सोनिया, राहुल से नाराज पूर्व केंद्रीय मंत्री नटराजन ने कांग्रेस छोड़ी
कांग्रेस में नहीं आंतरिक लोकतंत्र, हाई कमान में समस्याः जयंती नटराजन
January 30, 2015
नई दिल्ली: यूपीए सरकार में पर्यावरण मंत्री रहीं जयंती नटराजन ने कांग्रेस छोड़ दी है। उनके द्वारा सोनिया गांधी को लिखा लेटर मीडिया में आने के बाद शुक्रवार दोपहर उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र की कमी की बात भी उठाई।
जयंती नटराजन ने कहा, ‘मैंने पार्टी की हर बात मानी, मगर मुझे क्यों हटाया गया था, कुछ पता नहीं। अभी मेरा किसी और पार्टी को जॉइन करने का इरादा नहीं है।’ कांग्रेस हाई कमान पर हमला करते हुए जयंती ने कहा कि राज्य कांग्रेस से कोई विवाद नहीं। समस्या हाई कमान से है। मुझे मैडम सोनिया गांधी से मिलने का वक्त नहीं दिया गया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत में ही जयंती ने कांग्रेस से अपने रिश्ते की बात कही। उन्होंने कहा कि मेरे लिए ये दर्द भले पल हैं क्योंकि मेरा परिवार कांग्रेस के साथ इसके गठन के वक्त से है। हालांकि उन्होंने यह कहते देर नहीं लगाई कि अब वक्त आ गया है जब मुझे कांग्रेस से जुड़े होने पर पुनर्विचार करना पड़ेगा। यह कांग्रेस वह नहीं है, जिसके साथ मैं जुड़ी थी।
पर्यावरण मंत्री के पद से हटाए जाने पर जयंती ने बोला, मैंने मंत्री के रूप में हर कदम कानून के मुताबिक और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए उठाया। मैंने अपना काम पूरी ईमानदारी से किया।’ इसके अलावा ‘कांग्रेस उपाध्यक्ष के ऑफिस ने भी कहा कि बड़े प्रॉजेक्ट्स की वजह से पर्यावरण का नुकसान नहीं होना चाहिए। पार्टी का भी यही रुख था। ऐसे में मैंने यही किया।’
जयंती ने कहा कि पार्टी लाइन पर चलने के बावजूद मुझे मंत्री पद से इस्तीफा क्यों दिलवाया गया, यह मुझे आज तक समझ में नहीं आया। ‘जब मैंने इस्तीफा दिया था, प्रधानमंत्री ने मेरे काम की तारीफ की थी। कोई गलती या कमी नहीं गिनाई गई थी।’
लोकसभा चुनाव के पहले नरेंद्र मोदी ने पर्यावरण मंत्रालय को लेकर ‘जयंती टैक्स’ कहकर तंज कसा था। इस पर जयंती नटराजन ने कहा, ‘पीएम मोदी ने ‘जयंती टैक्स’ की बात की थी। अब वह सरकार में हैं, इसकी जांच करवा लें। मैं इसका स्वागत करती हूं।’
------------
जयंती नटराजन ने कहा, ‘मैंने पार्टी की हर बात मानी, मगर मुझे क्यों हटाया गया था, कुछ पता नहीं। अभी मेरा किसी और पार्टी को जॉइन करने का इरादा नहीं है।’ कांग्रेस हाई कमान पर हमला करते हुए जयंती ने कहा कि राज्य कांग्रेस से कोई विवाद नहीं। समस्या हाई कमान से है। मुझे मैडम सोनिया गांधी से मिलने का वक्त नहीं दिया गया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत में ही जयंती ने कांग्रेस से अपने रिश्ते की बात कही। उन्होंने कहा कि मेरे लिए ये दर्द भले पल हैं क्योंकि मेरा परिवार कांग्रेस के साथ इसके गठन के वक्त से है। हालांकि उन्होंने यह कहते देर नहीं लगाई कि अब वक्त आ गया है जब मुझे कांग्रेस से जुड़े होने पर पुनर्विचार करना पड़ेगा। यह कांग्रेस वह नहीं है, जिसके साथ मैं जुड़ी थी।
पर्यावरण मंत्री के पद से हटाए जाने पर जयंती ने बोला, मैंने मंत्री के रूप में हर कदम कानून के मुताबिक और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए उठाया। मैंने अपना काम पूरी ईमानदारी से किया।’ इसके अलावा ‘कांग्रेस उपाध्यक्ष के ऑफिस ने भी कहा कि बड़े प्रॉजेक्ट्स की वजह से पर्यावरण का नुकसान नहीं होना चाहिए। पार्टी का भी यही रुख था। ऐसे में मैंने यही किया।’
जयंती ने कहा कि पार्टी लाइन पर चलने के बावजूद मुझे मंत्री पद से इस्तीफा क्यों दिलवाया गया, यह मुझे आज तक समझ में नहीं आया। ‘जब मैंने इस्तीफा दिया था, प्रधानमंत्री ने मेरे काम की तारीफ की थी। कोई गलती या कमी नहीं गिनाई गई थी।’
लोकसभा चुनाव के पहले नरेंद्र मोदी ने पर्यावरण मंत्रालय को लेकर ‘जयंती टैक्स’ कहकर तंज कसा था। इस पर जयंती नटराजन ने कहा, ‘पीएम मोदी ने ‘जयंती टैक्स’ की बात की थी। अब वह सरकार में हैं, इसकी जांच करवा लें। मैं इसका स्वागत करती हूं।’
------------
सोनिया, राहुल से नाराज जयंती नटराजन ने कांग्रेस छोड़ी
By एबीपी न्यूज़ Friday, 30 January
नई दिल्ली: कांग्रेस को करारा झटका देते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री जयंती नटराजन ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. जयंती ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर तीखे प्रहार करते हुए उनपर परियोजनाओं के लिए पर्यावरण मंजूरी दिए जाने के 'खास अनुरोध' भेजने का आरोप लगाया है. जयंती नटराजन ने राहुल गांधी के दफ्तर पर गलत प्रचार करने का लगाते हुए कहा है कि लगातार उनकी छवि खराब करने की कोशिश की गई है.
चार बार कांग्रेस की सांसद रह चुकीं नटराजन ने कांग्रेस की मुसीबतों को बढ़ा दिया है और संप्रग सरकार की शासन की शैली को लेकर बीजेपी नेताओं ने हमले किए हैं. नटराजन तमिलनाडु की कांग्रेस की दूसरी नेता हैं जिन्होंने पार्टी छोड़ी है. इससे पहले जी. के. वासन ने पार्टी छोड़कर अपनी अलग पार्टी बनाई थी.
कांग्रेस की तमिलनाडु इकाई आंतरिक कलह का सामना कर रही है और हाल में कथित तौर पर पार्टी विरोधी टिप्पणी को लेकर पार्टी की राज्य इकाई की ओर से जारी कारण बताओ नोटिस का कार्ती चिदंबरम ने जवाब देने से मना कर दिया था. कार्ती पार्टी के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम के पुत्र हैं.
क्या हैं जयंती नटराजन के आरोप
इस्तीफा देने से पहले जयंती नटराजन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करके कहा कि 'घुटन वाले माहौल में' वह नहीं रह सकतीं. नटराजन ने आरोप लगाया कि संप्रग सरकार के दूसरे कार्यकाल में पर्यावरण मंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद उनकी प्रतिष्ठा धूमिल करने के लिए राहुल गांधी के कार्यालय की ओर से कहानियां गढ़ीं गईं. हालांकि कांग्रेस छोड़ने के बाद वह कोई दूसरी पार्टी ज्वाइन करेंगी इस उनका कहना है, 'ऐसे कड़वे अनुभवों के बाद मेरी किसी अन्य राजनीतिक दल में शामिल होने की कोई योजना नहीं है.'
जयंती नटराजन ने कहा, 'मैं ऐसे परिवार से हूं जिसके खून में कांग्रेस है. यूथ कांग्रेस के दिनों से यह मेरे खून में है. लेकिन वक्त आ गया है जब मुझे कांग्रेस से जुड़े होने पर पुनर्विचार करना पड़ेगा. यह कांग्रेस वह नहीं है जिसके साथ मैं जुड़ी थी. मेरे लिए ये दर्द भले पल हैं क्योंकि मेरा परिवार कांग्रेस के साथ इसके गठन के वक्त से है.'
जयंती नटराजन ने कहा, 'मेरा लिखा लेटर जब न्यूज पेपर में छपा तो मुझे लगा कि इस मामले पर अपना रुख मुझे साफ करना चाहिए. मुझे दुख है कि यह इस हालत में पहुंच गई है. देश और पार्टी की सेवा के लिए मुझे जो मौके दिए गए, उसके लिए मैं पार्टी की शुक्रगुजार हूं.'
राहुल गांधी के भाषण से लगा धक्का- जयंती
जयंती ने कहा है कि उन्हें सबसे ज्यादा धक्का कांग्रेस उपाध्यक्ष द्वारा फिक्की में दिए गए भाषण से लगा. आपको बता दें कि फिक्की में राहुल गांधी के भाषण से एक दिन पहले ही जयंती नटराजन ने पर्यावरण मंत्री के पद से इस्तीफा से दिया था. अगले ही दिन फिक्की में उद्योगपतियों के बीच जाकर राहुल ने कहा कि अब आपको (उद्योगपतियों को) कोई दिक्कत नहीं होगी. इस पर जयंती नटराजन ने बताय कि उन्होंने ई-मेल में राहुल गांधी को लिखा, 'मैंने फिक्की का भाषण सुना, मैं जानना चाहती हूं कि आपने ऐसा क्यों किया?' इस पर राहुल गांधी का जवाब आया कि वे अभी व्यस्त हैं और बाद में कॉल करेंगे लेकिन अब तक उन्होंने कोई फोन नहीं किया.
जयंती नटराजन ने पर्यावरण के मुद्दे पर कहा, 'कांग्रेस उपाध्यक्ष की तरफ से कई गुजारिशें आईं. उनके ऑफिस ने मुझे पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखने के लिए कहा. मैंने मंत्री के रूप में हर कदम कानून के मुताबिक और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए उठाया. अपना काम ईमानदारी से किया.'
नटराजन ने अपने कार्यकाल के दौरान दी गई पर्यावरण मंजूरियों की किसी भी तरह की जांच का स्वागत करते हुए कहा कि इससे उन्हें अपनी स्थिति स्पष्ट करने का मौका मिलेगा. नटराजन ने कहा, 'मैंने कुछ भी गलत नहीं किया. अगर इस बात का कोई ठोस सुबूत है कि मैंने कुछ गलत किया है तो मैं फांसी पर चढ़ने या जेल जाने के लिए तैयार हूं.'
नटराजन ने यहा भी कहा, 'यूपीए-2 में मंत्री के रूप में मैं जासूसी मुद्दे पर नरेंद्र मोदी पर हमला नहीं करना चाहती थी, लेकिन पार्टी उच्च स्तर पर चाहती थी कि मैं ऐसा करूं.'
दिग्विजय सिंह ने आरोपों को नकारा
कांग्रेस प्रवक्ता दिग्विजय सिंह ने जयंती नटराजन के इन आरोपों को निराधार बताया है. दिग्वजिय सिंह ने कहा है, 'जयंती नटराजन के आरोप गलत हैं. राहुल/सोनिया जी ने कभी सरकार के कामकाज में दखल नहीं दिया. मंत्री निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र थे.' दिग्विजय सिंह ने सोनिया और राहुल का बचाव करते हुए कहा, 'अगर राहुल और सोनिया गांधी को ऐसा करना होता तो वे खुद ही प्रधानमंत्री या फिर मंत्री बन जाते.'
कांग्रेस नेता शोभा ओझा ने इस पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा है, 'उनके आरोप निराधार हैं. उनके पास कोई तथ्य नहीं है. उस समय वे चुप क्यों थीं?
चिट्ठी से भूचाल
एक अंग्रेजी दैनिक में प्रकाशित पत्र में कहा गया है कि जयंती से देश में होने वाले आम चुनाव से 100 दिन से भी कम समय पहले पद से इस्तीफा देने को कहा गया था. यह पत्र नटराजन ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखा है जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि पार्टी के एक हिस्से ने मीडिया में ‘‘गलत रूप से उन्हें अपमानित’’ और ‘‘बदनाम’’ किया.
जयंती नटराजन ने आरोप लगाया है कि जब वे पर्यावरण मंत्री थीं तब राहुल ने उनसे कई प्रोजेक्ट्स की पर्यावरण से जुड़ी मंजूरी रोकने को कहा था. नवंबर 2014 में जयंती नटराजन ने सोनिया गांधी को ये चिट्ठी लिखी थी. यह चिट्ठी अंग्रेजी अख़बार 'द हिदू' के पास उपलब्ध है.
नटराजन ने अपने पत्र में लिखा है, 'मुझे श्री राहुल गांधी और उनके कार्यालय से विशेष अनुरोध (जो हम लोगों के लिए निर्देश हुआ करता था) मिला जिसमें कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में पर्यावरण चिंताओं को अग्रसारित किया गया और मैंने उन अनुरोधों का सम्मान करने का ध्यान रखा.' नटराजन ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी के 'अपने पर्यावरणोन्मुखी रूख' से 'कॉरपोरेट फ्रेंडली' रूख अपनाने के बाद वह पार्टी के कुछ लोगों द्वारा मीडिया में चलाए गए 'विद्वेषपूर्ण, गलत और प्रायोजित' अभियान का शिकार बनीं.
उन्होंने यह भी बताया कि जब पार्टी में काम करने के बहाने दबाव डालकर उनसे इस्तीफा दिलवाया गया था तब अगले ही दिन फिक्की में उद्योगपतियों के बीच जाकर राहुल ने कहा कि अब आपको (उद्योगपतियों को) कोई दिक्कत नहीं होगी. जयंती ने यह भी आरोप लगाया कि उनपर पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के कैबिनेट मंत्रियों की ओर से भी कई बड़े प्रोजेक्ट्स को पर्यावरण की मंजूरी देने का दवाब था लेकिन वे दवाब में नहीं आईं.
बताते चलें कि जयंती नटराजन को दिसंबर 2013 में सरकार से हटाकर कांग्रेस पार्टी के संगठन में लाया गया था. तब ये प्रचार हुआ था कि जयंती के कारण कई प्रोजेक्ट्स अटके हुए हैं क्योंकि वे इन प्रोजेक्ट्स को मंजूरी नहीं देती हैं.
जयंती नटराजन की इस चिट्ठी का निचोड़ निकाला जाए तो यह बात सामने आती है कि राहुल गांधी यूपीए-2 के वक्त सरकार के फैसलों में दखल देते थे. कांग्रेस लगातार इन आरोपों को नकारती रही है कि राहुल का सरकार की नीतियों में दखल था.
सोनिया गांधी की चिट्ठी से ये संकेत भी मिलने लगे हैं कि जयंती के मन में आजकल क्या चल रहा है. नवंबर की चिट्टी में जयंती ने कई ऐसी बातें लिखी हैं जो मोदी के प्रति उनकी नरमी का इशारा कर रही हैं. जय़ंती ने स्नूपगेट यानी जासूसी के मामले में नरेंद्र मोदी पर हमले का विरोध किया था और ये भी लिखा कि उन पर मोदी पर हमले की दबाल डाला गया.
बावरिया ने स्वीकारा
जयंती ने आरोप लगाया है कि अदाणी के मामले में उन्हें राहुल गांधी के आफिस ने दीपक वाबरिया के नाम के व्यक्ति से संपर्क के लिए कहा गया था. एबीपी न्यूज ने बावरिया से संपर्क किया. बावरिया ने कहा है कि वो 2012-13 में राहुल गांधी से मछुआरे और किसानों के साथ मिले थे. उसी के बाद मुंद्रा मामले में सुनीता नारायण की नियुक्ति हुई थी.
बीजेपी ने कांग्रेस के खिलाफ खोला मोर्चा
जयंती नटराजन के आरोपों के बाद सरकार के मंत्री कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा बोलने लगे हैं. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि पर्यावरण मंत्रालय को पर्यावरण मंजूरियों की जांच करनी चाहिए.
इस खबर पर प्रतिक्रिया जताते हुए अरूण जेटली ने कहा, 'यूपीए सरकार इस देश का संचालन किस तरह देश परकरती रही है इसकी सच्चाई इस चिट्ठी से सामने आ गई है. किसी भी सरकार के संचालन में देश की अर्थव्यवस्ता किस प्रकार से चलाई जाती है, देश का विकास किस प्रकार होता है ये प्रमुख होता है. पर्यावरण संबंधित अनुमति मिलने में सालों लग जाएं, मनमानी के साथ किसको देनी है किसे नहीं देनी है इसके संबंध में अफवाहें थी जो अब सच साबित हुई हैं. इसकी एक कानूनी व्यवस्था है उस व्यवस्था के अनुकूल देनी चाहिए लेकिन मनमानी से दी जाएं, पार्टी की हित किसमें है और पार्टी की इच्छा किसमें है, सरकार ये तय न करे, पार्टी तय करें. प्रधानमंत्री और सरकार मूकदर्शक रह जाएं इस आधार पर ये अनुमतियां दी जाती थीं.'
अब पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर का बयान आया है कि सरकार जयंती के आरोपों की जांच करेगी
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें