रामचरित मानस - हनुमान चालीसा के रचियता : गोस्वामी तुलसीदास




* गोस्वामी तुलसीदास ने रामभक्ति के द्वारा न केवल अपना ही जीवन कृतार्थ किया वरन्‌ समूची मानव जाति को श्रीराम के आदर्शों से जोड़ दिया।संवद् 1554 को श्रावण शुक्ल पक्ष की सप्तमी को अवतरित गोस्वामी तुलसीदास ने सगुण भक्ति की रामभक्ति धारा को ऐसा प्रवाहित किया कि आज गोस्वामी जी राम भक्ति के पर्याय बन गए।

गोस्वामी तुलसीदास की ही देन है जो आज भारत के कोने-कोने में रामलीलाओं का मंचन होता है। कई संत राम कथा के माध्यम से समाज को जागृत करने में सतत्‌ लगे हुए हैं। वे रामचरित मानस के ही नहीं अपितु .., विश्व में सबसे ज्यादा पड़ी जानें वाली प्रार्थना हनुमान चालीसा के भी रचियता थे ...!!

*उत्तर प्रदेश में चित्रकूट के राजापुर में तुलसीदास की जन्मस्थली में आज भी उनके हाथ का लिखा राम चरित मानस ग्रंथ का एक भाग अयोध्या कांड सुरक्षित है। इसके दर्शन के लिये पूरी दुनिया से लोग आते हैं। तुलसीदास की 11वीं पीढी के लोग एक धरोहर की तरह संजो कर रखे हुये हैं। कभी अपने परिवार से ही उपेक्षित कर दिये गये अबोध राम बोला आज पूरे विश्व में भगवान की तरह पूजे जाते हैं।

संत तुलसीदास चित्रकूट में अपने गुरु स्थान नरहरिदास आश्रम पर कई वर्षो तक रहे और यहां पर उन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम राम व भ्राता लक्ष्मण के दो बार साक्षात् दर्शन भी किये। 

1.हिन्दुन्व की जय जनचेतना की महाक्रांति: गोस्वामी तुलसीदास



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