संदेश

विभाजन लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कविता - करुण कहानी विभाजन की, हे वीरों तुम्हे पुकारती

चित्र
बनाओ अखंड  भारती .....! - अरविन्द सीसोदिया करुण  कहानी विभाजन की, हे वीरों तुम्हे  पुकारती , जाग उठो अब - जाग उठो अब, बनाओ अखंड भारती , चीख रही थी तब मानवता, पर चिंघाड़  रही  थी  दानवी , खून से लथपथ  वे मंजर,कंप-कप़ी आज भी छुडाते हैं , स्वतन्त्रता की वेदी  पर,  तब नरमूंडों से हुई थी  आरती!! -----१-----   पंजाब बटा,बंगाल  बटा   , सिंध गया, बलूच गया, भारत माँ  को काट दिया, बेदर्दी से हत्यारों ने, रावी की शपथ मौन  थी, अखंडता का वचन गोण     था, सोच समझ का समय नहीं  , भागो-भागो मची देश  में, -----२-----  गैर रहे न बचें , इस शैतानीं  में , पाक में नपाक हेवानीं  थी , घरों पर हमले हुए, जिन्दा जलाये , क़त्ल हुए , भूखे - प्यासे राहों में भटके, खूब थके और खूब मरे , व्यवस्थित कोई बा...

जाग्रत जनमत ही राष्ट्र रक्षा की गारंटी होता है - अरविन्द सिसौदिया

चित्र
                                      जाग्रत जनमत ही राष्ट्र रक्षा की गारंटी होता है   - अरविन्द सिसौदिया स्वतंत्रता से ठीक पहले के एक दसक को देखें तो भारत की स्वतंत्रता संग्राम की राजनिति शौर्यपूर्ण नहीं बल्कि प्रशासन सत्ता प्राप्ती के इर्द गिर्द घूमती नजर आती है। जो शौर्य करोडों करोडों हिन्दुओं के प्रतिनिधित्व के तौर पर होना चाहिये था वह कहीं भी दूर दूर तक नहीं था। जबकि मुस्लि लीग शैने शैने ही अपने सही उददेश्य की तरफ बडती रही । स्वतंत्रता आन्दोलन महात्मागांधी के प्रयोगों एवं जवाहरलाल नेहरू की महत्वाकांक्षा के लिये नहीं था बल्कि वह भारत की अनादिकालीन सम्प्रभुता को पुनः उसी महत्वाकांक्षी स्वरूप में स्थापित करने का था । किन्तु हम महज अनुशासित और ब्रिटेन के आज्ञाकारी सेवक जैसे ही ज्यादातार दिखे। साम्राज्यशाही ब्रिटेन द्वारा किया गया भारत का यह विभाजन उसके द्वारा चार विभाजनों में से एक है। उसने आयरलैंड , फिलिस्तीन और साइप्रस के भी विभाजन कराये थे। इसके पीछे वही मूल उददेश्य कि इन्हे...

भूलें नही विभाजन को ...!!

चित्र
जानवरों की तरह काट दिया देश को - अरविन्द सीसोदिया    भारत का विभाजन जिस  गैर जिम्मेवारी से किया गया है, वह दिखाता है की , अंग्रेज कितना खुद गर्ज होता है . उनकी करूणा , दया और सेवा के क्या मायनें हैं . जैसे जानवर को शिकार करते वक्त दया नही की जाती , उसी तरह   ब्रिटिश वाइसराय लुइस माउंटबैटन नें कोई भी दया का भाव नही दिखाया , जिम्मेवारी का परिचय नहीं  दिया और एक अहंकार पूर्ण निर्णय भारत पर थोप  दिया . जिस की बली वेदी  पर लाखों लोगों की जान चढ़ गई , करोड़ों लोगन के घर - बेघर हो गये ,सच यह है की यह विभाजन टाला जाना चाहिए था , मगर सही ढंग से प्रयास किसीने किया ही नहीं . विभाजन स्वीकार नहीं करने की हिम्मत यदी भारत के नेता कर लेते  तो देश का ना विभाजन होता और ना ही आज  जो परेशानिया हैं वे होती . हमारे देश को जिस तरह से बांटा  गया है ,उसका आत्म मंथन करके , देश फिरसे ए...

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस होते तो विभाजन नहीं होता - अरविन्द सिसौदिया Netaji Subhas Chandra Bose

चित्र
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को बहुत बहुत धन्यवाद जिनके निर्णय से महान और सच्चे देशभक्त एवं प्रथम स्वतंत्र भारत की सरका र के मुखिया को दिल्ली में इण्डिया गेट पर स्थान प्रदान कर योग्य सम्मान दिया ।    महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू की कांग्रेस में सच्च राष्ट्रवादियों के साथ शत्रुओं से भी ज्यादा बुरा व्यवहार होता था, इसका उदाहरण नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का संर्घष और सरदार वल्लभभाई पटेल की उपेक्षा साबित करती है। आज नहीं तब भी कांग्रेस में राजकुमारों का ही रूतवा होता था । इसका उदाहरण मोतीलाल नेहरू जी के पुत्र जवाहरलाल नेहरू जी है। यह पोस्ट 2022 की है, इसे उसी संदर्भ से ग्रहण करें । सादर। कांग्रेस की युवा राजनीति में सबसे अधिक लोकप्रिय नेताजी सुभाषचन्द्र बोस थे , यह टीस हमेशा जवाहरलाल नेहरू जी को रहती थी। किन्तु कांग्रेस राजकुमार जवाहरलाल नेहरू जी ही थे क्यों कि वे मोतीलाल जी नेहरू के पुत्र थे एवं मोतीलाल जी नेहरू को किसी की कोई परवाह इसलिये नहीं थी कि वे स्वयं चुनावी राजनीति में जमें हुये थे एवं अंग्रेज अफसरों से भी उनकी अच्छी पटरी बैठती थी। विश्व राजनीति की समझ के साथ ...

विभाजन की वेदना विभाजन के निरस्त होने से ही मिटेगी – डॉ. मोहन भागवत Dr Mohan Bhgawat

चित्र
  साभार - विश्व संवाद केन्द्र भारत  विभाजन की वेदना विभाजन के निरस्त होने से ही मिटेगी – डॉ. मोहन भागवत ‘विभाजनकालीन भारत के साक्षी’ पुस्तक का विमोचन कार्यक्रम विभाजन की वेदना विभाजन के निरस्त होने से ही मिटेगी  – डॉ. मोहन भागवत नोएडा. भाऊराव देवरस सरस्वती विद्या मन्दिर में आयोजित पुस्तक विमोचन कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचलाक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि मातृभूमि का विभाजन न मिटने वाली वेदना है और यह वेदना तभी मिटेगी, जब विभाजन निरस्त होगा. सरसंघचालक जी ने कृष्णानन्द सागर जी की पुस्तक ‘विभाजनकालीन भारत के साक्षी’ का विमोचन किया. उन्होंने कहा कि इतिहास सभी को जानना चाहिए. “पूर्व में हुईं गलतियों से दुखी होने की नहीं, अपितु सबक लेने की आवश्यकता है. गलतियों को छिपाने से उनसे मुक्ति नहीं मिलेगी.” “विभाजन से न तो भारत सुखी है और न वे सुखी हैं, जिन्होंने इस्लाम के नाम पर विभाजन किया.” उन्होंने कहा कि इसे तब से समझना होगा, जब भारत पर इस्लाम का आक्रमण हुआ और गुरु नानक देव जी ने सावधान करते हुए कहा था – यह आक्रमण देश और समाज पर हैं, किसी एक पूजा ...

अखंड भारत कि पहली पायदान

चित्र
देश का विभाजन तो जाना ही चाहिए अखंड भारत कि पहली पायदान - अरविन्द सीसोदिया यह सच मानना ही होगा कि १४-१५ अगस्त १९४७ को, भारत का विभाजन हुआ और खण्डित भारत के  रूप में हम आजाद हुए | यह तिथि " श्री अरविन्द " की जन्म तिथी भी है, वे १५ अगस्त १८७२ में कलकत्ते  में जन्में थे तथा १५ अगस्त १९४७ में भी भारत स्वतंत्रता पर अपनी प्रतिक्रिया देने उपलब्ध  थे | उन्होंने कहा था " भारत स्वाधीन हो गया पर उसने एकता उपलब्ध नहीं की , केवल  एक विभाजित और भग्न स्वाधीनता ही प्राप्त की है | " उन्होंने तब यह भी कहा था " ऐसी आशा की जनीं चाहिए कि कांग्रेस और राष्ट्र इस तय किये गए तथ्य को हमेशा के लिए तय हुए जैसा नहीं मानेंगे अथवा एक अस्थायी कार्य - साधक से ज्यादा और कुछ भी नहीं मानेंगे | " आगे वे चेतावनी देते हुए कहते हैं " यदि यह ( विभाजन ) बना रहता है तो भारत गंभीर रूप से निर्बल , यहाँ तक कि पंगु भी हो सकता ह...