विकिलीक्स की जय हो ..!

- अरविन्द सिसोदिया
विकिलीक्स  ने वह कमाल  कर दिखाया जो होना ही चाहिए था .., लाखों जेम्स बांड जो रहस्य नहीं खोल  सकते थे , वे रहस्य खुल  कर सामनें हैं ..,  विश्व राजनीति का मतलब मानवीय साम्राज्य  का नीतियों और सिद्धन्तो पर आधारित हो कर सत्यता पूर्ण न्याय और मानवता का परस्पर सहयोग हो ..! अमेरिका सहित तमाम संपन्न देशों ने राजनीति को छल , कपट और धोकेबाजी  का धंधा बना लिया है और उसके सामनें विवश विकासशील और अविकसित देश सिर्फ और सिर्फ हाथ जोड़े महज गिदगिड़ाहट  में हैं ...!  विकासशील देशों के लिए ये लाभ  देने हेतु प्रतिबद्ध हैं .., महज बाजार बना  कर विश्व को देखनें का अधर्म अमरीका के नेतृत्त्व में हो रहा है संयुक्त राष्ट्र संघ मात्र एक कठपुतली संस्था बन कर रह गई ..! इतनें सरे लीकेज सामनें आ चुके हैं कोई भी प्रतिक्रिया नहीं है .., एक सुदूर चुप्पी के अलावा...!   
      भारत के बारे  में जो खुलासे  सामनें हैं उससे स्पष्ट है कि कांग्रेस नें परोक्ष / अपरोक्ष अमरीका की गुलामी जैसी स्थिति तो देश की बनाई  है ..! अब धुधलके में यह दिख रहा है कि भारत सरकार  को क्या करना है यह अमरीका में तय हो रहा है ..! जो भी अमरीकी या इसाइयत के हित में है वह बगेहर न्याय और नैतिकता  को ध्यान में रखे किया जा रहा है ..! बेशर्मी की भी वजह यही है की परोक्ष  अमरीकी हुकूमत के आदेशों के आगे सोनिया नेतृत्त्व नत मस्तक है ...! अनुज्ञया पालन की स्थिति में है ...!! सच यही है कि यही अमरीकी व्यवहार पूरी दुनिया के साथ है ...!! यह भारतीय राजनीति से कहीं अधिक अमरीका  के लिए भी शर्मनाक है कि वे दूसरे देशी के आतंरिक  मामलों कितना गहरे तक झांकते  हैं ..! उन्हें किस स्तर तक प्रभावित करते हैं ..!  इन खुलाशों के बाद कांग्रेस की मान्यता ख़त्म क्यों  नहीं करदी जाये  और इस दल  के सदस्यों को चुनाव लडनें  से पूरी तरह क्यों न रोका जाये ..!

 विकिलीक्स के खुलासों से
विकिलीक्स के खुलासों से तमाम देशों के आपसी रिश्ते तार-तार हो रहे हैं। असांजे के समर्थकों ने अब वित्तीय संस्थानों पर भी हमले शुरू कर दिए हैं।बंकर में दस्तावेज
जेम्स बांड की किसी फिल्म की तरह विकिलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे ने अमेरिका की हजारों कूटनीतिक फाइलों को स्वीडन में शीत युद्ध के दौर के एक परमाणु बंकर में छिपा रखा है। स्टॉकहोम में सौ फीट जमीन के नीचे स्थित यही बंकर विकिलीक्स का अहम डाटा सेंटर है। इसमें दर्जनों ताकतवर कंप्यूटर सर्वर रखे हुए हैं। 1970 के दशक में इस बंकर का निर्माण किया गया था, ताकि महत्वपूर्ण सरकारी फाइलों को परमाणु हमलों से सुरक्षित रखा जा सके। इस बंकर में अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं। ब्रिटिश अखबार डेली मेल के मुताबिक असांजे किसी जेम्स बांड फिल्म के विलेन के जैसा लगने का प्रयास कर रहे हैं। विकिलीक्स के सर्वर स्वीडन के साथ ही बेल्जियम में भी हैं क्योंकि वहां प्रेस गोपनीयता कानून के तहत उसे सुरक्षा की गारंटी मिलती है।
ऐसे होता है काम
मूलरूप से ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड शहर के रहने वाले जूलियन असांजे ने 2006 में विकिलीक्स वेबसाइट की स्थापना की। उनके अलावा वेबसाइट को चलाने के लिए नौ सदस्यों की एक सलाहकार समिति भी है। दुनिया भर में करीब 800 स्वयंसेवक विकिलीक्स को सूचनाएं इकट्ठा करके पहुंचाते हैं। बंकर में स्थित डाटा सेंटर अत्याधुनिक क्रिप्टोग्राफिक सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग कर यह सूचना बांटता है। 2008 में ‘इकनॉमिस्ट मैगजीन’ ने विकिलीक्स को ‘न्यू मीडिया अवॉर्ड’ दिया था। 2009 में विकिलीक्स और असांजे को एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी यूके मीडिया अवॉर्ड से नवाजा।
कानून का शिकंजा
असांजे को दो महिलाओं के साथ बलात्कार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। उन पर आरोप है कि इस वर्ष अगस्त में जब वह एक सेमिनार में भाग लेने स्वीडन पहुंचे, तो आयोजकों में एक अन्ना आर्डिन और एक फोटोग्राफर सोफिया विलेन से उनकी नजदीकियां बढ़ीं। अन्ना का आरोप है कि संबंध के दौरान असांजे ने सुरक्षात्मक उपायों का ध्यान नहीं रखा, वहीं सोफिया ने कहा कि उनके साथ संबंध बनाने में कंडोम तक का इस्तेमाल नहीं किया गया।
हेक्टिविस्टों का खेल
राजनीतिक और सामाजिक कारणों से प्रेरित होकर कंप्यूटर हैक करने को हेक्टिविज्म का नाम दिया गया है और ऐसा करने वाले खुद को हेक्टिविस्ट घोषित कर रहे हैं। यानी ऐसे एक्टिविस्ट जो कथित रूप से अच्छे उद्देश्यों के लिए हैकिंग कर रहे हैं हेक्टिविस्ट हैं।
बड़े खुलासे
निशाने पर अमेरिका
विकिलीक्स ने अमेरिकी कारनामों की कलई खूब उधेड़ी। इराक युद्ध में अमेरिका, इंग्लैंड और नाटो की सेनाओं के गंभीर युद्ध अपराध के सुबूतों के दस्तावेज जारी करने के बाद वेबसाइट ने ऐसे धुआंधार खुलासे किए कि ओबामा प्रशासन रक्षात्मक मुद्रा में आ गया।
अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन को इन सबसे खूब फजीहत झेलनी पड़ी।
बिखर जाएगा पाक
अमेरिकी सेना ने 2008 में ही आशंका जता दी थी कि पाकिस्तान में आतंकवाद इस कदर हावी हो रहा है कि कुछ वर्षों में इसके टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे। खुलासे में यह भी कहा गया कि पाकिस्तानी सेना लश्कर-ए-तैयबा समेत चार बड़े आतंकी गुटों को गुप-चुप तरीकेसे मदद करती है। लश्कर का सालाना बजट 52 लाख अमेरिकी डॉलर है।
माफिया राज
अमेरिकी नेता दुनिया भर केनेताओं के लिए आपत्तिजनक उपनामों का प्रयोग करते हैं। इनमें फ्रांस केराष्ट्रपति निकोलस सरकोजी को नंगा राजा, रूस केप्रधानमंत्री व्लादिमीर पुतिन को अल्फा डॉग, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई को मानसिक रोगी कहा गया। यही नहीं, पुतिन के शासन को माफिया राज कहा गया है।
ये हैं जनाब असांजे
यायावर जीवन जीने वाले जूलियन असांजे मूलतः ऑस्ट्रेलिया के क्वीसलैंड शहर के रहने वाले हैं। पारदर्शी पत्रकारिता के इस हिमायती ने महज 16 वर्ष की उम्र में ही कंप्यूटर हैकिंग की शुरुआत कर दी। तब वह यह काम मैनडेक्स के नाम से किया करते थे। बाद में दो अन्य हैकरों को लेकर उन्होंने एक समूह बनाया और उसका नाम रखा, द इंटरनेशनल सब्वर्सिव (अंतरराष्ट्रीय क्रांतिकारी)। दिलचस्प है कि हैकिंग के आरोप में उन्हें ऑस्ट्रेलिया पुलिस ने गिरफ्तार भी किया, पर इससे उनके उद्देश्यों पर फर्क नहीं पड़ा। उनके पास आम तौर पर दो पिट्ठू बैग होता है, जिसमें से एक में उनके कपड़े और दूसरे में लैपटॉप रहता है।

(वेबसाइट का दावा है कि उसके पास 10 लाख से भी ज्यादा गुप्त दस्तावेज हैं।)


http://www.amarujala.com/विकिलेअक्स
    
Friday, March 18, 2011  | 
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४० लाख पन्नों का भूत - विकिलीक्स  
अमेरिका दहशत में है. अमेरिकी राष्ट्रपति की नींद हराम हो चुकी है. अफवाहों के साथ सच्चाइयों का बाजार गर्म है. विकिलीक्स खुलासे पे खुलासे किया जा रहा है. अफगान वार हो या ईराक युद्ध सभी में अमेरिका द्वारा किए गए विभिन्न धांधलियों का सिलसिलेवार खुलासा विकिलीक्स कर रहा है. अमेरिका बार-बार चेतावनी जारी कर रहा है कि ऐसे दस्तावेज रोके जाएं लेकिन विकिलीक्स है कि मानता ही नहीं. अमेरिका को लगता है कि 40 लाख पेज के इन गोपनीय दस्तावेज़ों से उसके संबंध कई देशों से ख़राब हो सकते हैं और इसमें भारत भी शामिल है. हालांकि अमेरिका नहीं चाहता कि विकिलीक्स इन दस्तावेज़ों का खुलासा करे. लेकिन ऑस्ट्रेलियाई मूल के जूलियन एसेंज जो विकिलीक्स के एडिटर हैं उन्होंने हाल ही में इराक वॉर लॉग्स में सनसनीखेज़ खुलासे किए थे और इस बार भी वे रुकने वाले नहीं.

विकीलीक्स द्वारा जारी किए गए अमेरिका के पिछले तीन साल के संदेशों से गोपनीय राजनयिक अध्याय और पर्दे के पीछे हुई कूटनीतिक सौदेबाजियों के बारे में अप्रत्याशित जानकारी मिली है. इसमें परमाणु ऊर्जा के मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ हुआ गतिरोध भी शामिल है.  न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक अपने खुलासे को लेकर दुनियाभर में सुर्खियों में आई इस वेबसाइट ने अमेरिकी कूटनीति के रहस्यों को उजागर कर दिया है.

टाइम्स ने एक संदेश के हवाले से कहा कि अमेरिका ने वर्ष 2007 के बाद से एक पाकिस्तानी शोध संयंत्र से उच्च संव‌र्धित यूरेनियम को हटाने के लिए गोपनीय तौर पर प्रयास किया हालांकि यह प्रयास अभी तक असफल रहा है.  अमेरिकी अधिकारियों को भय था कि इसका इस्तेमाल गैर कानूनी परमाणु हथियार बनाने के लिए किया जा सकता है.

मई 2009 में राजदूत अन्ने डब्लू पेटर्सन ने बताया कि पाकिस्तान अमेरिकी विशेषज्ञों के दल को जाने की अनुमति नहीं दे रहा है.  पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना था कि यदि स्थानीय मीडिया को यूरेनियम हटाने की सूचना मिलती है तो वे निश्चित रूप से इसे अमेरिका द्वारा पाकिस्तानी परमाणु हथियारों पर कब्जा करने का प्रयास करार देंगे.

दस्तावेजों में कहा गया है कि विश्व के सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल की हैकिंग चीन के सरकारी अधिकारियों, निजी सुरक्षा विशेषज्ञों और चीनी सरकार द्वारा भर्ती किए गए अपराधियों ने की थी. इसके अलावा उन्होंने अमेरिका के सरकारी कंप्यूटरों, अमेरिकी व्यावसायिक नेटवर्क और दलाई लामा के कंप्यूटर नेटवर्क को भी हैक किया.  एक अन्य संदेश में अफगानिस्तान में फैले भ्रष्टाचार का ब्यौरा भी दिया गया है.

दस्तावेजों में आस्ट्रेलिया का भी जिक्र

दुनियाभर में चर्चा का विषय बनी विकीलीक्स वेबसाइट द्वारा हासिल किए गए अमेरिका के 1442 गोपनीय दस्तावेजों में आस्ट्रेलिया का भी जिक्र आया है जो अमेरिका के सबसे महत्वपूर्ण सहयोगियों में से एक है. एएपी की रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार को जारी किए गए दस्तावेजों में से एक में वर्ष 2007 के एपेक सम्मेलन में पर्दे के पीछे हुई बातचीत का भी उल्लेख है.

इससे पहले जारी गोपनीय दस्तावेजों में अमेरिका और चीन के बीच की उस बातचीत का भी विवरण है जो बीजिंग के रास्ते शस्त्रों की खेप लेकर ईरान जा रहे जहाज के बारे में हुई थी.  यह संदेश उत्तर कोरिया द्वारा बीजिंग के रास्ते ईरान भेजी जा रही हथियारों की खेप को लेकर तुरंत कार्रवाई करने के लिए भेजा गया था.

दस्तावेज में कहा गया है कि सितंबर में सिडनी में हुई एपेक की बैठक के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज डब्लू बुश ने चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओं के साथ बातचीत में उत्तर कोरिया द्वारा ईरान के मिसाइल कार्यक्रम के लिए बैलेस्टिक मिसाइल प्रणाली के मुख्य कल पुर्जे बीजिंग के रास्ते ईरान भेजने पर गहरी चिंता जताई थी.

लीक हुए दस्तावेजों में अमेरिका और पश्चिम एशिया के बीच कूटनीतिक संबंधों की भी चर्चा है.  एक दस्तावेज में जिंबाब्वे के राजनीतिक हालात पर चर्चा की गई है.  इसमें आस्ट्रेलिया की भी चर्चा है और उसे अमेरिका के सबसे बड़े सहयोगियों में से एक बताया गया है.

बंद की जाए विकिलीक्स वेबसाइट

विकिलीक्स के गोपनीय अमेरिकी दस्तावेजों के अवैध प्रकाशन से नाराज अमेरिका के सभी प्रमुख दलों के सांसदों ने ओबामा प्रशासन से कहा है कि प्रशासन हरसंभव कानूनी उपाय करके वेबसाइट को बंद कर दे.

सीनेट की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष सीनेटर जॉन कैरी ने कहा कि इन परिस्थितियों में गोपनीय दस्तावेजों को जारी करना पूरी तरह गलत काम है, जो बहुत सी जिंदगियों को खतरे में डाल सकता है.  उन्होंने बताया कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मामला नहीं है और न ही यह पेंटागन से जुड़े दस्तावेजों को जारी करने के समान है.  कैरी ने बताया कि इसकी बजाय यह दस्तावेज वर्तमान समय में जारी मामलों के विश्लेषण से जुड़े हैं, जिन्हें गोपनीय बनाए रखना अत्यंत जरूरी है.

सीनेट की होमलैंड सिक्युरिटी और शासकीय मामलों की समिति के अध्यक्ष जो लिबरमैन ने कहा कि विकिलीक्स ने जानबूझकर इन दस्तावेजों का खुलासा किया है, जो न केवल अमेरिका, बल्कि दूसरे बहुत से देशों की भी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं.  लिबरमैन ने ओबामा प्रशासन से आग्रह किया कि इससे पहले कि विकिलीक्स और दस्तावेज जारी करके देश को और नुकसान पहुंचा सके, प्रशासन हरसंभव वैधानिक तरीके अपना कर विकिलीक्स को बंद कर दे.
--- २९ November,  २०१०



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