कांग्रेस की साम्प्रदायिकता : हसन अली आजाद है .., प्रज्ञा ठाकुर जेल में है ..?
- अरविन्द सिसोदिया
भारत देश में क्या हो रहा है ...? सरकारी विभाग और जांच एजेंसियां किस तरह से काम कर रहीं है .., कांग्रेस किस हद तक साम्प्रदायिकता पर उतारू है ....! किस बेरहमी से देश में राष्ट्रिय एकता को कांग्रेस सरकारों द्वारा तोडा जा रहा है ...? केन्द्रीय और राज्य स्तरीय पुलिस तंत्र का खुल्लम खुल्ला दुरूपयोग होते देख कर भी विवस विपक्ष पर भी दया आती है ..? उनकी योग्यता और क्षमता पर भी दया आरही है ..! इतनी कायरता कभी भी जांच एजेंसियों और सरकारी कर्मचारियों से नहीं देखी गई थी..? सत्ता पक्ष के लिए कठ पुतली बनने और गुलामों की तरह हुकम बजानें से कहीं डूब मरना बेहतर होता है ...! न्यायलय किसा तरह न्याय की रक्षा कर सकता है जब उसके हाथ - पाँव , नाक - कान और आँख कही जाने वाली जांच एजेंसियां और सरकारी विभाग ही अन्याय और अधर्म के साथ खड़े हो जाएँ ...! दो उदहारण देखिये "हसन अली के संबंध हथियारों के अंतरराष्ट्रीय सरगना अदनान खगोशी से होनें की बात आ चुकी है .., मगर उस पर मकोका नहीं लगेगा .., क्यों की वह मुस्लमान है और सरकार उसे बचाना चाहती है ...! वह आजाद घूमेगा .., क्यों की उसके जरये कई नेता कमाई कर रहे हैं ...!!! मगर साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को बिना किसी सबूत के वर्षों से इसलिए बंद रहना पढ़ रहा है कि उसे बंद रखनें से कांग्रेस को वोट मिलेंगे .., मुसलमानों को गुमराह किया जा सकेगा ..! वोट के आधार पर देश की सरकारी एजेंसिया अन्याय कर रहीं , कानून से धोका कर रहीं हैं ...., इस तरह की स्थिति को आराजकता ही कहा जा सकता है ..........
अर्थात - कांग्रेस की साम्प्रदायिकता : हसन अली आजाद है .., प्रज्ञा ठाकुर जेल में है ..?
साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर
मालेगांव बम विस्फोट में आरोपी के शक में गिरफ्तार साध्वी प्रज्ञा बुरी तरह बीमार है. चालीस वर्षीय साध्वी की हालत इतनी खराब है कि उसके लिए दस कदम चल पाना भी मुश्किल हो गया है. साध्वी प्रज्ञा इस वक्त महाराष्ट्र पुलिस की हिरासत में है और उसका मुंबई के जेजे अस्पताल में इलाज चल रहा है.
साध्वी प्रज्ञा की बीमारी का खुलासा उस वक्त हुआ जब मध्य प्रदेश पुलिस ने सुनील जोशी हत्याकाण्ड में साध्वी के रिमांड की मांग की क्योंकि 9 मार्च को मध्य प्रदेश पुलिस साध्वी प्रज्ञा को देवास की स्थानीय अदालत में पेश करना चाहती है. सुनील जोशी हत्याकाण्ड में मध्य प्रदेश पुलिस साध्वी से मुंबई में दो बार पूछताछ कर चुकी है. इस पर मकोका अदालत ने जेजे अस्पताल को पूछा कि क्या साध्वी प्रज्ञा की हालत ऐसी है कि वे मुंबई से मध्य प्रदेश की अठारह घण्टे की यात्रा कर सकती हैं. मकोका अदालत ने जेजे अस्पताल को आदेश दिया है कि साध्वी प्रज्ञा के स्वास्थ्य के बारे में विस्तृत रिपोर्ट वह 7 मार्च को कोर्ट के सामने पेश करे.
लेकिन साध्वी प्रज्ञा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि साध्वी की हालत बेहद खराब है. वह चार कदम चल भी नहीं सकती और बैठने के लिए भी उसे सहारे की जरूरत होती है. साध्वी के लिए दस कदम चलना भी मुश्किल हो गया है. अखबार लिखता है कि पुिलस की लगातार प्रताड़ना के चलते उसके दोनों पैर बेकार हो चुके हैं. बिना सहारे के उसके लिए चार कदम चलना भी मुश्किल हो गया है. इसके साथ ही साध्वी को और कई तरह की बीमारियां है जिसका इलाज जेजे अस्पताल में चल रहा है. अब मकोका अदालत ने जेजे अस्तपाल को कहा है कि सात मार्च तक वह साध्वी प्रज्ञा के स्वास्थ्य के बारे में विस्तृत रिपोर्ट अदालत को प्रस्तुत करे ताकि साध्वी प्रज्ञा के मध्य प्रदेश जाने पर अदालत निर्णय ले सके.
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एक खबर .........
हसन अली की रिहाई से कटघरे में प्रवर्तन निदेशालय
१३ मार्च २०११
- मधुमिता विस्वासा
नई दिल्ली। हजारों करोड़ के काले धन के मालिक, हवाला आरोपी और पुणे के घोड़ा व्यापारी हसन अली खान को मुंबई सेशन कोर्ट से मिली जमानत ने देश की प्रशासनिक व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया है। गंभीर मामलों में भी काम करने के तरीकों और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के अपने दावों को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) गलत ठहराता है।
केंद्र सरकार का काले धन के खिलाफ कार्रवाई की घोषणा को शायद इसी श्रेणी में रखा जा सकता है?दिलचस्प तथ्य यह भी है कि आरोपी को जमानत मिलने से कुछ कानूनविद् दबी जुबान में ईडी अधिकारियों के साथ कोर्ट के कदम को भी उचित नहीं मानते हैं। उनका मानना है, ‘सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इस केस को सीज कर दिया है। ऐसे में जमानत का आधार नहीं बनता है।’ रिय्अल एस्टेट मालिक एवं घोड़ों के व्यापारी हसन अली के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज है। मुंबई सेशन कोर्ट ने शुक्रवार को आरोपी को जमानत देते हुए दस्तावेजों पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट का कहना था कि प्रस्तुत दस्तावेज विरोधाभासी हैं।
इससे पूर्व, मामले में नाटकीय मोड़ 4 मार्च से ही आने शुरू हो गए थे। 4 मार्च को सेशन कोर्ट ने सरकारी वकील को फटकार लगाई, क्योंकि वे पूरी तैयारी करके नहीं आए थे। कोर्ट की मांग पर आवश्यक दस्तावेज पेश नहीं कर सके थे। इस पर ईडी ने दिल्ली से एक वकील भेजा। वकील ने शुक्रवार को सीलबंद लिफाफा रिमांड मांगा था। लेकिन कोर्ट प्रस्तुत दस्तावेजों से संतुष्ट नहीं हुई और आरोपी हसन अली को जमानत दे दी।ऐसे में ईडी जमानत के प्रकरण को हाईकोर्ट तक ले जा सकता है। सूत्रों के अनुसार, कोर्ट की जमानत का फायदा उठाकर आरोपी संबंधित सुबूतों से छेड़छाड़ या नष्ट कर सकता है और अगर ऐसा हुआ, तो फिर जांच एजेंसी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। मामला नहीं बनता-एम. एस. टाहिलियानी, प्रधान सेशन जज (मुंबई) ‘प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कुछ दस्तावेज कोर्ट में पेश किए हैं। इनके आधार पर प्रथम दृष्टया अली के खिलाफ कोई मामला बनता नजर नहीं आ रहा है।’
मामले की सुनवाई के दौरान यह आशंका है, प्रधान सेशन जज (मुंबई) की। उन्होंने सरकारी वकील को फटकारते हुए कहा है, ‘जाहिर है दस्तावेज भी विरोधाभास दिख रहे हैं। इतना ही नहीं, ये कागजात इंटरनेट पर भी आसानी से उपलब्ध हैं।’अदालत ने गलत किया-एम. के. गांधी, वरिष्ठ अधिवक्ता‘आरोपी पूरी तरह से मामले में फंस रहा है।’ ऑल इंडिया इन्कम टैक्स एडवोकेट फोरम के अध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता एमके गांधी बताते हैं, ‘ईडी का हाईकोर्ट जाना बनता है।’ वे कहते हैं, ‘प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत हसन के खिलाफ मामला दर्ज है। एक्ट का सेक्शन-3 कहता है कि कोई भी व्यक्ति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से काला धन अर्जित करता है या इस प्रकिया से जुड़ा है, तो वह इस मामले में आता है। हसन अली सीधे तौर पर इसमें दोषी है।’ वे बताते हैं, ‘टैक्स चोरी अलग मामला है। वैसे भी, सुप्रीम कोर्ट मामले को सीज कर चुका है। इसमें जमानत मिलना आसान नहीं है। जमानत के नियमों में ऐसे मामले में जमानत का प्रवधान नहीं है।’ अधिवक्ता गांधी बताते हैं, ‘अदालत ने आरोपी को जमानत देकर गलत किया है।’
क्या हैं आरोप
- टैक्स चोरी के आरोपी हसन अली (53) के खिलाफ स्विट्जरलैंड के यूबीएस बैंक में आठ अरब डॉलर (करीब 36 हजार करोड़ रुपए) का काला धन जमा करने का मामला।
- 65 हजार करोड़ रुपए की टैक्स चोरी।-हवाला कारोबार में शामिल होने का आरोप।
- हथियारों के अंतरराष्ट्रीय सरगना अदनान खगोशी से व्यावसायिक संबंधों का आरोप
- नकली दस्तावेजों के आधार पर अलग-अलग नाम से कई पासपोर्ट होने का आरोप।
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