पश्चिम बंगाल चिटफंड घोटाला : कांग्रेस का एक और घोटाला



                      पश्चिम बंगाल की मुख्य मंत्री ममता और  वित्तमंत्री पी. चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम

चिटफंड घोटाले की आंच कांग्रेस तक

Apr 26, 2013,
navbharattimes.indiatimes.com
पीटीआई॥ नई दिल्ली, कोलकाता
पश्चिम बंगाल में निवेशकों के 20 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम डकार लेने के आरोपी शारदा गु्रप से जुड़े मामले की आंच अब तृणमूल से आगे बढ़कर कांग्रेस तक पहुंच गई है। आरोपों से बैकफुट पर आई तृणमूल कांग्रेस ने मामले में चेन्नै की एक सीनियर महिला वकील की भूमिका को लेकर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं। इस वकील की केंद्र सरकार के एक मिनिस्टर से शादी हुई है।
गौरतलब है कि आरोपी सुदीप्तो सेन की ओर से सीबीआई को कथित तौर पर लिखे गए लेटर में आरोप लगाया गया था कि कुछ राजनेताओं, जर्नलिस्ट और वकीलों ने उसे ब्लैकमेल किया और सिक्युरिटी देने की एवज में उससे मोटी रकम भी ऐंठ ली। उधर, केंद्र में प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी ने भी महिला वकील की भूमिका होने के आरोपों की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
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चिदंबरम की पत्नी लपेटे में
-सुदीप्तो सेन की कथित चिट्ठी में तृणमूल एपी संृजॉय बोस और कुनाल घोष, असम से कांग्रेस के एक मिनिस्टर के अलावा वित्तमंत्री पी. चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम का नाम भी शामिल है।
- तृणमूल ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर नलिनी का नाम लिए बिना लिखा है, 'चेन्नै की एक महिला वकील शारदा घोटाले में डीलिंग क्यों कर रही थी? कांग्रेस के मंत्री को इसकी सफाई देनी चाहिए।
- तृणमूल ने आरोप लगाया कि महिला वकील ने एक एग्रीमेंट तैयार करने के बदले 1 करोड़ रुपये लिए। तृणमूल ने पूछा है कि इतनी बड़ी रकम वकील को क्यों दी गई और इसके बदले में उसने शारदा गु्रप के लिए क्या किया?
- तृणमूल ने यह भी पूछा है कि जब दिल्ली और गुवाहाटी में इतने वकील हैं तो चेन्नै के एक वकील की सेवाएं क्यों ली गईं? हालांकि, नलिनी के करीबी सूत्रों ने आरोपों को खारिज किया है।
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मामले में जांच के आदेश: कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल के शारदा गु्रप और उस पर लगे धांधली करने के आरोपों की जांच करने का फैसला किया है। सूत्रों के मुताबिक, कॉरपोरेट मामलों के मंत्री सचिन पायलट की दूसरे सीनियर अधिकारियों के साथ गुरुवार सुबह हुई मीटिंग में इसका फैसला लिया गया। इस मीटिंग में इस मुद्दे के अलावा दूसरे संदिग्ध चिटफंड कंपनियों को नियंत्रित करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने पर भी चर्चा हुई। बता दें कि सेबी और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट भी मामले की जांच कर रहा है।
पुलिस रिमांड में सुदीप्तो : चिटफंड धांधली के मुख्य आरोपी सुदीप्तो सेन को कोर्ट ने गुरुवार को 14 दिन की पुलिस कस्टडी में भेज दिया। सुदीप्तो के अलावा कंपनी की एक डायरेक्टर देवजानी मुखोपाध्याय और झारखंड में कंपनी के कामकाज देखने वाले अरविंद सिंह चौहान को भी रिमांड में भेजा गया है। इन पर धोखाधड़ी ( धारा 420) के अलावा कुछ अन्य चार्ज लगाए गए हैं।
शारदा गु्रप के नाम सैकड़ों कंपनियां : शारदा गु्रप ने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के यहां 100 से अधिक कंपनियों का रजिस्ट्रेशन करा रखा है। ये रीयल एस्टेट , ऑटोमोबाइल , एजुकेशन और एंटरटेनमेंट क्षेत्र की कंपनियां हैं। अधिकारी शारदा गु्रप की कम से कम 10 कंपनियों में फर्जी निवेश की स्कीम्स की जांच कर रहे हैं।
वेस्ट बंगाल सरकार को हलफनामा दायर करने का आदेश :
कोलकाता हाई कोर्ट ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल सरकार को आदेश दिया कि वह 2 मई तक शारदा गु्रप के खिलाफ उठाए गए अपने कदमों की जानकारी एक हलफनामे के जरिए कोर्ट के सामने रखे। कोर्ट ने यह आदेश एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान जारी किया। कंपनी को अग्रिम आदेश तक कोई भी आर्थिक लेनदेन करने से भी रोका गया है।
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सुदीप्तो की चिट्ठी में कांग्रेस नेताओं के नाम भी

एजेंसी | Apr 26, 2013 आर्टिकल

कोलकाता/नई दिल्ली. सुदीप्तो सेन की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। शारदा ग्रुप के चैनल 10 के कर्मचारियों ने कोलकाता के पार्क स्ट्रीट थाने में सांसद कुणाल घोष, शारदा ग्रुप के सीएमडी सुदीप्तो सेन और वाइस प्रेसिडेंट समेत कई शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है। इसी बीच पश्चिम बंगाल में सक्रिय दो अन्य चिट फंड कंपनियां लोगों का पैसा लेकर चंपत हो गई हैं। वहीं, शारदा ग्रुप की ब्रैंड एंबेसेडर रह चुकीं तृणमूल कांग्रेस की सांसद शताब्दी रॉय का कहना है कि उनका शारदा ग्रुप के फर्जीवाड़े से कोई लेना देना नहीं है।

इससे पहले, पश्चिम बंगाल के शारदा चिटफंड घोटाले की लपेट में केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम की पत्नी नलिनी भी आ गई हैं। घोटाले के मुख्य आरोपी शारदा ग्रुप के चेयरमैन सुदीप्तो सेन ने उन पर भी ब्लैकमेलिंग के आरोप लगाए हैं।

सीबीआई को भेजी 18 पेज की चिट्ठी में सुदीप्तो ने नलिनी का नाम लिया है। इसी में तृणमूल कांग्रेस के दो सांसद कुणाल घोष और सृंजय बोस का भी जिक्र है। दोनों सांसदों ने पी. चिदंबरम से इस पर जवाब मांगा है। हालांकि नलिनी ने आरोपों को बेबुनियाद बताया है। सुदीप्तो ने असम सरकार के एक मंत्री समेत 22 लोगों पर उनसे फायदा उठाने का आरोप लगाया है। उसने 15 अप्रैल को ही सीबीआई को चिट्ठी लिखी थी। लेकिन संबंधित जानकारियां अब बाहर आई हैं। सुदीप्तो सेन और उनके दो साथियों को गुरुवार को कोलकाता की कोर्ट में पेश किया गया। अदालत ने सभी को 14 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है। तीनों को मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के गांदरबल में गिरफ्तार किया गया था। पेशी के दौरान कोर्ट में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हंगामा भी किया।

नलिनी से जुड़े पांच आरोप

1. नरसिम्हा राव सरकार में मंत्री रहे मतंग सिंह, उनकी पत्नी मनोरंजना और मेरी कंपनी के बीच नलिनी चिदंबरम ने डील कराई।

2. सबसे अधिक नुकसान मनोरंजना सिंह और मतंग सिंह ने पहुंचाया। मनोरंजना ही अपने पॉजिटिव ग्रुप्स की बिक्री के लिए नलिनी के पास ले गईं।

3. नलिनी ने कहा था कि मैं उन्हें नॉर्थ-ईस्ट में एक चैनल स्थापित करने में मदद करूं। कोई भी विवाद होने पर उसके निपटारे का भरोसा दिलाया था।

4. मैंने उन्हें एक करोड़ से अधिक दिए। इसके अलावा जब भी वह मनोरंजना के साथ कोलकाता आतीं उनकी यात्रा और होटल खर्च मैं ही वहन करता था।

5. नलिनी ने मुझे 42 करोड़ रुपए चैनल के लिए देने को कहा। मैंने अब तक मनोरंजना सिंह और उनके एक सहयोगी को 25 करोड़ रुपए दिए हैं।

सेबी ने चार और कंपनियों पर कार्रवाई को कहा
पश्चिम बंगाल में चार और कंपनियां चार हजार करोड़ रुपए से अधिक की चिट फंड स्कीम चला रही हैं। सेबी ने राज्य सरकार को भेजी चिट्ठी में इनके खिलाफ भी जांच कर कार्रवाई करने को कहा है। इन कंपनियों में रोज वैली इन्वेस्टमेंट, सुमंगल इंडस्ट्रीज, एमपीएस ग्रीनरी और सन प्लांट ग्रुप शामिल है। सेबी के एक अधिकारी के अनुसार हालात इतने बुरे हैं कि पश्चिम बंगाल प्रेशर कुकर बम जैसी स्थिति में आ चुका है।
ईडी ने भी दर्ज किया मामला
चिटफंड कंपनी शारदा समूह के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने भी मामला दर्ज कर लिया है। कंपनी के खिलाफ निदेशालय के गुवाहाटी ऑफिस में मनी लाउंड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज कराया गया है। इससे पहले शारदा ग्रुप के खिलाफ पश्चिम बंगाल की पुलिस, सेबी, आयकर विभाग और कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय पहले से ही जांच कर रहा है। उधर, पश्चिम बंगाल सरकार ने 29 अप्रैल को विधानसभा की विशेष बैठक बुलाई है। उम्मीद है कि इसमें चिट फंड कंपनियों पर अंकुश लगाने के लिए कठोर कानून पास किया जाएगा। या संभव है कि मौजूदा कानून में ही संशोधन किया जाए।

केंद्र ने मार्च में ही किया था आगाह
नई दिल्ली त्नकेंद्रीय कंपनी मामलों के मंत्री सचिन पायलट ने मार्च में ही भारतीय रिजर्व बैंक से वित्तीय कारोबार से जुड़ी संदिग्ध कंपनियों की जांच के लिए लिखा था। आम और गरीब निवेशकों के साथ वित्तीय धोखाधड़ी करने का पश्चिम बंगाल में शारद ग्रुप ऑफ कंपनीज और दो अन्य कंपनियों का मामला तो खुल गया लेकिन देश में ऐसी 22 हजार से अधिक वित्तीय कंपनियों के संदिग्ध कारोबार पर सरकार की नजर है। भास्कर में यह खबर तब भी प्रमुखता से छपी थी। संभवत: कंपनी मामलों के मंत्रालय को शारदा ग्रुप जैसी कंपनियों के फरेब का आभास हो गया था। पायलट ने इस मामले में केंद्रीय वित्त मंत्रालय को भी पत्र लिखा था। कंपनी मामलों के मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक ऐसी 87 कंपनियों के खिलाफ जांच की जा रही है, जिनके खिलाफ शिकायत मिली है।
इनमें पश्चिम बंगाल की शारदा ग्रुप की कंपनियां भी हैं। इनमें अधिकतर गैर-बैंकिंग कंपनियों के रूप में लोगों को उनके निवेश पर बेहतर रिटर्न देने का वादा करती रही हैं। मार्च के शुरू में सचिन पायलट ने रिजर्व बैंक को पत्र लिखा था कि इस समय 34,754 कंपनियां गैर-बैंकिंग या उससे मिलता-जुलता कारोबार कर रही हैं। इनमें मात्र 12,375 को ही रिजर्व बैंक ने गैर-बैकिंग कारोबार की अनुमति दी हुई है जबकि दूसरों ने बचने के लिए अपने पंजीकरण के समय ऐसी बातें जोड़ दी हैं जिससे लगे कि ये भी गैर-बैंकिंग संस्था के तौर पर काम करने को अधिकृत हैं। पायलट ने रिजर्व बैंक को सभी 34,754 कंपनियों की जानकारी साझा करते हुए उनके खिलाफ जांच की सलाह दी थी। उस समय कंपनी मामलों के मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय को भी एक पत्र लिखा था और अनुरोध किया था कि वह रिजर्व बैंक को स्पष्ट निर्देश दे कि अवैध वित्तीय कारोबार में लगी कंपनियों की जांच करे। मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक जिन 87 कंपनियों के खिलाफ जांच की जा रही है, उनमें 73 के साथ पश्चिम बंगाल की हैं। वहीं दिल्ली में 5 व तमिलनाडु में 5 कंपनियों के खिलाफ जांच चल रही है। इसके अलावा राजस्थान में 2 कंपनियों के साथ कर्नाटक और उत्तर प्रदेश की 1-1 कंपनी की जांच की जा रही है।
क्या कर रहा है कंपनी मामलों का मंत्रालय
ऐसे मामले, जिसमें छोटे निवेशकों को मल्टी लेवल मार्केटिंग के नाम पर फंसाया जाता है, को रोकने के लिए पूर्वानुमान सेल बनाया जा रहा है। यह सेल बिना शिकायत के उन कंपनियों के खिलाफ अपनी जांच शुरू कर देगा, जिसकी योजनाएं अव्यावहारिक लगेंगी। मंत्रालय ने अपने एंटी फ्रॉड इंवेस्टीगेशन ऑफिस को सभी राज्य के ऐसे कार्यालय के साथ तालमेल करने को कहा है। इसके अलावा मंत्रालय अपने मार्केट रिसर्च एवं एनालिसिस यूनिट को अपनी इंटेलिजेंस यूनिट के तौर पर नए सिरे से गठित कर रहा है। राज्य सरकार के माध्यम से विभिन्न राज्यों में पुलिस के साथ भी तालमेल बढ़ा रहा है, जिससे त्वरित आधार पर किसी कंपनी के बाबत जानकारी हासिल की जा सके।
'आम और गरीब निवेशक अपने जीवन की जमा-पूंजी आकर्षक प्रलोभन की वजह से इन कंपनियों में लगा देते हैं, जब ऐसे लोगों के साथ धोखाधड़ी होती है तो केंद्र सरकार का उसमें दखल जरूरी हो जाता है। कंपनी मामलों का मंत्रालय और स्वयं मैं इस मामले से आहत और स्तब्ध हूं। इस मामले की जांच पर हम निगरानी रख रहे हैं और अपने स्तर पर भी जांच शुरू करेंगे, ताकि गरीब और आम लोगों का पैसा, जो इन कंपनियों ने हड़प लिया है, वापस दिलाने का हर संभव प्रयास किया जा सके।'
-सचिन पायलट - कंपनी मामलों के मंत्री 

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