सुभाषचंद्र बोस की हत्या रुस में : सुब्रह्मण्यम स्वामी
बोले सुब्रह्मण्यम स्वामी, सुभाषचंद्र बोस की हत्या जवाहर लाल नेहरू ने करवाई थी
By News Desk | Publish Date: Jan 24 2015http://www.prabhatkhabar.com/news/national/subramanian-swamy-jawaharlal-nehru-subhash-chandra-bose-murder-stalin-conspiracy/292848.html
मेरठ : भारतीय राजनीति में विवादित बातों को भी बेबाकी से रखने के लिए मशहूर सुब्रह्मण्यम स्वामी ने फिर एक ऐसा बयान दे दिया है, जो विवादों का कारण बनेगा. कल नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती के अवसर पर वे उत्तर प्रदेश के मेरठ में थे. नवभारत टाइम्स में छपी खबरों के अनुसार स्वामी ने यहां दावा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की हत्या रुस में स्टालिन ने करायी थी और इसमें जवाहर लाल नेहरू का हाथ था. इस समारोह में उन्होंने दावा किया कि अगली बार वे जब नेताजी की जयंती पर मेरठ आयेंगे, तो इस बात के सबूत लेकर आयेंगे, जिससे यह साबित होता है कि नेहरू ने ही नेताजी की हत्या करवाई.
इस मौके पर स्वामी ने एक बार फिर दोहराया कि सुनंदा पुष्कर की हत्या हुई है और इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी पूछताछ होनी चाहिए. स्वामी ने कहा, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद नेताजी को वॉर क्रिमिनल घोषित कर दिया गया था और एक फर्जी खबर फैलायी गयी थी कि विमान दुर्घटना में उनकी मौत हो गयी. लेकिन सच्चाई इससे इतर है. वे शरण के लिए रूस पहुंचे थे, जहां उन्हें स्टालिन ने कैद कर लिया था.
स्टालिन ने नेहरू को बताया कि नेताजी उनकी कैद में हैं क्या करें ? इस पर उन्होंने ब्रिटिश प्रधानमंत्री को इसकी सूचना भेज दी और कहा कि आपका वॉर क्रिमिनल रूस में है। साथ ही उन्होंने स्टालिन को इस पर सहमति दे दी कि नेताजी की हत्या कर दी जाये. स्वामी ने दावा कि अगली बार जब वे मेरठ आयेंगे, तो तमाम दस्तावेज लायेंगे, जो यह साबित करेंगे कि नेताजी का कातिल कौन है.
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नेताजी सुभाष चंद्र बोस की हत्या नेहरू ने करायी: सुब्रमण्यम स्वामी
January 24, 2015
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मेरठ : बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की हत्या रूस में स्टालिन ने कराई थी और इसमें जवाहर लाल नेहरू का हाथ था। स्वामी ने वादा किया कि अगली बार नेताजी की जयंती पर वह मेरठ आएंगे तो अपने साथ इससे जुड़े दस्तावेज और फाइलें लेकर आएंगे।
मेरठ में पीएल शर्मा स्मारक भवन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती समारोह समिति के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में सुब्रह्मण्यम स्वामी ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। इस दौरान उन्होंने नेताजी के संघर्ष पर विचार व्यक्त किए। कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद नेताजी को वार क्रिमिनल घोषित कर दिया गया तो उन्होंने एक फर्जी सूचना फ्लैश कराई गई कि प्लेन क्रैश में नेताजी की मौत हो गई। बाद में वे शरण लेने के लिए रूस पहुंचे, लेकिन वहां तानाशाह स्टालिन ने उन्हें कैद कर लिया।
स्टालिन ने नेहरू को बताया कि नेताजी उनकी कैद में हैं क्या करें? इस पर उन्होंने ब्रिटिश प्रधानमंत्री को इसकी सूचना भेज दी। कहा कि आपका वार क्रिमिनल रूस में है। साथ ही उन्होंने स्टालिन को इस पर सहमति दे दी कि नेताजी की हत्या कर दी जाए। स्वामी ने दावा किया कि नेहरू के स्टेनो उन दिनों मेरठ निवासी श्याम लाल जैन थे। 26 अगस्त 1945 को आसिफ अली के घर बुलाकर नेहरू ने उनसे यह पत्र टाइप कराया था। श्याम लाल ने खोसला आयोग के सामने यह बात तो रखी पर उनके पास सुबूत नहीं थे।
स्वामी ने कहा कि इसी अहसान में नेहरू हमेशा रूस से दबे रहे और कभी कोई विरोध नहीं किया। कहा कि नेताजी की मौत के रहस्य से पर्दा उठेगा। सच सामने आएगा कि देश के गद्दार कौन थे? स्वामी ने बताया कि इस संबंध में उनकी केंद्र सरकार से बात हो रही है। वादा किया कि अगले साल जब वह नेताजी के जयंती समारोह में शामिल होने मेरठ आएंगे तो सारे दस्तावेज और संबंधित फाइलें उनके पास होंगी। इन्हें वह मेरठ की जनता के सामने पेश करेंगे। उन्होंने फिर से नेहरू पर निशाना साधा और कहा कि नेहरू ने ही देश को कश्मीर का दर्द दिया, जो आज भी सिरदर्द बना है।
फर्जी नेता नहीं हैं सुब्रह्मण्यम स्वामी । अंतः जो कहा होगा बासबूत कहा होगा। दरअसल, भारतीय जनता पार्टी फिरंगी सोच की नहीं है! वह सुभाष जी को आजादी का सच्चा नायक मानती है। वह जानती है कि सुभाष चन्द्र बोस गरीबों के समर्थक थे। वे भारतीय स्वतन्त्रता में आमजन की भूमिका को महत्त्वपूर्ण मानते थे, न कि कोट में फूल लटकाने वाले चोचलेदार नेताओं को। वह नेहरू की तरह अभिजात्य और गुलामी के दिनों में भी सम्पन्न कतई न थे। देश की जनता को हमेशा बड़ी जाति के नेताओं ने और तथाकथित झंडाबदार स्वतन्त्रता सेनानियो ने ठगा है। इन्होंने देशवासियों में जातिगत वैमनश्यता और धार्मिक अलगाव जान-बूझकर फैलाई है और हमशा श्रेष्ठताग्रंथि से काम लिया है। ये जनविरोधी ताकतें गांधी का नाम जिंदगी भर बांचते-उलीचते रहे; लेकिन देश की गरीब जनता के लिए क्या किया है। ये लोग टाटा, अंबानी, बिड़ला के साथ देश भर में विकास का जाल बिछाते रहे और खुद सरकारी पैसे पर ऐशागह में अपनी सलामती के लिए संभावना जोहते रहे। इन्होंने हमेशा झूठ-मूठ का विकास का ठिंठोरा पीटा है; लेकिन देश के लिए किया कुछ नहीं है। इस मामले में नरेन्द्र मोदी सरकार अच्छी है। वह वादा कर रही है कि अब किसी भी पुलिस थाने में अपराध, हत्या, दुष्कर्म, लूट, भ्रष्टाचार और अन्य वारदातों के आंकड़े में इजाफा हुआ, तो खैर नहीं। यह पहली बार हो रहा है कि नेताओं को संसद में जितने दिन उपस्थित रहेंगे उतने ही दिन की तनख़्वाह देने का प्रावधान किया जा रहा है। इसी तरह दवाओं को जानबूझकर महंगे कीमत पर बेचने और लोगों को महंगी दवाएं ही खरीदने पर मजबूर करने के लिए सम्बन्धित डाॅक्टरों को दंडित करने का फ़रमान जारी करने पर विचार किया जा रहा है। पिछलें दिनों धर्म के नाम पर नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता से खफा कुछ भाजपाइयों ने जानबूझकर धार्मिक संकीर्णता फैलाने वाला कृत्य किया जिसे माननीय प्रधानमंत्री ने चपत लगाई है। कहना न होगा कि नेहरू राज से लेकर मनमोहन राज तक जो अराजकता और सरकारी भ्रष्टाचार की लूट थी, उसे मोदी सरकार हर हाल में जिस तरह खत्म करने के लिए कटिबद्ध दिखाई दे रही है; वह सचमुच भारत के नवनिर्माण की दिशा में ठोस कदम है। वह अपने सभी मंत्रालयों पर गहरी निगरानी रखने का हरसंभव प्रयास करती दिखाई दे रही है। इसी राह में वीआईपी कल्चर है जिसमें भारी कटौती किए जाने का संकेत अपनेआप में एक बड़ी और निर्णायक कदम है। माननीय प्रधानमंत्री ने हाल ही में हर सांसद को एक गांव लेने का नया उदाहरण पेश किया है। वह जानते है कि गांव की खुशहाली ही देश के विकास का सर्वोत्तम रास्ता है। दरअसल, मोदी पंडितो का आदर भले करते हों, लेकिन पंडिताई की भाषा नहीं बोलते हैं। वह ज़मीनी बात करते हैं; वे ज़मीन को मां मानते हैं और वह नहीं चाहते की कांग्रेस के द्वारा पैदा की गई गरीबी को वह भी ढोए। यह पूरे देश पर कलंक है जो चेहरे पर कालिख पुते होने से अधिक गाढ़ा है। पिछले छह दशकों में कांग्रेस ने भारत की शिक्षा, स्वास्थ्य ,कृषि औ परिवहन सेवा को पूरी तरह नष्ट-विनष्ट कर दिया है। लेकिन अब नीति आयोग के अन्तर्गत नरेन्द्र मोदी ने सबको समान और समुचित शिक्षा उपलब्ध कराने का जो दावा किया है, वह जल्द ही साकार होगा। नरेन्द्र मोदी ने रेडियो पर प्रसारित अपने ‘मन की बात’ में देश की जनता से सीधे सम्पर्क किया है। वे उनसे सीधे संवाद करने के पक्षधर हैं। उन्होंने देश की जनता को सीधे प्रधानमंत्री से अपनी बात कहने का सुअवसर दिया है। वह नहीं चाहते हैं कि देश का विभाजन अमीर और गरीब दो वर्गों में हो। एक करोड़पति हो, तो एक को हजारों का भी टोटा हो। इसीलिए वे सरकारी नेताओं के सम्पतियों को भी राष्ट्र की सार्वजनिक सम्पति घोषित किए जाने की वकालत करते हैं। यदि ऐसा सच हुआ, तो एक भी ऐसा नेता न हो जो भ्रष्टाचार में संलिप्त होगा। ऐसा नेता और नेतृत्व भाजपा ने संभव कर दिखाया है क्योंकि उसके पास सुब्रह्मण्यम स्वामी जैसे साफ छवि के तेज-तर्रार नेता हैं जिन्होंने पिछले दिनों ए. राजा को कठघरे में पहुंचाया था।
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