अन्ना हजारे ने राजघाट में गांधी जी की समाधि के समाने मौन धारण कर लिया


नई दिल्ली। गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे और उनके समथर्कों को 16 अगस्त से दिल्ली के जयप्रकाश नारायण राष्ट्रीय उद्यान में आमरण अनशन करने की अनुमति नहीं मिलने के बाद स्थिति में नया मोड़ आ गया है। अन्ना हजारे ने राजघाट में गांधी जी की समाधि के समाने मौन धारण कर लिया है। उनके साथ उनके समर्थक भी साथ हैं। इस बीच दिल्ली पुलिस भी वहां पहुंच गई है। इस बीच कोई भी यह नहीं समझ पा रहा है कि कहीं अन्ना आज से ही अपना अनशन न शुरू कर दें। अन्ना के राजघाट पर पहुंचने के बाद फिर से माहौल गरमा गया है। राजनीतिक सरगर्मी फिर से तेज हो गई है। दिल्ली पुलिस अपने दल-बल के साथ राजघाट पर पहुंच गई है।

पुलिस का अनशन की अनुमति देने से इंकार

गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे और उनके समथर्कों को 16 अगस्त से दिल्ली के जयप्रकाश नारायण राष्ट्रीय उद्यान में आमरण अनशन करने की अनुमति नहीं दी गई। अन्ना हजारे व उनके सहयोगियों द्वारा पुलिस की ओर से रखी गई कुछ शर्तों को मानने से इंकार करने के बाद दिल्ली पुलिस ने यह कदम उठाया है।

संयुक्त पुलिस आयुक्त सुधीर यादव ने कहा कि इसके बावजूद यदि अन्ना हजारे व उनके समर्थक जयप्रकाश नारायण राष्ट्रीय उद्यान में अनशन करने की कोशिश करेंगे तो वह गैरकानूनी होगा। यादव ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘‘हमनें उन्हें अनुमति देने से इंकार किया है।’’ ज्ञात हो कि दिल्ली पुलिस ने अन्ना हजारे के समक्ष 22 शर्तें रखी थी, जिनमें अनशन स्थल पर 5000 से अधिक लोगों के इकट्ठा होने और तीन से अधिक दिनों तक अनशन जारी रखने पर प्रतिबंध भी शामिल था।

प्रतिबंधों से अन्ना हजारे पक्ष नाराज
गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के 16 अगस्त से प्रस्तावित आमरण अनशन के मद्देनजर सरकार की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों पर सामाजिक संगठन के सदस्यों ने नाराजगी जताई है। अन्ना हजारे के सहयोगी व सूचना का अधिकार कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने संवाददाताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि ये प्रतिबंध सरकार के तानाशाही और मनमाने रवैये को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि अन्ना हजारे का अनशन किसी भी सूरत में स्थगित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस सरकार के आदेशों का अनुसरण करते हुए अन्ना हजारे के अनशन को रोकने में लगी हुई है।

केजरीवाल ने कहा कि पुलिस ने आयोजकों से कहा है कि आयोजन स्थल पर 5000 से अधिक लोग नहीं इकट्ठा होंगे, 50 से अधिक गाड़ियां नहीं खड़ी की जा सकेंगी, टेंट को फैलाया नहीं जा सकेगा और अनशन के दौरान सरकारी डॉक्टर ही अन्ना हजारे के स्वास्थ्य पर नजर रखेंगे। उन्होंने कहा कि ये सभी शर्तें न्यायोचित नहीं हैं और अकारण भी हैं। केजरीवाल ने कहा कि कानून व व्यवस्था के मद्देनजर कुछ प्रतिबंध जायज हैं लेकिन उनका यह कहना कि टेंट फैलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी, चौंकाने वाला है। टेंट से कैसे कानून व व्यवस्था बिगड़ सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘बारिश हो रही है। ऐसे में लोग कहां जाएंगे। और सिर्फ 50 गाड़ियों को खड़ा करने की ही अनुमति क्यों। यह सरकार का मनमाना रवैया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वे आपातकाल जैसी परिस्थितियां पैदा कर रहे हैं।’’

अन्ना को जनजीवन बाधित न करें : कांग्रेस

केंद्रीय कानून व न्याय मंत्री सलमान खुर्शीद ने सोमवार को कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे व उनके सहयोगियों को विरोध करने का पूरा अधिकार है लेकिन इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि कानून व व्यवस्था का पालन हो और उससे जनजीवन बाधित न हो। खुर्शीद ने यहां पत्रकारों से चर्चा में कहा, ‘‘सब कुछ नियम व कायदों के भीतर होना चाहिए। आज की परिस्थितियों में बहुत बड़े स्तर पर जनसमूह के इकट्ठा होने की अनुमति नहीं दी जा सकती। कहीं वह अनियंत्रित हो गया तो।’’

उन्होंने कहा कि इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि कानून व व्यवस्था बनी रहे और जनजीवन प्रभावित न हो। उन्होंने कहा, ‘‘यदि वे प्रदर्शन और विरोध करना चाहते हैं तो यह उनका अधिकार है। लेकिन आम जीवन प्रभावित न हो यह सुनिश्चित करना सरकार व सम्बंधित विभागों की जिम्मेदारी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक कि हम सत्ताधारी दलों को भी रैली के लिए अनुमति लेनी होती है और हमें भी प्रतिबंधों का सामना करना होता है। हम उसे स्वीकार भी करते हैं।’’

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

Veer Bal Diwas वीर बाल दिवस और बलिदानी सप्ताह

जन गण मन : राजस्थान का जिक्र तक नहीं

अटलजी का सपना साकार करते मोदीजी, भजनलालजी और मोहन यादव जी

इंडी गठबन्धन तीन टुकड़ों में बंटेगा - अरविन्द सिसोदिया

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग

स्वामी विवेकानंद और राष्ट्रवाद Swami Vivekananda and Nationalism