संत शंभू सिंह कौशिक महाराज : गायत्री परिवार साधना आश्रम






स्मृति शेष : शत शत नमन्  !!
गायत्री परिवार साधना आश्रम बोरखेड़ा कोटा के संस्थापक संत शंभू सिंह कौशिक महाराज का रविवार को निधन हो गया। संत कौशिक महाराज नशा छुड़ाने वाले बाबा के नाम से जाने जाते थे। उन्होंने पूरे संभाग में सैकड़ों लोगों से पशु बलि, लोगों से अपराध नशा छुड़ाने में अहम भूमिका निभाई। कंजर, बागरी और मोग्या जाति के लोगों को अपराध से दूर कर मेहनत मजदूरी में लगाया। ये लोग आज भी अपना सामान्य जीवन जी रहे हैं।

कौशिक महाराज के बड़े बेटे यज्ञदत्त सिंह हाड़ा ने बताया कि उनका जन्म 1928 को गणगौर तीज पर करवाड़ के हाड़ा राजपूत परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम आनंद सिंह हाड़ा और माता सज्जन कंवर थीं। उन्होंने 1956 में श्रीराम आचार्य से दीक्षा ली। 1958 में इनको कौशिक महाराज नाम मिला। 1960 में कौशिक महाराज ने बलि बंद करने के लिए आंदोलन की बागडोर संभाली। उनके प्रयासों के चलते 187 स्थानों पर पशु बलि बंद हो गई। 1958 में मोईकलां के मिडिल स्कूल के प्रधानाध्यापक पद से नौकरी छोड़कर धर्म प्रचार में लग गए। 1961 में कोटा में आश्रम बनाया। संत कौशिक महाराज के दो पुत्र और तीन पुत्रियां हैं। वे 90 साल के थे और कुछ दिनों से बीमार थे। हाल में उन्हें अस्पताल में भी भर्ती कराया गया था।

1500 गांवों के लोगों से नशा छुड़ाया
छोटे बेटे युधिष्ठिर सिंह हाड़ा ने बताया कि संत कौशिक महाराज ने आश्रम को केंद्र बनाकर मध्यप्रदेश के उज्जैन, नागदा, बड़नगर, रतलाम, खाचरोद, जावरा, मंदसौर, झाबुआ, देवास, गुना, कुंभराज सहित 371 गांव, छबड़ा और अटरू, बूंदी, इटावा सहित हाड़ौती संभाग में करीब 1000 गांवों और पाली जोधपुर नागौर में 150 गांवों के लोगों को गायत्री यज्ञ के माध्यम से नशा, हिंसा अपराध छुड़ाया।

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