इंदिरा जी नें बिना pok लिए, पाकिस्तान के 93 हजार सैनिक छोड़े indira gandhi

भारत की प्रधानमंत्री रहीं श्रीमती इंदिरा गाँधी निश्चित रूप से साहसी महिला थीं, उनके अनेक दुस्साहस की यादें, इतिहास का हिस्सा हैँ। जैसे पिताजी के विरुद्ध जाकर विवाह करना... समूचे विपक्ष को जेल में डाल देना... सिख आतंकवादी भिंडरवाले का खात्मा कर देना.... हिंदू संतों पर गोलियां बरसवा देना...... पाकिस्तान के गृहयुद्ध में हस्तक्षेप कर बंगलादेश बनने में पूर्वी पाकिस्तान की मदद करना। 

किन्तु जब हम यह विचार करते हैँ, उनसे भारत को क्या हांसिल हुआ तो सामने ख़डी बांग्लादेशी घुसपैठियो की नासूर बनी समस्या ही छोड़ कर गयी......, उनके पास pok लेनें का अवसर था, नहीं लिया।
तथाकथित आयरन लेडी इंदिरा गांधी की असलियत - पूरा पढ़ें...

01. 1971 के युद्ध में इंदिरा गांधी ने 'पूर्वी पाकिस्तान' को पाकिस्तान से अलग करके वापस भारत के नक़्शे में मिलाने के बजाय भारत के ठीक बगल में एक और नया इस्लामिक देश 'बांग्लादेश' बना डाला, लेकिन POK (कश्मीर) वापस नहीं लिया, क्यों ?
02. बांग्लादेशी भारत में घुसाने वाली और उन्हें नहीं निकालने वाली भी इंदिरा गाँधी ही थीं।

03. 1971 के युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान में घुसकर उसका बहुत सारा इलाका कब्जा लिया, लेकिन इंदिरा गांधी ने युद्ध में जीती हुई सारी जमीन, टेबल मीटिंग में पाकिस्तान को लौटा दी, लेकिन POK (कश्मीर) वापस नहीं लिया, क्यों ?

04. इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों को बंदी बनाया, उन्हें महीनों तक अच्छा खाना खिलाया, बिरयानी खिलाई और बाद में जाकर सबको फ्री में छोड़ दिया, लेकिन POK (कश्मीर) वापस नहीं लिया, क्यों ?

05. उसी युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना के 54 जवानों को पाकिस्तान ने बंदी बना लिया। इंदिरा गाँधी ने 93000 सैनिकों को फ्री में छोड़ दिया लेकिन अपने 54 एयरफोर्स सैनिकों को वापस नहीं मांगा, क्यों ?
पाकिस्तान ने 40 साल तक उन सैनिकों को जेलों में यातनाएं देकर मार डाला |

जब सारे हालात भारत के पक्ष में थे, तो तथाकथित आयरन लेडी इंदिरा गाँधी ने POK (कश्मीर) वापस क्यों नहीं लिया ?

 06- 1971 में अमेरिका से डर कर परमाणु परिक्षण बम से पीछे इंदिरा गाँधी ही हटी थीं।
07- अफगानिस्तान में बाबर की कब्र पर फूल इंदिरा गाँधी नें ही चढ़ाये थे 
08- प्रधानमंत्री होते हुये अपने ही घर में जिनकी हत्या हुई वे भी इंदिरा गांधी थी।
09- हिंदू संतों पर गोलियां चलवाने वाली, आपातकाल लगाने वाली भी इंदिरा जी थीं।

जवाब हो तो देना नहीं तो एम ओ मथाई की किताब का ही जवाब दे दे
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कुछ ऐसी बातें जो हर भारतीय को जानना जरूर चाहिए -
आज जो लोग 1971 की लड़ाई में इंदिरा गांधी की पीठ थपथपाते हैं उन लोगों को बेनजीर भुट्टो के पति आसिफ अली जरदारी का पाकिस्तान के संसद में दिया गया यह बयान जरूर देखना चाहिए 

जब पाकिस्तान के 90000 से ज्यादा सैनिक भारत की कैद में थे उनके तीन हजार से ज्यादा सैनिक अधिकारी हमारे हिरासत में थे ..पाकिस्तान की सेना आत्मसमर्पण कर चुकी थी 

भारतीय सेना सिंध के जिले थारपारकर को भारत में मिला शामिल कर चुकी थी और उसे गुजरात का एक नया जिला घोषित कर दिया गया था और मुजफ्फराबाद पार्लियामेंट पर तिरंगा झंडा फहरा दिया गया था 

जुल्फिकार अली भुट्टो जब इंदिरा गांधी से शिमला समझौता करने आए तब वह अपनी बेटी बेनजीर भुट्टो को भी साथ में लाए थे 

जुल्फिकार अली भुट्टो अपनी बेटी को राजनीति सिखा रहे थे 

इंदिरा गांधी ने जुल्फिकार अली भुट्टो के सामने शर्त रखी यदि आपको अपने 93000 सैनिक वापस चाहिए तब आप कश्मीर हमें दे दीजिए जुल्फिकार अली भुट्टो इंदिरा गांधी से कहा कि हम आपको कश्मीर नहीं देंगे मैं कोई दस्तखत नहीं करूंगा आप यह 93000 सैनिकों को अपने पास ही रखो 

इंदिरा गांधी सपने में भी नहीं सोची थी कि जुल्फिकार अली भुट्टो उनसे भी बड़ा खिलाड़ी है वह जानता है की सीमाओं पर हारी गई युद्ध को टेबल पर कैसे जीता जाता है

इंदिरा गांधी की हालत ऐसी हो गई थी जैसे कोई रोजा रखने जाए और उसके गले नमाज पड़  जाए 

पुपुल जयकर और कुलदीप नैयर दोनों ने अपनी किताब में लिखा है इंदिरा गांधी उस मौके पर चूक गए और उनके और उनके सलाहकारों के पास कोई ऐसी कूटनीतिक ज्ञान नहीं था कि ऐसे में स्थिति को  कैसे संभाला जाए 

जिनेवा समझौते के तहत यदि कोई देश किसी युद्ध बंदी को पकड़ता है तब वह उसके डिग्निटी का पूरा ख्याल  रखना होता है 

जुल्फिकार अली भुट्टो शाम को होटल में अपनी बेटी बेनजीर भुट्टो से कहा इस युद्ध में भारत की कमर टूट चुकी है हमने पूरी बहादुरी से लड़ा भले ही हमने भारत की अर्थव्यवस्था को बहुत करारी चोट दिया है भारत पहले ही बांग्लादेशी शरणार्थियों का बोझ झेल चुका है अब भारत 93000 पाकिस्तानी सैनिकों को कैसे पालेगा और अगर भारत 93000 पाकिस्तानी सैनिकों को अपने पास बसाना चाहता है तो बसाएं और उन कायर  सैनिकों को हम वापस लेकर भी क्या करेंगे मैंने इंदिरा गांधी की हालत सांप के गले में पड़ी छछूंदर जैसी कर दी है 

और अंत में इंदिरा गांधी की हालत ऐसी हो गई जैसे कोई जूते भी खाए और प्याज भी खाए

 इंदिरा गांधी ने कश्मीर भी पाकिस्तान को दे दिया 93000 सैनिक भी वापस कर दिए और 8 महीने के बाद नोबेल पुरस्कार की इच्छा में भारत के गुजरात राज्य में शामिल जिला थारपारकर को ही पाकिस्तान को वापस कर दिया जबकि थारपारकर कि उस वक्त 98% आबादी हिंदू थी

शिमला समझौते के बाद उस वक्त के सेना प्रमुख ने रिटायरमेंट के बाद जो किताब लिखी थी उसमें कहा था इस युद्ध को हमने लड़ाई के मैदान में तो जीत लिया लेकिन टेबल पर राजनेताओं ने भारत को हरा दिया

खुद भुट्टो ने कहा - मैंने सब कुछ ले लिया, दिया कुछ नहीं।
साभार श्री जितेंद्र प्रताप सिंह की ट्विटर पोस्ट

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