सौ से ज्यादा ‘उड़नतश्तरी’ या जासूसी अभियान
यह मामला गंभीर है , सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए
पहले भी यही विश्लेष्ण सामने आते रहे हैं की ये उड़न तश्तरी मूलतः जासूसी अभियान के यान हें ....
विश्व में जहाँ भी वैज्ञानिक स्तर उच्च होता हे वहीं ये दिखाई देती हें .....
आजकल यह मामला चीन के पास हे वह वैज्ञानिक स्तर पर सबको पछाड़ रहा हे .....
सौ से ज्यादा ‘उड़नतश्तरी’ देखी गईं
Tuesday, November 06, 2012,
http://zeenews.india.com/hindi
नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर में चीन सीमा से लगे इलाकों में सैनिकों ने पिछले तीन महीनों में सौ से ज्यादा ‘उड़नतश्तरी’ या यूएफओ देखे हैं। सेना, डीआरडीओ, एनटीआरओ और आइटीबीपी समेत एजेंसियां अब तक इस चमकीली ‘उड़नतश्तरी’ की पहचान नहीं कर पायी है।
सैन्य अधिकारियों ने यहां बताया कि करगिल -लेह से लगे इलाके में तैनात 14 कॉर्प्स ने सेना मुख्यालय को इस संबंध में एक रिपोर्ट भेजी है कि ठाकोंग में पांगोंग सो झील के निकट आईटीबीपी इकाई ने इन यूएफओ को देखा है। रिपोर्ट के मुताबिक यह तश्तरी चीन की तरफ से आते हुए धीरे धीरे आसमान की ओर जाकर तीन से पांच घंटे में गायब हो जाती है। अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की कि ये यूएफओ चीनी ड्रोन या उपग्रह नहीं था। इसकी पहचान के लिए एक खास तरह के रडार उपकरण का भी इस्तेमाल किया गया लेकिन कुछ पता नहीं चल पाया।
सेना अधिकारियों ने इसकी पहचान नहीं हो पाने पर चिंता भी जाहिर की है। कुछ लोगों का मानना है कि यह चीन का कोई निगरानी उपकरण हो सकता है। (एजेंसी)
पहले भी यही विश्लेष्ण सामने आते रहे हैं की ये उड़न तश्तरी मूलतः जासूसी अभियान के यान हें ....
विश्व में जहाँ भी वैज्ञानिक स्तर उच्च होता हे वहीं ये दिखाई देती हें .....
आजकल यह मामला चीन के पास हे वह वैज्ञानिक स्तर पर सबको पछाड़ रहा हे .....
सौ से ज्यादा ‘उड़नतश्तरी’ देखी गईं
Tuesday, November 06, 2012,
http://zeenews.india.com/hindi
नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर में चीन सीमा से लगे इलाकों में सैनिकों ने पिछले तीन महीनों में सौ से ज्यादा ‘उड़नतश्तरी’ या यूएफओ देखे हैं। सेना, डीआरडीओ, एनटीआरओ और आइटीबीपी समेत एजेंसियां अब तक इस चमकीली ‘उड़नतश्तरी’ की पहचान नहीं कर पायी है।
सैन्य अधिकारियों ने यहां बताया कि करगिल -लेह से लगे इलाके में तैनात 14 कॉर्प्स ने सेना मुख्यालय को इस संबंध में एक रिपोर्ट भेजी है कि ठाकोंग में पांगोंग सो झील के निकट आईटीबीपी इकाई ने इन यूएफओ को देखा है। रिपोर्ट के मुताबिक यह तश्तरी चीन की तरफ से आते हुए धीरे धीरे आसमान की ओर जाकर तीन से पांच घंटे में गायब हो जाती है। अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की कि ये यूएफओ चीनी ड्रोन या उपग्रह नहीं था। इसकी पहचान के लिए एक खास तरह के रडार उपकरण का भी इस्तेमाल किया गया लेकिन कुछ पता नहीं चल पाया।
सेना अधिकारियों ने इसकी पहचान नहीं हो पाने पर चिंता भी जाहिर की है। कुछ लोगों का मानना है कि यह चीन का कोई निगरानी उपकरण हो सकता है। (एजेंसी)
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें