रेलमंत्री पवन कुमार बंसल के भांजे विजय सिंगला रिश्वत कांड में गिरिफ्तर
रेलमंत्री पवन कुमार बंसल के भांजे विजय सिंगला रिश्वत कांड में गिरिफ्तर
04 May 2013
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]।
करोड़ों की रिश्वत देकर रेलवे बोर्ड का सदस्य बनाए जाने के मामले में रेल मंत्री पवन कुमार बंसल भले ही भांजे विजय सिंगला से अपने संबंधों को नकार रहे हों, लेकिन उनके लिए सीबीआइ के सवालों का जवाब देना मुश्किल हो सकता है। छापे के दौरान जब्त दस्तावेजों और गिरफ्तार आरोपियों से जो कुछ जानकारी मिली है, उससे जांच का दायरा बड़ा हो गया है।
मामले को तूल पकड़ता देख रेल मंत्री पवन बंसल ने प्रधानमंत्री से मुलाकात कर अपने इस्तीफे की पेशकश की। हालांकि कांग्रेस ने उनका बचाव करते हुए कहा है कि इस मामले में रेल मंत्री ने अपनी सफाई दे ही है और उनके इस्तीफे का सवाल ही नहीं उठता।
कांग्रेस के प्रवक्ता जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि इस मामले में रेल मंत्री का सफाई आ गया है। उन्होंने खुद कहा है कि इस मामले में पूरी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे ज्यादा आप रेल मंत्री से अपेक्षा नहीं कर सकते हैं। उनके इस्तीफे का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें इस्तीफा मांगने का रोग हो गया है। शनिवार की शाम हुई कांग्रेस कोर कमिटी की बैठक में भी इस मामले पर कोई फैसला नहीं हो पाया। ऐसा कयास लगाया जा रहा है कि अभी संप्रग देखो और इंतजार करो की नीति पर अमल करेगी।
ऐसा माना जा रहा है कि महेश कुमार को रेलवे बोर्ड का सदस्य [स्टाफ] बनाने के साथ-साथ टेलीकम्युनिकेशन और सिग्नलिंग का अतिरिक्त प्रभार देने का सौदा भी हुआ था। जीएम पश्चिम रेलवे का प्रभार भी उन्हीं के पास है। रेलमंत्री बंसल से सीबीआइ इस खास मेहरबानी की वजह जरूर जानना चाहेगी। जांच एजेंसी ने एफआइआर में स्पष्ट रूप से कहा है कि ये सारे पद महेश कुमार को एक साजिश के तहत दिए जाने थे, जिसके लिए दो करोड़ रुपये का सौदा हुआ था। सूत्रों के मुताबिक सीबीआइ को इसकी भनक लग चुकी थी, जिसके आधार पर महेश कुमार और सिंगला के टेलीफोन से होने वाली बातचीत जहां सुनी जा रही थी, वहीं मोबाइल फोन के जरिये उनकी लोकेशन पर लगातार नजर रखी जा रही थी। जिन लोगों पर संदेह था, उन्हें सर्विलांस पर रखा गया था। लेकिन उन्हें गिरफ्तार करने के लिए रिश्वत देने का इंतजार किया जा रहा था।
आरोपियों की रिमांड मांगते हुए पटियाला हाऊस अदालत में सीबीआइ ने दलील भी दी है कि उसे 90 लाख रुपये की रिश्वत का अंतत: लाभ लेने वाले का पता करना है। इसकी जांच के लिए इन अभियुक्तों से पूछताछ करना जरूरी है। जांच एजेंसी ने यह कहकर बंसल की मुश्किलें बढ़ाने के संकेत दे दिए हैं।
सीबीआइ का कहना है कि महेश कुमार को बोर्ड सदस्य [इलेक्ट्रिकल] बनाने के लिए दस करोड़ में सौदा हुआ था। सौदे के तहत महेश कुमार ने मांग रखी थी कि जब तक उन्हें सदस्य इलेक्ट्रिकल नहीं बनाया जाता, तब तक उन्हें टेलीकम्यूनिकेशन और सिग्नलिंग का अतिरिक्त प्रभार भी दिया जाए। इसके लिए दो करोड़ रुपये देने पर महेश कुमार ने हामी भरी थी। बाकी पैसे सदस्य [इलेक्ट्रिकल] बनने के बाद देने थे।
मामले में चौतरफा दबाव के बाद रेल मंत्री ने शनिवार की सुबह सफाई देते हुए कहा है कि इस रिश्वत कांड से मेरा कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरे सरकारी कामकाज में किसी का दखल नहीं है। विजय का भी नहीं। रेल मंत्री ने यहां तक कहा कि इस मामले की उन्हें कोई जानकारी नहीं थी। उन्होंने सीबीआई से मांग की कि वह इस मामले में जल्दी जांच करे। शनिवार को बंसल को चंड़ीगढ़ जाना था, लेकिन उन्होंने अपना दौरा रद्द कर दिया है।
इस बीच इस मुद्दे पर एनडीए में भी फूट दिख रही है। जेडीयू के नेता शरद यादव ने कहा है कि अगर किसी मंत्री का कोई रिश्तेदार रिश्वतखोरी में शामिल है तो उसका यह मतलब नहीं कि मंत्री इसके लिए जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि रेल मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए। उधर, भाजपा ने प्रधानमंत्री से बंसल का इस्तीफा मंजूर करने और खुद पीएम को भी इस्तीफा देने की मांग की है। रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी द्वारा नब्बे लाख रुपये की घूस दिए जाने के मामले में भाजपा रेल मंत्री के इस्तीफे और उन पर सीबीआइ द्वारा मामला दर्ज कराने पर अड़ी है। भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने आरोप लगाया है कि रेलवे में ऊंचे पदों की बोली लग रही है। उन्होंने रिश्वत मामले में रेल मंत्री की भूमिका जांच की भी मांग की है।
उद्योगपतियों के हवाले था रिश्वत का इंतजाम
रिश्वत के इंतजाम की जिम्मेदारी महेश कुमार के कहने पर उद्योगपतियों ने संभाली थी, लेकिन बेंगलूर का उद्योगपति मंजूनाथ केवल 90 लाख का इंतजाम कर पाया था, जो पकड़ा गया। जांच एजेंसी के निशाने पर बेंगलूर की जीजी ट्रॉनिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ वे कंपनियां भी हैं, जो महेश कुमार को रेलवे बोर्ड का सदस्य (इलेक्ट्रिकल) बनाने के लिए रिश्वत देने के इंतजाम में जुड़ी थीं। इस पूरे मामले में बिचौलिये की भूमिका पंचकुला के संदीप गोयल ने निभाई। दरअसल आने वाले दिनों में इलेक्ट्रिकल क्षेत्र में 2000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं शुरू होने वाली हैं। सूत्रों के मुताबिक उद्योगपतियों की नजर इसी परियोजना पर थी।
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