कब-कब लगता है कुंभ मेला?
Allahabad Kumbhamela Holy Bathing
27th Jan 2013 Paush Purnima
06th Feb 2013 Ekadashi Snan
10th Feb 2013 Mauni Amavasya Snan
15th Feb 2013 Basant Panchami Snan
17th Feb 2013 Rath Saptami Snan
18th Feb 2013 Bhisma Ekadashi Snan
25th Feb 2013 Maghi Purnima Snan
क्यों महत्वपूर्ण है महाकुंभ, कब करें स्नान
में गंगा नदी के तट पर महाकुंभ का मेला चल रहा है। इस मेले में करोड़ों लोग अगले दस दिनों तक गंगा नदी में डुबकी लगायेंगे। करोड़ों लोगों की आस्था इस महापर्व से जुड़ी हुई है। ऐसे मौके पर लखनऊ के ज्योतिषाचार्य पं. अनुज के शुक्ला बता रहे हैं कुंभ का इतिहास, उसका महत्व और कब-कब आप गंगा नदी में स्नान करें। विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक व सामाजिक उत्सव वाला महाकुंभ एक व्यापक जनसम्पर्क का स्थान है। महाकुंभ भारत का धार्मिक ही नहीं, अपितु यह एक सामाजिक उत्सव भी है। यहां आने वाले सभी श्रद्धालु एक धर्म यात्री है, जिसमें सम्पूर्ण भारत के प्रतिनिधि एकत्रित होकर परस्पर परिचय प्राप्त के साथ-साथ सामाजिक समस्याओं पर विचार कर उनके समाधान के मार्ग खोजने का एक सामूहिक केन्द्र है। महाकुंभ का इतिहास देश के सबसे बड़े धार्मिक मेले की परम्परा कितनी प्रचीन है, इसका सही अनुमान लगाना कठिन है। वास्तव में कुंभ का आयोजन कब और क्यों हुआ? यह एक यक्ष प्रश्न है। इतिहास में कुंभ के मेले का सबसे पुराना उल्लेख महाराजा हर्ष के समय का मिलता है, जिसको चीन के प्रसद्धि बौद्ध भिक्षु ह्रेनसान ने ईसा की सातवीं शताब्दी में आंखों देखी वर्णन का उल्लेख किया है।ऐसी मान्यता है कि 7 हजार धनुष निरन्तर मां गंगा की रक्षा करते-रहते है, इन्द्र पूरे प्रयाग की रक्षा करते है। विष्णु भीतर के मण्डल की रक्षा करते है एंव अक्षयवट की रक्षा शिव जी करते है। प्रयागराज में एक माह तक सत्य, अहिंसा और ब्रहमचर्य का पालन करने से मनुष्य को असीम उर्जा की प्राप्ति होती है। पृथ्वी की एक लाख बार प्रवीक्षण करने का फल कुंभ पर स्नान, दान आदि कर्म करने से प्राप्त होता है।
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कब-कब लगता है कुंभ मेला?
महाकुंभ- यह अमृत कलश जिन-2 स्थानों पर पर छलका या रखा गया था। उस समय सूर्य, चन्द्र व गुरु जिन राशि में स्थित थे, ये ग्रह जब उन्ही राशियों में भ्रमण करते है, तो उस स्थान पर पूर्ण कुंभ का आयोजन होता है।पहला- जब सूर्य और चन्द्रमा मकर राशि में तथा गुरु वृष राशि में आते हैं, तो प्रयाग में भव्य महाकुंभ होता है।
दूसरा- जब कुंभ राशि में गुरु हो एंव सूर्य मेष राशि में होता है, तब हरिद्वार में कुंभ का आयोजन होता है।
तीसरा- सिंह राशि में गुरु और सूर्य एंव चन्द्र कर्क राशि में भ्रमण करते है, तब नासिक (पंचवटी) में कुंभ मेले का आयोजन होता है।
चौथा कुंभ- जब तुला राशि में सूर्य आये तथा गुरु वृश्चिक राशि में भ्रमण करें, इस योग में अवनितकापुरी (उज्जैन) में कुंभ के पर्व को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
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