चीन में आतंकवाद,पाकिस्तान के आतंकी शिविरों से
- अरविन्द सिसोदिया
चीन यह मानाने तैयार नहीं था कि, भारत में आतंकवाद, पाकिस्तान के आतंकी शिविरों में प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी फेला रहे हैं | लेकिन अब चीन में भी पाकिस्तान के आतंकी शिविरों में प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी आतंक फेला रहे हैं | हो सकता है की चीन पाकिस्तान में इस वहानें चीनी सैनिकों की भारी तादाद भेज दे !! इससे भारत को दोहरा खतरा उत्पन्न हो गया है |
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रमजान शुरू होने के ठीक पहले दो दिनों में चीन के जिनजियांग प्रांत में कम से कम तीन आतंकवादी हमले हुए हैं। जिनजियांग की 40 प्रतिशत से ज्यादा आबादी उइगुर मुस्लिमों की है। मूलत: यह मुस्लिम बहुल इलाका ही था, लेकिन चीन सरकार ने बड़ी तादाद में हानवंशी चीनियों को यहां बसाकर उन्हें अल्पसंख्यक बना दिया। इस इलाके के मूल निवासी मुस्लिमों में इस बात को लेकर असंतोष है और कई लोग अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए चीन से स्वायत्त होने की मांग कर रहे हैं। ऐसा ही एक उग्रवादी संगठन ‘पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामी आंदोलन’ है, जिसके सदस्यों का हाथ आतंकवादी वारदात में बताया जाता है |
चीनी सूत्रों का कहना है कि वारदात करने वालों ने विस्फोट बनाने की ट्रेनिंग पाकिस्तान के आतंकी शिविरों में ली है। चीन हमेशा से पाकिस्तान का समर्थक रहा है, और उसे भारतीय उपमहाद्वीप की राजनीति में भारत के खिलाफ इस्तेमाल करता रहा है। चीन आतंकवाद के खिलाफ सारी अंतरराष्ट्रीय पहलों को समर्थन देने की बात तो करता है, लेकिन पाकिस्तान पर इस मामले में किसी किस्म का दबाव डालने का विरोध करता है। चीन का इस मामले में रवैया यह है कि पाकिस्तान आतंकवाद का पोषक नहीं, बल्कि शिकार है और अपनी क्षमता भर वह आतंकवाद से लड़ भी रहा है। जब तक पाकिस्तानी फैक्टरियों से निकले हुए आतंकी अमेरिका या भारत को निशाना बनाते हैं, तब तक चीन को कोई दिक्कत नहीं है, बल्कि यह उसे रास आता है, क्योंकि इससे अमेरिका और भारत कमजोर पड़ते हैं। लेकिन चीन यह भी जानता है कि उसके देश में एक बड़ी आबादी मुसलमानों की है, जिनके साथ वह बराबरी का व्यवहार नहीं कर रहा है। जिनजियांग प्रांत में भी अक्सर नौकरी के विज्ञापनों में ‘उइगुर नहीं चाहिए’ लिखा मिलता है। इस इलाके की सीमाएं पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान आदि देशों से मिलती हैं, जहां आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं, इसलिए चीन को यह डर भी सताता रहता है कि आतंकवादी वहां से आकर चीन में उपद्रव मचा सकते हैं। ताजा घटनाओं ने यह साबित कर दिया है कि यह डर दूर की कौड़ी नहीं है।
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