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ईश्वर के प्रति कृतज्ञता प्रकट करती है "सनातन हिंदू संस्कृति" - अरविन्द सिसोदिया

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ईश्वर के प्रति कृतज्ञता प्रकट करती सनातन हिंदू संस्कृति भूमिका:- भारतीय संस्कृति, जिसे हम 'सनातन संस्कृति' कहते हैं, विश्व की प्राचीनतम और सर्वाधिक समृद्ध जीवनशैली है। यह केवल पूजा-पाठ या रीति-रिवाजों तक सीमित नहीं, बल्कि एक ऐसा मार्ग है जो मनुष्य को अध्यात्म, प्रकृति और समाज से जोड़ता है। इस संस्कृति की सबसे विशिष्ट विशेषता है – ईश्वर और सृष्टि के प्रति कृतज्ञता का भाव। सनातन धर्म मानता है कि ईश्वर की कृपा के बिना कुछ भी संभव नहीं है। यही कारण है कि जीवन के हर क्षेत्र में, हर कार्य के आरंभ और समापन में ईश्वर के प्रति आभार व्यक्त करने की सनातन हिंदू परंपरा का प्रचलित होना । सनातन हिंदू संस्कृति एक ऐसी प्राचीन परंपरा है, जो न केवल जीवन के हर पक्ष को ईश्वर से जोड़ती है, बल्कि हर श्वास, हर कर्म में कृतज्ञता का भाव भी समाहित करती है। यह संस्कृति केवल धार्मिक क्रियाकलापों तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवन पद्धति, आचार-विचार, आहार-विहार, ऋतुचक्र, प्रकृति और सृष्टि के हर रूप के प्रति आभार व्यक्त करने की एक दिव्य प्रणाली है। कृतज्ञता का मूल तत्व – "ईश्वर अर्पण बुद्धि" ...

कर्त्तव्य पथ ही धर्म पथ है - अरविन्द सिसौदिया Dharma

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  कर्त्तव्य पथ ही धर्म पथ है - अरविन्द सिसौदिया  The path of duty is the path of Dharma - Arvind Sisodia धर्म का मतलब मूलतः कर्त्तव्य होता है। साधारण भाषा में समझें तो एक सिपाही का कर्त्तव्य शत्रु का संहार करना,उस हेतु शस्त्र उठाना है। किन्तु यदि वह सिपाही नहीं है तो ...? कोई जबावदेही नहीं है !  शिक्षक का कर्त्तव्य शिष्य को छात्र को शिक्षा प्रदान करना है। यदि वे शिक्षक नहीं हैं तो ...? कोई जबावदेही नहीं है !! ड्राईवर का , कन्डक्टर का अलग अलग काम है, जो काम जिसके लिए निर्धारित है वही उसका धर्म है। धर्म मूल रूप से किसी कार्य को करने की व्यक्तिगत जिम्मेवारी का, जबावदेही का संझिप्त नाम या संकेताक्षर है। जिसे हम अंग्रेजी में लेबिल भी कह सकते हैं।  Dharma basically means duty. If understood in simple language, the duty of a soldier is to kill the enemy and take up arms for that. But if he is not a soldier then...? There is no accountability! The duty of the teacher is to impart education to the student. If they are not teachers...? There is no accountability!! Driver and c...

ईश्वर और धर्म का मर्म - अरविन्द सिसौदिया Meaning of God and Dharm & Religion - Arvind Sisodia

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   ईश्वर और धर्म का मर्म - अरविन्द सिसौदिया Meaning of God and Dharm & Religion - Arvind Sisodia - 9414180151 मूलरूप से धर्म,पंथ,सम्प्रदाय,मान्यतायें,परम्परायें,वर्ण,जाती,गोत्र,रिश्ते-नाते,कुटुम्ब,परिवार और स्त्री-पुरूष,पशु-पक्षि, पेड-पौधे सहित चैतनायुक्त समाज व्यवस्था के महत्वपूर्ण अंग हैं। जिनको मानव ने अपने विकास के साथ प्रगाढ़ किया, व्यवस्थित किया, अनुसंधान और शोध किया है। इनकी अपनी अपनी परिभाषायें है, सीमायें हैं दायरे हैं। यह स्वयं से प्रारम्भ होकर ईश्वर तक पहुंचनें का मार्ग है। ईश्वर और उसकी व्यवस्था तथा ईष्वरीय प्रशासान के कर्ताधर्ता देवादि देवों देवियों तक पहुंचना भलेही दुर्लभ हो, किन्तु उनको जानने समझनें का महान परिश्रम पुरूषार्थ सबसे पहले भारत में ही हुआ और जिन्होनें इस कार्य में अपना जीवन समर्पित किया वे सनातन हिन्दू कहलाये। सनातन हिन्दू व्यवस्था पृथ्वी की प्रकृति में 84 लाख प्रकार के शरीर अर्थात योनियां मानती है। स्त्री पुरूष होना और उनका जन्म जीवन मृत्यु और मृत्यु के बाद का जीवन सब कुछ ईश्वर की अपनी प्रभुसत्ता द्वारा सुनिश्चित किया हुआ है। यह सब एक पूर्ण विज्ञ...

बसन्त पंचमी याद दिलाती है धर्म पर अमर बलिदानी बालक हकीकत राय की शहादत

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बसन्त पंचमी याद दिलाती है धर्म पर अमर बलिदानी बालक हकीकतराय की शहादत को Basant Panchami reminds of the martyrdom of the immortal child Haqeeqat Rai on religion बसंत पंचमी  इस शब्द से लगभग हर हिन्दू वाकिफ है लेकिन खत्री  जो कि पंजाब के क्षत्रिय है उनके लिए यह दिन अलग ही अहमियत रखता है । आज की दिनचर्या में हम इतने व्यस्त हो चुके है की लभगभ हम सबने एक 14 वर्ष के महान अमर बलिदानी वीर हकीकत राय पूरी को भुला ही दिया है  !! उस छोटे से नन्हे बालक के बलिदान का क्या यही मोल किया हम लोगों ने ?? हालांकि जब वो नन्हा बालक अपना बलिदान दे रहा था उसने ये सोच के अपना बलिदान नहीं दिया था की उसका नाम होगा, कोई प्रचार होगा !! बल्कि उसने अपने बलिदान से हिन्दू  धर्म की ध्वजा को महान आयाम दिया था ।  अपने पुरखों  और इतिहास को भुलाना  आज की पीढ़ी का नया फैशन बन गया है !! लोगों को एक दूसरे के जन्मदिन ,शादी सालिग्राह वगरैह जैसे दिवस तो याद जरूर रहते है लेकिन इन जैसे शूरवीरों  का नाम तक किसी को नहीं पता होता ,बहुत शर्म की बात है।  क्या आपने कभी सोचा है कि एक १४ साल के बच्...