भारतीयों का काला धन 500 अरब डॉलर { २५ लाख करोड़ }
नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) प्रमुख अमर प्रताप सिंह ने सोमवार को बताया कि भारतीयों का नाम स्विस बैंक के सबसे बड़े जमाकर्ताओं में शामिल है, जिन्होंने कर बचाने के मकसद से 500 अरब डॉलर { २५ लाख करोड़ }तक काला धन विदेश में जमा किया है। सिंह ने यह बात इंटरपोल अधिकारियों के छह दिवसीय प्रशिक्षण की शुरूआत के मौके पर कही। उन्होंने कहा कि भारत मॉरीशस, स्विट्जरलैंड, लिचेंस्टीन और ब्रिटिश वर्जीन आईलैंड जैसे टैक्स हैवेन में अवैध धन के प्रवास की समस्या से प्रभावित है।
यथा राजा, तथा प्रजा
सीबीआई निदेशक इस दौरान सरकार पर भी निशाना साधने से नहीं चूके। उन्होंने प्रसिद्ध उक्ति यथा राजा तथा प्रजा का जिक्र करते हुए कहा जैसा राजा होगा, प्रजा भी वैसी होगी। अगर व्यवस्था आपारदर्शी, जटिल, केंद्रीकृत और भेदभावकारी हों तो भ्रष्टाचार के फलने फूलने की आशंका बढ़ जाती है।
बेहद चालाक हैं चोर
सिंह ने कहा कि वैश्विक वित्तीय बाजार धन के तेजी से प्रवाह में मदद करते हैं और ऐसे मामलों में धन का पता लगाने में और दिक्कत करते हैं। अपराधी अपने लाभ के लिए जांच एजेंसियों के क्षेत्रीय मुद्दों का इस्तेमाल कर अपने अपराधों को कम से कम दो देशों में फैला रहे हैं और तीसरे में निवेश कर रहे हैं। अपराधी कुछ फर्जी कंपनियां खोलते हैं और चंद घंटो में एक के बाद एक कई खातों में धन हस्तांतरित किया जाता है क्योंकि बैंकिग लेनदेन में देशों की सीमाएं कोई बाधा नहीं है।
कानून बने बाधा
सिंह ने कहा कि नाकाफी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और बैंक गोपनीयता कानून के कारण काले धन का पता लगाना तथा वापस लाना कठिन हो गया है। उन्होंने यह भी कहा कि दो से अधिक देशों के बीच मामला फंसने पर यह प्रक्रिया और जटिल हो जाती है। कुछ टैक्स हैवेन देशों को ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल सूचकांक में सबसे कम भ्रष्ट देश बताया गया है। टैक्स हैवेन में शामिल हैं न्यूजीलैंड, जो सबसे कम भ्रष्ट देशों की सूची में पहले स्थान पर है।
जीडीपी के बराबर
सीबीआई प्रमुख ने कहा अनुमान है कि विदेश में जमा भारतीय राशि 500 अरब डॉलर से 1400 अरब डॉलर तक हो सकती है, जो भारत के सलाना सकल घरेलू उत्पाद के बराबर है। सीबीआई निदेशक ने कहा कि स्विटजरलैंड, लीच्टेंस्टीन, ब्रिटिश वर्जनि आइलैंड, मारिशस तथा कुछ अन्य देशों में भारी मात्र में अवैध धन जमा है। स्विट्जरलैण्ड में जमा काले धन में सबसे ज्यादा धन भारतीयों का है।
1500 अरब की कर चोरी
सिंह ने विश्व बैंक के अनुमान का भी हवाला दिया और कहा कि सीमा पार आपराधिक और कर चोरी के रूप में धन का प्रवाह लगभग 1500 अरब डॉलर का है। इसमें से 40 अरब डॉलर राशि रिश्वत की है, जो विकासशील देशों के अधिकारियों को दी गई है। सरकार के तमाम प्रयासों ओर संधियों के बाद पिछले 15 सालों में सिर्फ पांच अरब डॉलर राशि को वापस मूल देशों में लाया जा सका है।
घोटालों की राशि विदेशों में
निदेशक ने कहा कि हाल ही में हुए टू2 स्पैक्ट्रम घोटाले, 2010 के राष्ट्रमंडल खेल घोटाले जैसे हाई प्रोफाइल घोटालों की जांच के दौरान सीबीआई को पता चला है कि बड़ी मात्र में धनराशि दुबई, सिंगापुर और मारिशस ले जाई गई और वहां से स्विट्जरलैंड एवं अन्य ऐसे ही टैक्स हेवन देशों में भेजी गई।
अवैध धन पर निर्भर अर्थव्यवस्था
सीबीआई निदेशक ने कहा कि जिन देशों में अवैध धन पहुंचता है उनमें सूचना देने के प्रति राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव है क्योंकि उन्हें पता है कि उनकी अर्थव्यवस्था किस हद तक गरीब देशों से आने वाले इस अवैध धन पर निर्भर है।
सरकार का पक्ष
देशों में राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव
प्रशिक्षण में केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री वी. नारायणसामी ने कहा कि सरकार को विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने में कठिनाई हो रही है, क्योंकि उन देशों के पास इन बुराइयों पर रोक लगाने की राजनीतिक इच्छा शक्ति नहीं है। काला धन बरामद करने और उसकी जांच करने के तरीकों पर इंटरपोल अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए सीबीआई द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए नारायणसामी ने कहा कि काले धन की बरामदगी में दूसरे देशों से सहयोग की जरूरत पड़ती है। हम कानून से बंधे हुए हैं। हमें विदेशी बैंकों में जमा काले धन को वापस लाने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने ने कहा कि वित्तीय प्रवाह के नए तरीके और संचार प्रौद्योगिकी ने भ्रष्ट लोगों के लिए ऐसा धन छिपाना और दूर रखना आसान कर बना दिया है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें