फेसबुक (अंग्रेज़ी:Facebook) इंटरनेट पर स्थित एक निःशुल्क सामाजिक नेटवर्किंग सेवा है, जिसके माध्यम से इसके सदस्य अपने मित्रों, परिवार और परिचितों के साथ संपर्क रख सकते हैं। यह फेसबुक इंकॉ. नामक निजी कंपनी द्वारा संचालित है। इसके प्रयोक्ता नगर, विद्यालय, कार्यस्थल या क्षेत्र के अनुसार गठित किये हुए नेटवर्कों में शामिल हो सकते हैं और आपस में विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं।[5] इसका आरंभ 2004 में हार्वर्ड के एक छात्र मार्क ज़ुकेरबर्ग ने की थी। तब इसका नाम द फेसबुक था। कॉलेज नेटवर्किग जालस्थल के रूप में आरंभ के बाद शीघ्र ही यह कॉलेज परिसर में लोकप्रिय होती चली गई। कुछ ही महीनों में यह नेटवर्क पूरे यूरोप में पहचाना जाने लगा। अगस्त 2005 में इसका नाम फेसबुक कर दिया गया। फेसबुक में अन्य भाषाओं के साथ हिन्दी में भी काम करने की सुविधा है।
फेसबुक ने भारत सहित 40 देशों के मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों से समझौता किया है। इस करार के तहत फेसबुक की एक नई साइट का उपयोग मोबाइल पर निःशुल्क किया जा सकेगा। यह जालस्थल फेसबुक का पाठ्य संस्करण है। भारत में रिलायंस कम्युनिकेशंस और वीडियोकॉन मोबाइल पर यह सेवा प्रदान करेंगे। इसके बाद शीघ्र ही टाटा डोकोमो पर भी यह सेवा शुरू हो जाएगी। इसमें फोटो व वीडियो के अलावा फेसबुक की अन्य सभी संदेश सेवाएं मिलेंगी।[6]
फेसबुक का उपयोग करने वाले अपना एक प्रोफाइल पृष्ठ तैयार कर उस पर अपने बारे में जानकारी देते हैं। इसमें उनका नाम, छायाचित्र, जन्मतिथि और कार्यस्थल, विद्यालय और कॉलेज आदि का ब्यौरा दिया होता है। इस पृष्ठ के माध्यम से लोग अपने मित्रों और परिचितों का नाम, ईमेल आदि डालकर उन्हें ढूंढ़ सकते हैं। इसके साथ ही वे अपने मित्रों और परिचितों की एक अंतहीन श्रृंखला से भी जुड़ सकते हैं। फेसबुक के उपयोक्ता सदस्य यहां पर अपना समूह भी बना सकते हैं।[5] यह समूह उनके विद्यालय, कॉलेज या उनकी रुचि, शहर, किसी आदत और जाति का भी हो सकता है। समूह कुछ लोगों का भी हो सकता है और इसमें और लोगों को शामिल होने के लिए भी आमंत्रित किया जा सकता है। इसके माध्यम से किसी कार्यक्रम, संगोष्ठी या अन्य किसी अवसर के लिए सभी जानने वालों को एक साथ आमंत्रित भी किया जा सकता है।
लोग इस जालस्थल पर अपनी रुचि, राजनीतिक और धार्मिक अभिरुचि व्यक्त कर समान विचारों वाले सदस्यों को मित्र भी बना सकते हैं। इसके अलावा भी कई तरह के संपर्क आदि जोड़ सकते हैं। साइट के विकासकर्त्ता भी ऐसे कई कार्यक्रम तैयार करते रहते हैं, जिनके माध्यम से उपयोक्ता अपनी रुचियों को परिष्कृत कर सकें। फेसबुक में अपने या अपनी रुचि के चित्र फोटो लोड कर उन्हें एक दूसरे के साथ बांट भी कर सकते हैं। ये चित्र मात्र उन्हीं लोगों को दिखेंगे, जिन्हें उपयोक्ता दिखाना चाहते हैं। इसके लिये चित्रों को देखनेका अनुमति स्तर निश्चित करना होता है। चित्रों का संग्रह सुरक्षित रखने के लिए इसमें पर्याप्त जगह होती है। फेसबुक के माध्यम से समाचार, वीडियो और दूसरी संचिकाएं भी बांट सकते हैं। फेसबुक ने 2008 में अपना आवरण रूप बदला था।[5]
स्टेटस अद्यतन
फेसबुक पर उपयोक्ताओं को अपने मित्रों को यह बताने की सुविधा है कि किसी विशेष समय वे क्या कर रहे हैं या क्या सोच रहे हैं और इसे 'स्टेट्स अपडेट' करना कहा जाता है। फेसबुक और ट्विटर के आपसी सहयोग के द्वारा निकट भविष्य में फेसबुक एक ऐसा सॉफ्टवेयर जारी करेगा, जिसके माध्यम से फेसबुक पर होने वाले 'स्टेट्स अपडेट' सीधे ट्विटर पर अद्यतित हो सकेंगे। अब लोग अपने मित्रों को बहुत लघु संदेशों द्वारा यह बता सकेंगे कि वे कहाँ हैं, क्या कर रहे हैं या क्या सोच रहे हैं।[7]
ट्विटर पर १४० कैरेक्टर के 'स्टेट्स मैसेज अपडेट' को अनगिनत सदस्यों के मोबाइल और कंप्यूटरों तक भेजने की सुविधा थी, जबकि फेसबुक पर उपयोक्ताओं के लिये ये सीमा मात्र ५००० लोगों तक ही सीमित है। सदस्य ५००० लोगो तक ही अपने प्रोफाइल के साथ जोड़ सकते हैं या मित्र बना सकते हैं। फेसबुक पर किसी विशेष प्रोफाइल से लोगों के जुड़ने की संख्या सीमित होने के कारण 'स्टेट्स अपडेट' भी सीमित लोगों को ही पहुँच सकता है।
सार्वजनिक खाते
सार्वजनिक खाते (पब्लिक पेज) यानी ऐसे पेज जिन्हें हर कोई देख सकता है और लोग जान सकते हैं कि उनके आदर्श नेता, प्यारे पॉप स्टार या सामाजिक संगठन की क्या गतिविधियाँ हैं। फेसबुक के ट्विटर से जुड़ जाने के बाद अब कंपनियाँ, संगठन, सेलिब्रिटी अपने प्रशंसकों और समर्थकों से सीधे संवाद कर पाएँगे, उन्हें बता पाएँगे कि वे क्या कर रहे हैं, उनके साथ फोटो शेयर कर पाएँगे। फिलहाल यह सुविधा पब्लिक पेज प्रोफाइल वालों को ही उपलब्ध है। फेसबुक के सार्वजनिक पृष्ठ (पब्लिक पेज) बनाना हाल के दिनों में काफी लोकप्रिय होता जा रहा है। पब्लिक पेज बनाने वालों में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोला सारकोजी और रॉक बैंड यू-२ शामिल हैं। इनके अलावा भी कई बड़ी हस्तियों, संगीतकारों, सामाजिक संगठनों, कंपनियों ने अपने खाते फेसबुक पर खोले हैं।[7] ये हस्तियां या संगठन अपने से जुड़ी बातों को अपने प्रशंसकों या समर्थकों के साथ बाँटना चाहते हैं तो आपसी संवाद के लिए फेसबुक का प्रयोग करते हैं।
प्रतिबंध
फेसबुक पर आयोजित पैगंबर मोहम्मद के आपत्तिजनक कार्टून बनाने की प्रतियोगितामें मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के आरोप के कारण पाकिस्तान के एक न्यायालय ने फेसबुक पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। फेसबुक पर चल रही इस कार्टून प्रतियोगिता को ईशनिंदा के कारण पाक में ३१ मई, २०१० तक प्रतिबंधित किया गया है। इसके साथ ही न्यायालय ने पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय को निर्देश जारी किया कि वह ईशनिंदा में बनाए गए कार्टून के मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उठाए।[8][9]
बाद में जिस फेसबुक उपयोक्ता ने 'एवरीवन ड्रॉ मोहम्मद डे' प्रतियोगिता आयोजित की थी, उसने यह पृष्ठ हटा लिया है। इसके साथ ही उसने इस अभियान से जुड़ा ब्लॉग भी हटा लिया था।[10]
खतरा
सोश्यल नेटवर्किंग साइट फेसबुक इंटरनेट के माध्यम से जुड़े लोगों के जीवन का अभिन्न अंग बनती जा रही है। परंतु कुछ साइबर विशेषज्ञ फेसबुक से उत्पन्न खतरों के बारे में समय समय पर आगाह करते रहते हैं। चीफ सैक्यूरिटी ऑफिसर ऑनलाइन नामक सामयिक के वरिष्ठ सम्पादक जॉन गूडचाइल्ड के अनुसार कई कम्पनियाँ अपने प्रचार के लिए फेसबुक जैसे नेटवर्किंग माध्यम का उपयोग करना चाहती है परंतु ये कम्पनियाँ ध्यान नहीं देती कि उनकी गोपनियता अभि भि अनिश्चित है। सीबीसी न्यूज़ के 'द अर्ली शॉ ऑन सैटर्डे मॉर्निंग' कार्यक्रम में गूडचाइल्ड ने फेसबुक से उत्पन्न पाँच ऐसे खतरों के बारे में बताया जिससे निजी और गोपनीय जानकारियों की गोपनीयता पर प्रश्नचिह्न लग गया है।[11] ये इस प्रकार से हैं:
डाटा बांटना: यहां दी गई जानकारी केवल घोषित मित्रों तक ही सीमित नहीं रहती है, बल्कि वह तृतीय पार्टी अनुप्रयोग विकासकर्त्ताओं (थर्ड पार्टी अप्लिकेशन डेवलपर) तक भी पहुँच रही हैं।
बदलती नीतियां: फेसबुक के हर नये संस्करण रिलीज़ होने के बाद उसकी प्राइवेसी सेटिंग बदल जाती है और वह स्वत: डिफाल्ट पर आ जाती है। प्रयोक्ता उसमें बदलाव कर सकते हैं परंतु काफी कम प्रयोक्ता इस ओर ध्यान दे पाते हैं।
मैलावेयर: फेसबुक पर प्रदर्शित विज्ञापनों की प्रामाणिकता का कोई वादा नहीं है। ये मैलावेयर हो सकते हैं और उनपर क्लिक करने से पहले उपयोक्ताओं को विवेक से काम लेना चाहिये।
पहचान उजागर: उपयोक्ताओं के मित्र जाने अनजाने उनकी पहचान और उनकी कोई गोपनीय जानकारी दूसरों से साझा कर सकते हैं।
जाली प्रोफाइल: फेसबुक पर सेलिब्रिटियों को मित्र बनाने से पूर्व उपयोक्ताओं को ये चाहिये कि पहले उनकी प्रोफाइल की अच्छी तरह से जाँच अवश्य कर लें। स्कैमरों के द्वारा जाली प्रोफाइल बनाकर लोगों तक पहुँच बनाना काफी सरल है।
फेसबुक छोड़ो अभियान
हाल ही में फेसबुक ने अपने सुरक्षा नियमों को पहले से कुछ कड़ा कर दिया है जिसके कारण इसके उपयोक्ताओं में काफी रोष दिखा है। इसके कड़े सुरक्षा नियमों से नाराज उपयोक्ताओं ने एक समूह बनाकर फेसबुक पर फेसबुक के विरुद्ध ही अभियान चला दिया है।[12] उन्होंने ने एक साइट बनाई है क्विटफेसबुकडे डॉट काम जिसपर फेसबुक उपयोक्ताओं से ३१ मई को फेसबुक छोड़ो दिवस के रूप में मनाने का आहवान किया है। इस वेबसाइट पर संदेश है कि यदि आप को लगता है कि फेसबुक आपकी स्वतंत्रता, आपके निजी डाटा और वेब के भविष्य का सम्मान नहीं करता तो आप फेसबुक छो़ड़ो अभियान में हमारा साथ दे सकते हैं। फेसबुक छोड़ना आसान नहीं है, यह इतना ही मुश्किल है जितना की धूम्रपान छोड़ना लेकिन फिर भी उपयोक्ताओं को अपने अधिकारों के लिए यह करना ही पड़ेगा।[13] क्विटफेसबुकडे डॉट काम पर अब तक एक हजार से अधिक लोग ३१ मई को अपना फेसबुक खाता समाप्त करने की शपथ ले चुके हैं।
फेसबुक पर बुक
उत्तर प्रदेश के एक आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने फेसबुक पर अपने अनुभवों तथा अपने कार्यों को पृष्ठभूमि बनाते हुए हिंदी तथा अंग्रेजी भाषा में एक-एक पुस्तक लिखने का कार्य प्रारम्भ किया है जो बहुत शीघ्र ही प्रकाशित हो जायेंगे. अमिताभ ठाकुर द्वारा ये पुस्तकें फेसबुक संस्थापक मार्क झुकरबर्ग तथा अपने फेसबुक के साथियों को समर्पित किया गया है।
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भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही ब्रिटेन में डिजिटल इंडिया को बढ़ावा दे रहे हों लेकिन फ़ेसबुक द्वारा जारी एक सेंसरशिप रिपोर्ट कई सवालिया निशान खड़े करती है.
फ़ेसबुक पर पोस्ट की गई सामग्रियों में से 15,155 सामग्रियों पर भारत ने फ़ेसबुक से कहकर प्रतिबंध लगवाया.
वहीं दूसरे स्थान पर तुर्की रहा जिसने केवल 4,496 सामग्रियों के ख़िलाफ ऐसा किया.
फ़ेसबुक पर मौजूद लोगों के अकाउंट के बारे में जानकारी हासिल करने में अमरीका सबसे आगे रहा तो भारत दूसरे स्थान पर.
अमरीका ने फ़ेसबुक से 26,579 लोगों की जानकारी मांगी वहीं भारत ने 6,268 लोगों की जानकारी हासिल की.
ब्रिटेन तीसरे स्थान पर रहा, उसने 4,489 लोगों की जानकारी फ़ेसबुक से ली.
फ़ेसबुक की इस रिपोर्ट से तीन बड़े सवाल खड़े होते हैं.
जिस तरह से फ़ेसबुक पर मौजूद सामग्रियों पर प्रतिबंध लगवाया जा रहा है वो कहीं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगाम कसना तो नहीं है?
कहीं सरकार इसका प्रयोग अपने राजनीतिक विरोधियों को रोकने के लिए तो नहीं कर रही?
क्या फ़ेसबुक अपनी इंटरनेट सेवा को भारत में लॉन्च करने के लिए यहां की सरकार की कुछ ज़्यादा ही मदद तो नहीं कर रहा?
Image copyrightAFP
फ़ेसबुक के अनुसार, उनकी वेबसाइट पर मौजूद सामग्रियों पर प्रतिबंध लगवाने के लिए भारत की कानून प्रवर्तन एजेंसियों और कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम की तरफ से आवेदन किए गए थे.
उनके अनुसार, ये सभी सामग्रियां धर्म विरोधी और भड़काऊ भाषण की श्रेणी में आती थीं.
मीडियानामा के संस्थापक निखिल पाहवा कहते हैं, "दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि जिस तरह की सामग्रियों पर प्रतिबंध लगाया गया है उसका कोई डेटा मौजूद नहीं है."
निखिल के अनुसार, "ऐसे में हम यह अनुमान नहीं लगा सकते कि किस तरह की चीज़ों पर प्रतिबंध लगाया गया है."
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इनमें से कई सामग्रियां आपराधिक मामलों से भी जुड़ी थीं.
ऐसे में भारतीय एजेंसियों ने फ़ेसबुक से बहुत ही मूलभूत जानकारियां मांगी जैसे कि सब्सक्राइबर जानकारी, आईपी एड्रेस, अकाउंट कंटेंट या लोग क्या पोस्ट कर रहे हैं.
हालांकि यह भी कहा गया है कि फ़ेसबुक इस तरह का कोई भी फैसला लेने से पहले यह सुनिश्चित करता है कि क्या वह सामग्री स्थानीय कानून का उल्लंघन कर भी रही है या नहीं.
अगर ऐसा पाया जाता है तो उस पर उस देश में प्रतिबंध लगा दिया जाता है.
निखिल कहते हैं, "एक नागरिक के तौर पर हमें यह जानकारी होनी चाहिए कि किस हद तक सामग्रियों पर सवाल उठाए जा रहे हैं. हम सभी को यह अधिकार है, केवल सरकार को नहीं."
वो कहते हैं, "यह फ़ेसबुक की भी ज़िम्मेदारी बनती है कि वो ऐसी सामग्रियों और आवेदन के बारे में जानकारी साझा करे."
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इतनी बड़ी संख्या में आवेदन करना सरकारी मशीनरी द्वारा लोगों की असहमति को दबाने का ज़रिया बन सकता है.
यह वैसा ही होगा जैसे धारा 66ए का बड़ी तादात में ग़लत इस्तेमाल कर राज़्य सरकारें किसी को भी गिरफ़्तार कर लेती थीं.
जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट को बीच में दखल देकर इस धारा को ख़त्म करना पड़ा.
सरकार भले ही दावे कर रही हो कि वो यह प्रतिबंध धर्म विरोधी और भड़काऊ भाषणों को रोकने के लिए लगवा रही है लेकिन दुर्भाग्यवश ज़मीनी तौर पर उसकी कथनी और करनी में बहुत ही फर्क नज़र आ रहा है.
जैसा कि हमें इस साल की शुरुआत में देखने को मिला, उत्तर प्रदेश में एक छात्र ने समाजवादी पार्टी के नेता आज़म ख़ान के बारे में कुछ आपत्तिजनक पोस्ट किया.
जिसके बाद खान ने उसके ख़िलाफ एफआईआर दर्ज कराई और छात्र को 15 दिन के लिए जेल हो गई.
Image captionसंस्कृति मंत्री महेश शर्मा
हाल ही में संपन्न हुए बिहार चुनाव में भी हमने देखा कि भाजपा नेताओं की तरफ से कई आपत्तिजनक टिप्पणियां की गईं थीं.
दादरी मामले में भी संस्कृति मंत्री महेश शर्मा और भाजपा विधायक संगीत सोम की तरफ से कई मूर्खतापूर्ण टिप्पणियां की गईं जिसका चौतरफा विरोध हुआ लेकिन उनके ख़िलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की गई.
ऐसे में इस आशंका को नहीं नकारा जा सकता कि सरकार केवल उनके ख़िलाफ ही कार्रवाई करेगी जो उनकी समीक्षा करेगा.
इस पर पाहवा कहते हैं कि फ़ेसबुक पर जिन सामग्रियों पर भी प्रतिबंध लगाया जाता है उसके बारे में और अधिक पारदर्शिता होनी चाहिए. इससे लोगों में उन्हें समझने में और अधिक आसानी होगी.
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बालपन से 'आप कौन से राजपूत हैं 'का जवाब 'मैं सेंगर राजपूत हूँ 'कहते हैं तब मन में जिज्ञासा होती है कि सेंगर, राजपूत कौन हैं । जिनके हम वंशज हैं। मेरे मामाजी सेंगर हैं सो .... फिर मैंने राजपूतों विशेषकर सेंगर राजपूतों के उद्भव, विस्तार और वर्तमान को उपलब्ध साक्ष्यों, परम्पराओं, कुलधर्मिता, श्रुतियों, पौराणिक कथाओं और राजपूतों के उपलब्ध इतिहास को देखा, सुना,पढ़ा। फलतः मैंने इस राजवंश को त्रेतायुगीन श्रृंगी ऋषि से प्रारम्भ होकर आज सम्पूर्ण अविभाजित भारत व श्रीलंका तक विस्तारित पाया। चूँकि कोई क्रमबद्ध इतिहास सुलभ नहीं है अतः टूटी कड़ियों को जोड़ कर 'निश्चित रूप से ऐसा ही था 'वाला इतिहास नहीं बनाया जा सकता। लेकिन मुझे अपने प्रयास से बहुत ही आत्मसंतुष्टि मिली कि हमारी वंश परम्परा कुछ ऐसे ही यहाँ तक पहुँची है। आइए चलते हैं इस वंश यात्रा पर विहंगम दृष्टि डालने। क्षत्रिय कौन, फिर सेंगर क्षत्रिय कौन -- हमारे सनातन धर्म या जीवन पद्धति में स्वभावज गुणों से प्रेरित कर्मों के आधार पर मानव समाज को चार वर्णों; अर्थात ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र; में विभाजित किया गया है। ...
मेरे टिवीटर एकाउन्ट को अधिक से अधिक फोलो करके विचार अभियान को विस्तार प्रदान करें - अरविन्द सिसौदिया इसे फोलो करें - Arvind S Sisodia @ArvindSSisodia https://x.com/ArvindSSisodia ध्येय साधना अमर रहे। ध्येय साधना अमर रहे। अखिल जगत को पावन करती त्रस्त उरों में आशा भरती भारतीय सभ्यता सिखाती गंगा की चिर धार बहे। इससे प्रेरित होकर जन-जन करे निछावर निज तन-मन-धन पाले देशभक्ति का प्रिय प्रण अडिग लाख आघात सहे। भीती न हमको छू पाये स्वार्थ लालसा नहीं सताये शुद्ध ह्नदय ले बढते जायें धन्य-धन्य जग आप कहे। जीवन पुष्प चढा चरणों पर माँगे मातृभूमि से यह वर तेरा वैभव अमर रहे माँ। हम दिन चार रहें न रहे। ------------- English :- dhyeya sādhanā amara rahe | dhyeya sādhanā amara rahe | akhila jagata ko pāvana karatī trasta uroṁ meṁ āśā bharatī bhāratīya sabhyatā sikhātī gaṁgā kī cira dhāra bahe | isase prerita hokara jana-jana kare nichāvara nija tana-mana-dhana pāle deśabhakti kā priya praṇa aḍiga lākha āghāta sahe | bhītī na hamako chū pāye svārtha lāla...
ओ गोरे धोरा री धरती रो, पिच रंग पाड़ा री धरती रो पितळ पाथळ री धरती रो, मीरा कर्माँ री धरती रो कितरो, कितरो मैं कराँ रे बखाण कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान घर गूंज्या भाई धर्मजला घर गूंज्या भाई धर्मजला धर्मजला भाई धर्मजला हो हो कोटा बूंदी भलो भरतपुर, अलवर और अजमेर कोटा बूंदी भलो भरतपुर, अलवर और अजमेर पुष्कर तीरथ बडो के जिणरी महिमा चारो उमेर दे अजमेर शरीफ औलिया ... (२), नित सत रो परमाण कितरो, कितरो मैं कराँ रे बखाण कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान घर गूंज्या भाई धर्मजला घर गूंज्या भाई धर्मजला धर्मजला भाई धर्मजला हो हो दशों दिशा वा में गूंजे रे, वीरां रो गुणगान दशों दिशा वा में गूंजे रे, वीरां रो गुणगान हल्दीघाटी अर प्रताप रे तप पर जग कुर्बान चेतक अर चित्तौड़ पर सारे .. (२) जग ने है अभिमान कितरो, कितरो मैं कराँ रे बखाण कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान घर गूंज्या भाई धर्मजला घर गूंज्या भाई धर्मजला धर्मजला भाई धर्मजला हो हो उदियापुर में एकलिंगजी, गणपति रणथम्भोर उदियापुर में एकलिंगजी, गणपति रणथम्भोर जयपुर में आमेर भवानी, जोधाणे मंडौर बिकाणे में करणी माता ... (२), राठोडा री शान कितरो, कितरो ...
सनातन अर्थात हमेशा नयापन सनातन संस्कृति, सनातन जीवन पद्धति, यूँ तो एक अनुसंधान है.. सत्य को जानने की कोशिश है और उसमें से जो उचित प्राप्त हुआ उसे अपना कर आगे बढ़ते रहने की अनुसंधान यात्रा है। जिसमें ज्ञान विज्ञान और अनुसंधान सम्मिलित है। इसमें देवी देवता हैँ, तीज त्यौहार हैँ, व्रत उपवास हैँ, मंदिर मठ प्रतिमायें पूजन अर्चन हैँ, विविध प्रकार के चढ़ावे हैँ , विशेष प्रकार की वस्तुओं का महत्व है , जैसे नरियल, अगरबत्ती, दीपक, तिलक, लच्छा, दीपावली पर साफ सफाई से लेकर आतिशबाजी तक़ है, जो वर्षात के कारण उत्पन्न विष्णुओं से मुक्ती का अभियान भी है। होली है रंगों से एक दूसरे को रंग कर सहनशिलता को अपनेपन का स्थापत्य है। भोजन की विविधता कभी खीर पूड़ी तो, कभी पुआ पकोड़ी, कभी मूंग की दाल की पकोड़ी तो कभी तिल के लड्डू अर्थाय बदलते और विविधता से भरी हुई यह जीवन पद्धति है। जो नित नूतन है सदैव नई है। इसी लिए इसका नाम सनातन है। सदैव नूतन अर्थात सनातन। सनातन जीवन पद्धति में व्यक्ति इतना व्यस्त रहता है कि वह अपने सुख दुःख भूल जाता है, वह मान्यताओं और परंपराओं की व्यस्तता...
🌿 God’s Creation and Our Existence — Arvind Sisodia 9414180151 Whether we meet God or not… this question has entangled humankind for ages. Yet, have we ever considered that even in the seeming absence of God, we ourselves are but a fragment of His creation? When we observe our existence within the vastness of this universe, it becomes clear that the presence of the Divine is not confined to any idol, temple, or tradition — He resides within every being that carries life upon this Earth. We are the products of that divine workshop — the “Factory of God.” Trees and plants, animals and birds, insects and creatures of water, sky, and land — and we humans ourselves — all have emerged from that same invisible consciousness. Every form of life is a manifestation of that divinity, expressed through different shapes, forms, and natures. Once we realize that every soul originates from the same source, the walls of discrimination begin to fall away. Then, the killing of an animal, th...
Scientific view of Deepawali festival for social system development दीपावली पर्व का समाज व्यवस्था सम्बर्द्धन का वैज्ञानिक दृष्टिकोंण भारत में सभी व्रत तिथि और त्यौहारों के पीछे कोई न कोई सामाजिक सरोकार का हेतु होता है। यही दीपावली के पर्व पर भी है। मानव के जीवन में जिन जिन व्यवस्थाओं से उन्नती प्रगति विकास एवं सम्पन्नता आती है। सुखमय व्यवस्था आती है। उन सभी के आत्म निरिक्षण व संवर्द्धन का अवसर यह उत्सव प्रदान करता है। दीपावली भारत का सबसे प्राचीन त्यौहार है, सृष्टि सृजन के समय जब प्रलय के पश्चात समुद्र मंथन हुआ और उसमें से देवी लक्ष्मीजी के प्रगट होनें आगमन होनें के अवसर से ही यह ज्यौहार मनाया जाता है। अर्थात सनातन सभ्यता की दृष्टि से यह त्यौहार सतयुग से ही मनाया जा रहा है। इसे करोडों और अरबों वर्ष पूर्व का माना जा सकता है। इसीलिये इसमें मुख्यपूजा लक्ष्मीजी की है। हो सकता है कि इसका नया नामकरण भगवान श्रीराम के त्रेतायुग में वनवास से अयोध्या लौटते समय उनके आगमन पर जलाये गये दीपों के कारण दीपावली हो गया हो और इससे पूर्व कोई ओर नाम हो । इस वर्प में सतयुग से लक्ष्मी एवं गणेश पूजन, त्र...
Om G Bhai Sab मित्रों आज शिवाजी जयंती है। 1303 इ. में मेवाड़ से महाराणा हम्मीर के चचेरे भाई सज्जन सिह कोल्हापुर चले गए थे। इन्ही की 18 व़ी पीढ़ी में छत्रपति शिवाजी महाराज पैदा हुए थे। ये सिसोदिया थे। सिसोदिया राजपूत वंश के कुलनायक महाराणा प्रताप के वंशज छत्रपति शिवाजी महाराज की आज जयंती है ... शूरवीरता के साक्षात अवतार लोकराज के पुरोधा छत्रपति शिवाजी महाराज के इस जन्मोत्सव पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें ----------------------- राज्याभिषेक सन् १६७४ तक शिवाजी ने उन सारे प्रदेशों पर अधिकार कर लिया था जो पुरन्दर की संधि के अन्तर्गत उन्हें मुगलों को देने पड़े थे। पश्चिमी महारष्ट्र में स्वतंत्र हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के बाद शिवाजी ने अपना राज्याभिषेक करना चाहा, परन्तु ब्राहमणों ने उनका घोर विरोध किया। शिवाजी के निजी सचीव बालाजी आव जी ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया और उन्होंने ने काशी में गंगाभ नमक ब्राहमण के पास तीन दूतो को भेजा, किन्तु गंगा ने प्रस्ताव ठुकरा दिया क्योकि शिवाजी क्षत्रिय नहीं थे , उसने कहा की क्षत्रियता का प्रमाण लाओ तभी वह राज्याभ...
देवों के देव महादेव भगवान शंकर का श्रृंगार Lord of the Gods, Mahadev, the makeup of Lord Shankar भगवान शिव की छवि, इनके एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे हाथ में डमरु, गले में सर्प माला, सिर पर त्रिपुंड चंदन, माथे पर अर्धचन्द्र, सिर पर गंगा की धारा..... Image of Lord Shiva, Trishul in one hand, Damru in other hand, Serpent garland around his neck, Tripunda sandalwood on his head, Crescent moon on his forehead, Stream of Ganges on his head ---- *शिवजी को कैसे मिले नाग, डमरु, त्रिशूल, त्रिपुंड और नंदी?* *शिव जी का त्रिशूल* *भगवान शिव का ध्यान करने मात्र से मन में जो एक छवि उभरती है वो एक वैरागी पुरुष की। इनके एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे हाथ में डमरु, गले में सर्प माला, सिर पर त्रिपुंड चंदन लगा हुआ है। माथे पर अर्धचन्द्र और सिर पर जटाजूट जिससे गंगा की धारा बह रही है। थोड़ा ध्यान गहरा होने पर इनके साथ इनका वाहन नंदी भी नजर आता है। कहने का मतलब है कि शिव के साथ ये 7 चीजें जुड़ी हुई हैं।* *आप दुनिया में कहीं भी चले जाइये आपको शिवालय में शिव के साथ ये 7 चीजें जरुर दिखेगी। आइये जानें कि शिव के साथ...
Arvind Sisodia 9414180151 लगभग 5000 वर्ष पूर्व महाभारत युद्ध और उस समय का महान धर्म ग्रंथ महाभारत इस बात का सबूत है कि हम भारत थे,हम भारत ही हैं और भारत ही रहेंगे। जिनकी विदेशी गुलामी की सोच रही , जिन्होने ब्रिटेन से गुप्त संधि की थी वे ही इण्डिया शब्द के खैर ख्वाह थे , इसका विरोध संबिधान सभा में तब भी हुआ था और आज भी कोई स्विकार्यता नहीं है। महज संबिधान में होनें से मजबूरी मात्र है.... - अरविन्द सिसौदिया आर्या एक देव कन्या थी जिनका एक ऋषि पुत्र से विवाह हुआ था,उसकी संतती आर्य कहलाई है, इनमें देवत्व के गुणों के साथ अनेकों पीढ़ियों तक साम्राज्य किया है। इसलिये हम सभी आर्य कहलाते हैं। इसी कारण वेदमर्मज्ञ एवं वेदों का अनुवाद करनें वाल स्वामी दयानन्द सरस्वती नें आर्य समाज की स्थापना की थी। याद रखिये जब तमाम विश्व की सभ्यतायें जंगली और सामाजिक उत्थान का संर्घष कर रहीं थीं , तब भारत का समृद्ध ज्ञान सप्त़षि मण्डल की यात्रा करता था, नक्षत्रों की रचना पर अघ्ययन करता था। अपने महानपूर्वजों के अनुसंधान पर शक करने के बजाये उसे और आगे बढायें। बहुत कम लोग जानते हैं कि हिमालय का मतलब हिन्दुकुश पर्...
भैरोंसिंह शेखावत : शेर - ए - राजस्थान Bhairon Singh Shekhawat : Sher-e - Rajasthan = रामबहादुर राय - यह १५ मई २०१० को लिखा गया लेख है .......... भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति और देश के एक कद्दावर राजनेता भैरो सिंह शेखावत नहीं रहे. 87 साल के भैरोसिंह शेखावत ने लगभग छह दशक तक भारतीय राजनीति में अपना सशक्त हस्ताक्षर बनाये रखा. आज उनके जाने के बाद उन्हें याद करें तो हम उन्हें ऐसे राजनेता के रूप में पाते हैं जिन्होंने सार्वजनिक जीवन में आदर्श और व्यवहार का बहुत ही बेहतर समन्वय किया और लोक राजनीति का मार्ग प्रशस्त किया. भैरो सिंह शेखावत उन चंद नेताओं में से एक रहे हैं जो अपनी विचारधारा से बिना समझौता किये हुए निजी संबंधों को बनाये रखने में माहिर थे. उनके संबंध हर दल के नेताओं में थे और वे संबंध केवल औपचारिक नहीं बल्कि गहरे रिश्ते थे. इसकी कई बार परीक्षा भी हुई. 1993 में राजस्थान विधानसभा में दोबारा चुनाव हुआ तो मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश इन जगहों पर भाजपा की सरकार वापस नहीं आयी. लेकिन राजस्थान में भैरो सिंह शेखावत के नेतृत्व में भाज...
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