रामलीला मैदान में लाठीचार्ज गलत, दोषी पुलिस वालों पर कार्रवाई की जाए : सुप्रीम कोर्ट


"इस घटना से सरकार की ताकत का पता चलता है, जिसने पूरी ताकत से लोकतंत्र की जड़ों पर प्रहार किया. ये घटना सरकार और जनता के बीच टूटते विश्वास का जीता जागता उदाहरण है. पुलिस का काम शांति बहाल करना है, लेकिन उस दिन पुलिस ने खुद ही शांति भंग करने का काम किया. दिल्ली पुलिस ने अपनी ताकत का ग़लत इस्तेमाल किया और जनता के बुनियादी अधिकारों को रौंदा. इस घटना में शामिल पुलिस वालों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाया जाना चाहिए, चाहे वह किसी भी ओहदे पर हों."




रामलीला मैदान में लाठीचार्ज गलत: सुप्रीम कोर्ट
Thursday, 23 February 2012
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने चार और पांच जून की आधी रात में रामलीला मैदान में हुई पुलिसिया कार्रवाई को ग़ैर-जरूरी करार देते हुए इस पूरे घटनाक्रम में बाबा रामदेव को भी जिम्मेदार ठहराया.अदालत ने गुरुवार ने अपने फैसले में कहना है कि रामलीला मैदान में लाठीचार्ज किया जाना गलत था और दिल्ली पुलिस को निर्देश किया कि दोषी पुलिस वालों पर कार्रवाई की जाए.
कोर्ट का साफ कहना था कि पुलिस का लाठीचार्ज करना और आँसू गैस के गोले दाग़ना गलत था. कोर्ट ने इस कार्रवाई को संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया.अदालत ने इस मामले में बाबा रामदेव के भारत स्वाभिमान ट्रस्ट को भी जिम्मेदार ठहराया और कहा कि अगर पुलिस कार्रवाई कर रही थी तो रामदेव को भीड़ की भावनाएं नहीं भड़कानी चाहिए थी.अदालत ने टिप्पणी की, "इस घटना से सरकार की ताकत का पता चलता है, जिसने पूरी ताकत से लोकतंत्र की जड़ों पर प्रहार किया. ये घटना सरकार और जनता के बीच टूटते विश्वास का जीता जागता उदाहरण है. पुलिस का काम शांति बहाल करना है, लेकिन उस दिन पुलिस ने खुद ही शांति भंग करने का काम किया." कोर्ट ने इसके आगे कहा, "दिल्ली पुलिस ने अपनी ताकत का ग़लत इस्तेमाल किया और जनता के बुनियादी अधिकारों को रौंदा. इस घटना में शामिल पुलिस वालों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाया जाना चाहिए, चाहे वह किसी भी ओहदे पर हों."
ग़ौरतलब है कि अदालत ने इस पूरे मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए दिल्ली पुलिस, गृह मंत्रालय और बाबा रामदेव को नोटिस जारी किया था.अदालत ने दोषी पुलिस वालों और बाबा रामदेव के समर्थकों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज करने के निर्देश दिए. अदालत ने साफ कहा कि पुलिसिया कार्रवाई के दौरान  रामदेव के जो समर्थक हिंसक व्यवहार कर रहे थे उनके खिलाफ भी मामले दर्ज किए जाएं.
ग़ौरतलब है कि बाबा रामदेव ने आरोप लगाया था कि गृह मंत्रालय के निर्देश पर पुलिस कार्रवाई को अंजाम दिया गया था. उनकी मांग रही है कि उन लोगों पर कार्रवाई की जाए जिन लोगों ने इस कार्रवाई के निर्देश दिए थे.हालांकि, दिल्ली पुलिस का दावा है कि रामदेव ने अपने समर्थकों को हिंसा के लिए उकसाया, जिसके कारण पुलिस को आधी रात को कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा.
अदलती आदेश
"इस घटना से सरकार की ताकत का पता चलता है, जिसने पूरी ताकत से लोकतंत्र की जड़ों पर प्रहार किया. ये घटना सरकार और जनता के बीच टूटते विश्वास का जीता जागता उदाहरण है. पुलिस का काम शांति बहाल करना है, लेकिन उस दिन पुलिस ने खुद ही शांति भंग करने का काम किया. दिल्ली पुलिस ने अपनी ताकत का ग़लत इस्तेमाल किया और जनता के बुनियादी अधिकारों को रौंदा. इस घटना में शामिल पुलिस वालों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाया जाना चाहिए, चाहे वह किसी भी ओहदे पर हों."

अदालत की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने फैसले में कहा कि इस हादसे में राजबाला नाम की जिस महिला की मृत्यु हो गई थी उनके परिवार वालों को पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए, जबकि इस कार्रवाई में घायल हुए लोगों को 50-50 हज़ार रुपए दिए जाएं.इसके साथ ही अदालत ने कहा कि मुआवज़े की 25 फीसदी रकम भारत स्वाभिमान ट्रस्ट दे यानी बाबा रामदेव को देने को कहा है.ग़ौरतलब है कि चार जून को बाबा रामदेव का भ्रष्टाचार और काले धन को लेकर अनशन शुरू हुआ था. चार जून को दिन में रामदेव की सरकार के प्रतिनिधियों से बात भी हुई, जो विफल हो गई, लेकिन रात होते होते रामलीला मैदान में पांच हजार पुलिस वाले दाखिल हुए और हज़ारों की भीड़ को खदेड़ दिया.
पुलिस ने रामलीला मैदान में आधी रात को उस वक्त कार्रवाई जब मैदान में हज़ारों महिलाएं, बच्चे, बुज़ुर्ग और नौजवान सो रहे थे या सोने की तैयारी कर रहे थे.दिलचस्प बात यह है कि पुलिसिया कार्रवाई से एक दिन पहले केंद्र सरकार के चार-चार वरिष्ठ मंत्री जिनमें लोकसभा के नेता और सबसे वरिष्ठ मंत्री प्रणव मुखर्जी भी शामिल थे, दिल्ली एयरपोर्ट पर जाकर रामदेव से मुलाकात की थी, ताकि बाबा रामदेव को आंदोलन नहीं करने के लिए मनाया जा सके.प्रणव के अलावा जो मंत्री रामदेव से मिलने गए थे, उनमें कपिल सिब्बल, सुबोध कांत सहाय शामिल थे.
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बिना आदेश के ही बरसी थीं रामदेव समर्थकों पर लाठियां?

बिना आदेश के ही बरसी थीं रामदेव समर्थकों पर लाठियां?
23/02/२०१२ दैनिक  भास्कर
 नई दिल्ली. दिल्ली पुलिस कमिश्नर बी. के. गुप्ता ने बाबा रामदेव और उनके समर्थकों पर लाठीचार्ज के मामले में सफाई देते हुए कहा, ' पुलिस को लाठीचार्ज का आदेश नहीं दिया गया था। दो-तीन पुलिस वालों ने लाठीचार्ज किया था। हम जांच करेंगे और रिपोर्ट पेश करेंगे। ' उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि हम लोग कोर्ट के फैसले का अध्ययन कर रहे हैं।
पिछले साल रामलीला मैदान में हुए लाठीचार्ज के मामले में सुप्रीम कोर्ट के गुरुवार के फैसले (सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा, पढ़ने के लिए रिलेटेड आर्टिकल पर क्लिक करें) पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए बाबा रामदेव ने कहा है कि सरकार कदम-कदम पर संविधान और कानून का उल्लंघन कर रही है। हर रोज सरकार लोकतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है।
प्रेस कांफ्रेस में बाबा रामदेव के साथ ही मौजूद भारत स्वाभिमान ट्रस्ट की ओर से सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की पैरवी करने वाले वकील राम जेठमलानी ने पी. चिदंबरम पर निशाना साधते हुए कहा, 'मैं जानना चाहता हूं कि इस नासमझ (स्टूपिड) गृह मंत्री को किसने यह अधिकार दे दिया कि वह तय करें कौन विरोध कर सकता है और कौन नहीं।' जेठमलानी ने कहा, 'मेरा सवाल यही है कि उस रात बवाल किसने शुरू किया था? तथ्य यही है कि 4 जून की उस रात जनता रामलीला मैदान में सो रही थी। जब उन पर हमला हुआ। मुझे आज इस बात की चिंता है कि इस मामले में गृह मंत्री की इस मामले में क्या भूमिका थी?'
देश के जाने माने वकील जेठमलानी ने तल्‍ख तेवर अपनाते हुए कहा, ‘स्‍टूपिड होम मिनिस्‍टर’ को यह ‘पॉवर’ किसने दिया कि रामदेव को प्रदर्शन और आमरण अनशन की इजाजत नहीं है और यदि वह ऐसा करते हैं तो उन्‍हें दिल्‍ली के बाहर उठा कर फेंक दिया जाए। देश का गृह मंत्री ही संविधान का दुश्मन है।’
जेठमलानी ने कहा, 'हम सुप्रीम कोर्ट नहीं गए थे। हमने देश की जनता के सामने अपनी बात रखी थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी तरफ से नोटिस जारी किया था। मेरे हिसाब से बाबा रामदेव ने मुकदमा जीता है।'
जेठमलानी ने आगे कहा, 'सब लोग जानते हैं कि बाबा रामदेव काले धन के खिलाफ आवाज़ उठा रहे थे। सरकार और सीबीआई ने काले धन के मुद्दे पर कुछ नहीं किया। स्विस पत्रिका ने उन लोगों के नाम छापे थे, जिन पर काले धन रखने का आरोप है। मुझे इस बात पर शर्म आती है कि उसमें राजीव गांधी का भी नाम था। लेकिन कांग्रेस ने इस पत्रिका को चुनौती नहीं दी?' जेठमलानी ने कहा कि वे काले धन की लड़ाई में बाबा रामदेव का साथ देते रहेंगे।
सोते हुए लोगों पर क्रूरता
बाबा रामेदव ने अपनी तरफ से सफाई देते हुए कहा, 'केंद्र के आदेश पर सोते हुए लोगों पर क्रूरता की गई थी। ताकत का गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया। मैंने शांति की अपील की थी।'
रामदेव ने कहा, ‘केंद्र के कहने पर पुलिस ने क्रूरता की। राजबाला की मौत पर सरकार के संवेदना के एक शब्‍द भी नहीं कहे। यदि आंदोलन या विरोध प्रदर्शन करना अपराध है तो गांधी, जेपी ने भी अपराध किया। उस वक्‍त कई लोग मारे गए लेकिन सरकार ने गांधी या जेपी को जिम्‍मेदार नहीं ठहराया गया। यह (मौजूदा केंद्र) सरकार तो ब्रिटिश सरकार से भी क्रूर है।
रामदेव ने केंद्र सरकार पर रामलीला मैदान की घटना की वीडियो फुटेज कांट छांट कर अदालत में पेश करने का आरोप लगाया। योग गुरु ने सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के हलफनामे का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र सरकार हिंदुओं को आतंकवादी और मुसलमानों को राष्‍ट्रविरोधी मानती है। काले धन के खिलाफ दिल्‍ली में फिर से प्रदर्शन होगा। अगले आंदोलन की घोषणा जल्‍द होगी और इस बार आर पार की लड़ाई होगी।  
राजबाला की पुत्रवधु की प्रतिक्रिया
रामलीला मैदान में पुलिसिया कार्रवाई के दौरान घायल होकर दम तोड़ने वाली राजबाला की पुत्रवधु भी रामदेव के साथ प्रेस काफ्रेंस में मौजूद थीं। उन्‍होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हम सम्‍मान करते हैं। उन्‍होंने कहा, ‘हम मुआवजा के लिए सुप्रीम कोर्ट नहीं गए थे। हमारी मांग है कि एक निष्‍पक्ष जांच कमेटी बनाई जाए जो रामलीला मैदान में हुई घटना का सच सामने आए। दोषी को सजा दी जाए। स्‍वामी जी का निजी आंदोलन नहीं था बल्कि देश की जनता के लिए था।’  

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