बढई का बेटा सैम पित्रौदा : कांग्रेसियों तुमने कभी अपने पूर्वजों की जात बिरादरी क्यों नहीं बताई.....


वोट.......वोट.......वोट.........
वोट की खातिर सैम पित्रोदा अपनी जात बताते फिर रहे हैं, उनकी जात को कांग्रेस के विफल युवराज राहुलजी भी बताते नहीं थकते...वाह कांग्रेसियों तुमने कभी अपने पूर्वजों की जात बिरादरी क्यों नहीं बताई.....उसे भी तो याद करो............!!!! ....इंदिरा गांधी , फिरोज गांधी , राजीव गांधी , सोनिया गांधी , राहुल गांधी.... आदि की भी जाती बता दे ते तो अच्छा होता ......
तेजस्वी सम्मान खोजते नहीं गौत्र बतला कर।
पाते हैं,जग से प्रशस्ति अपना करतब दिखला के ।।
- राष्ट्रकवि रामधारीसिंह दिनकर
-----------------------------
बढई का बेटा होने पर गर्व: सैम पित्रौदा
Tuesday, January 31, 2012 
http://zeenews.india.com
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में हाल ही में एक चुनावी जनसभा में कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी द्वारा उन्हें ‘बढई का बेटा’ बताए जाने संबंधी टिप्पणी के संदर्भ में ज्ञान आयोग के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने मंगलवार ३१ -०१- २०१२  को यहां कहा कि उन्हें अपनी पहचान पर गर्व है। 
पित्रोदा ने कहा, मैं एक बढई का बेटा हूं और मुझे इसका गर्व है। राहुल गांधी ने चुनावी जनसभा में जो कहा वह तथ्य है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जब वे इतना आगे बढ़ सकते है तो अन्य बढईयों के बेटों के पास भी आगे बढने के लिए पर्याप्त अवसर है खासकर यह देखते हुए कि भारत आठ से दस प्रतिशत की दर से विकास कर रहा है। 
उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं कि वह जाति व्यवस्था में स्वयं को फिट करना चाहते हैं और पिछडे वर्ग के नेता के रुप में प्रोजेक्ट किए जाने का तो सवाल ही नहीं उठता। 
उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी ने हाल ही में कानपुर देहात में एक चुनावी जनसभा में पित्रौदा की उपलब्धि और योग्यता का उल्लेख के साथ उनका परिचय बताते हुए कहा था कि वे बढई के बेटे है। (एजेंसी)

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

अटलजी का सपना साकार करते मोदीजी, भजनलालजी और मोहन यादव जी

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

Veer Bal Diwas वीर बाल दिवस और बलिदानी सप्ताह

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

सफलता के लिए प्रयासों की निरंतरता आवश्यक - अरविन्द सिसोदिया

जन गण मन : राजस्थान का जिक्र तक नहीं

स्वामी विवेकानंद और राष्ट्रवाद Swami Vivekananda and Nationalism

जागो तो एक बार, हिंदु जागो तो !

11 days are simply missing from the month:Interesting History of September 1752