चीनी सैनिकों की गिलगित व बल्तिस्तान में मौजूदगी
गिलगिट और बल्तिस्तान में चीन., भारत ने क्या किया..? - अरविन्द सीसोदिया मनमोहन सिंह सरकार यह न भूले कि इतिहास याद नहीं रखता और समय के साथ सब कुछ लोग भूल जाते हैं, वे जिस पद पर हैं और चीन जैसा विषय है, वह हजारों साल के इतिहास में जाएगा , पंडित जवाहर लाल नेहरु के नाम दो पराजय दर्ज हैं .., पाकिस्तान से १९४७-४९ युद्ध में अपनी भूमि वापस नहीं लेने की और १९६२ में चीन से हार की...! तब भी यही; देखते हुए भी खामोश रहने की नीति; पर भारत चला था..! चीन की १९४९ से ही बाद नियत सामने आगई थी मगर हम अपने तिब्बत पर जारी अधिकार उसे देते हुए सन्तुष्ट करने में लगे रहे, नतीजा यह हुआ कि वह उसी दिन से हम पर सवार हो गया , हमारा कैलाश - मानसरोवर सहित तमाम चंडी पहाड़ियों आदि अनेकों स्थानों पर उसने कब्जा कर लिया..! अंततः १९६२ में युद्ध भी हुआ और शर्मनाक पराजय हुई..! अगर हमारी रक्षा तैयारियों में यही ढील रही तो आगे आने वाले परिणाम भी भिन्न नहीं होंगे ...!! यह समयोचित चेतावनीं है..! संभाल जाओ ..!! पाकिस्तान चुपके-चुपके अपने कब्जे वाले कश्मीर में सामरिक रूप से महत्वपूर्ण गिलगिट बल्टिस्तान का वास्