चिट्ठी बम : देखो मनमोहन अपनी ही चिठ्ठी ..FDI
देखो मनमोहन अपनी ही चिठ्ठी ...
मनमोहन सिंह की इसी चिट्ठी बम को सरकार के माथे पर फेंकते हुए ममता बनर्जी ने 2004 में फेडरेशन आफ एसोसिएशन आफ महाराष्ट्र के सिंघवी की वह चिट्ठी भी सार्वजनिक की है जो सिंघवी की ओर से 2004 में मनमोहन सिंह को लिखी गई थी. यह चिट्ठी जब मनमोहन सिंह को लिखी गई थी तब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बन चुके थे. 20 दिसंबर 2004 को सिंघवी द्वारा लिखी चिट्ठी में मनमोहन सिंह को याद दिलाया गया है कि कैसे उन्होंने 2002 में मुलाकात और पत्राचार के दौरान भूमंडलीकर की निंदा की थी और कहा था कि हमें इस तरह का विकास नहीं चाहिए जो रोजगार पैदा करने की बजाय रोजगार को नष्ट करता हो.
सिंघवी ने अपनी इस चिट्ठी में इस बात पर आश्चर्य जताया है कि मनमोहन सिंह सरकार का वित्त मंत्रालय रिटेल ट्रेड में विदेशी पूंजी निवेश की संभावनाएं तलाश रहा है. 2004 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखी चिट्ठी में सिंघवी ने चिंता जताई है कि कैसे विदेशी रिटेल स्टोर का संचालन करनेवाली कंपनियों के दलाल सरकार के मंत्रियों और आईएएस अधिकारियों को प्रभावित करके देश के खुदरा बाजार में विदेशी निवेश लाने की तैयारी कर रहे हैं. इस चिट्ठी में मनमोहन सिंह से उम्मीद जताई गई थी कि आपने पहले भी कहा है कि खुदरा बाजार में विदेशी निवेश देश में रोजगार के लिहाज से घातक होगा इसलिए हम आपसे उम्मीद करते हैं कि आप इस दिशा में उचित कार्रवाई करेंगे.
और आठ साल बाद मनमोहन सिंह ने उचित कार्रवाई कर दिया. कभी खुद खुदरा बाजार में विदेशी निवेश का विरोध करनेवाले मनमोहन सिंह ने खुदरा बाजार में 51 फीसदी विदेशी निवेश न सिर्फ इजाजत दे दी बल्कि इसे जायज ठहराने के लिए देश को संबोधित भी कर दिया.
मनमोहन सिंह की इसी चिट्ठी बम को सरकार के माथे पर फेंकते हुए ममता बनर्जी ने 2004 में फेडरेशन आफ एसोसिएशन आफ महाराष्ट्र के सिंघवी की वह चिट्ठी भी सार्वजनिक की है जो सिंघवी की ओर से 2004 में मनमोहन सिंह को लिखी गई थी. यह चिट्ठी जब मनमोहन सिंह को लिखी गई थी तब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बन चुके थे. 20 दिसंबर 2004 को सिंघवी द्वारा लिखी चिट्ठी में मनमोहन सिंह को याद दिलाया गया है कि कैसे उन्होंने 2002 में मुलाकात और पत्राचार के दौरान भूमंडलीकर की निंदा की थी और कहा था कि हमें इस तरह का विकास नहीं चाहिए जो रोजगार पैदा करने की बजाय रोजगार को नष्ट करता हो.
सिंघवी ने अपनी इस चिट्ठी में इस बात पर आश्चर्य जताया है कि मनमोहन सिंह सरकार का वित्त मंत्रालय रिटेल ट्रेड में विदेशी पूंजी निवेश की संभावनाएं तलाश रहा है. 2004 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखी चिट्ठी में सिंघवी ने चिंता जताई है कि कैसे विदेशी रिटेल स्टोर का संचालन करनेवाली कंपनियों के दलाल सरकार के मंत्रियों और आईएएस अधिकारियों को प्रभावित करके देश के खुदरा बाजार में विदेशी निवेश लाने की तैयारी कर रहे हैं. इस चिट्ठी में मनमोहन सिंह से उम्मीद जताई गई थी कि आपने पहले भी कहा है कि खुदरा बाजार में विदेशी निवेश देश में रोजगार के लिहाज से घातक होगा इसलिए हम आपसे उम्मीद करते हैं कि आप इस दिशा में उचित कार्रवाई करेंगे.
और आठ साल बाद मनमोहन सिंह ने उचित कार्रवाई कर दिया. कभी खुद खुदरा बाजार में विदेशी निवेश का विरोध करनेवाले मनमोहन सिंह ने खुदरा बाजार में 51 फीसदी विदेशी निवेश न सिर्फ इजाजत दे दी बल्कि इसे जायज ठहराने के लिए देश को संबोधित भी कर दिया.
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