जिस दिन दसशीश धारी रावण हारा : वह दिन दसहरा






रावण अति ज्ञानवान था और इसी कारण वह दशीश वाला दशानन कहलाया , मगर ज्ञान का अंहकार ही ज्ञान के सामने अंधकार उत्पन्न कर देता हे और व्यक्ति पता भ्रष्ट हो जाता हे । यही रावण  के साथ भी हुआ और जब वह महा पापी के रूप में राम के हाथों मारा गया , तब से वाही दिन दसहरा के रूप में जनता द्वारा मनाया जाता हे ..जिस दिन दसशीश धारी हारा वह दिन दसहरा .....
***दशहरा***
( विजयदशमी या शस्त्र-पूजा/आयुध-पूजा )
समर विजय रघुबीर के चरित जे सुनहिं सुजान।
विजय विवेक विभूति नित तिन्हहिं देहिं भगवान।।
हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार दशहरा है। अश्विन (क्वार) मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन होता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिये इस दशमी को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है। दशहरा हिन्दुओं के वर्ष की तीन अत्यन्त शुभ तिथियों में से एक है, अन्य दो हैं चैत्र शुक्ल की एवं कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा। इसी दिन लोग नया कार्य प्रारम्भ करते हैं, शस्त्र-पूजा की जाती है। प्राचीन काल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। इस दिन जगह-जगह मेले लगते हैं। रामलीला का आयोजन होता है। रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है। दशहरा अथवा विजयदशमी भगवान राम की विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप में, दोनों ही रूपों में यह शक्ति-पूजा का पर्व है, शस्त्र पूजन की तिथि है। हर्ष और उल्लास तथा विजय का पर्व है। भारतीय संस्कृति वीरता की पूजक है, शौर्य की उपासक है। व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता प्रकट हो इसलिए दशहरे का उत्सव रखा गया है। दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है।

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

‘‘भूरेटिया नी मानू रे’’: अंग्रेजों तुम्हारी नहीं मानूंगा - गोविन्द गुरू

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान

विष्णु के अवतार ' नरसिंह भगवान '

" प्रधानमंत्री मोदीजी की मृत्यु-कामना " वाली कांग्रेस की हिंसक मानसिकता अक्षम्य अपराध है — अरविंद सिसोदिया bjp rajasthan kota

शिव-भाव से जीव-सेवा करें : प्रधानमंत्री मोदी : मन की बात

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

कविता - भारत माँ शर्मिंदा है, राजनीति अब धंधा है।

हिन्दू , एक मरती हुई नस्ल Hindu , Ek Marti Hui Nashal