ग़रीब का जीवन - आशा पाण्डे ओझा ' आशा '
मुझे लगा की यह कविता अपनों को भी पढ़ वानी चाहिए , इसी लिए इसे उठा लाया ..,
अच्छी लगे तो आशा जी को बधाई अवश्य भेजें , वे फेस बुक पर खूब छाई हुई हैं ....!! हालांकी इनका नाम आशा पाण्डे ओझा ' आशा ' है , मगर होना चाहिए थे .., आशा पाण्डे ' अविरल ' .., इनकी निरंतरता सराहनीय है ..!
ग़रीब का जीवन
- आशा पाण्डे ओझा ' आशा '
'दर्द 'के समृद्ध महल हैं
'रंज़" की ऊँची दीवारें
'दुःख 'का रंग रोगन सजा
बंधी 'वेदनाओं ' की बन्दनवारें
'विपदाओं के बाग़ -बग़ीचे
'करुण'झूलों की कतारें
'आंसू 'के रिमझिम सावन
'कसक' की शीतल फुहारें
'चिंताओं 'के झाड़-फानूस से
'सजते' घर के गलियारे
'बेबसी के पलंग पर लेटी
दुल्हन'पीड़ा 'की चीत्कारें
'सूनेपन की साँझ में आता
दूल्हा'मजबूरी घर -द्वारे
दे 'अभावों ' की महंगी मिठाई
करते लाडलों की' मनुहारें '
पा 'दुत्कारों 'के खेल -खिलौने
खिलतीं बच्चों किलकारें
रोज़ सजाते आँगन देहरी
दीपक से 'आहों 'के अंगारे
'भूख 'परी सी छम -छम आती
टिम-टिम करते 'टीस' के तारे
जब' अरमानों का चूल्हा' जलता
मिल बैठ खाते ग़म सारे
'कंटक -प्रस्तर' के कोमल बिस्तर
बजती आल्हादित स्वपन झंकारें
'अँधेरे 'लिखते जिस की यश गाथा
यही है 'ग़रीब 'का जीवन प्यारे
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लिंक .....
अरविन्द जी सर आपका हार्दिक धन्यवाद इस इज्ज़त अफज़ाई के लिए , आपके ब्लाग में जगह पाकर बहुत खुशनसीब महसूस कर रही हूँ ! जाने क्यों मेरी कविता लिखते वक्त भी मैं बहुत रोई थी .. और जितनी बार पढ़ती हूँ उतनी बार पलकें भीग जाती है .. इस गरीब जीवन के लिए बहुत कुछ करना चाहती हूँ अपने जीवन में.. और कर रही हूँ इनको मेरी हैसियत के मुताबिक छोटी छोटी खुशियाँ देने की
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