने जा रहे इस महाकुम्भ में 10 करोड़ लोगों के भाग लेने की संभावना है। ब्रिटिश और भारतीय शोधकर्ताओं ने चार साल के अध्ययन के बाद कहा है कि अगले साल इलाहाबाद में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर होने जा रहा महाकुम्भ विश्व के सबसे विशालतम धार्मिक जमावड़े में से एक है और यह पृथ्वी पर सबसे बड़ा मेला है।
चार साल तक हुए इस अध्ययन में ब्रिटिश और भारतीय शोधकर्ताओं के दल ने देखा कि लोग एक-दूसरे के साथ किस तरह से व्यवहार करते हैं, भीड़ का उनका क्या अनुभव है और इस भीड़ का उनके रोजमर्रा के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है।
ये शोधकर्ता 24 जनवरी, 2013 को इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एक विशेष कार्यक्रम में अपने निष्कर्षों को पेश करेंगे। इस अध्ययन में कुम्भ मेला को एक अविश्वसनीय कार्यक्रम और पृथ्वी पर सबसे बड़ा मेला बताया गया है। महाकुम्भ मेले में पूरी दुनिया के लोग आते हैं और लाखों श्रद्धालु गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं।
महाकुम्भ के दौरान धर्मगुरुओं का जुलूस तथा राख लपेटे नगा साधु सभी के आकार्षण का केंद्र होते हैं। यह अध्ययन डूंडी विश्वविद्यालय के निक हॉपकिंस और सेंट एंड्रियूज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर स्टीफन रेइसर तथा इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नाराय श्रीनिवासन के नेतृत्व में किया गया है। (भाषा)
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प्रयाग कुम्भ मेला 2013 : नगा साधुओं की ‘पेशवई’चार साल तक हुए इस अध्ययन में ब्रिटिश और भारतीय शोधकर्ताओं के दल ने देखा कि लोग एक-दूसरे के साथ किस तरह से व्यवहार करते हैं, भीड़ का उनका क्या अनुभव है और इस भीड़ का उनके रोजमर्रा के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है।
ये शोधकर्ता 24 जनवरी, 2013 को इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एक विशेष कार्यक्रम में अपने निष्कर्षों को पेश करेंगे। इस अध्ययन में कुम्भ मेला को एक अविश्वसनीय कार्यक्रम और पृथ्वी पर सबसे बड़ा मेला बताया गया है। महाकुम्भ मेले में पूरी दुनिया के लोग आते हैं और लाखों श्रद्धालु गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं।
महाकुम्भ के दौरान धर्मगुरुओं का जुलूस तथा राख लपेटे नगा साधु सभी के आकार्षण का केंद्र होते हैं। यह अध्ययन डूंडी विश्वविद्यालय के निक हॉपकिंस और सेंट एंड्रियूज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर स्टीफन रेइसर तथा इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नाराय श्रीनिवासन के नेतृत्व में किया गया है। (भाषा)
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इलाहाबाद कुम्भ मेला 2013
गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के संगम पर हजारों नगा साधुओं द्वारा निकाले गए जुलूस के साथ ही आगामी महाकुम्भ मेले की उल्टी गिनती इलाहाबाद में 18 दिसंबर से शुरू हो गई। 5000 से ज्यादा नगा साधुओं ने ‘पेशवई’ के पहले दिन कुम्भ मेले में प्रवेश किया। इसी नाम से संन्यासियों के प्रवेश को जाना जाता है। जुलूस में सजे..धजे दर्जनों घोड़े, हाथी और संगीत बैंड शामिल थे जिसे कीदगंज इलाके में मौजागिरी आश्रम के पास निकाला गया और तीन किलोमीटर दूर चलकर यह पवित्र संगम के नजदीक पहुंचा।
जुलूस के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे जिसमें स्थानीय पुलिस, प्रोविंशियल आम्र्ड कांस्टेबुलरी और बम निरोधक दस्ते के कर्मी शामिल थे। ‘अखाड़ा’ उन संतों का समुदाय है जो आदि शंकराचार्य को अपना पूर्वज मानते हैं जिन्होंने ‘सनातन धर्म’ की रक्षा के उद्देश्य से इन समूहों की स्थापना की थी। (भाषा)
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