पाकिस्तान पूरी दुनिया के आतंकी संगठनों का ‘मैनेजर’ - 'द न्यूयॉर्क टाइम्स'
अमरीकी पत्रकार कार्लोटा गॉल को एक कदम और आगे बढ़ाना चाहिए था , पाकिस्तान को यह सब करने की ताकत अमरीका ने ही तो दी थी और आज विश्वव्यापी आतंकवाद अमरीका के कारण ही है ! सोवियत सेनाओं के खिलाफ अफगानिस्तान में आतंकवाद पनपाया और आज पूरी दुनिया इस प्रयोग से मिले रास्ते में जल रही है !
पाकिस्तान पूरी दुनिया के आतंकी संगठनों का ‘मैनेजर’ है
पाकिस्तान की ISI, ने इस्लामिक स्टेट को भी खड़ा किया
अमेरिकी अखबार 'द न्यूयॉर्क टाइम्स' में छपे एक लेख में
कार्लोटा गॉल ने यह बात कही है।
Author जनसत्ता ऑनलाइन नई दिल्ली | February 8, 2016
http://www.jansatta.com/nationalपाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय जिहादी ताकतों (आतंकी संगठनों) के मैनेजर के रूप में काम कर रही है। अमेरिकी अखबार ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ में छपे एक लेख में कार्लोटा गॉल ने यह बात कही है। उनकी नजर में अफगानिस्तान में फैली अस्थिरता के पीछे भी पाकिस्तान का ही हाथ है। पाकिस्तान की भूमिका सिर्फ अफगानिस्तान तक ही सीमित नहीं है बल्कि वह कई देशों में इस प्रकार की गतिविधियां चला रहा है।
अखबार के मुताबिक, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय मुजाहिदीन ताकतों के ‘मैनेजर’ के रूप के काम कर रही है। अखबार की उत्तर अफ्रीका की संवाददाता कार्लोटा गॉल ने लिखा है, ‘ऐसी रिपोर्ट है कि इस्लामिक स्टेट को खड़ा करने के पीछे भी पाकिस्तान की ही भूमिका है।’ पाकिस्तान भले ही कई बार तालिबान और अल कायदा जैसे आतंकी संगठनों को शरण देने की बात से इनकार करता रहा है, लेकिन यह सच नहीं है। कई विश्लेषक इस बारे में विस्तृत जानकारी दे चुके हैं कि पाकिस्तान ने आतंकी समूहों को पाला। पाकिस्तान सिराजुद्दीन हक्कानी को शरण दिए हुए है, जो तालिबान का नंबर 2 लीडर है। वह पाकिस्तान में खुला घूम रहा है। यहां तक कि कई बार रावलपिंडी स्थित पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के दफ्तर तक भी जा चुका है। तालिबान का नया लीडर मुल्ला अख्तर मोहम्मद मंसूर, जो कि क्वेटा में अपने लड़ाकों के साथ सरेआम मीटिंग करता है। इतना ही नहीं, आतंक का एक और नाम अल कायदा सरगना अयमान अल जवाहिरी भी पाकिस्तान में ही है। पिछले दिनों आई एक रिपोर्ट में उसकी लोकेशन बलूचिस्तान के दक्षिण-पश्चिम इलाके में बताई गई थी।
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अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों के उदय के पीछे पाकिस्तान
By Numan Mishra - Feb 8, 2016http://newsbihar.co.in
न्यूयार्क। अमेरिका के एक प्रमुख अखबार ने आतंकी संगठन आइएस के उदय में पाकिस्तान की शक्तिशाली खुफिया सेवा के शामिल होने की संभावना जताई है। उसके मुताबिक, पाक खुफिया सेवा लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय जिहादी ताकतों (आतंकी संगठनों) के मैनेजर के रूप में काम कर रही है।
न्यूयार्क टाइम्स ने एक लेख लिखा है कि विशेषज्ञों को कई सुबूत मिले हैं कि पाकिस्तान ने तालिबानी हमलों को बढ़ावा दिया। ऐसे हमले सिर्फ अफगानिस्तान के मामले में नहीं हैं, बल्कि पाकिस्तान कई विदेशी संघर्षों में हस्तक्षेप कर रहा है।
अखबार के मुताबिक, पाकिस्तान की खुफिया सेवा लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय मुजाहिदीन ताकतों के मैनेजर के रूप के काम कर रही है। मुजाहिदीन में कई सुन्नी आतंकी हैं। अखबार ने लिखा है कि पाकिस्तान तालिबान और अल कायदा को मदद का खंडन करता है और खुद को आतंक का शिकार बताता था।
हालांकि कई विश्लेषकों के पास पूरा विवरण है कि किस तरह पाक सेना ने राष्ट्रवादी आंदोलनों खासकर पश्तून अल्पसंख्यकों को कुचलने के लिए इस्लामी आतंकी संगठनों को पाला।
पाक में आतंकी तिकड़ी
अखबार की उत्तर अफ्रीका संवाददाता कार्लोटा गॉल ने लिखा है, ऐसी रिपोर्ट है कि आइएस के उभार में पाकिस्तान की भूमिका है। यह सुनकर आश्चर्य हो सकता है कि क्षेत्र की हिंसक जिहाद की तिकड़ी खुलेआम पाकिस्तान में रह रहा है।
पहला सिराजुद्दीन हक्कानी है जिसने रावलपिंडी में पाक खुफिया एजेंसी मुख्यालय का दौरा भी किया है। दूसरा, तालिबान का नया नेता मुल्ला अख्तर मोहम्मद मंसूर है जिसने क्वेटा में खुलेआम बैठक की। इसके अलावा अल कायदा नेता अयमान अल-जवाहिरी का पाकिस्तान में शरणगाह है। एक रिपोर्ट में उसके बलूचिस्तान में रहने की बात आई थी।
सीरिया भेज रहा जिहादी
अखबार ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान के मदरसे उत्तरी अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को जिहादी प्रशिक्षण दे रहे हैं। ये मदरसे पाक खुफिया एजेंसी के संरक्षण में हैं।
लेख में कहा गया है कि पाकिस्तान कतर और अन्य के सहयोग से तीन सौ पाकिस्तानियों समेत अंतरराष्ट्रीय सुन्नी जिहादियों को सीरिया के नए युद्ध क्षेत्रों में भेज रहा है। गॉल ने कहा है कि पाकिस्तान के इस व्यवहार के लिए कोई उसे जवाबदेह नहीं ठहरा रहा। ऐसे वह इसे क्यों छोड़ेगा?
पाकिस्तानी सेना अपनी ताकत बढ़ाएगी
पाकिस्तान की सेना ने अपने सुरक्षा डिविजन बढ़ाने और अतिरिक्त 28 बटालियनें जोड़ने की योजना बनाई है। उसने इसके लिए सरकार से और धन की मांग की है। देश में शैक्षणिक संस्थानों पर बढ़ते आतंकी हमलों के मद्देनजर उसने यह फैसला किया है।
सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने शनिवार को वित्त मंत्री इशाक डार से मुलाकात की। डार ने उन्हें आश्वासन दिया कि नए सुरक्षा डिविजन और अतिरिक्त बटालियनों के लिए धन दिया जाएगा।
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