अयोध्या में मंदिर तोड़कर बनाई गई थी मस्जिद : डॉ. के.के. मोहम्मद



अयोध्या में मंदिर तोड़कर बनाई गई थी मस्जिद
लाइव इंडिया डिजिटल | Jan 24, 2016

अयोध्या राम मंदिर के मुद्दे को लेकर एक किताब ने नया खुलासा किया है। मलयालम में लिखी किताब- न्यान एन्ना भारतीयन (मैं एक भारतीय) में यह बताया गया है कि एएसआइ को विवादित ढांचे में मिले केवल 14 स्तंभ ही नहीं, अन्य कई पुरातात्विक साक्ष्य भी यह गवाही दे रहे हैं कि अयोध्या में मंदिर के ऊपर मस्जिद बनाई गई। इस किताब के लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग के उत्तरी क्षेत्र के निदेशक रहे डॉ. के के मुहम्मद हैं।

डॉ.मुहम्मद ने एक हिंदी अखबार को बताया कि एएसआइ ने पहली बार 1976-77 में प्रो. बीबी लाल के नेतृत्व में विवादित ढांचे का निरीक्षण किया था। फिर 2002-2003 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर विवादित ढांचा वाले स्थान के आसपास उत्खनन कराया। तब 50 के करीब वैसे चबूतरे मिले जैसे विवादित ढांचे के अंदर थे। इस उत्खनन में कई मुस्लिम अधिकारी और कर्मचारी भी खास तौर पर शामिल किए गए थे।

डॉ. मुहम्मद के मुताबिक उत्खनन में मंदिरों के ऊपर बने कलश के नीचे लगाया जाने वाला अमलका (गोल पत्थर) मिला। अमलका केवल मंदिर में ही लगाया जाता है। इसी प्रकार जलाभिषेक के बाद जल का प्रवाह करने वाली मगरप्रणाली (मगरमच्छ के आकार वाली) भी मिली। मगरप्रणाली भी केवल मंदिरों में ही बनाई जाती है। इसके अलावा टेराकोटा की बहुत सी छोटी-छोटी मूर्तियां मिलीं थीं।

डॉ. मुहम्मद ने बताया कि एएसआई की टीम ने विवादित ढांचा तोड़े जाने के समय मिले एक शिलालेख का भी अध्ययन किया था। विष्णुहरि शिलालेख में राम को बाली और दस सिरों वाले अर्थात रावण का वध करने वाले भगवान विष्णु के अवतार के रूप में संबोधित किया गया था। यह लेख नागरी लिपि में था। इस शिलालेख को भारत सरकार के एपीग्राफी निदेशक डॉ. केबी रमेश और नागपुर यूनीवर्सिटी के प्रो.शास्त्री ने पढ़ा था।

नागरी भाषा 11वीं-12वीं शताब्दी में प्रचलन में थी। डॉ बीबी लाल की टीम के सदस्य रहे डॉ मुहम्मद ने बताया कि ये सारे पुरातात्विक साक्ष्य यही बताते हैं कि विवादित स्थल पर राम मंदिर था। डॉ. मुहम्मद ने बताया कि एएसआइ को विवादित ढांचे के निरीक्षण के दौरान 14 खंभे पाए थे वे ब्लैक बसाल्ट (काला पत्थर) के थे। इन खंभों पर ही विवादित ढांचा खड़ा था।

डॉ. मुहम्मद ने बताया कि अयोध्या के विवादित ढांचे में जैसे स्तंभ पाए गए थे वे 11वी-12 वीं सदी के समय बने मंदिरों जैसे थे और दिल्ली के कुतुब मीनार परिसर में स्थित कुतुबु इस्लाम मस्जिद में लगे खंभों से मिलते जुलते थे। डॉ. मुहम्मद ने कहा कि इस मस्जिद का निर्माण मंदिरों को तोड़कर किया गया था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा कि ताजमहल के नीचे मंदिर है। सच तो ये है कि ऐसा दावा करने वाले के खिलाफ उन्होंने कार्रवाई की थी।

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अयोध्या में राममंदिर के ऊपर बनाई गई थी मस्जिद: डॉ. के.के. मोहम्मद, भारतीय पुरातत्ववेत्ता
BBC Bharat | January 27, 2016

http://www.bbcbharat.com/ayodhya-temple-kk-muhammad/
नर्इ दिल्ली: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के प्रसिध्द पुरातत्ववेत्ता डॉ. के.के. मोहम्मद ने, वर्षों बाद भी अयोध्या प्रकरण का समाधान नहीं निकलने के लिए वामपंथी इतिहासकारों को उत्तरदायी ठहराया है । उनके अनुसार वामपंथियों ने इस मुद्दों का समाधान नहीं होने दिया ।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण उत्तर क्षेत्र के पूर्व निदेशक डॉ. मोहम्मद ने मलयालम में लिखी आत्मकथा ‘जानएन्ना भारतीयन’ (मैं एक भारतीय) में यह दावा करते हुए कहा है कि, ‘वामपंथी इतिहासकारों ने इस मुद्दे को लेकर बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के नेताओं के साथ मिलकर देश के मुसलमानों को पथभ्रष्ट किया ।’ उनके अनुसार, इन लोगों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय तक को भी पथभ्रष्ट करने का प्रयास किया था ।

अपनी आत्मकथा में डॉ.के.के. मोहम्मद ने बताया है कि, १९७६-७७ के कालावधि में एएसआइ के तत्कालीन महानिदेशक प्रो. बीबी लाल के नेतृत्व में पुरातत्ववेत्ताओं के दल द्वारा अयोध्या में किए गए उत्खनन के कालावधि में मंदिरों के ऊपर बने कलश के नीचे लगाया जाने वाला गोल पत्थर मिला । यह पत्थर केवल मंदिर में ही लगाया जाता है । इसी प्रकार जलाभिषेक के पश्‍चात, मगरमच्छ के आकार की जल प्रवाहित करनेवाली प्रणाली भी मिली है ।
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पुरातत्वविद केके मोहम्मद का दावा, अयोध्या में मिले थे मंदिर होने के सबूत लेकिन वामपंथियों ने देश को गुमराह किया
http://www.himachalplus.in/2016/01/Evidence-of-a-temple-but-the-Lef-twas-mislead-the-nation.html
देश के जाने-माने पुरातत्वशास्त्री और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग में उत्तर क्षेत्र के पूर्व निदेशक डॉ. केके मोहम्मद ने दावा किया है अयोध्या में 1976-77 में हुई खुदाई के दौरान मंदिर होने के अवशेष होने प्रमाण मिले थे. उन्होंने ये बात अपनी आत्मकथा 'जानएन्ना भारतीयन' (मैं भी एक भारतीय) में कही है.
मोहम्मद ने कहा कि ये खुदाई भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण के तत्कालीन महानिदेशक प्रोफेसर बीबी लाल के नेतत्व में की गई थी. उस टीम में मैं भी एक सदस्य था.

वामपंथियों ने किया गुमराह डॉ़क्टर मोहम्मद ने कहा कि मंदिर मामले में देश के मुसलमानों का कुछ वामपंथी चिंतकों ने गुमराह किया था. अगर ऐसा न हुआ होता तो ये मुद्दा कब का सुलझ चुका होता.
केके मोहम्मद ने कहा कि भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के तत्कालीन सदस्य प्रोफेसर इरफान हबीब, रोमिला थापर, बिपिन चंद्रा, एस. गोपाल जैसे वामपंथी इतिहासकारों ने मुस्लिम बुद्धजीवियों का ब्रेन-वाश कर दिया. इतना ही नहीं, इन सबने मिलकर इलाहाबाद हाईकोर्ट को भी गुमराह करने की कोशिश की थी.
ये सब मुस्लिमों ये समझाने में कामयाब हो गए कि 19वीं शताब्दी से पहले मंदिर में तोड़फोड़ करने और वहां बौद्ध और जैन धर्म का केंद्र होने का कहीं कोई जिक्र नहीं है. इस बात का आरएस शर्मा, डीएन झा, सूरज बेन और अख्तर अली जैसे कई वामपंथी इतिहासकारों ने समर्थन किया था.
अयोध्या मामले को शांति से निपटने नहीं दिया डॉ. मोहम्मद ने आरोप लगाते हुए कहा- ''इन लोगों ने अयोध्या मामले को शांति से निपटने नहीं दिया. इन लोगों ने चरमपंथी मुस्लिमों से मिलकर इसका सौहार्दपूर्ण हल निकालने की कोशिशों को पटरी से उतार दिया. इनमें से कईयों ने सरकारी बैठकों में हिस्सा लिया और बाबरी मस्जिद कमेटी की बैठक में भी हिस्सा लिया.''
1976-77 में हुई खुदाई में क्या निकला था पुरातत्व वैज्ञानिक डॉ. केके मोहम्मद ने लिखा है कि 'जो कुछ मैंने जाना और कहा है, वो ऐतिहासिक सच है. हमें विवादित स्थल से 14 स्तंभ मिले थे. सभी स्तंभों में गुंबद खुदे हुए थे. ये 11वीं और 12वीं शताब्दी के मंदिरों में मिलने वाले गुंबद जैसे थे. गुंबद में ऐसे 9 प्रतीक मिले हैं, जो मंदिर में मिलते हैं.
खुदाई से ये भी साफ हो गया था कि मस्जिद एक मंदिर के मलबे पर खड़ी की गई. उन दिनों मैंने इस बारे में कई अंग्रेजी अखबारों में भी लिखा था, लेकिन उन्हें 'लेटर टू एडिटर वाले कॉलम' (अखबार में बहुत छोटी जगह) जगह दी गई थी.

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