फेसबुक (अंग्रेज़ी:Facebook) इंटरनेट पर स्थित एक निःशुल्क सामाजिक नेटवर्किंग सेवा है, जिसके माध्यम से इसके सदस्य अपने मित्रों, परिवार और परिचितों के साथ संपर्क रख सकते हैं। यह फेसबुक इंकॉ. नामक निजी कंपनी द्वारा संचालित है। इसके प्रयोक्ता नगर, विद्यालय, कार्यस्थल या क्षेत्र के अनुसार गठित किये हुए नेटवर्कों में शामिल हो सकते हैं और आपस में विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं।[5] इसका आरंभ 2004 में हार्वर्ड के एक छात्र मार्क ज़ुकेरबर्ग ने की थी। तब इसका नाम द फेसबुक था। कॉलेज नेटवर्किग जालस्थल के रूप में आरंभ के बाद शीघ्र ही यह कॉलेज परिसर में लोकप्रिय होती चली गई। कुछ ही महीनों में यह नेटवर्क पूरे यूरोप में पहचाना जाने लगा। अगस्त 2005 में इसका नाम फेसबुक कर दिया गया। फेसबुक में अन्य भाषाओं के साथ हिन्दी में भी काम करने की सुविधा है।
फेसबुक ने भारत सहित 40 देशों के मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों से समझौता किया है। इस करार के तहत फेसबुक की एक नई साइट का उपयोग मोबाइल पर निःशुल्क किया जा सकेगा। यह जालस्थल फेसबुक का पाठ्य संस्करण है। भारत में रिलायंस कम्युनिकेशंस और वीडियोकॉन मोबाइल पर यह सेवा प्रदान करेंगे। इसके बाद शीघ्र ही टाटा डोकोमो पर भी यह सेवा शुरू हो जाएगी। इसमें फोटो व वीडियो के अलावा फेसबुक की अन्य सभी संदेश सेवाएं मिलेंगी।[6]
फेसबुक का उपयोग करने वाले अपना एक प्रोफाइल पृष्ठ तैयार कर उस पर अपने बारे में जानकारी देते हैं। इसमें उनका नाम, छायाचित्र, जन्मतिथि और कार्यस्थल, विद्यालय और कॉलेज आदि का ब्यौरा दिया होता है। इस पृष्ठ के माध्यम से लोग अपने मित्रों और परिचितों का नाम, ईमेल आदि डालकर उन्हें ढूंढ़ सकते हैं। इसके साथ ही वे अपने मित्रों और परिचितों की एक अंतहीन श्रृंखला से भी जुड़ सकते हैं। फेसबुक के उपयोक्ता सदस्य यहां पर अपना समूह भी बना सकते हैं।[5] यह समूह उनके विद्यालय, कॉलेज या उनकी रुचि, शहर, किसी आदत और जाति का भी हो सकता है। समूह कुछ लोगों का भी हो सकता है और इसमें और लोगों को शामिल होने के लिए भी आमंत्रित किया जा सकता है। इसके माध्यम से किसी कार्यक्रम, संगोष्ठी या अन्य किसी अवसर के लिए सभी जानने वालों को एक साथ आमंत्रित भी किया जा सकता है।
लोग इस जालस्थल पर अपनी रुचि, राजनीतिक और धार्मिक अभिरुचि व्यक्त कर समान विचारों वाले सदस्यों को मित्र भी बना सकते हैं। इसके अलावा भी कई तरह के संपर्क आदि जोड़ सकते हैं। साइट के विकासकर्त्ता भी ऐसे कई कार्यक्रम तैयार करते रहते हैं, जिनके माध्यम से उपयोक्ता अपनी रुचियों को परिष्कृत कर सकें। फेसबुक में अपने या अपनी रुचि के चित्र फोटो लोड कर उन्हें एक दूसरे के साथ बांट भी कर सकते हैं। ये चित्र मात्र उन्हीं लोगों को दिखेंगे, जिन्हें उपयोक्ता दिखाना चाहते हैं। इसके लिये चित्रों को देखनेका अनुमति स्तर निश्चित करना होता है। चित्रों का संग्रह सुरक्षित रखने के लिए इसमें पर्याप्त जगह होती है। फेसबुक के माध्यम से समाचार, वीडियो और दूसरी संचिकाएं भी बांट सकते हैं। फेसबुक ने 2008 में अपना आवरण रूप बदला था।[5]
स्टेटस अद्यतन
फेसबुक पर उपयोक्ताओं को अपने मित्रों को यह बताने की सुविधा है कि किसी विशेष समय वे क्या कर रहे हैं या क्या सोच रहे हैं और इसे 'स्टेट्स अपडेट' करना कहा जाता है। फेसबुक और ट्विटर के आपसी सहयोग के द्वारा निकट भविष्य में फेसबुक एक ऐसा सॉफ्टवेयर जारी करेगा, जिसके माध्यम से फेसबुक पर होने वाले 'स्टेट्स अपडेट' सीधे ट्विटर पर अद्यतित हो सकेंगे। अब लोग अपने मित्रों को बहुत लघु संदेशों द्वारा यह बता सकेंगे कि वे कहाँ हैं, क्या कर रहे हैं या क्या सोच रहे हैं।[7]
ट्विटर पर १४० कैरेक्टर के 'स्टेट्स मैसेज अपडेट' को अनगिनत सदस्यों के मोबाइल और कंप्यूटरों तक भेजने की सुविधा थी, जबकि फेसबुक पर उपयोक्ताओं के लिये ये सीमा मात्र ५००० लोगों तक ही सीमित है। सदस्य ५००० लोगो तक ही अपने प्रोफाइल के साथ जोड़ सकते हैं या मित्र बना सकते हैं। फेसबुक पर किसी विशेष प्रोफाइल से लोगों के जुड़ने की संख्या सीमित होने के कारण 'स्टेट्स अपडेट' भी सीमित लोगों को ही पहुँच सकता है।
सार्वजनिक खाते
सार्वजनिक खाते (पब्लिक पेज) यानी ऐसे पेज जिन्हें हर कोई देख सकता है और लोग जान सकते हैं कि उनके आदर्श नेता, प्यारे पॉप स्टार या सामाजिक संगठन की क्या गतिविधियाँ हैं। फेसबुक के ट्विटर से जुड़ जाने के बाद अब कंपनियाँ, संगठन, सेलिब्रिटी अपने प्रशंसकों और समर्थकों से सीधे संवाद कर पाएँगे, उन्हें बता पाएँगे कि वे क्या कर रहे हैं, उनके साथ फोटो शेयर कर पाएँगे। फिलहाल यह सुविधा पब्लिक पेज प्रोफाइल वालों को ही उपलब्ध है। फेसबुक के सार्वजनिक पृष्ठ (पब्लिक पेज) बनाना हाल के दिनों में काफी लोकप्रिय होता जा रहा है। पब्लिक पेज बनाने वालों में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोला सारकोजी और रॉक बैंड यू-२ शामिल हैं। इनके अलावा भी कई बड़ी हस्तियों, संगीतकारों, सामाजिक संगठनों, कंपनियों ने अपने खाते फेसबुक पर खोले हैं।[7] ये हस्तियां या संगठन अपने से जुड़ी बातों को अपने प्रशंसकों या समर्थकों के साथ बाँटना चाहते हैं तो आपसी संवाद के लिए फेसबुक का प्रयोग करते हैं।
प्रतिबंध
फेसबुक पर आयोजित पैगंबर मोहम्मद के आपत्तिजनक कार्टून बनाने की प्रतियोगितामें मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के आरोप के कारण पाकिस्तान के एक न्यायालय ने फेसबुक पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। फेसबुक पर चल रही इस कार्टून प्रतियोगिता को ईशनिंदा के कारण पाक में ३१ मई, २०१० तक प्रतिबंधित किया गया है। इसके साथ ही न्यायालय ने पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय को निर्देश जारी किया कि वह ईशनिंदा में बनाए गए कार्टून के मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उठाए।[8][9]
बाद में जिस फेसबुक उपयोक्ता ने 'एवरीवन ड्रॉ मोहम्मद डे' प्रतियोगिता आयोजित की थी, उसने यह पृष्ठ हटा लिया है। इसके साथ ही उसने इस अभियान से जुड़ा ब्लॉग भी हटा लिया था।[10]
खतरा
सोश्यल नेटवर्किंग साइट फेसबुक इंटरनेट के माध्यम से जुड़े लोगों के जीवन का अभिन्न अंग बनती जा रही है। परंतु कुछ साइबर विशेषज्ञ फेसबुक से उत्पन्न खतरों के बारे में समय समय पर आगाह करते रहते हैं। चीफ सैक्यूरिटी ऑफिसर ऑनलाइन नामक सामयिक के वरिष्ठ सम्पादक जॉन गूडचाइल्ड के अनुसार कई कम्पनियाँ अपने प्रचार के लिए फेसबुक जैसे नेटवर्किंग माध्यम का उपयोग करना चाहती है परंतु ये कम्पनियाँ ध्यान नहीं देती कि उनकी गोपनियता अभि भि अनिश्चित है। सीबीसी न्यूज़ के 'द अर्ली शॉ ऑन सैटर्डे मॉर्निंग' कार्यक्रम में गूडचाइल्ड ने फेसबुक से उत्पन्न पाँच ऐसे खतरों के बारे में बताया जिससे निजी और गोपनीय जानकारियों की गोपनीयता पर प्रश्नचिह्न लग गया है।[11] ये इस प्रकार से हैं:
डाटा बांटना: यहां दी गई जानकारी केवल घोषित मित्रों तक ही सीमित नहीं रहती है, बल्कि वह तृतीय पार्टी अनुप्रयोग विकासकर्त्ताओं (थर्ड पार्टी अप्लिकेशन डेवलपर) तक भी पहुँच रही हैं।
बदलती नीतियां: फेसबुक के हर नये संस्करण रिलीज़ होने के बाद उसकी प्राइवेसी सेटिंग बदल जाती है और वह स्वत: डिफाल्ट पर आ जाती है। प्रयोक्ता उसमें बदलाव कर सकते हैं परंतु काफी कम प्रयोक्ता इस ओर ध्यान दे पाते हैं।
मैलावेयर: फेसबुक पर प्रदर्शित विज्ञापनों की प्रामाणिकता का कोई वादा नहीं है। ये मैलावेयर हो सकते हैं और उनपर क्लिक करने से पहले उपयोक्ताओं को विवेक से काम लेना चाहिये।
पहचान उजागर: उपयोक्ताओं के मित्र जाने अनजाने उनकी पहचान और उनकी कोई गोपनीय जानकारी दूसरों से साझा कर सकते हैं।
जाली प्रोफाइल: फेसबुक पर सेलिब्रिटियों को मित्र बनाने से पूर्व उपयोक्ताओं को ये चाहिये कि पहले उनकी प्रोफाइल की अच्छी तरह से जाँच अवश्य कर लें। स्कैमरों के द्वारा जाली प्रोफाइल बनाकर लोगों तक पहुँच बनाना काफी सरल है।
फेसबुक छोड़ो अभियान
हाल ही में फेसबुक ने अपने सुरक्षा नियमों को पहले से कुछ कड़ा कर दिया है जिसके कारण इसके उपयोक्ताओं में काफी रोष दिखा है। इसके कड़े सुरक्षा नियमों से नाराज उपयोक्ताओं ने एक समूह बनाकर फेसबुक पर फेसबुक के विरुद्ध ही अभियान चला दिया है।[12] उन्होंने ने एक साइट बनाई है क्विटफेसबुकडे डॉट काम जिसपर फेसबुक उपयोक्ताओं से ३१ मई को फेसबुक छोड़ो दिवस के रूप में मनाने का आहवान किया है। इस वेबसाइट पर संदेश है कि यदि आप को लगता है कि फेसबुक आपकी स्वतंत्रता, आपके निजी डाटा और वेब के भविष्य का सम्मान नहीं करता तो आप फेसबुक छो़ड़ो अभियान में हमारा साथ दे सकते हैं। फेसबुक छोड़ना आसान नहीं है, यह इतना ही मुश्किल है जितना की धूम्रपान छोड़ना लेकिन फिर भी उपयोक्ताओं को अपने अधिकारों के लिए यह करना ही पड़ेगा।[13] क्विटफेसबुकडे डॉट काम पर अब तक एक हजार से अधिक लोग ३१ मई को अपना फेसबुक खाता समाप्त करने की शपथ ले चुके हैं।
फेसबुक पर बुक
उत्तर प्रदेश के एक आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने फेसबुक पर अपने अनुभवों तथा अपने कार्यों को पृष्ठभूमि बनाते हुए हिंदी तथा अंग्रेजी भाषा में एक-एक पुस्तक लिखने का कार्य प्रारम्भ किया है जो बहुत शीघ्र ही प्रकाशित हो जायेंगे. अमिताभ ठाकुर द्वारा ये पुस्तकें फेसबुक संस्थापक मार्क झुकरबर्ग तथा अपने फेसबुक के साथियों को समर्पित किया गया है।
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भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही ब्रिटेन में डिजिटल इंडिया को बढ़ावा दे रहे हों लेकिन फ़ेसबुक द्वारा जारी एक सेंसरशिप रिपोर्ट कई सवालिया निशान खड़े करती है.
फ़ेसबुक पर पोस्ट की गई सामग्रियों में से 15,155 सामग्रियों पर भारत ने फ़ेसबुक से कहकर प्रतिबंध लगवाया.
वहीं दूसरे स्थान पर तुर्की रहा जिसने केवल 4,496 सामग्रियों के ख़िलाफ ऐसा किया.
फ़ेसबुक पर मौजूद लोगों के अकाउंट के बारे में जानकारी हासिल करने में अमरीका सबसे आगे रहा तो भारत दूसरे स्थान पर.
अमरीका ने फ़ेसबुक से 26,579 लोगों की जानकारी मांगी वहीं भारत ने 6,268 लोगों की जानकारी हासिल की.
ब्रिटेन तीसरे स्थान पर रहा, उसने 4,489 लोगों की जानकारी फ़ेसबुक से ली.
फ़ेसबुक की इस रिपोर्ट से तीन बड़े सवाल खड़े होते हैं.
जिस तरह से फ़ेसबुक पर मौजूद सामग्रियों पर प्रतिबंध लगवाया जा रहा है वो कहीं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगाम कसना तो नहीं है?
कहीं सरकार इसका प्रयोग अपने राजनीतिक विरोधियों को रोकने के लिए तो नहीं कर रही?
क्या फ़ेसबुक अपनी इंटरनेट सेवा को भारत में लॉन्च करने के लिए यहां की सरकार की कुछ ज़्यादा ही मदद तो नहीं कर रहा?
Image copyrightAFP
फ़ेसबुक के अनुसार, उनकी वेबसाइट पर मौजूद सामग्रियों पर प्रतिबंध लगवाने के लिए भारत की कानून प्रवर्तन एजेंसियों और कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम की तरफ से आवेदन किए गए थे.
उनके अनुसार, ये सभी सामग्रियां धर्म विरोधी और भड़काऊ भाषण की श्रेणी में आती थीं.
मीडियानामा के संस्थापक निखिल पाहवा कहते हैं, "दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि जिस तरह की सामग्रियों पर प्रतिबंध लगाया गया है उसका कोई डेटा मौजूद नहीं है."
निखिल के अनुसार, "ऐसे में हम यह अनुमान नहीं लगा सकते कि किस तरह की चीज़ों पर प्रतिबंध लगाया गया है."
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इनमें से कई सामग्रियां आपराधिक मामलों से भी जुड़ी थीं.
ऐसे में भारतीय एजेंसियों ने फ़ेसबुक से बहुत ही मूलभूत जानकारियां मांगी जैसे कि सब्सक्राइबर जानकारी, आईपी एड्रेस, अकाउंट कंटेंट या लोग क्या पोस्ट कर रहे हैं.
हालांकि यह भी कहा गया है कि फ़ेसबुक इस तरह का कोई भी फैसला लेने से पहले यह सुनिश्चित करता है कि क्या वह सामग्री स्थानीय कानून का उल्लंघन कर भी रही है या नहीं.
अगर ऐसा पाया जाता है तो उस पर उस देश में प्रतिबंध लगा दिया जाता है.
निखिल कहते हैं, "एक नागरिक के तौर पर हमें यह जानकारी होनी चाहिए कि किस हद तक सामग्रियों पर सवाल उठाए जा रहे हैं. हम सभी को यह अधिकार है, केवल सरकार को नहीं."
वो कहते हैं, "यह फ़ेसबुक की भी ज़िम्मेदारी बनती है कि वो ऐसी सामग्रियों और आवेदन के बारे में जानकारी साझा करे."
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इतनी बड़ी संख्या में आवेदन करना सरकारी मशीनरी द्वारा लोगों की असहमति को दबाने का ज़रिया बन सकता है.
यह वैसा ही होगा जैसे धारा 66ए का बड़ी तादात में ग़लत इस्तेमाल कर राज़्य सरकारें किसी को भी गिरफ़्तार कर लेती थीं.
जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट को बीच में दखल देकर इस धारा को ख़त्म करना पड़ा.
सरकार भले ही दावे कर रही हो कि वो यह प्रतिबंध धर्म विरोधी और भड़काऊ भाषणों को रोकने के लिए लगवा रही है लेकिन दुर्भाग्यवश ज़मीनी तौर पर उसकी कथनी और करनी में बहुत ही फर्क नज़र आ रहा है.
जैसा कि हमें इस साल की शुरुआत में देखने को मिला, उत्तर प्रदेश में एक छात्र ने समाजवादी पार्टी के नेता आज़म ख़ान के बारे में कुछ आपत्तिजनक पोस्ट किया.
जिसके बाद खान ने उसके ख़िलाफ एफआईआर दर्ज कराई और छात्र को 15 दिन के लिए जेल हो गई.
Image captionसंस्कृति मंत्री महेश शर्मा
हाल ही में संपन्न हुए बिहार चुनाव में भी हमने देखा कि भाजपा नेताओं की तरफ से कई आपत्तिजनक टिप्पणियां की गईं थीं.
दादरी मामले में भी संस्कृति मंत्री महेश शर्मा और भाजपा विधायक संगीत सोम की तरफ से कई मूर्खतापूर्ण टिप्पणियां की गईं जिसका चौतरफा विरोध हुआ लेकिन उनके ख़िलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की गई.
ऐसे में इस आशंका को नहीं नकारा जा सकता कि सरकार केवल उनके ख़िलाफ ही कार्रवाई करेगी जो उनकी समीक्षा करेगा.
इस पर पाहवा कहते हैं कि फ़ेसबुक पर जिन सामग्रियों पर भी प्रतिबंध लगाया जाता है उसके बारे में और अधिक पारदर्शिता होनी चाहिए. इससे लोगों में उन्हें समझने में और अधिक आसानी होगी.
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मेरे टिवीटर एकाउन्ट को अधिक से अधिक फोलो करके विचार अभियान को विस्तार प्रदान करें - अरविन्द सिसौदिया इसे फोलो करें - Arvind S Sisodia @ArvindSSisodia https://x.com/ArvindSSisodia ध्येय साधना अमर रहे। ध्येय साधना अमर रहे। अखिल जगत को पावन करती त्रस्त उरों में आशा भरती भारतीय सभ्यता सिखाती गंगा की चिर धार बहे। इससे प्रेरित होकर जन-जन करे निछावर निज तन-मन-धन पाले देशभक्ति का प्रिय प्रण अडिग लाख आघात सहे। भीती न हमको छू पाये स्वार्थ लालसा नहीं सताये शुद्ध ह्नदय ले बढते जायें धन्य-धन्य जग आप कहे। जीवन पुष्प चढा चरणों पर माँगे मातृभूमि से यह वर तेरा वैभव अमर रहे माँ। हम दिन चार रहें न रहे। ------------- English :- dhyeya sādhanā amara rahe | dhyeya sādhanā amara rahe | akhila jagata ko pāvana karatī trasta uroṁ meṁ āśā bharatī bhāratīya sabhyatā sikhātī gaṁgā kī cira dhāra bahe | isase prerita hokara jana-jana kare nichāvara nija tana-mana-dhana pāle deśabhakti kā priya praṇa aḍiga lākha āghāta sahe | bhītī na hamako chū pāye svārtha lāla...
बालपन से 'आप कौन से राजपूत हैं 'का जवाब 'मैं सेंगर राजपूत हूँ 'कहते हैं तब मन में जिज्ञासा होती है कि सेंगर, राजपूत कौन हैं । जिनके हम वंशज हैं। मेरे मामाजी सेंगर हैं सो .... फिर मैंने राजपूतों विशेषकर सेंगर राजपूतों के उद्भव, विस्तार और वर्तमान को उपलब्ध साक्ष्यों, परम्पराओं, कुलधर्मिता, श्रुतियों, पौराणिक कथाओं और राजपूतों के उपलब्ध इतिहास को देखा, सुना,पढ़ा। फलतः मैंने इस राजवंश को त्रेतायुगीन श्रृंगी ऋषि से प्रारम्भ होकर आज सम्पूर्ण अविभाजित भारत व श्रीलंका तक विस्तारित पाया। चूँकि कोई क्रमबद्ध इतिहास सुलभ नहीं है अतः टूटी कड़ियों को जोड़ कर 'निश्चित रूप से ऐसा ही था 'वाला इतिहास नहीं बनाया जा सकता। लेकिन मुझे अपने प्रयास से बहुत ही आत्मसंतुष्टि मिली कि हमारी वंश परम्परा कुछ ऐसे ही यहाँ तक पहुँची है। आइए चलते हैं इस वंश यात्रा पर विहंगम दृष्टि डालने। क्षत्रिय कौन, फिर सेंगर क्षत्रिय कौन -- हमारे सनातन धर्म या जीवन पद्धति में स्वभावज गुणों से प्रेरित कर्मों के आधार पर मानव समाज को चार वर्णों; अर्थात ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र; में विभाजित किया गया है। ...
ओ गोरे धोरा री धरती रो, पिच रंग पाड़ा री धरती रो पितळ पाथळ री धरती रो, मीरा कर्माँ री धरती रो कितरो, कितरो मैं कराँ रे बखाण कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान घर गूंज्या भाई धर्मजला घर गूंज्या भाई धर्मजला धर्मजला भाई धर्मजला हो हो कोटा बूंदी भलो भरतपुर, अलवर और अजमेर कोटा बूंदी भलो भरतपुर, अलवर और अजमेर पुष्कर तीरथ बडो के जिणरी महिमा चारो उमेर दे अजमेर शरीफ औलिया ... (२), नित सत रो परमाण कितरो, कितरो मैं कराँ रे बखाण कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान घर गूंज्या भाई धर्मजला घर गूंज्या भाई धर्मजला धर्मजला भाई धर्मजला हो हो दशों दिशा वा में गूंजे रे, वीरां रो गुणगान दशों दिशा वा में गूंजे रे, वीरां रो गुणगान हल्दीघाटी अर प्रताप रे तप पर जग कुर्बान चेतक अर चित्तौड़ पर सारे .. (२) जग ने है अभिमान कितरो, कितरो मैं कराँ रे बखाण कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान घर गूंज्या भाई धर्मजला घर गूंज्या भाई धर्मजला धर्मजला भाई धर्मजला हो हो उदियापुर में एकलिंगजी, गणपति रणथम्भोर उदियापुर में एकलिंगजी, गणपति रणथम्भोर जयपुर में आमेर भवानी, जोधाणे मंडौर बिकाणे में करणी माता ... (२), राठोडा री शान कितरो, कितरो ...
आदरणीय प्रधानमंत्री श्रीयुत नरेन्द्र मोदी जी, करूण कहानी विभाजन के नाम से मेरे ब्लाग पर “ बनाओ अखण्ड भारती” नामक कविता का प्रकाशन 18 अगस्त 2010 को किया था । इस कविता में विभाजन के मंजर को कविता स्वरूप में लीपिबद्ध करने का प्रयास किया का। 14 अगस्त 2021 को मेरी आंखों में आंसू आ गये जब मेनें टी वी पर सुना कि भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी ने 14 अगस्त को “ विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस” के तौर पर मनाने का निर्णय लिया गया है। मेरे रोंगटे खडे हो गये, मेरी आंखों में आंसू थे। मेरी इस कविता को कोई लोकप्रियता नहीं मिली,सिर्फ एक टिप्पणी मिली थी। किन्तु जब मोदी जी ने इस दिन को “विभाजन विभिषिका स्मृति दिवस ” के रूप में मनाने का निर्णय लिया तो मुझे लगा कि मेरी उस अभिव्यक्ति को, उस श्रृद्धांजली को आत्मा मिल गई है। कोटि कोटि धन्यवाद प्रधानमंत्री जी आपने " अपना सर्वस्व स्वाहा करने वालों उन निर्दोषों की शहादत को सम्मान दिया जिसे बहुत ही चालांकी से झुपा दिया गया था। " आदर सहित । आपका - अरविन्द सिसौदिया 9414180151 टिप्पणी :- Rajmal malav15 फ़रवरी 2012 को 3:26 pm What a poem it is!...
Om G Bhai Sab मित्रों आज शिवाजी जयंती है। 1303 इ. में मेवाड़ से महाराणा हम्मीर के चचेरे भाई सज्जन सिह कोल्हापुर चले गए थे। इन्ही की 18 व़ी पीढ़ी में छत्रपति शिवाजी महाराज पैदा हुए थे। ये सिसोदिया थे। सिसोदिया राजपूत वंश के कुलनायक महाराणा प्रताप के वंशज छत्रपति शिवाजी महाराज की आज जयंती है ... शूरवीरता के साक्षात अवतार लोकराज के पुरोधा छत्रपति शिवाजी महाराज के इस जन्मोत्सव पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें ----------------------- राज्याभिषेक सन् १६७४ तक शिवाजी ने उन सारे प्रदेशों पर अधिकार कर लिया था जो पुरन्दर की संधि के अन्तर्गत उन्हें मुगलों को देने पड़े थे। पश्चिमी महारष्ट्र में स्वतंत्र हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के बाद शिवाजी ने अपना राज्याभिषेक करना चाहा, परन्तु ब्राहमणों ने उनका घोर विरोध किया। शिवाजी के निजी सचीव बालाजी आव जी ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया और उन्होंने ने काशी में गंगाभ नमक ब्राहमण के पास तीन दूतो को भेजा, किन्तु गंगा ने प्रस्ताव ठुकरा दिया क्योकि शिवाजी क्षत्रिय नहीं थे , उसने कहा की क्षत्रियता का प्रमाण लाओ तभी वह राज्याभ...
आगे-आगे बढना है तो, हिम्मत हारे मत बैठो! जीवन मे कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो, आगे-आगे बढना है तो, हिम्मत हारे मत बैठो! जीवन मे— चलने वाला मन्जिल पाता, बैठा पीछे रहता है, ठहरा पानी सडने लगता, बहता निर्मल होता है, पांव मिले चलने की खातिर, पांव पसारे मत बैठो! जीवन मे— तेज दौडने वाला खरहा, दो पल चल कर हार गया, धीरे-धीरे चल कर कछुआ, देखो बाजी मार गया, चलो कदम से कदम मिला कर,दूर किनारे मत बैठो! जीवन मे— धरती चलती, तारे चलते, चांद रात भर चलता है, किरणो का उपहार बांटने, सूरज रोज निकलता है, हवा चले तो खुशबू बिखरे, तुम भी प्यारे मत बैठो आगे आगे बढ़ना है तो हिम्मत हारे मत बैठो जीवन मे—
Netaji in Moscow jail खे लेने दो नाव आज माँ, कल पतवार रहे न रहे .. जीवन सरिता की नदियों में, फिर ये धार बहे न बहे .. जीवन पुष्प चढ़ा चरणों पर, मांगे मातृभूमि से यह वर .. तेरा वैभव सदा रहे माँ, हम दिन चार रहे न रहे .... सही तथ्य सामने आने चाहिए ,नेताजी के साथ मास्को जेल में क्या हुआ था - अरविन्द सीसोदिया राजस्थान के कोटा जिले में आयोजित प्रबुद्ध जन सम्मलेन को संबोधित करते हुए ; राष्ट्रिय स्वयसेवक सघ के पूर्व सरसंघ चालक कु. सी. सुदर्शन जी ने अपने संबोधन में एक रहस्य उजागर किया क़ी , नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का निधन हवाई दुर्घटना में नहीं हुआ था.., बल्कि वे १९४९ तक जीवित थे और उनसे मास्को जेल में विजयलक्ष्मी पंडित और सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने भेंट की थी.....! वे ( विजयलक्ष्मी पंडित ) एक जगह यह रहस्य उजागर भी करने वाली थी.., मगर जवाहरलाल नेहरु ने उन्हें रोक दिया...!! सुदर्शन जी का कहना था क...
कविता सतत सतर्कता ही स्वतंत्रता का मूल्य है - अरविन्द सिसोदिया सतत सतर्कता ही स्वतंत्रता का मूल्य है, राष्ट्रहित के सिंहनाद पुनः गुंजायें । जय जय भारत का उदघोष करें, अनंत अमरता का संकल्प दोहरायें, सतत सतर्कता ही स्वतंत्रता का मूल्य है, राष्ट्रहित के सिंहनाद पुनः गुंजाये। ===1=== विदेशी षड्यंत्रों ने, स्वदेशी गद्दारों से मिलकर, मातृभूमि की अस्मिता को फिर ललकारा है, आओ देश प्रथम का भाव जगाएँ, अखंड एकता की लौ प्रगटायें । यह हमारे पूर्वजों की आदि तपोभूमि है, यह वंदे मातरम् की पावन प्रति ध्वनि है, इसकी रक्षा में प्राण न्योछावर भी हों, यही सौभाग्य परम हम सब अपनायें । ===2=== अब न कोई भ्रम, न कोई शिथिलता, यह समय शत्रु के प्रतिवाद का है! स्वतंत्रता और लोकतंत्र की रक्षा हेतु, हर भारतवासी दुर्ग समान अडिग हो जाये, चलो, हम सब संकल्प करें, देशद्रोही की जड़ों को उखाड़ फेंके, सीना तानकर चेतावनी है, "भारत माता की शान पर कोई आँच न आए!" ===3=== जय जय भारत का उदघोष करें, अनंत अमरता का संकल्प दोहरायें। --- समाप्त अरविन्द सिसोदिया राधाकृष्ण मंदिर रोड़, ड़डवाडा, कोटा ज...
"जननी जन्मभूमि स्वर्ग से महान है"। जननी-जन्मभूमि स्वर्ग से महान है । इसके वास्ते ये तन है मन है और प्राण है ॥ जननी-जन्मभूमि स्वर्ग से महान है ॥ध्रु॥ इसके कण-कण पे लिखा राम-कृष्ण नाम है । हुतात्माओं के रुधिर से भूमि शस्य-श्याम है । धर्म का ये धाम है, सदा इसे प्रणाम है । स्वतंत्र है यह धरा, स्वतंत्र आसमान है ॥१॥ इसके आन पे अगर जो बात कोई आ पड़े । इसके सामने जो ज़ुल्म के पहाड़ हों खड़े । शत्रु सब जहान हो, विरुद्ध आसमान हो । मुकाबला करेंगे जब तक जान में ये जान है ॥२॥ इसकी गोद में हज़ारों गंगा-यमुना झूमती । इसके पर्वतों की चोटियाँ गगन को चूमती । भूमि ये महान है, निराली इसकी शान है । इसके जय-पताके पे लिखा विजय-निशान ॥३॥ इसके वास्ते ये तन है, मन है और प्राण है । जननी जन्मभूमि स्वर्ग से महान है ॥ !! भारत माता की जय !! ----------- Sunday, August 14, 2011 जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान है....भारत व्यास के शब्दों में मातृभूमि का जयगान ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 721/2011/161 सनमस्कार! 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के सभी दोस्तों का हार्दिक स्वागत है इस नए सप्ताह मे...
वनवासी धर्मरक्षक गुरू और महान समाज सुधारक गोविन्द गुरू के स्मरण में, मानगढ धाम ( जिला बांसवाडा , राजस्थान ) के शताब्दी वर्ष के अवसर पर, समरसता यात्रा साईकिल से निकाली जा रही है। यह यात्रा मण्डल केन्द्रों तथा सेवा बस्तियों में पहुचेगी। भारत का प्रथम जलियांवाला : मानगढ़ हत्याकाण्ड http://arvindsisodiakota.blogspot.in/2012/11/blog-post_16.html =================== ‘‘भूरेटिया नी मानू रे’’ पुस्तक का विमोचन ( अंग्रेजों तुम्हारी नहीं मानूंगा ) आदिवासी विश्वविद्यालय का नाम ‘गोविन्द गुरू विश्वविद्यालय’ होना चाहिए- गोपाल शर्मा महिमा मंत्री Published On January 15, 2013 आदिवासी विश्वविद्यालय का नाम ‘गोविन्द गुरू विश्वविद्यालय’ होना चाहिए और राजस्थान की विधानसभा के सामने महाराणा प्रताप की प्रतिमा लगनी चाहिए – यह कहना है जयपुर महानगर टाइम्स के प्रबंध संपादक गोपाल शर्मा का। वे आज भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक महत्वपूर्ण घटना मानगढ़ धाम बलिदान के महानायक एवं भगत आन्दोलन के पुरोधा पूज्य गोविन्द गुरू के जीवन पर आधारित पुस्तक ‘‘भूरेटिया नी मांनू रे’’ (अंग्रेजों!...
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