जातिगत जनगणना समाज को कुंठा ग्रस्त करनें का महापाप - अरविन्द सिसोदिया jatigat janganna
जातिगत जनगणना समाज को कुंठा ग्रस्त करनें का महापाप - अरविन्द सिसोदिया सवाल यह है कि बिहार में लगभग 18 साल से की - पोस्टों पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कभी जातिगत जनगणना की जरूरत महसूस नहीं हुई, अब जब जनता उन्हें बंदरकूद का सबक सिखानें जा रही है, तो उन्होंने बिहार के ही लोगों को एक दूसरे की निगाह में छोटा - बड़ा दिखाने का महापाप किया है। बिहार में कम जनसंख्या वाली जातियाँ बिना किसी अपराध के भी अपने आपको अपमानित महसूस कर रहीं हैं। इसके परिणाम उन्हें तो भुगतना ही पड़ेगा, यह उनका आख़री दाव है जो चलने वाला नहीं है। किन्तु बुरा यह है कि आमजन को उनके षड्यंत्र के कारण दुःखी होना पड़ेगा, कष्ट भुगतना पड़ेगा। नितीश कुमार के वकील से सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि इतनी जल्दी क्यों हैं ? वे वहाँ तो अपना पाप बता नहीं सकते थे, किन्तु जनता तो जानती है। यूँ तो बिहार में ही इस जातिगत जनसंख्या के सर्वे पर ऊँगली उठ रही है, आंकड़ों को कोई सही मानने तैयार नहीं है और इसे गलत बताया जा रहा है। बिहार में सबसे बड़ी जाती यादव को बताया गया, इसका मतलब अन्य जातियाँ डर कर रहें, भयग्र...