कविता सतत सतर्कता ही स्वतंत्रता का मूल्य है - अरविन्द सिसोदिया सतत सतर्कता ही स्वतंत्रता का मूल्य है, राष्ट्रहित के सिंहनाद पुनः गुंजायें । जय जय भारत का उदघोष करें, अनंत अमरता का संकल्प दोहरायें, सतत सतर्कता ही स्वतंत्रता का मूल्य है, राष्ट्रहित के सिंहनाद पुनः गुंजाये। ===1=== विदेशी षड्यंत्रों ने, स्वदेशी गद्दारों से मिलकर, मातृभूमि की अस्मिता को फिर ललकारा है, आओ देश प्रथम का भाव जगाएँ, अखंड एकता की लौ प्रगटायें । यह हमारे पूर्वजों की आदि तपोभूमि है, यह वंदे मातरम् की पावन प्रति ध्वनि है, इसकी रक्षा में प्राण न्योछावर भी हों, यही सौभाग्य परम हम सब अपनायें । ===2=== अब न कोई भ्रम, न कोई शिथिलता, यह समय शत्रु के प्रतिवाद का है! स्वतंत्रता और लोकतंत्र की रक्षा हेतु, हर भारतवासी दुर्ग समान अडिग हो जाये, चलो, हम सब संकल्प करें, देशद्रोही की जड़ों को उखाड़ फेंके, सीना तानकर चेतावनी है, "भारत माता की शान पर कोई आँच न आए!" ===3=== जय जय भारत का उदघोष करें, अनंत अमरता का संकल्प दोहरायें। --- समाप्त अरविन्द सिसोदिया राधाकृष्ण मंदिर रोड़, ड़डवाडा, कोटा ज...
bhaai agrim mubark bad mere laayq koi kam ho to zrur btaaiye . akhtar khan akela kota rajsthan
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