पायो जी मैंने राम रतन धन पायो -मीरा





पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ..
वस्तु अमोलिक दी मेरे सतगुरु किरपा करि अपनायो .
जनम जनम की पूंजी पाई जग में सभी खोवायो .
खरचै न खूटै चोर न लूटै दिन दिन बढ़त सवायो .
सत की नाव खेवटिया सतगुरु भवसागर तर आयो .
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर हरष हरष जस गायो .

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान

कविता - दीपक बनो प्रकाश करो

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

My Gov दवा लेबलिंग में स्थानीय भाषा का उपयोग हो

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग

असंभव को संभव करने का पुरुषार्थ "राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ"

"जननी जन्मभूमि स्वर्ग से महान है"।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS की शाखा में जाने के लाभ