कांग्रेस के कमाईखोर : कृपाशंकर सिंह
कांग्रेस के कमाईखोर
पूरी फिल्मी है कृपाशंकर की कहानी :
आलू बेचने से लेकर अरबपति राजनेता बनने तक
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हाई कोर्ट के आदेश के बाद कुचर्चा में आए कृपाशंकर सिंह की कहानी किस फिल्म की स्क्रिप्ट से कम नहीं है। चार दशक पहले जौनपुर से चलकर मुंबई पहुंचे कृपाशंकर सांताक्रूज में आलू बेचने से लेकर मायानगरी में कांग्रेस के अध्यक्ष के पद पर काबिज होने तक की कहानी बहुत ही दिलचस्प है। इस सफर में ना जाने किसी स्याह-सफेद कारस्तानियां दफन हैं। इस फिल्मी कहानी का सच एक जनहित याचिका के बाद उजागर हुई है। जिसके बाद हाई कोर्ट ने कृपाशंकर तथा उनके परिजनों की सम्पत्ति जब्त करने का निर्देश दिया है। बीएमसी में पार्टी की हार के बाद परेशानियों में आए कृपाशंकर के लिए हाई कोर्ट का आदेश जले पर नमक छिड़कने जैसा है।
कृपाशंकर भले ही कह रहे हों कि यह मामला पूरी तरह से राजनीति प्रेरित है, लेकिन हाई कोर्ट ने इस मामले में जिस तरह से कड़ा रुख अपनाया है, उससे नहीं लगता कि इस तरह की दलीलें काम आने वाली हैं। कृपाशंकर के वकील मुकुल रोहतगी भी याचिका दायर करने वाले संजय तिवारी को आरटीआई की आड़ में भाजपा व शिवसेना के हितों को फायदा पहुंचाने की बात कह रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सोशल एक्टिविस्ट संजय तिवारी ने कृपाशंकर और उनके परिवार के सदस्यों की बेनामी सम्पत्ति की जानकारी को आरटीआई के तहत संकलित कर सीबीआई, इनकम टैक्स और ईडी को लिखित शिकायत दी थी तथा कार्रवाई की मांग की थी.
लेकिन जब इन सरकारी एजेंसियों ने संजय तिवारी की शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया तो उन्होंने 25 मार्च 2010 को मुंबई हाई कोर्ट में पीआईएल दाखिल कर विशेष जांच दल गठित करने की अपील की। इस मामले की सुनवाई करते हुए बाम्बे हाईकोर्ट ने 10 जून, 2010 को सभी सरकारी एजेंसियों को हलफनामा सौंपने का निर्देश दिया, लेकिन एजेंसियां इस मामले में दिलचस्पी दिखाने की बजाय टालमटोल करती रहीं। यहां तक कि 15 जुलाई 2010 को कृपाशंकर के वकीलों ने याचिका की वैधता पर ही सवाल खड़ा कर दिया और उसे खारिज करने की अपील की। लेकिन 16 दिसम्बर 2010 को बाम्बे हाई कोर्ट में जस्टिस रंजना देसाई और जस्टिस आरबी मोरे ने तीनों सरकारी एजेंसियों को सीलबंद रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया और कहा कि इस मामले में ये एजेंसियां एक दूसरे का सहयोग करें।
इसके बाद 3 मार्च 2011 को हाईकोर्ट ने रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद तीनों एजेंसियों को 31 मार्च 2011 तक अंतिम रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। इसी के बाद बीते बुधवार को हाईकोर्ट ने कृपाशंकर सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज कर उनकी अचल सम्पत्ति को जब्त करने का आदेश पारित किया। उधर, इस आदेश के पारित होते ही बीएमसी चुनावों में पार्टी की हार के बाद इस्तीफा दे चुके कृपाशंकर का पार्टी हाई कमान ने तुरंत इस्तीफा भी स्वीकार कर लिया। इसके बाद से कभी महाराष्ट्र की राजनीति में ताकतवर माने जाने वाले कृपाशंकर और मुश्किलों में घिर गए हैं। इनके ऊपर आरोपों की भी लम्बी फेहरिस्त है।
1- कृपाशंकर सिंह के नाम दो पैन कार्ड का मामला
2- समता सहकारी बैंक में परिजनों के खाते में करोड़ों की संपत्ति
3- निजी बॉडीगार्ड को पॉवर ऑफ अटार्नी देकर नवी मुंबई के पनवेल में करोड़ों की संपत्ति
4- रत्नागिरी जिले के वाड़ा पेण में सैकड़ों एकड़ जमीन
5- जौनपुर में व्यावसायिक संकुल एवं जमीन
6- मुंबई के बांद्रा पश्चिम में बंगला, सांताक्रूज में जमीन व एड्रेस बिल्डिंग में फ्लैट
7- चुनाव के दौरान शैक्षणिक योग्यता की गलत जानकारी
8- मुंबई के ही पश्चिमी उपनगर विलेपार्ले के ज्यूपिटर बिल्डिंग में डुपलेक्स प्लैट
9- बेटे-बेटी और पत्नी के नाम कई खाते की जानकारी छिपाने का आरोप
10- मुंबई के पवई में 1900 वर्गफीट का फ्लैट।
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