त्रिकालज्ञ संत मावजी महाराज : - डॉ. दीपक आचार्य



मावजी महाराज के चौपड़े को अब हिन्दी में पढ़ पाएंगे

  Bhaskar News Network    Sep 03, 2014
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तीन नदियों के संगम पर स्थित प्रसिद्ध श्रद्धास्थल बेणेश्वरधाम के पहले महंत और भविष्यवक्ता के रूप में पहचाने जाने वाले मावजी महाराज के चौपड़े को अब आम श्रद्धालु हिन्दी और अंग्रेजी में पढ़ पाएंगे।

एक साल के प्रयासों के बाद धाम के महंत अच्युतानंद महाराज के सानिध्य में फाउंडेशन के विद्वानों ने अनुवाद का काम पूरा कर लिया है। लगभग 600 पेज के अनुवाद को 200-200 पेजों के तीन खंड में विभाजित कर आम श्रद्धालुओं के सामने इस चौपड़े को रखा जाएगा। पिछली राज्य सरकार ने मावजी महाराज के चौपड़े का हिन्दी और अंग्रेजी अनुवाद करने के लिए जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग से 43.50 लाख रुपए की वित्तीय सहायता स्वीकृत कराई थी। इसके बाद इस कार्य को टीआरई (ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट़्यूट) और मावजी फाउंडेशन के माध्यम से पूरा करने का जिम्मा दिया गया था। अनुवाद के लिए बनाई समिति के संरक्षक और मार्गदर्शक महंत अच्युतानंद महाराज रहे हैं। इस काम की पहल तत्कालीन मंत्री महेंद्रजीतसिंह मालवीया और प्रमुख शासन सचिव प्रीतमसिंह ने की थी।

पांच में से चार चौपड़े ही सुरक्षित
मावजीमहाराज के 5 चौपड़ों में से 4 इस समय सुरक्षित हैं। ऐसी लोकमान्यता है कि इनमें ‘मेघसागर’ हरिमंदिर साबला में है, जिसमें गीता-ज्ञान उपदेश, भौगोलिक परिवर्तनों की भविष्यवाणियां हैं। ‘सामसागर’ शेषपुर में है। इसे हेपर कहा जाता है। जिसमें शेषपुर और धोलागढ़ का वर्णन और दिव्य वाणियां हैं। तीसरा ‘प्रेमसागर’ डूंगरपुर जिले के ही पुंजपुर में है, जिसमें धर्मोपदेश, भूगोल, इतिहास और भावी घटनाओं की प्रतीकात्मक जानकारी है। ‘अनंत सागर’ नामक एक ओर चौपड़ा मराठा आमंत्रण के समय बाजीराव पेशवा द्वारा ले जाया गया, जिसे बाद में अंग्रेज ले गए। बताया जाता है कि इस समय यह लंदन के किसी म्यूजियम में सुरक्षित है। इसमें ज्ञान-विज्ञान की जानकारियां समाहित हैं।

अब प्रकाशन के लिए चाहिए बजट, सरकार बदल गई
मावजीमहाराज के चौपड़े का अनुवाद होने के बाद ग्रंथ के रूप में प्रकाशन के लिए बजट और वित्तीय सहायता की जरूरत है। यह प्रोजेक्ट कांग्रेस राज में बना और इस पर काम हुआ था, बाद में सरकार बदल गई है। हालांकि उम्मीद की किरण मुख्यमंत्री ने जगाई है, अपने उदयपुर के दौरे के दौरान उनके द्वारा चौपड़े को लेकर जानकारी ली गई थी, लेकिन टीएडी मंत्री की ओर से फिलहाल कोई पहल नहीं की गई है। 

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मावजी के चौपड़ों का प्रकाशन होगा

Posted By: नया इंडिया टीम Posted date: August 28th, 2013
उदयपुर। राजस्थान सरकार ने वागड के संत मावजी महाराज द्वारा तीन शताब्दी पहले लिखे गए धार्मिक चौपडों के अनुवाद, संरक्षण व प्रकाशन कार्य के लिए 43.50 लाख रूपए स्वीकृत किए हैं। जनजाति क्षेत्रीय विकास आयुक्त सुबोध अग्रवाल ने मंगलवार को जानकारी देते हुए बताया कि इस स्वीकृत राशि में से मावजी महाराज के चौपडों का प्रकाशन चार खंडों में किया जाएगा।
साथ ही इसके लिए लगभग 4 हजार पृष्ठों का अनुवाद कार्य पूरा हो चुका है। उन्होंने बताया कि मावजी फाउण्डेशन की ओर से किए जा रहे इस प्रकाशन का संपादन व पुस्तक रूप प्रदान करनें व कम्पयूटरीकरण का कामजल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। डा. अग्रवाल ने बताया कि चारों चौपडों के संरक्षण डिजिटल फोंटोग्राफी व मूल स्वरंप को बनाए रखने के लिए केमिकल ट्रीटमेंट नेशनल आरचीव्ज आफ इंडिया के माध्यम से कराया जाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि श्रीहरि मंदिर साबला व शेषपुर के वस्त्र पट चित्रों का भी केमिकल ट्रीटमेंट, प्रेमिंग आदि कार्य कराया जाएगा। इसके तहत श्रीमावजी महाराज के जीवन चरित्र व रास लीलाओं पर आधारित डाक्यूमेंट्री फिल्म के निर्माण कराए जाने का भी निर्णय लिया गया। इसके लिए फिल्म व टीवी इन्स्टीट्युट पूना से भी संपर्क किया जा रहा है। गौरतलब है कि मावजी महाराज आदिवासी बहुल उदयपुर संभाग के वागड अंचल के महान संत थे। उनका जन्म विक्रम सम्वत 1771 को माघ शुक्ल बसंत पंचमी को साबला में दालम रिषि के घर हुआ था। उनकी मां का नाम केसर बाई था।  मावजी महाराज ने साम्राज्यवाद के अंत प्रजातंत्र की स्थापना, अछूतोद्धार, पाखंड व कलियुग के प्रभावों में वृद्धि, सामाजिक व सांसारिक परिवर्तनों पर स्पष्ट भविष्यवाणियां की थी। जनश्रुति के मुताबिक द्वापर युग की अधूरी रासलीला को पूर्ण करनें के लिए श्रीकृष्ण ने ही श्रीमावजी महाराज का रूप लिया। इस कारण इन्हें इस क्षेत्र में कृष्ण का अवतार माना जाता है। श्रीमावजी महाराज ने करीब तीन सौ वर्ष पहले माही, सोम व जाखम नदी के संगम पर बाणेश्वर में तपस्या की थी व  जनजाति समाज में सामाजिक चेतना जागृत करने के भी प्रयास किए थे। मावजी महाराज द्वारा चार वृहद ग्रंथ, चौपडें, कई लघु ग्रंथ व गुटके लिखे गए। इसमें वागड की गौरव गाथा के साथ ही आधुनिक जीवनकी नवीन तकनीक व सामाजिक व्यवस्था पर कई भविष्यवाणियां भी की गई। मावजी महाराज के पांच चौपडों में से चार इस समय सुरक्षित हैं। इनमें मेघसागर डूंगरपुर जिलें में साबला के हरि मंदिर में है, जिसमें गीता ज्ञान उपदेश, भागोलिक परिवर्तनों की भविष्यवाणियां है। दूसरा साम सागर शेषपुर में है, जिसमें शेषपुर व धोलागढ़ का वर्णन व दिव्य वाणियां है। तीसरा प्रेमसागर डूंगरपुर जिलें के ही पुंजपुर में है, जिसमें धर्मोपदेश, भूगोल, इतिहास व भावी घटनाओं की प्रतीकात्मक जानकारी है।
चौथा चौपडा, रतनसागर, बांसवाडा शहर के त्निपोलिया रोड स्थित विश्वकर्मा मंदिर में सुरक्षित है। इनमें रंगीन चित्र रामलीला, कृष्णलीलाओं आदि की मनोहारी वर्णन सजीव उठा है। मावजी महाराज का पांचवां चौपडा अनन्त सागर मराठा के आक्रमण के समय बाजीराव पेशवा द्वारा ले जाया गया, जिसें बाद में अंग्रेज ले गए। बताया जाता है कि इस समय यह लंदन के किसी संग्रहालय में सुरक्षित है। इसमें ज्ञान-विज्ञान की जानकारियां समाहित हैं।
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त्रिकालज्ञ संत मावजी महाराज 

- डॉ. दीपक आचार्य

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याद में लहराता है अगाध आस्थाओं का महासागर
त्रिकालज्ञ संत मावजी महाराज भविष्य के संकेतों को जानने-समझने की ललक मनुष्य में पौराणिक काल से रही है। प्राचीन ऋषि-मुनियों एवं तपस्वियों ने ध्यान और समाधिगम्य दृश्य के माध्यम से भविष्य दर्शन कर इनके संकेत प्राप्त कर जग में प्रचारित किया। बेणेश्वर धाम के आद्य पीठाधीश्वर एवं जन-जन की अगाध आस्था के प्रतीक संत मावजी महाराज की भविष्यवाणियां इसी परंपरा का अंग रही हैं, जो जाने कितने युगों से लोगों को आगत की झलक दिखाती रही हैं। समय-समय पर ये भविष्यवाणियां अक्षरशः सही साबित हुई हैं। डूंगरपुर जिले के साबला गांव में संवत् 1771 में वसन्त पंचमी के दिन अवतरित तथा घोर तपस्या के उपरान्त त्रिकालज्ञ संत के रूप में जन-जन के समक्ष संवत् 1784 में प्रकट हुए मावजी महाराज को भक्तगण भगवान श्रीकृष्ण के लीलावतार के रूप में पूजते हैं। संत मावजी की स्मृति में आज भी हर वर्ष उनके प्राकट्य दिवस माघ पूर्णिमा को बेणेश्वर महाधाम पर विराट मेला भरता है, जिसमें देश-विदेश के सैलानियों के अलावा राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश के समीपवर्ती अंचल के कई लाख लोग हिस्सा लेते हैं। दस दिन चलने वाला यह मेला देश के आदिवासी अंचलों का सबसे बडा मेला है। इस बार मुख्य मेला माघ पूर्णिमा के दिन 30 जनवरी को भरेगा। यह दस दिवसीय मेला 3 फरवरी को सम्पन्न होगा। अलौकिक संत मावजी महाराज ने अपनी रचनाओं में आने वाले युगों को लेकर ढेरों भविष्यवाणियां की है, जो लोक मन को आरंभ से ही प्रभावित एवं विस्मित करती रही हैं। मावजी की भविष्यवाणियां प्रतीकात्मक हैं। आज से लगभग तीन सौ वर्ष पूर्व ही मावजी महाराज को इक्कीसवीं सदी की घटनाओं के संकेतों का पता चला और उन्होंने जो-जो भविष्यवाणियां की है वे तमाम अक्षरशः खरी उतरी हैं। वर्ष में अनेक अवसरों पर इन भविष्यवाणियों, जिन्हें ‘आगलवाणी’ कहा जाता है, का वाचन होता है, जिसमें बडी संख्या में श्रद्धालु जमा होते हैं। आज की बढती जनसंख्या और नियंत्रित मूल्य पर राशन वितरण के दृश्य उन्होंने दिव्य दृष्टि से देखकर ही कहा था- ‘गऊं चोखा गणमा मले महाराज’ अर्थात गेहूं-चावल राशन से मिलेंगे। लगभग पौने तीन सौ वर्ष पूर्व जब पानी की कोई कमी नहीं थी तब उन्होंने आज के हालातों को जानकर कहा था ‘परिये पाणी वेसाये महाराज’ अर्थात तोल (लीटर) के अनुसार पानी बिकेगा। ‘डोरिया दीवा बरे महाराज’ अर्थात वायर-वायर बिजली लगेगी। सामन्ती सत्ता के पराभव को उन्होंने दिव्य दृष्टि से देखकर ही कहा था- ‘पर्वत गरी ने पाणी थासे।’
खारे समुद्र के पानी से पेयजल, सामाजिक कुरीतियों, घर-परिवार के झगडों, जातिगत समानताओं आदि पर उनकी ये वाणियां अक्षरशः सिद्ध हो रही हैं-खारा समुद्र मीठडा होसे,
बेटी ने तो बाप परणसे,
सारी न्यात जीमावेगा,
वऊ-बेटी काम भारे,
ने सासु पिसणा पीसेगा,
ऊंच नू नीच थासेनीच नूं ऊंच थासे,
हिन्दु-मुसलमान एक होसे,
एक थाली में जमण जीमासे,
न रहे जाति नो भेद,...’
खेती-बाडी में बैलों की बजाय ट्रैक्टरों एवं यंत्रों के इस्तेमाल को उन्होंने दिव्य दृष्टि से देखकर ही कहा था- ‘बडद ने सर से भार उतरसे’। अर्थात् बैल के सर से भार उतर जाएगा। कलियुग के प्रभाव से पृथ्वी पर पाप बढ जाने पर निष्कलंक अवतार (पुराणों के अनुसार कल्कि अवतार) के आविर्भाव के बारे में उनकी आगमवाणी में कहा गया है कि जब पाप एवं अत्याचारों स जमीन का भार बढ जाएगा तब निष्कलंक अवतार होगा, जो लोगों को सारी पीडाओं से मुक्ति दिलाएगा। उन्हीं के शब्दों में आगामी भविष्य को संकेत करती यह आगमवाणी आज भी भक्तों द्वारा गायी जाती है-सब देवन का डेरा उठसेनिकलंक का डेरा रेसे,
धोलागढ ढोलकी वागे महाराज,
बेणेश्वर बेगको रसासे महाराज,
दिल्ली तम्बू तणाए महाराज,
चित्तौड ऊपर सोरी सितराए महाराज,
माण्डवगढ माण्डवो रोपाए महाराज,
तलवाडे तोरण बंदाए महाराज,
जती ने सती ने साबरमतीत्यां होते सूरा नो संग्रामकांकरिया तरावे तम्बु तणासे महाराजबतरी हाथ नो पुरुष प्रमाणपेला-पेला पवन फरूकसे, नदिए नहीं होवे नीरउत्तर दिशा थी साहेबो आवसे,
धरती माथे रे हेमर हालसे, सूना नगरे बाजारलक्ष्मी लुटसे लुकतणी, तेनी बारे ने बोमे देव रेकेटलाक खडक से हरसे, केटलाक मरसे रोगे रेहरे भाई स्त्री सणगार संजसी ने मंगल गावे मेग रेपर्णा नर सू प्रीत तोडे और करे नर आदिन रे...’
हस्ती ना दूधे माट भरासीधोबी ने घेरे गाय सरेगा, बामण बकरी राखेगा। इन आगमवाणियों में मावजी महाराज ने मानव धर्म की स्थापना, साबरमती में संग्राम होने, बत्तीस हाथ का पुरुष, उत्तर दिशा से अवतार के आने, धरती पर अत्याचार बढने, व्यभिचारों में अभिवृद्धि, अकाल, भ्रष्टाचार, स्वेच्छाचारिता आदि का संकेत दिया है। अश्लीलता बढने, अत्याचारों में बढोतरी, पाखण्ड फैलने आदि का जिक्र किया गया है-‘अनन्त कुंवारियां नू दल जुनि मेलाण ऐसी लाख मयें हेमण हणसी,
चौदह लोक मए पाखण्डी पडसी,
असुरी आवी सामा-सामी मणसी....’
दानवों के अंततोगत्वा संहार के आशावादी भविष्य को अभिव्यक्त करते हुए मावजी की भविष्यवाणी है-‘दृष्टि दानव न तो संगल कटासीदाहित दानव न संगल कटासीसमुद्री पानी के मीठे होने तथा सागर किनारे खेती होने की संभावनाओं को इन पंक्तियों में जाहिर किया गया है-‘खारं समुद्र मीठडं होसेसमुद्र ने तीरे करसण ववासेकलमी कोदरो करणी कमासी,...’
इसके बाद जब निकलंक भगवान अवतार लेकर पृथ्वी से अधर्म का नाश करेंगे तब सतयुग जैसा माहौल कर फिर स्थापित होगा। इस बारे में ढेरों भविष्यवाणियां आज भी आशावाद का संचार करती हैं। विभिन्न अवसरों पर इन वाणियों का गान होता है, जिसे सुनकर लोग भविष्य के अनुमान लगाते हैं और संत मावजी के प्रति अनन्य श्रद्धा भाव व्यक्त करते हैं।
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टिप्पणियाँ

  1. MAVJI MAHARAJ NE BHARAT KI PAWAN BHUMI PAR VIRO KI VIR BHUMI RAJASTHAN PRANTKE AADHYATMIK WAGAD ANCHAL KI DHARMIK NAGRI SABLA ME JANAM LEKAR NISKAAM KARMI BANKAR APNA JIVAN JAG OR JAN KLYAAN KELIYE SAMRPIT KAR DIYA....MAVJI MAHARAJ KA AGLA JANAM BHARAT KI PAWAN BHUMI PAR MAHATMA GHANDHI KE ROOP ME HUAA THA TAB BHI US BHAVYA AATMA NE NISHKAAM KARMI BANKAR JAG OR JAN KLYAAN KE KARYA KIYE...VARTMAAN ME WAHI BHAVYA AATMA NISKALANK NIRAKAR ROOP ME WAGAD ANCHAL KI PAWAN DHARA PAR ANTARRASTRIY KALKI SATYUGI VISHVA AHINSA PARMO DHARM KI STHAPANA KAR DHARTI PAR SATYUGI DHARM KI PRABHAVNA KAR RAHI HE.....YAAD RAHE KALKI AVTAR KA WAGAD ANCHAL KI PAWAN DHARA PAR GYAAN SWROOP BHAVYA AVTRAN HO CHUKA HE.....AANE WALE SAMAY ME PAAP KA ANT HOKAR DHARTI PAR CHARO TARAF KHUSHHALI HOGI......DHARTI PAR SARE DHARMIK STHAL AHINSA AASHRAM KA ROOP LENGE OR JATI DHARM VIWAD JAD SE MIT JAYEGE....WAGAD ANCHAL VISHVA VIKYAT HOGA PURE VISHVA KE LOGO KELIYE PAWAN TIRTH BANEGA....YAH BAAT 100 % SATYA SABIT HOGI...JAI AHINSA....OM SHANTI....SATYAMEV JAYTE...

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  2. mharaj jay ho intrsting me vo bhvisyvani ka pura sopda padna chahta hu muje pasnd aaya

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