राष्ट्र रक्षा यज्ञ : मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे जी : तनोट राय माता मंदिर




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 मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे जी आज तनोट माता के दर्शन एवं पूजा अर्चना करेंगीं
जैसलमेर /  कलेक्टर मातादीन शर्मा ने बताया कि प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे दो दिवसीय दौरे पर गुरुवार को जैसलमेर रही है। प्रस्तावित यात्रा कार्यक्रम के अनुसार मुख्यमंत्री हेलीकॉप्टर द्वारा गुरुवार को दोपहर 4 बजे जैसलमेर एयरपोर्ट पहुंचने के तुरंत बाद हेलीकॉप्टर से ही रवाना होकर 4ः45 बजे तनोट पहुंचेगी। यहां तनोट माता के दर्शन पूजा अर्चना कर स्थानीय कार्यक्रम में भाग लेगी। उनका रात्रि विश्राम तनोट में रहेगा। मुख्यमंत्री राजे 7 अक्टूबर को सुबह 8 बजे हेलीकॉप्टर से जैसलमेर पहुंचेगी। सुबह 10 बजे बार्डर स्टेटस की मीटिंग में भाग लेने के बाद शाम 4 बजे हेलीकॉप्टर द्वारा जयपुर के लिए रवाना हो जाएंगी। 

राजस्थान की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे जी  गुरुवार को भारत-पाकिस्तान सीमा के समीप स्थित तनोट माता मंदिर में राष्ट्र रक्षा यज्ञ में आहूति देंगी. जैसलमेर के थार रेगिस्तान में 120 किमी. दूर सीमा के पास स्थित तनोट राय माता मंदिर में आयोजित होने वाले इस यज्ञ में देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद रहेंगे. यह राष्ट्र रक्षा यज्ञ राजस्थान संस्कृत अकादमी की ओर से किया जा रहा है. इसी यज्ञ की तैयारी के लिए बुधवार को ही अकादमी निदेशक राजेंद्र तिवाड़ी जैसलमेर के लिए रवाना होने वाले हैं. 

कहा जाता है कि जैसलमेर में भारत-पाकिस्‍तान सीमा के पास स्थित तनोट राय माता मंदिर में 1965 और 1971 की लड़ाई के दौरान पाकिस्तान द्वारा कई बार बम फेंके गए लेकिन हर बार उसे असफलता ही हाथ लगी. आज भी मंदिर के संग्रहालय में पाकिस्तान द्वारा दागे गए जीवित बम रखे हुए हैं. इसी के साथ सिद्ध तनोट राय माता मंदिर से भारत-पाकिस्तान युद्ध की कई अजीबो गरीब यादें जुड़ी हुई हैं.

भारत-पाक की अंतरराष्ट्रीय सीमा से महज 15 किलोमीटर पर स्थित चमत्कारी तनोट माता का मंदिर अद्भुत विश्‍वास एवं वीरता का प्रतीक है. 1965 कि लड़ाई में पाकिस्तानी सेना कि तरफ से गिराए गए करीब 3000 से अधिक बम भी इस मंदिर पर खरोच तक नहीं लगा सके. जबकि मंदिर परिसर में गिरे 450 बम तो फटे तक नहीं. और भारतीय सेना की वीरता एवं शौर्य के आगे दुश्मनों ने भी पांव पीछे खींच लिए.

कब्जा करने के उद्देश्य से पाकिस्तान ने भारत के इस हिस्से पर जबरदस्त हमले किए लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली. अब तक गुमनाम रहा यह स्थान युद्ध के बाद प्रसिद्ध हो गया. ज्ञात हो कि पाकिस्‍तान सेना 4 किमी. अंदर तक भारतीय सीमा में घुस आई थी. लेकिन भारतीय सेना ने जवाबी हमले में पाकिस्तानी सेना को काफी नुकसान पहुंचाया और वह पीछे लौट गई.




माता का मन्दिर जो अब तक सुरक्षा बलों का कवच बना रहा, युद्ध समाप्‍त होने पर सुरक्षा बल इसका कवच बन गए. मंदिर को बीएसएफ ने अपने नियंत्रण में ले लिया. आज यहां का सारा प्रबन्ध सीमा सुरक्षा बल के हाथों में है. मन्दिर के अन्दर ही एक संग्रहालय है जिसमें वे गोले भी रखे हुए हैं. पुजारी भी सैनिक ही हैं. यह मंदिर भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्तानी सेना के फौजियों के लिए भी आस्था का केन्द्र रहा है

तनोट माता मंदिर में भक्ति अराधना में लीन सेना के जवान.

तनोट माता मंदिर में स्थित विजय स्थम्भ.

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