लुप्त हो चुकी प्राचीनतम सरस्वती नदी की जलधारा बह निकली'

14 मई 2015
लुप्त हो चुकी प्राचीनतम सरस्वती नदी की जलधारा बह निकली'
लुप्त हो चुकी प्राचीनतम सरस्वती नदी की जलधारा बह निकली'
यमुनानगर के मुगलवाली गांव के पास खुदाई में मिला जल प्रवाह
डा. गणेश दत्त (हरियाणा)
प्राचीनतम और हजारों साल पहले लुप्त हो चुकी सरस्वती नदी अपने उद्गम स्थल से फिर जलधारा के रूप में उस समय बह निकली, कई दिनों से नदी के उद्गम स्थल आदिबद्री क्षेत्र में गांव मुगलवाली के पास चल रही खुदाई में गत दिवस अचानक जलधारा फूट पडी।


खुदाई का शुभारंभ हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष कंवरपाल ने 21 अप्रैल कोशुरू किया था। जल प्रवाह  निकलने का समाचार मिलते ही जिला उपायुक्त डा.एस.एस. फुलिया सहित जिला प्रशासन के अन्य अधिकारी भी मौके पर पहुंचे।

यहां उपायुक्त की उपस्थिति में एक अन्य स्थान पर खुदाई की गई। वहां भी 8-9 फुट पर पानी निकला, सरस्वती नदी जिसे अब तक सैटलाइट के माध्यम से ही देखा जा रहा था और हजारों साल पहले धरा से लुप्त हो चुकी माना जाता रहा। लेकिन इसकी उपस्थिति की पुष्टि पुराणों में स्पष्ट बताई गई कि सरस्वती नदी का वजूद है।




लेकिन उस समय यह सपना साकार हो गया जब यह जलधारा अचानक बह निकली। अब यह
शोध का विषय भी बन गया है कि क्या सरस्वती नदी की जलधारा स्वयं भी कुछ ऊपर
उठ रही है? क्योंकि कुछ जगह थोडी खुदाई में ही सरस्वती का जल बहने लगता है।

यमुनानगर के आदिबद्री क्षेत्र सरस्वती का उद्ग्म स्थल माना जाता है। वहां से पांच किलोमीटर दूर रूलाहेडी से इस नदी की खुदाई शुरू की गई थी। माना जा रहा था कि यहां एक बडा जलाशय बनाया जाएगा और पहाडों पर होने वाली बरसात और सोम नदी के पानी को यहां इक्टठा कर सरस्वती नदी को एक बडी नदी के रूप में प्रवाहित किया जाएगा। लेकिन आज इस पावन धरती पर करिश्मा ही देखने को मिला।

जब रूलाहेडी और मुगलवाली के बीच जब खुदाई हो रही थी, तो नरेगा के तहत जो मजदूर लगे थे जब सात फुट गहरा खोदा जाने के बाद एक फावडा जमीन पर मारा तो  नीचे से सरस्वती के पावन जल की धाराएं फूट पडी। इस बात को देख मजदूर हैरान हो गए और उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों को भी मौके पर बुला लिया।


लेकिन जब अधिकारियों ने यह करिश्मा देखा तो उनसे रहा नही गया और उन्होंने स्वयं यहां नतमस्तक होकर  सरस्वती की खुदाई में अपना योगदान देते हुए खुदाई की। जिसमें उपायुक्त डा.एस एस फुलिया व अन्य  प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल रहे। प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो ज्यों-ज्यों खुदाई हुई त्यों त्यों जल की धाराएं जमीन से फूटनी शुरू हो गई। इस कार्य में समाज के हर वर्ग ने बिना किसी भेदभाव के सहयोग किया है और महज 15 दिनों में ही यह खुदाई अढाई से तीन किलोमीटर तक पहुंच गई थी और खुदाई कार्य निरंतर जारी है।

जल प्रवाह से पहले इक्का दुक्का जगह पानी की कुछ बूंदे जरूर टपकी थी। लेकिन जब सरस्वती धरातल पर फुट पडी तो जिला प्रशासन गदगद होता नजर आया। जानकारी के अनुसार यमुनानगर के 42 गांवों में इसका सर्वें किया गया है। इसके बाद सरस्वती की धारा कुरुक्षेत्र जिला से होते हुए कई स्थानों से गुजरती हुई आगे निकलती है।


8 फुट पर सरस्वती धारा और 85 फुट इलाके का भू-जल स्तर बता दें कि इस इलाके में भू-जल स्तर काफी नीचे है। लेकिन यह एक करिश्मा ही है कि जहां पर सरस्वती नदी है उसके आस पास कई पानी के टयूबवैल भी लगे हुए हैं और उनमें उनमें भूमिगत जलस्तर 85 फुट से नींचे है। लेकिन सरस्वती खुदाई स्थल पर महज 7 फुट पर ही पानी मिला, जिससे सरस्वती विराजमान होने की पुष्टि हुई। इलाके के लोगों में उत्साह के साथ एक विश्वास पैदा हो गया कि यहां सरस्वती के बारे में सुनते थे अब उन्हें सरस्वती के साक्षात दर्शन भी हो गए हैं।

सरस्वती शोध संस्थान भगीरथ की भूमिका में, भाजपा सरकार ने दिखाई तत्परता

सरस्वती  नदी शोध संस्थान के अध्यक्ष दर्शनलाल जैन ने सरस्वती नदी के महत्व को समझा और इसे धरा पर लाने का संकल्प लिया। यह काम अपने हाथ में लिया था।

उन्होंने 1999 के दौरान जब केन्द्र में एन डी ए की सरकार थी और जगमोहन पर्यटन मंत्री थे तो करोडों रुपया  खर्च करके देश के कई भागों में सरस्वती की खोज में खुदाई का काम हुआ था। लेकिन यूपीए की सरकार ने इस नेक कार्य को रद्दी की टोकरी में डाल दिया। जिससे एक सार्थक कार्य ही नहीं रुक गया बल्कि करोड़ों रुपए खर्च हुए भी बेकार हो गए। अब केन्द्र व प्रदेश में सरकार बदली तो काम फिर शुरू हुआ और उसके सार्थक परिणाम निकले हैं। इस संबंध में दर्शन लाल जैन ने कहा कि यह पहला कदम है। अभी काफी काम होना है। उन्होंने कहा कि सरस्वती नदी संजीवनी बनेगी, पानी की कमी पूरी होगी, बरसात के दिनों में बाड़ का प्रकोप कहर नहीं भरपा पाएगा। इससे इलाका ही खुशहाल नहीं होगा

देश भी समृद्ध बनेगा। उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की कार्यशैली की सराहना की।


राजस्व रिकॉर्ड में मौजूद है नदी
सरस्वती नदी कोलेकर किए गए सर्वें में कई आश्चर्यजनक तथ्य भी सामने आए हैं। जिला उपायुक्त डा.एसएस फुलिया ने बताया कि सरस्वती नहीं को धरातल पर लाने के चलते जब राजस्व रिकार्ड खंगाला गया तो रिकाॅर्ड में सरस्वती नदी के बहने का स्थान मौजूद मिला। सर्वें में राजस्व विभाग, पंचायती विभाग, सिंचाई विभाग की मदद
ली गई। इसके अलावा सेटेलाइट व अन्य तकनीकी सुविधाओं से भी जमीन को खंगाला गया। इस दौरान रिकाॅर्ड में पाया गया कि जिले के कईं गांवों में आज भी रास्ता छोड़ा गया है। जहां से पुराने समय में सरस्वती नदी निकलती थी।

उन्होंने बताया कि सरस्वती नदी को धरातल मिलने से जिले का सौंदर्यकरण बढ़ेगा वहीं पर्यटन की दृष्टि से भी जिले का नाम होगा। जिला पंचायत अधिकारी ने बताया कि सरस्वती नदी का सर्वें उद्म स्थल से जिला यमुनानगर के कुरुक्षेत्र के साथ लगते अंतिम गांव तक किया गया है।

जमीन के नीचे बहता है जल : इसरो
 इसरो के मुताबिक मां सरस्वती की जलधारा अब भी जमीन के नीचे बहती है, जिसका नक्शा सैटेलाईट
के माध्यम से गूगल पर देखा जा सकात है। इसी के आधार पर अब हरियाणा ने देहरादून की एक लैब से संपर्क कर सरस्वती के जल को जमीन के ऊपर लाने के लिए प्रयास शुरु कर दिए हैं।
साभार: न्यूज़ भारती 

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