तीस्ता सीतलवाड़ ने धार्मिक दुश्मनी फैलाई : HRD पैनल
UPA सरकार में तीस्ता सीतलवाड़ ने धर्म-राजनीति को मिलाया, धार्मिक दुश्मनी फैलाई: HRD पैनल
भाषा , नई दिल्ली | October 23, 2016
http://www.jansatta.com
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक पैनल ने दावा किया है कि तीस्ता सीतलवाड़ और उनके सबरंग ट्रस्ट ने उसे लगभग 1.4 करोड़ रुपए का अनुदान देने वाली संप्रग सरकार के लिए पाठ्यक्रम की सामग्री बनाने के दौरान ‘धर्म और राजनीति का घालमेल’ करने और दुर्भावना फैलाने की कोशिश की। समिति के निष्कर्षों को एक शीर्ष कानूनी अधिकारी का समर्थन प्राप्त है। समिति ने पाया कि प्रथम दृष्टया सीतलवाड़ के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और 153बी के तहत धर्म आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का और राष्ट्रीय अखंडता को लेकर पूर्वाग्रहों से ग्रसित आरोप लगाने एवं दावे करने का मामला बनता है।
बताया जा रहा है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय को कानूनी अधिकारी की ओर से मिली राय में कहा गया है, ‘जांच समिति की रिपोर्ट व्यापक है और यह मामले के हर पहलू को देखती है और रिपोर्ट में कहा गया कदम उल्लंघनों की जिम्मेदारियां तय करने, दुर्भावना और घृणा फैलाने के खिलाफ कार्रवाई करने और योजना में लगाए गए धन की पुन: प्राप्ति के लिए उठाया जा सकता है।’ अधिकारी ने यह राय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा गठित तीन सदस्यीय पैनल की रिपोर्ट का पूरा अध्ययन करने के बाद दी। इस पैनल ने सीतलवाड़ को ‘शिक्षा की राष्ट्रीय नीति’ योजना के तहत अपनी परियोजना ‘खोज’ के लिए मिले कोष के वितरण और उपयोग की जांच की।
मंत्रालय द्वारा गठित तीन सदस्यों वाली इस समिति में उच्चतम न्यायालय के वकील अभिजीत भट्टाचार्य, गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति एस के बारी और मंत्रालय के एक अधिकारी गया प्रसाद थे। इस समिति का गठन सीतलवाड़ के करीबी सहयोगी रहे रईस खान पठान के आरोपों की जांच के लिए किया गया था। पठान ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि सबरंग ट्रस्ट के प्रकाशन ‘देश के अल्पसंख्यकों में असंतोष फैलाते हैं और भारत को गलत तरीके से पेश करते हैं’ और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं।
ये निष्कर्ष इस लिहाज से महत्वपूर्ण हैं कि सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ दो दशक पुराने एक फैसले पर पुनर्विचार कर रही है, जिसमें कहा गया था कि हिंदुत्व एक ‘जीवन शैली है’ और सीतलवाड़ ने इसमें हस्तक्षेप करने की अनुमति मांगी है। रिपोर्ट में कहा गया कि ‘सबरंग ट्रस्ट’ के किसी भी दस्तावेज में शिक्षा कभी एजेंडा नहीं रहा। सीतलवाड़ और उनका ट्रस्ट ‘छोटे बच्चों की कक्षा में धर्म का राजनीति के साथ घालमेल करने की कोशिश करता दिखाई देता है। ये वे बच्चे हैं, जो ज्यादा संपन्न पृष्ठभूमि से नहीं आते।’
धन प्राप्त करने की ‘उसकी योग्यता में असल समस्या और बाधा यही है।’ हालांकि समिति ने कहा कि धन प्राप्त करने के लिए ट्रस्ट की अयोग्यता की वजह यह है कि ट्रस्ट के दस्तावेज ‘सीतलवाड़ के लेखन में उच्चतम न्यायालय की अवमानना’ दर्शाते हैं। समिति ने ट्रस्ट को 2.05 करोड़ रूपए आवंटित किए जाने पर सवाल उठाया था। ट्रस्ट को इसमें से 1.39 करोड़ रुपए जारी किए गए क्योंकि वह इसका 50 प्रतिशत भी इस्तेमाल कर पाने में अक्षम था। रिपोर्ट में सीतलवाड़ का एक बयान उद्धृत किया गया है जिसमें उन्होंने हिंदुत्व को ‘जीवन शैली’ बताने से जुड़े उच्चतम फैसले के बारे में टिप्पणी की थी। रिपोर्ट में कहा गया कि यदि यह अपराध का उचित मामला नहीं है तो फिर और क्या होगा?
सीतलवाड़ की ओर से ‘सबरंग ट्रस्ट’ की निदेशक के रूप में जमा कराई गई सामग्री और दस्तावेजों की जांच करने वाली समिति ने कहा कि मंत्रालय के तत्कालीन अधिकारी ट्रस्ट की ओर से की गई ‘झूठी घोषणाओं’ को पहचानने में विफल रहे क्योंकि उनपर परियोजना को मंजूरी देने की एक तरह की ‘बाध्यता’ थी। समिति ने उनके खिलाफ भी कार्रवाई का सुझाव दिया। समिति ने कहा कि ‘सर्व शिक्षा अभियान’ के तहत ट्रस्ट: ‘खोज’ को दिया गया जनता का धन ‘दुर्भावना, शत्रुता की भावना, घृणा आदि फैलाने वाला पाया गया।’ ‘खोज’ परियोजना को सीतलवाड़ के एनजीओ ने महाराष्ट्र के कुछ जिलों में शुरू किया था।
---------------------------------
तीस्ता सीतलवाड़ पर लटकी तलवार, उनके खिलाफ केस दर्ज कर सकती है मोदी सरकार
By: Rajeevkumar Singh Updated: Saturday, October 15, 2016http://hindi.oneindia.com
नई दिल्ली। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की एक कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ केस दर्ज करने का प्रस्ताव दिया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि तीस्ता सीतलवाड़ को दो समुदायों के बीच नफरत फैलाने और सामंजस्य भंग करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है और इसके लिए उन पर आईपीसी की धारा 153-A और 153-B के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।
यूपीए शासनकाल के अधिकारी भी जिम्मेदार
कमेटी ने यह भी कहा है कि तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ सबरंग ट्रस्ट को 1.39 करोड़ का ग्रांट देने वाले यूपीए शासनकाल के अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए।
कमेटी का कहना है कि जांच के बाद यह पता चला है कि सबरंग ट्रस्ट यह ग्रांट पाने के लिए योग्य नहीं था फिर भी अधिकारियों ने इसे मंजूरी दी।
कमेटी के इस प्रस्ताव के बाद तीस्ता सीतलवाड़ के साथ-साथ अब यूपीए शासनकाल के अधिकारियों पर भी कार्रवाई की तलवार लटक गई है।
कहां लगाई जा सकती है यह आईपीसी की धारा
इन आरोपों पर आईपीसी की धारा 153-A औरर 153-B के तहत मुकदमा चलाया जाता है।
समूहों या धर्मों के बीच नफरत फैलाना
समाज में सामंजस्य भंग करने के लिए पूर्वाग्रह से कोई काम करना
राष्ट्रीय अखंडता को क्षति पहुंचाने वाला कोई काम करना
इन आरोपों के साबित होने पर जेल और जुर्माने का प्रावधान है।
मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के पास पहुंचा प्रस्ताव
तीस्ता सीतलवाड़ और यूपीए शासनकाल के अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के प्रस्तावों की यह रिपोर्ट कानून मंत्रालय की सलाहो के साथ केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय में जून 2015 में जमा की गई थी। उस समय स्मृति ईरानी मंत्री थीं।
अब इन प्रस्तावों पर वर्तमान मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के फैसले का इंतजार हो रहा है।
इस बारे में पूछे जाने पर जावड़ेकर बोले, 'मैंने रिपोर्ट मंगाई है और अभी इसे ठीक से देखा नहीं है। रिपोर्ट से गुजरने के बाद ही इस पर कुछ कह पाऊंगा।'
कौन-कौन थे इस कमेटी में?
तीस्ता सीतलवाड़ और उनके एनजीओ की जांच के लिए बनी इस कमेटी के हेड गुजरात सेंट्रल युनिवर्सिटी के वाइस चांसलर सैयद ए बारी रहे। इस कमेटी के सदस्य थे - सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट अभिजित भट्टाचार्य और मानव संसाधन मंत्रालय में डायरेक्टर गया प्रसाद।
क्या है इस रिपोर्ट में?
रिपोर्ट में यह कहा गया है कि यूपीए शासनकाल में मानव संसाधन मंत्रालय ने शिक्षा फैलाने के एक स्कीम के तहत तीस्ता सीतलवाड़ के सबरंग ट्रस्ट के दो साल के प्रोजेक्ट के लिए 2.06 करोड़ रुपए की मंजूरी दी और 1.39 करोड़ रुपए जारी भी कर दिया जबकि मंत्रालय को ऐसा नहीं करना चाहिए था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मानव संसाधन मंत्रालय को यह मंजूरी नहीं देनी चाहिए थी क्योंकि इस एनजीओ के आवेदन की ठीक से जांच की जाती तो यह वहीं रिजेक्ट हो जाता। शिक्षा फैलाना सबरंग ट्रस्ट का उद्देश्य कभी नहीं रहा।
सबरंग ट्रस्ट के कागजातों और लेखों से पता चलता है कि राजनीतिक एजेंडा फैलाना इसका काम है। इसने गुजरात सरकार के खिलाफ एजेंडे के तहत काम किया और इतिहास लेखन को लेकर पूर्व मानव संसाधन मंत्री मुरली मनोहर जोशी की आलोचना करते हुए आरएसएस के साथ संबंध होने की बात कही।
कमेटी का कहना है कि सबरंग ट्रस्ट से पूछा जाना चाहिए कि वह शिक्षा के लिए काम करता था या फिर भाजपा और मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ राजनीतिक अभियान चलाता था।
तीस्ता सीतलवाड़ के पति ने रिपोर्ट पर यह कहा
कमेटी की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए तीस्ता सीतलवाड़ के पति जावेद आनंद ने कहा, 'इस रिपोर्ट में शिक्षा के बारे में संकीर्ण दृष्टिकोण अपनाया गया है। पिछले दो दशकों से तीस्ता बच्चों की शिक्षा के लिए खोज प्रोग्राम चला रही हैं। महाराष्ट्र के नगरपालिका स्कूलों में इस प्रोग्राम को चलाने के लिए साल दर साल मंजूरी मिली जबकि वहां शिवसेना-भाजपा का शासन था। कमेटी ने कैसे निष्कर्ष निकाल लिया कि शिक्षा फैलाना सबरंग ट्रस्ट का उद्देश्य नहीं है।'
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें