आधी दौलत पर सिर्फ 1 फीसदी लोगों का कब्जा : शैम शैम




दुनिया की आधी दौलत पर सिर्फ 1 फीसदी लोगों का कब्जा : शैम शैम
ईटी हिंदी| Jan 19, 2015
पैरिस
http://navbharattimes.indiatimes.com/business/business-news/richest-1-to-own-more-than-rest-of-the-world-by-2016-oxfam/articleshow/45939507.cms
गरीबी का मुद्दा एक ऐसा मुद्दा रहा है जो छोटे-छोटे मंचों से विश्वस्तरीय मंचों पर भी उठता रहा है, लेकिन यह विडंबना ही है कि जितनी दौलत दुनिया के 99 प्रतिशत लोगों के पास है, उतना धन अकेले एक प्रतिशत लोगों के पास है। समाज कल्याण के लिए काम करने वाली संस्था ऑक्सफैम चैरिटी की रिपोर्ट के अनुसार, 2016 तक यह आंकड़ा भी पार कर जाएगा और 1 प्रतिशत के लोगों के पास उस धन से भी अधिक धन हो जाएगा जो दुनिया के 99 प्रतिशत लोगों के पास है।

ऑक्सफैम के ऐग्जिक्युटिव डायरेक्टर विन्नी बयनिमा ने बताया, दुनिया भर में असमानता का स्तर काफी बढ़ता जा रहा है और इसे ग्लोबल अजेंडा में शामिल होने के बावजूद गरीब और अमीर के बीच की खाई बढ़ती जा रही है। दुनिया भर में गरीब-अमीर के बीच की खाई काफी चौड़ी होती जा रही है।

2009 में पूरी दुनिया में एक प्रतिशत धनी लोगों के पास 44 प्रतिशत धन था जो 2014 में बढ़कर 48 प्रतिशत हो गया। ब्रिटेन की चैरिटी संस्था की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2016 में यह शेयर 50 प्रतिशत से अधिक हो जाएगा। ऑक्सफैम के अनुसार, इस ग्रुप के लोगों के पास प्रति व्यस्क व्यक्ति 2.7 मिलियन डॉलर है। बाकी बचे धन में से 46 प्रतिशत धन पर दुनिया के उससे नीचे स्तर के धनी लोगों का कब्जा है यानी शेष 80 प्रतिशत लोगों के पास मात्र 5.5 प्रतिशत धन है जो प्रति व्यस्क व्यक्ति करीब 2 लाख रुपए के करीब है।

यह बात ऑक्सफैम के एमडी ने दावोस में बुधवार से शनिवार तक आयोजित होने जा रही वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ)की मीटिंग के मद्देनजर कही। वह डब्ल्यूईएफ के उपाध्यक्ष भी हैं। उन्होंने मीटिंग में भाग लेने वाले दुनिया भर के नेताओं से उन निहित स्वार्थों पर शिकंजा कसने को कहा जो दुनिया को न्यायसंगत और अधिक संपन्न बनाने के रास्ते में रुकावट पैदा करते हैं।

ऑक्सफैम ने देशों से कर चोरी पर अंकुश लगाने, पब्लिक सर्विसेज में बेहतरी लाने, श्रम की बजाए पूंजी पर कर लगाने और न्यूनतम आजीविका दिहाड़ी तय करने का आहवान किया ताकि धन संपदा का समान वितरण हो।

डब्ल्यूईएफ की मीटिंग बुधवार से शनिवार तक आयोजित होगी। इसमें भारी संख्या में लोगों को हिस्सा लेने की उम्मीद है जिनमें से 300 से अधिक राष्ट्र प्रमुख और सरकार के प्रतिनिधि होंगे।

फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद, जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल और चीन के ली क्विंग इस मीटिंग में शामिल होंगे और पूरी दुनिया जिन समस्याओं से ग्रसित है उन पर चर्चा करेंगे। इटली के प्रधानमंत्री और अमेरिक के सेक्रटरी ऑफ स्टेट को भी इसमें भाग लेने की उम्मीद है। यहां जिन मुद्दों पर चर्चा होने और उनके समाधान पर गौर करने की उम्मीद है उनमें दुनिया भर में बढ़ती हुई असमानता, यूरोप में आतंकवाद का खतरा, इबोला जैसी महामारी का प्रकोप और तेल की गिरती हुई कीमतें अहम हैं।

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