बीबीसी निर्भया कांड के दोषी का इंटरव्यू प्रसारित करना : कोर्ट की अवमानना


निर्भया के दोषी का बयान कहने लायक नहीं: UN

आईबीएन-7 | Mar 05, 2015
नई दिल्ली। निर्भया डॉक्यूमेंट्री में दोषी मुकेश के इंटरव्यू पर उठा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। भारत में इसके जबरदस्त विरोध के बाद अब संयुक्त राष्ट्र ने भी मुकेश के बयान पर कहा है कि वो बयान भद्दा है और कहने-बताने लायक भी नहीं है। आपको बता दें कि निर्भया गैंगरेप के दोषी बस ड्राइवर मुकेश ने इंटरव्यू में कहा था कि अगर निर्भया ने विरोध न किया होता तो वो बच जाती, हम उसे नहीं मारते।

यही नहीं उसने ये भी कहा था कि बलात्कार के लिए लड़कियां ही ज्यादा जिम्मेदार होती हैं। आपको बता दें कि भारत सरकार, भारतीय संसद और भारतीय अदालत की भावनाओं को नजरअंदाज कर बीबीसी चैनल 4 ने निर्भया रेप केस पर बनी डॉक्यूमेंट्री का प्रसारण कर दिया है।

मुद्दा: निर्भया का अपमान, क्यों सहे हिंदुस्तान?

आईबीएन-7 | Mar 05, 2015
नई दिल्ली। देश की बेटी निर्भया के बलात्कारियों का इंटरव्यू दिखा कर बीबीसी ने एक बार फिर से पूरे देश के जख्म को हरा कर दिया है। बीबीसी ने जिस तरह से भारत और भारतीयों की भावनाओं का खिलवाड़ किया उससे उसकी साख और मंशा दोनों कठघरे में आ गए हैं।

बीबीसी ने जिस तरह से इस पूरे मामले में जल्दबाजी दिखाई वो भी ये दिखाता है कि कुछ तो है जिसकी परदादारी है। क्या है ये परदादारी और क्यों बीबीसी ने ऐसा किया? इस बीच इंडिया सर्वर से यू-ट्यूब पर लोड़ की गई डॉक्यूमेंट्री को हटा दिया गया है।

डॉक्यूमेंट्री में देश की बहादुर बेटी निर्भया के साथ गैंगरेप करनेवालों का इंटरव्यू है। जैसे ही इस डॉक्टूमेंट्री में मुजरिमों के इंटरव्यू की बात सामने आई पूरा देश गुस्से में उबलने लगा। संसद में जमकर हंगामा हुआ। सभी दलों के सांसदों के विरोध के बाद गृहमंत्री राजनाथ ने माना कि डॉक्यूमेंट्री के लिए मुजरिमों के इंटरव्यू की इजाजत की शर्तों का उल्लंघन किया गया।

एक तरफ जब पूरा देश निर्भया के बलात्कारियों के इंटरव्यू पर गुस्से में था तो उसी वक्त बीबीसी ने इस डॉक्यूमेंट्री को दिखा दिया। बीबीसी को सवा सौ करोड़ भारतीयों की भावनाओं की फिक्र नहीं रही। बीबीसी ने भारत सरकार और भारतीय संसद की भावनाओं की परवाह भी नहीं की। बीबीसी भले ही ये कहे कि ये डॉक्यूमेंट्री भारत में नहीं दिखाई जाएगी।

लेकिन इंटरनेट के इस युग में इस तरह के तर्क बेहद लचर और बेमानी हैं। जैसे ही बीबीसी ने ये डॉक्यूमेंट्री दिखाई इंटरनेट और यूट्यूब पर ये उपलब्ध हो गई। सवाल ये भी उठता है कि बीबीसी ने चार दिन पहले ही इसका प्रसारण क्यों कर दिया? अगर बीबीसी और डॉक्यूमेंट्री बनाने वाली उडविन लेस्ली के मन में चोर नहीं होता तो लेस्ली आनन-फानन में भारत से क्यों गईं?

बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी के मुताबिक कानून से बढ़कर इंसानियत होती हैं, पहली शर्म की बात इस डाक्यूमेंटरी का बनना है। उससे भी शर्मसार है इसका प्रसारित होना। जैसे ही ये खबर फैली कि बीबीसी ने इसल डॉक्यूमेंट्री को ब्रिटेन में प्रसारित कर दिया है तो उसके खिलाफ देश में विरोध प्रदर्शनों और पुतला फूंकना का सिलसिला शुरू हो गया। लोगों ने फौरन इस डॉक्यूमेंट्री पर बैन लगाने की मांग की और मुजरिमों को जल्द से जल्द सजा देने की मांग की। दो तीन छोटी बाइट लगाएं जहां बीबीसी पर तोहमत मढ़े जा रहे हैं।

बीबीसी के इस गैर जिम्मेदाराना रवैए के बाद भारत सरकार हरकत मे आई। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने एलान किया कि सरकार डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण के खिलाफ कानूनी कार्रवाई पर विचार कर रही है। दिल्ली पुलिस कमिश्नर बी एस बस्सी के मुताबिक जो भी कानूनी कारवाई संभव होगी वो जरूर करेंगे। अगर हमे डाक्यूमेंटरी की डाइरेक्टर से बात करनी होगी तो हम विदेश से भी उन्हें कॉल करेंगे। इस डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण को लेकर बीबीसी की मंशा पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

बीबीसी ने भारत का अपमान क्यों किया? संसद की मांग को ठुकराने के पीछे की मंशा क्या थी? टेली कास्ट डेट से 4 दिन पहले प्रसारण क्यों किया गया? क्या भारत सरकार को चिढ़ाने के लिए समय से पहले दिखाई गई डॉक्यूमेंट्री? भारतीयों के भावनाओं की अनदेखी क्यों की गई है? क्या बलात्कारी का इंटरव्यू दिखाना जरुरी था? इन सवालों के आईने में बीबीसी की साख पर भी सवाल उठ रहे हैं कि क्यों आनन-फानन में डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई?
प्रसारण मामला: BBC को मिला नोटिस, यूट्यूब से हटाई गई विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री
बीबीसी द्वारा सरकार की सलाह की अनदेखी करते हुए दिल्ली के गैंगरेप के दोषी का विवादास्पद साक्षात्कार प्रसारित करने के बाद अप्रसन्न सरकार ने कहा कि आवश्यक कदम उठाये जायेंगे.

सूत्रों के मुताबिक तिहाड़ जेल के डीजी ने बीबीसी को लीगल नोटिस भेजा है और बीबीसी के जवाब के बाद सरकार कदम उठाएगी.

वहीं सरकार ने वीडियो शेयरिंग वेबसाइट यूट्यूब से कहा है कि वह इस वृत्तचित्र को हटा दे क्योंकि यह 'बेहद संवेदनशील' है.
   
इस कार्यक्रम को बुधवार रात में प्रसारित करने के बारे में पूछने पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हां, हमने सभी चैनलों को सूचित किया है कि वृत्तचित्र को जारी नहीं किया जाना चाहिए. लेकिन बीबीसी ने इसे लंदन में प्रसारित कर दिया. जो भी कदम हमें उठाना होगा तो गृह मंत्रालय उसे उठायेगा’’.
   
उन्होंने कहा, ‘‘हमने बीबीसी से कहा था कि वह वृत्तचित्र प्रसारित नहीं करे लेकिन बीबीसी ने कहा कि यह एक स्वतंत्र संगठन है और वह प्रसारण करेगा’’.
   
यह पूछे जाने पर कि सरकार क्या कर सकती है, सिंह ने कहा, ‘‘इस समय कोई टिप्पणी नहीं करूंगा. मैं यही कह सकता हूं जो भी आवश्यक होगा, किया जायेगा. यदि शर्तों का उल्लंघन किया गया है तो उपयुक्त कार्रवाई की जायेगी’’.
   
उन्होंने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा, ‘‘आप देखते रहिये. मैंने सूचना और प्रसारण मंत्री से बात की है और विदेश मंत्रालय को लिखा है. कार्रवाई चल रही है’’.

इस बीच, संचार और आईटी मंत्रालय ने यूट्यूब से कहा कि यह मुद्दा बेहद संवेदनशील है और इस मामले में उसे अपनी स्थिति की समीक्षा करनी चाहिए और वेबसाइट से इसे हटा देना चाहिए.
  
संपर्क करने पर यूट्यूब प्रवक्ता ने कहा, ‘‘भले ही हमारा मानना है कि सूचना तक पहुंच मुक्त समाज का आधार होती है और यूट्यूब जैसी सेवाओं के माध्यम से लोगों को अपने को अभिव्यक्त करने में मदद मिलती है और वे विभिन्न दृष्टिकोण साझा करते हैं लेकिन हम अधिसूचित किये जाने के बाद ऐसी सामग्री को हटाते रहते हैं जो गैरकानूनी हो या हमारे सामुदायिक दिशानिर्देश का उल्लंघन करती हो’’.
  
बहरहाल उसने इस बात की पुष्टि नहीं की कि क्या उसे सरकार से अधिसूचना प्राप्त हुई है, जो उसकी साइट से सामग्री हटाने के लिए जरूरी है.
  
हालांकि वृत्तचित्र यूट्यूब पर अब उपलब्ध नहीं हैं और उससे पूर्व, उसे लोग एकदूसरे को शेयर कर रहे थे.
  
इस बीच प्रसारण को लेकर राजनीतिक दलों ने मिश्रित प्रतिक्रिया दी है.
  
गौरतलब है कि बीबीसी ने इस वृत्त चित्र का प्रसारण कर दिया है जिसमें 16 दिसंबर 2012 के सामूहिक बलात्कार के दोषियों में से एक का विववादास्पद साक्षात्कार दिखाया गया है. हालांकि दिल्ली की एक अदालत ने उस पर इसके लिए रोक लगाई थी.
  
बीबीसी ने गुरुवार को सरकार को अवगत कराया कि उसके निर्देशों का पालन करते हुए इस फिल्म को भारत में प्रसारित करने की उसकी कोई योजना नहीं है.                             

 डॉक्यूमेंट्री बनाने वाली ब्रिटिश फिल्मकार लेस्ली उडविन मुश्किल में 


जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म मामले में दोषी मुकेश कुमार का तिहाड़ जेल के अंदर 16 घंटे तक साक्षात्कार लेने व उसके आधार पर भारत की बेटी नाम से डॉक्यूमेंट्री बनाने वाली ब्रिटिश फिल्मकार लेस्ली उडविन मुश्किल में पड़ सकती हैं।
लेस्ली स्वतंत्र रूप से डॉक्यूमेंट्री बनाती हैं। वह बीबीसी से जुड़कर उसके लिए डॉक्यूमेंट्री बनाती हैं या नहीं, यह अब तक स्पष्ट नहीं हो सका है। प्रथमदृष्टया जांच में सामने आ रहे तथ्यों के आधार पर माना जा रहा है कि लेस्ली पर कानून तोड़ने का मामला बन सकता है।
दिल्ली पुलिस आयुक्त भीमसेन बस्सी ने बुधवार को मीडिया से कहा कि उन्होंने बीबीसी से संपर्क कर डॉक्यूमेंट्री का प्रसारण नहीं करने को कहा है। इसके अलावा आर्थिक अपराध शाखा के साइबर सेल से भी कहा गया है कि वह गूगल व ट्विटर को डॉक्यूमेंट्री का प्रसारण न करने के लिए सख्त हिदायत दे।
बस्सी व तिहाड़ जेल के महानिदेशक तलब
सुबह सबसे पहले तिहाड़ जेल के महानिदेशक आलोक कुमार वर्मा व पुलिस आयुक्त भीमसेन बस्सी को गृह मंत्रालय बुलाया गया। वहां केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने दोनों से पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली। आलोक कुमार वर्मा को संसद में भी बुलाया गया था।
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'निर्भया गैंगरेप के दोषी का इंटरव्‍यू प्रसारित करना कोर्ट की अवमानना'
Publish Date:Wed, 04 Mar 2015

नई दिल्ली। सूचना व प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर का कहना है कि 'निर्भया गैंगरेप' के दोषी पर बनाई गई बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को प्रसारित करना कोर्ट की अवमानना होगी। इस इंटरव्यू में दोषी मुकेश सिंह ने महिलाओं के लिए ऐसी अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया है, जिससे हिंसा को बढ़ावा मिलेगा। बीबीसी को डॉक्यूमेंट्री के लिए इंटरव्यू देते हुए 'निर्भया' कांड के दोषी जेल में बंद मुकेश ने कहा है कि दुष्कर्म के लिए लड़के से ज्यादा लड़कियां जिम्मेदार होती हैं।
बीबीसी इस डॉक्यूमेंट्री को अगामी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आठ मार्च को प्रसारित करने की योजना बना रही है। हालांकि राठौर का कहना है कि अगर बीबीसी निर्भया कांड के दोषी का इंटरव्यू प्रसारित करता है, तो यह कोर्ट की अवमानना मानी जाएगी। ऐसा कार्यक्रम प्रसारित करना भारतीय सूचना व प्रसारण नियमों के भी खिलाफ है। मेरी चैनल को सलाह है कि वो इस इंटरव्यू को प्रसारित करने की गलती न करे।
राठौर ने बताया कि निर्भया सामूहिक बलात्कार के दोषी का साक्षात्कार करने की सशर्त अनुमति पूर्व सरकार द्वारा दी गई थी। उन्होंने बताया, 'बीबीसी के निर्देशक ने खुद तिहाड़ जाकर गैंगरेप के आरोपी का इंटरव्यू किया था। लेकिन इस इंटरव्यू में जिस भाषा का प्रयोग मुकेश ने किया है, वो प्रसारित करने योग्य नहीं है।'
सूचना व प्रसारण राज्य मंत्री ने बताया कि मुकेश ने इंटरव्यू में महिलाओं के खिलाफ जिस अभद्र भाषा का प्रयोग किया है, वो अस्वीकार्य है। ऐसी भाषा महिलाओं के खिलाफ होने वाली यौन उत्पीड़नों की घटनाओं को बढ़ावा देगी। इस इंटरव्यू के प्रसारित होने से कानून-व्यवस्था के बिगड़ने का भी खतरा है।
गौरतलब है कि बीबीसी को डॉक्यूमेंट्री के लिए साक्षात्कार देते हुए 'निर्भया' कांड के मुख्य गुनहगारों में से एक जेल में बंद मुकेश ने कहा है कि दुष्कर्म के लिए लड़के से ज्यादा लड़की जिम्मेदार होती है। उसने यह भी कहा कि अगर लड़की और उसके दोस्त ने इतना विरोध न किया होता, तो वे उन्हें इतनी बुरी तरह से न मारते। लड़की की मौत को एक दुर्घटना बताते हुए मुकेश ने कहा कि दुष्कर्म के वक्त उसे विरोध नहीं करना चाहिए था। उसे चुप रहना चाहिए था और दुष्कर्म होने देना चाहिए था। तब उसे छोड़ दिया जाता और केवल लड़के को मारा जाता।
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डाक्युमेंट्री की मंजूरी देने के सवाल पर भड़के पूर्व गृहमंत्री शिंदे
Publish Date:Wed, 04 Mar 2015
हैदराबाद। दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म कांड के दोषी के साक्षात्कार की मंजूरी क्या तत्कालीन गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे के कार्यकाल के दौरान दी गई थी? बुधवार को इस सवाल पर पूर्व गृहमंत्री भड़क गए। सुशील कुमार शिंदे ने कहा, 'मैंने इस तरह की कोई अनुमति नहीं दी। मेरे सामने कोई दरख्वास्त नहीं आई। मुझे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है।'
पत्रकारों पर भड़कते हुए वह बोले, 'गृहमंत्री (राजनाथ सिंह) ने मुझ पर आरोप नहीं लगाया है। उन्होंने मेरा नाम नहीं लिया है। आप मेरा नाम ले रहे हैं। यह बिल्कुल उचित नहीं है।'पूर्व गृहमंत्री ने कहा कि उन्होंने संसद की कार्यवाही देखी है। उसमें गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने उनका हवाला नहीं दिया।
उन्होंने बताया, 'मैंने राज्यसभा में चली चर्चा को देखा। राजनाथ सिंह ने मेरे नाम का उल्लेख नहीं किया। संभवत: यह मंजूरी किसी दूसरे ने दी होगी.. मैंने कुछ नहीं जानता।'
उधर, निर्भया कांड के दोषी मुकेश के इंटरव्यू की इजाजत दिए जाने और उस पर बनी डॉक्यूमेंट्री को लेकर गमाई राजनीति के बीच अब अदालत ने भी इस मसले पर गंभीर रुख दिखाते हुए इस डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण पर रोक लगा दी है। पटियाला हाउस कोर्ट ने आज पुलिस को आदेश देते हुए कहा कि अगले आदेश तक इस डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण पर रोक लगाई जाती है। साथ ही कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि वह इस डॉक्यूमेंट्री का प्रसारण और प्रकाशन करने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई करे।
इससे पहले इस मुद्दे को लेकर आज संसद में जोरदार हंगामा हुआ, जिसके बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह को सफाई देनी पड़ी। उन्होंने सदन को बताया कि इंटरव्यू की इजाजत शर्तों के आधार पर दी गई थी। उन्होंने ये भी माना कि इस दौरान शर्तों की अनदेखी हुई है। फिलहाल विवादित डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण पर रोक लगा दी गई है।
दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद निर्भया के गुनहगार मुकेश के बयानों के आधार पर बनी डॉक्यूमेंट्री का मुद्दा आज संसद में खूब गूंजा। राज्यसभा में विपक्ष के हंगामे और जबाव की मांग के बाद केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सफाई दी। राजनाथ सिंह ने कहा कि इंटरव्यू की इजाजत शर्तों के आधार पर दी गई थी। लेकिन यहां शर्तों की अनदेखी हुई है। शर्त के मुताबिक डॉक्यूमेंट्री पहले प्रशासन को दिखाना था।
राजनाथ सिंह ने कहा कि कोर्ट के आदेश के बाद डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण पर रोक लगा दी गई है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि किसी भी कीमत पर इस डॉक्यूमेंट्री का प्रसारण नहीं किया जाएगा। इसके अलावा उन्होंने डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण मंजूरी की इजाजत की जांच कराने की भी बात कही है। उन्होंने माना कि इस मामले में शर्तों की अनदेखी हुई है और आगे से ऐसे कार्यक्रमों की कोई इजाजत किसी को भी नहीं दी जाएगी।
लोकसभा में भी इस मुद्दे पर बहस हुई। इस दौरान राजनाथ सिंह ने बताया कि मामले को लेकर जो भी जरूरी कदम उठाए जाने थे वो उठाए गए हैं। उन्होंने यहां भी माना कि इंटरव्यू की इजाजत शर्तों के आधार पर दी गई थी और इसका उल्लंघन किया गया है।
इससे पहले मंगलवार को दिल्ली पुलिस ने एफआइआर दर्ज किया। एफआइआर में किसी को नामित नहीं किया गया था। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी दोषी मुकेश सिंह से तिहा़ड़ जेल में एक ब्रिटिश फिल्मकार द्वारा साक्षात्कार करने पर कड़ा ऐतराज जताया और जेल प्रमुख से इस पूरे मुद्दे पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी।
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दिल्ली दुष्कर्म कांड के दोषी ने कहा विरोध करने पर मार दिया लड़की को

Publish Date:Tue, 03 Mar 2015
नई दिल्ली । 16 दिसंबर, 2012 को हुए दिल्ली दुष्कर्म कांड के मुख्य गुनहगारों में से एक मुकेश सिंह ने इस बर्बर कांड के लिए पीडि़त लड़की को ही जिम्मेदार ठहराया है। अपने कुकृत्य पर नाम मात्र भी पछतावा जताने के बजाय उसने कहा कि रात में बाहर जाने वाली महिलाओं को अगर पुरुष छेड़ते हैं, तो इसके लिए वे खुद जिम्मेदार हैं। जिस चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म किया गया, उसे मुकेश सिंह ही चला रहा था।
बीबीसी को डॉक्यूमेंट्री के लिए साक्षात्कार देते हुए जेल में बंद मुकेश ने कहा कि दुष्कर्म के लिए लड़के से ज्यादा लड़की जिम्मेदार होती है। उसने यह भी कहा कि अगर लड़की और उसके दोस्त ने इतना विरोध न किया होता, तो वे उन्हें इतनी बुरी तरह से न मारते। लड़की की मौत को एक दुर्घटना बताते हुए मुकेश ने कहा कि दुष्कर्म के वक्त उसे विरोध नहीं करना चाहिए था। उसे चुप रहना चाहिए था और दुष्कर्म होने देना चाहिए था। तब उसे छोड़ दिया जाता और केवल लड़के को मारा जाता। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आठ मार्च को इस कार्यक्रम का प्रसारण किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि दो साल पहले राजधानी में चलती बस में एक लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। 29 दिसंबर को सिंगापुर के अस्पताल में लड़की की मौत हो गई। इस मामले में छह लोगों को गिरफ्तार किया गया। मामले के मुख्य आरोपी ने जेल में ही आत्महत्या कर ली थी। मामले की जल्द सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक अदालत का गठन किया गया। अदालत ने एक आरोपी को नाबालिग होने के चलते तीन साल की सजा सुनाई। चार को फांसी की सजा सुनाई गई, जिसे बाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने बरकरार रखा। चारों गुनहगारों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है।
मुकेश ने कहा कि ताली एक हाथ से नहीं बजती, दोनों हाथों की जरूरत होती है। एक अच्छी लड़की नौ बजे रात को बाहर नहीं घूमती। दुष्कर्म के लिए लड़के से ज्यादा जिम्मेदार लड़की है। लड़के और लड़कियां बराबर नहीं होते। इस दुष्कर्मी के मुताबिक, घर संभालना और घर के काम लड़कियों के लिए हैं, न कि गलत कपड़े पहनकर रात में डिस्को और बार में जाकर गलत काम करना। करीब 20 फीसद लड़कियां अच्छी होती हैं। उसने कहा कि अगर उसे और दूसरे दोषियों को फांसी दी जाती है, तो इससे भविष्य में दुष्कर्म की शिकार लड़कियों के लिए खतरा बढ़ जाएगा।


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