26/11 के हमले में छः अमेरिकी नागरिक मारे गये थे
http://meahindi.nic.in/mystart.php?id=23046535
26/11 के हमले में भारतीय मुजाहिद्यीन की सुगमतादायक भूमिका: संयुक्त राज्य
सितम्बर 16, 2011 टाइम्स ऑफ इण्ड़िया,
यह खबर भारत सरकार के इस पेज से ली गई है
वाशिंगटन : संयुक्त राज्य ने बृहस्पतिवार को पुष्टि की थी कि भारतीय मुजाहिद्यीन (आई एम) ने वर्ष, 2008 के मुम्बई हमले में सुगमतादायक भूमिका निभाई थी, जो लश्कर-ए-तायबा (एल ई टी) द्वारा किया गया था, जिसमें छः अमेरिकी नागरिक सहित 163 लोग मारे गये थे”| इस कार्यवाई में जिस तथ्य को रेखाँकित किया गया है, वह यह है कि संयुक्त राज्य भारत पर हुए आतंकी हमले पर अब और अधिक तटस्थ नही है, राजकीय विभाग से प्राप्त एक मीडिया की टिप्पणी के साथ पाकिस्तान से जुड़े एक वैश्विक आतंकवादी संगठन के रूप में, आई एम का औपचारिक पद नाम स्वीकार करता है कि “ये पदवियाँ न केवल आई एम के माध्यम से पश्चिमी हितों के खतरों का उल्लेख करती हैं बल्कि भारत और एक निकट भागीदार संयुक्त राज्य को भी”.
“जनसाधारण भारतियों ने भारतीय मुजाहिद्यीन की निर्दयतापूर्ण हिंसा का घातक प्रभाव झेला है और आज के कार्यकलापों से भारत सरकार के साथ हमारी एकता व्यक्त हो रही है,” आतंकवाद रोधी राजकीय समन्वय विभाग के राजदूत डैनियल बेंजामिन ने आगे जोड़ते हुए कहा था, “ये पद नाम आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में निर्णायक भूमिका निभाते हैं और आतंकी गतिविधियों के लिए समर्थन को कम करने और समूहों पर आतंकवाद को त्याग देने पर दबाव बनाने के लिए एक प्रभावकारी माध्यम भी हैं।”
राजकीय विभाग ने कहा था कि राजकीय सचिव हिलेरी क्लिंटन ने भारतीय मुजाहिद्यीन (आई एम) को आप्रावासन एवं राष्ट्रीय अधिनियम की धारा 219 के अन्तर्गत एक विदेशी आतंकवादी संगठन (एफ टी ओ) और एक कार्यपालक आदेश क्रमाँक 13224 की धारा 1 (ख) के अन्तर्गत एक विशेषरूप से पद नाम प्राप्त वैश्विक आतंकवादी की संज्ञा दी है। इन पदनामों के परिणामों में जान-बूझ कर भौतिक संसाधनों से समर्थन अथवा अन्य लेन-देन में भारतीय मुजाहिद्यीन के साथ संलिप्त होना और संयुक्त राज्य में स्थित अथवा संयुक्त राज्य के अन्तर्गत या फिर संयुक्त राज्य के नागरिक के नियंत्रण में स्थित संगठनों की सभी सम्पत्ति एवं सम्पत्ति के हितों को जब्त कर लिया है। राजकीय विभाग ने ये सारी कार्यवाईयां, न्याय एवं राजकोष विभाग से परामर्श करके किया था, मीडिया नोट से व्यक्त हुआ था।
राजकीय विभाग के अनुसार भारतीय मुजाहिद्यीन (आई एम) के आक्रमण का प्राथमिक तरीका आर्थिक एवं गैर सैन्य ठिकानों के अनेकों समन्वित बम विस्फोट, भीड़ वाले क्षेत्रों आतंक फैलाने और अधिकाधिक लोगों को हताहत करने के लक्ष्य से करने का है। भारतीय मुजाहिद्यीन के आतंकी हमले की विशेषता यह कि इसने कहा था कि वर्ष, 2010 में भारतीय मुजाहिद्यीन ने पुणे की लोकप्रिय जर्मन बेकरी जहाँ पर्यटकों का आवागमन बना रहता है, बम विस्फोट किया था जिसमें 17 लोग मारे गये थे और 60 लोग घायल हुए थे।
वर्ष, 2008 में भारतीय मुजाहिद्यीन ने दिल्ली में हमला किया था जिसमें 30 लोग मारे गये थे। वर्ष, 2008 मे ही भारतीय मुजाहिद्यीन, अहमदाबाद के भीड़ वाले शहरी क्षेत्र एवं एक स्थानीय चिकित्सालय में ताल-मेल बिठा कर एक समय पर 16 बम विस्फोट करने के लिए जिम्मेदार था, जिसमें 38 लोग मारे गये थे और 100 से अधिक घायल हुए थे।
संयुक्त राज्य से यह पद नाम ऐसे समय पर आया जब वाशिंगटन और भारत के बीच सम्बंध, आतंकवाद के मुद्दे पर तेजी से लगातार नीचे जा रहे थे।
इस सप्ताह के प्रारम्भ में संयुक्त राज्य अधिकारी, जिसमें सम्मिलित रक्षा सचिव श्री लियॉन पनेटा ने पाकिस्तान समर्थित हक्कानी आतंकवादी समूह पर काबुल में संयुक्त राज्य सेनाओं पर हुए ताजे आक्रमण के पीछे हाथ होने का आरोप लगाया था, यह एक ऐसा परिवर्तन था जिसका अनुमोदन उप राष्ट्रपति श्री जोय बीदेन द्वारा किया गया था।
“यह समय था जब हमने पुनः पाकिस्तान से आग्रह किया था कि वह हक्कानी द्वारा इस प्रकार के हमले पर अपने प्रभावों का उपयोग करे। इस क्षेत्र में हमने बहुत कम प्रगति की थी ,” पनेटा ने बुधवार को सम्वाद दाताओं को बताया था।
इसलामाबाद ने बृहस्पतिवार को इस धमकी का उत्तर यह कहते हुए दिया था कि संयुक्त राज्य के विद्रोहियों पर यह चेतावनी वाशिंगटन के साथ सम्बंधों को आहत करेगा क्योंकि पाकिस्तान अपनी ओर से बहुत अच्छा कर रहा है। “यदि विद्रोही अफगानिस्तान में कुछ कर रहे हैं, तब ये अफगान और पश्चिमी सेनाओं की जिम्मेदारी है कि वे उन्हें सीमाओं पर रोंके,” एक पाकिस्तानी अधिकारी को उद्धृत करते हुए संकेत मिल रहा था कि हमारी नीति लगातार खण्ड़न की है और देश में आतंकवादी समूहों को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी नही लेने की है।
आई एस आई के अन्तर्गत नियुक्त पाकिस्तान समर्थित हक्कानी समूह वर्ष, 2008 में काबुल स्थित भारतीय राजदूतावास पर हुए हमले को अंजाम देने का भी संदिग्ध आरोपी था जिसमें एक युवा भारतीय राजनयिक एवं एक सेना अटैची मारे गये थे। हक्कानी समूह को इसके सेना प्रमुख परवेज अशफा़क कयानी द्वारा इसकी व्याख्या पाकिस्तान की “रणनीतिक परिसम्पत्ति” के रूप में की गयी है।
(व्यक्त किये गये उपरोक्त विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं)
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें