नकारात्मक पत्रकारिता समाज के लिए घातक- केतकर



देश के समग्र विकास के लिये मीडिया का सकारात्मक होना आवश्यक – जे नंद कुमार जी
मेरठ (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख जे नंद कुमार जी ने कहा कि देश के समग्र विकास के लिये मीडिया का सकारात्मक होना अत्यंत आवश्यक है. तथ्यों के साथ कोई छेड़छाड़ न हो पत्रकार को समाचार लेखन के दौरान इसका विशेष ध्यान रखना चाहिये. जे नंद कुमार जी विश्व संवाद केंद्र मेरठ द्वारा नारद जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित पत्रकार सम्मान समारोह में संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि आज पत्रकारिता के क्षेत्र में कुछ लोग जिम्मेदारी का निर्वहन ठीक प्रकार से कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग समाचार को तोड़ मरोड़कर केवल टीआरपी के लिये ही लेखन एवं वाचन कर रहे हैं जो राष्ट्रहित एवं पत्रकारिता के लिये ठीक नहीं है. आज देश के एक बड़े वर्ग को मीडिया से अपेक्षा है कि मीडिया उनके लिये समाज प्रहरी का कार्य करेगा. उन्होंने कहा कि नारद जी इस दृष्टि से बहुआयामी व्यक्तित्व वाले सृष्टि के प्रथम संवाददाता थे. वे सर्वश्रेष्ठ सम्प्रेषणकर्ता माने गये हैं. वे सर्वत्र संचार करते थे तथा सर्वत्र ही विश्वसनीय थे. वर्तमान समय में भी पत्रकार को नारद जी की तरह बहुआयामी तथा सबके लिये विश्वसनीय होना पड़ेगा.

इससे पूर्व राष्ट्रदेव के सम्पादक अजय मित्तल ने कहा कि ज्येष्ठ कृष्ण द्वितीया 1826 ईस्वी में हिन्दी पत्रकारिता का उदय हुआ. उदन्तमार्तण्ड भारत का पहला हिन्दी समाचार पत्र है, जो नारद जयन्ती के दिन ही प. जुगलकिशोर जी ने शुरु किया था. आजादी के आंदोलन में तत्कालीन पत्रकारों एवं समाचार पत्रों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. कहा कि समाचार पत्र और पत्रकारों का सर्वोपरि कार्य समाज का हित देखना है. इसी के अनुसार समाचारों का लेखन एवं प्रसारण होना चाहिये.
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विश्व संवाद केन्द्र के प्रमुख एवं राष्ट्रदेव के प्रबन्ध सम्पादक सुरेन्द्र सिंह ने आद्य् सम्वाददाता नारद जी जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम में जनवाणी के उपसम्पादक पुष्पेन्द्र कुमार, चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के प्रवक्ता डॉ मनोज कुमार श्रीवास्तव, वरिष्ठ पत्रलेखक श्याम सिंह माछरा तथा दैनिक भास्कर के छायाकार आशीष कन्नौजिया को सम्मानित किया गया. कार्यक्रम के अध्यक्ष मयंक अग्रवाल ने पत्रकारिता के महत्व की चर्चा की. कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रशान्त कुमार ने किया. धन्यवाद ज्ञापन विश्व संवाद केन्द्र न्यास के अध्यक्ष आनन्द प्रकाश अग्रवाल ने किया.
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अर्ध सत्य दिखाना देश, समाज के साथ धोखा: डॉ कृष्ण गोपाल
नई दिल्ली, मई 10: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल ने कहा कि अर्ध सत्य दिखाना देश व समाज के साथ धोखा है और समाचार जगत ने इससे बचना चाहिए। कार्यक्रम में मानुषी की संस्थापक संपादक मधु पूर्णिमा किश्वर, फोटो जर्नलिस्ट संकर्शन मलिक, टीवी रिपोर्टर यतेंद्र शर्मा, सोशल मीडिया एक्टिविस्ट प्रवीण शुक्ला को नारद सम्मान 2015 से सम्मानित किया गया।


संघ के सह सरकार्यवाह इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र दिल्ली द्वारा कांस्टीट्यूशन क्लब में नारद जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित पत्रकार सम्मान समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में सेंट्रल यूरोपियन न्यूज के इंडिया एडिटर शांतनु गुहा रॉय विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

कृष्ण गोपाल ने कहा की वर्तमान में पत्रकारिता का क्षेत्र सुनामी के दौर से गुजर रहा है। समाचार जगत में मान-सम्मान, चकाचौंध सबकुछ है, पर, इसमें यथार्थ और सत्यता को भी टिकाए रखना है। वर्तमान समय में समाचार को सनसनीखेज बनाने की कोशिश करते हैं, आधे सत्य पर पर्दा डालकर आधा सत्य दिखाने से द्वेष की भावना बढ़ती है, देश की छवि को नुकसान पहुंचता है, यह देश और समाज के साथ धोखा भी है। समाचार में सनसनी पैदा करना समाचार की पवित्रता के भी विपरीत है।


कृष्ण गोपाल ने कहा कि समाचार जगत त्याग, परिश्रम, निष्ठा, समर्पण की भूमिका से खड़ा होता है। देश में अनेक महानुभावों ने अपने योगदान, बलिदान से समाचार जगत को यशस्वी बनाया है। कीर्तिमान स्थापित किए हैं। देश में समाचार पत्रों की महान परंपरा रही है। पराधीनता के दौर में भी सत्य के अन्वेषण के लिये अनके लोग खड़े हुए। सत्य को जनता के समक्ष लाने, सत्य के अन्वेषण को सर्वोच्च स्थान प्रदान किया। उन्होंने अंग्रेजों की लूट का देशहित में निर्भीकता के साथ खुलासा किया। मदन मोहन मालवीय, गणेश शंकर विद्यार्थी, सरीखे अन्य व्यक्तित्व देश हित में सोचते थे, उनमें सत्य के अन्वेषण का जुनून था, परिश्रम और बलिदान के लिये हमेशा तैयार रहते थे। अंग्रेज सरकार अत्याचार करती थी, लेकिन समाचार जगत का स्तंभ प्रामाणिकता के साथ देश में खड़ा रहा। सूची में एक नाम नहीं, कई बड़े नाम शामिल हैं, समाचार पत्रों के संपादकों ने जेल की यात्रा की, अत्याचार सहन किए। देश हित में, सत्य के अन्वेषण के लिये कुछ लोगों ने अपनी संपत्ति बेचकर समाचार पत्र निकाला, कमाई करने या संपत्ति बनाने के लिये नहीं।

डॉ कृष्ण गोपाल जी ने उदाहरण देते हुए कहा कि मीडिया ने चार चर्चों पर हमले के मामलों को बढ़ा- चढ़ाकर प्रस्तुत किया, जिससे विश्व में भारत की छवि अल्पसंख्यकों के प्रति नकारात्मक रूप में सामने आई, मानों अल्पसंख्यकों के साथ बुरा हो रहा हो। मीडिया ने समाचार में आधा सत्य छिपाया, पुलिस के अनुसार इसी अवधि के दौरान 458 मंदिरों, 25 मस्जिदों पर भी हमले हुए, मीडिया को इन आंकड़ों को भी सामने रखना चाहिए था। इसी प्रकार मीडिया में महिलाओं के प्रति अत्याचारों को भी बढ़ा चढ़ाकर दिखाया जाता है, सनसनी फैलाने के लिये जाति का उल्लेख किया जाता है, मानो पूरा समाज ही बुरा हो। यूरोपीय देशों में महिलाओं के प्रति अत्याचारों का प्रतिशत हमसे काफी अधिक है, लेकिन वहां का मीडिया सनसनी नहीं फैलाता, इससे हमें सीख लेने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि महर्षि नारद पत्रकार जगत के आदि पुरुष हैं। किसी भी लोभ-लालच से दूर, संपत्ति संचयन से दूर, निस्वार्थ भाव, हर व्यक्ति से संबंध, निरंतर भ्रमणशील, और सभी को खबर देने का कार्य करते थे। वर्तमान में आदर्श समाचार पत्रों में नारद जी के यह गुण विद्यमान होते हैं। पत्रकारिता लोभ-लालच से दूर, निस्वार्थ होनी चाहिए।

इस अवसर पर डॉ। कृष्ण गोपाल ने इन्द्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र के नये वेब पोर्टल “” का उद्घाटन किया।
उन्होंने कहा कि सकारात्मक व सत्यता पर आधारित समाचारों से समाज का विश्वास भी बढ़ता है, समाचार जगत की पवित्रता की श्रेष्ठता भी बनी रहती है। क्षेत्र की चुनौतियों के समाधान पर मिलकर कार्य करना है, साथ ही समाचार की महत्ता, सत्यता पर विवेक के साथ विचार करना है।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एवं इंडिया एडिटर सेंट्रल यूरोपियन न्यूज के शान्तनु गुहा रॉय ने कहा कि हम खबर की खोज में काफी पीछे छूट गए हैं, खबर खूंढने, तलाशने का काम कम कर दिया है। उन्होंने कहा कि मीडिया का गलत उपयोग कहीं न कहीं मालिक ही करते हैं, रिपोर्टर नहीं। हमारा मीडिया एग्रेसिव व प्रोग्रेसिव है, लेकिन हम बेलेंस क्रिएट नहीं कर पा रहे हैं।

कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार प्रभु चावला, पूर्व प्रधानमंत्री वाजपयी के मीडिया सलाहकार रहे अशोक टंडन, भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक एसएम खान, आईटीएमएन के संपादक विक्रम बहल, आगरा विश्व विद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. के एन त्रिपाठी, इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय की प्रो वाइस चांसलर डॉ. पुष्पा त्रिपाठी, भारत प्रकाशन के प्रबंध निदेशक विजय कुमार, पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर, ऑर्गनाइजकर के संपादक प्रफुल्ल केतकर सहित अन्य गणमान्यजन उपस्थित थे
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नकारात्मक पत्रकारिता समाज के लिए घातक- केतकर
जयपुर, 10 मई। अंग्रेजी साप्ताहिक पत्रिका आर्गेनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने कहा कि नकारात्मक पत्रकारिता समाज के लिए घातक है। इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है, इसके खिलाफ सोशल मीडिया में इसकी प्रतिक्रिया दिखाई देती है। उन्होंने पत्रकारों का आह्वान करते हुए कहा कि नारद जी के आदर्शों को अपनाते हुए सत्यांवेशी, राष्ट्रवादी और सबके मन में नारद जगाने वाली पत्रकारिता की आवश्यकता है। वे रविवार को विश्व संवाद केन्द्र की ओर से पिंक सिटी प्रेस क्लब में आयोजित नारद जयंती एवं पत्रकारिता सम्मान समारोह में बोल रहे थे।

केतकर ने कहा कि नारद जी को लेकर गलत अवधारणाएं प्रतिस्थापित की गई है, उन्हें बदलने की आवश्यकता है। नारद सूक्त की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि मतों में विभिन्नता व अनेकता है, यही पत्रकारिता का मूल सिद्धांत है। किसी भी मत को मानने से पहले स्वयं उसकी अनुभूति करना आवश्यक है। नकारात्मक पत्रकारिता की बढ़ती प्रवृति पर चिंता व्यक्त करते हुए केतकर ने कहा कि इसे सभी विद्वानों ने नकारा है, इसकी भूमिका समाज में विष के समान होती है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता का मूल उद्देश्य लोक शिक्षण और सत्य की खोज होना चाहिए। आज पत्रकारिता के माध्यम से सूचनाओं का सही ढंग से प्रचार करते हुए सही बिंदुओं को जोड़ते हुए उनका भाष्य करने की आवश्यकता है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पंजाब केसरी के संपादक एवं सांसद अश्विनी कुमार ने कहा कि बॉलिवुड ने नारद के चरित्र को ठीक ढंग से प्रस्तुत नहीं किया। नारद जी ने स्पष्टवादिता की पत्रकारिता की है। वे सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में भ्रमण करते हुए उचित स्थान पर सूचनाएं देते थे। आज की पत्रकारिता पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि पहले पत्रकारिता मिशन हुआ करती थी, लेकिन अब यह व्यवसाय बन गई है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र, निडर, न्यायप्रियता जैसे सिंद्धांत लोकतंत्र के चौथे स्तंभ से उड़ने लगे हैं। उन्होंने पत्रकारिता के लिए अपने परिवार द्वारा दिए गए बलिदानों का भी जिक्र किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ पत्रकार एवं राजस्थान पत्रिका के पूर्व संपादक विजय भंडारी ने कहा कि पत्रकारिता एक पवित्र कार्य है, यह व्यवसाय नहीं है। इसे पूरे मनोयोग से एक मिशन की तरह करना चाहिए। राजस्थानी कहावत दूध भी रहे और दूधिया भी रहे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आज के दौर में मालिक को भी नुकसान नहीं हो और जनता की आवाज भी समाज तक पहुंचे ऐसी पत्रकारिता की आवश्यकता है। पत्रकार को वर्तमान परिस्थितियों में पतली गली से निकलकर अपना काम करना चाहिए।

इस मौके पर पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले पत्रकार अरविन्द सिंह शक्तावत (राजस्थान पत्रिका), योगेश शर्मा (दैनिक भास्कर),दिनेश शर्मा (ई टीवी), प्रकाश चौहान (दैनिक नव ज्योति), संतोष शर्मा (फ़ोटो जॉर्नलिस्ट), टीना शर्मा (राजस्थान पत्रिका समूह) और जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी से बीजेएमसी में प्रथम स्थान पाने वाली कु. हर्षिता और आईसीजी से बीजेएमसी में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली कु. अंकिता सक्सेना को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत में विश्व संवाद केन्द्र के सचिव विवेक कुमार ने विश्व संवाद केन्द्र का वार्षिक प्रतिवेदन रखा और अंत में विश्व संवाद केन्द्र के अध्यक्ष प्रताप राव ने आभार प्रकट किया।
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