भैरोंसिंह शेखावत की आदमकद प्रतिमा लोकार्पण समारोह
शेखावत की लिंकन-जेपी से तुलना
16th May 2012
खाचरियावास, 15 मई।
पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत की दूसरी पुण्यतिथि पर सीकर जिले के जिस छोटे से गांव खाचरियावास में वे जन्म लेकर देश-प्रदेश की राजनीति में छाए और उपराष्ट्रपति पद पर आसीन हुए, उस गांव में भैरोंसिंह शेखावत की उनकी दूसरी पुण्य तिथि पर आदमकद प्रतिमा लगाई गई। शेखावत की साढ़े नौ फीट ऊंची आदमकद प्रतिमा का लोकार्पण समारोह में जनसैलाब उमड़ पड़ा। अपने दिवंगत नेता की पहली प्रतिमा अनावरण के अवसर पर प्रदेशभर से उमड़ी जनता यहां इस घटना का साक्षी बनी। इस अवसर पर आयोजित समारोह को सम्बोधित करते हुए लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि वे उस धरती को नमन करते हैं जहां भैरोंसिंह शेखावत ने जन्म लिया और राजनीति की शुरुआत की। भैरोंसिंह ऐसे राजनेता थे जिनका कोई विकल्प हो ही नहीं सकता है। उनका साधारण परिवार से निकल कर उपराष्ट्रपति तक का सफर प्रेरणादायक है। आडवाणी ने प्रथम आम चुनाव को याद करते हुए कहा कि वे उस समय राजस्थान में ही थे और टिकट वितरण की खोजबीन के दौरान उन्हें सुझाया गया कि खाचरियावास के भैरोंसिंह शेखावत से बेहतर कोई उम्मीदवार यहां से नहीं हो सकता है। वे सर्वमान्य राजनेता थे। उनकी सभी राजनीतिक दलों में प्रतिष्ठा थी, विरोधी भी उनका सम्मान करते थे। उनका शेखावत के साथ लम्बा साथ रहा। शेखावत हमेशा गरीबों की भलाई की सोच रखने वाले राजनेता थे। लालकृष्ण आडवाणी स्वास्थ्य खराब होने के बावजूद मूर्ति अनावरण समारोह में पहुंचे। पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि राजनीति में भैरोंसिंह शेखावत जैसा मित्र नहीं मिलता है। उन्होंने शेखावत की पत्नी सूरज कंवर को एक करोड़ रुपए का चैक भेंट करते हुए कहा कि वे शेखावत की स्मृति में कोई भी प्रोजेक्ट बनाएं, धन की कमी नहीं आने दी जाएगी। यह पहली किश्त है, वे और भी धन देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि शेखावत एक इंसान ही नहीं बल्कि संस्थान थे। जिन्होंने राजनीति में सेवा की नई परिभाषा लिखी। बादल ने शेखावत की तुलना अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन से करते हुए कहा कि वे लॉग हॅट से व्हाइट हाऊस तक पहुंचे और भैरोंसिंह शेखावत गांव से उठकर उपराष्ट्रपति के सम्मानित पद तक पहुंचे। शेखावत के साथ अपने रिश्तों को याद करते हुए बादल ने कहा कि वे बड़े आदमी बनने के बाद भी आम लोगों को नहीं भूलते थे। रिश्ते निभाना उन्हें आता था। उपराष्ट्रपति बनने के बाद वे उनसे मिलने उनके बादल गांव आए। गरीब और किसान के लिए काम करने में उनका कोई मुकाबला नहीं था। उनके द्वारा राजस्थान में लागू की गई योजनाओं से गरीबों की स्थिति में इंकलाब आया। बादल ने कहा कि केन्द्र सरकार की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि गरीबी के हालात क्या हैं। ऐसी स्थिति में हमें शेखावत के बताए रास्ते पर चलकर आम लोगों के बारे में सोचना होगा, तभी 65 वर्षों से चली आ रही गरीबी दूर होगी। उन्होंने कहा कि भैरोंसिह शेखावत सेक्यूलर नेता थे। वे शेखावत ही थे जिन्होंने पहली बार वक्फ बोर्ड का गठन किया। वे शेखावत ही थे जिन्होंने राज्यसभा में अनुशासन का पाठ पढ़ाकर सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष में आपसी विवाद के बजाय जनता की समस्याएं उठाने पर जोर दिया। बादल ने इस अवसर पर कहा कि भैरोंसिंह शेखावत ने सदैव राज्यों को अधिकार देने की वकालत की। उनका मानना था कि जब तक राज्य अधिकार संपन्न नहीं होंगे तब तक गरीबी दूर नहीं हो सकती है। आज केन्द्र सरकार ने राज्यों के अधिकारों को कम करना शुरू कर दिया है। कृषि का विषय राज्यों का होने के बावजूद केन्द्र सरकार फसलों की कीमतों का निर्धारण कर रही है। उन्होंने कहा कि वे देश के पांच नेताओं को महत्वपूर्ण मानते हैं। उसमें सबसे पहला नाम जयप्रकाश नारायण का है तो दूसरा नाम भैरोंसिंह शेखावत का है। तीसरा पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल, चौथा चौधरी चरणसिंह और पांचवां भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह का है। यह सभी गरीबों के हित सोचने वाले हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष वसुंधरा राजे ने कहा कि भैरोंसिंह शेखावत आदर्श पुरुष थे। उनके सेवा भाव को युगों-युगों तक याद किया जाएगा। उन्होंने राज्य में भाजपा और राजस्थान के झंडे को बुलन्द किया तथा छत्तीस कौम को गले लगाया। राज्य में अन्त्योदय, भागीरथी और तीस जिले तीस काम जैसी योजनाएं बनाकर उन्होंने यह बता दिया कि योजनाएं डेस्क पर बैठ कर नहीं जनता के बीच में जाकर उनकी समस्याओं का अध्ययन कर बनाई जाएंगी तभी राज्य का विकास होगा। वे जीवट वाले राजनेता थे। 1996 में विदेश में इलाज के दौरान कुछ लोगों ने उनकी सरकार को गिराने का प्रयास किया लेकिन गरीबों की सोचने वाले की भगवान भी रक्षा करते हैं, सभी षडयंत्र विफल हो गए। उम्र्र सीमाओं को धता बताकर उन्होंने एफिल टॉवर पर चढ़ कर बता दिया कि वे थकने वाले लोगों में से नहीं हैं। राजे ने कहा कि भाजपा की चार भुजाएं हैं अटलबिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, विजयराजे सिंधिया और भैरोंसिंह शेखावत। इन्होंने राजनीति में प्रतिमान स्थापित किए हैं। उन्होंने शेखावत से जुड़े प्रसंग सुनाते हुए कहा कि वे पहली बार जब विधायक बनीं तो शेखावत ने उन्हें हिन्दी में बोलने के लिए प्रेरित किया। इसी तरह जब उन्हें राजस्थान भेजा गया तो शेखावत ने उनका हांैसला बढ़ाकर हमेशा सेवा भाव रखने की नसीहत दी। मुख्यमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल आज भी हमारे लिए प्रेरणास्रोत का काम कर रहा है। शेखावत का हमारे बीच नहीं रहना दुखद है। उनका कृतित्व और व्यक्तित्व सदैव लोगों को प्रेरणा देता रहेगा। केन्द्रीय जनजाति राज्य मंत्री महादेव सिंह खण्डेला ने कहा कि भैरोंसिंह शेखावत शिखर पुरुष थे। उन्होंने सती प्रथा, जागीरदारी प्रथा और जाति प्रथा को समाप्त किया भले ही इसके लिए उन्हें अपनों का ही विरोध झेलना पड़ा हो। राज्य में समरसता का भाव पैदा कर उन्होंने ख्याति प्राप्त की। उनके हर राजनीतिक दल में मित्र थे। शेखावत की खास बात यह थी कि वे अपनी बात को किसी पर थोपते नहीं थे बल्कि उसे सामने वाले के अनुरूप बनाकर सहजता से स्वीकार करवाते थे। उन्होंने उम्र को कभी काम में बाधा नहीं बनने दिया। वे आम व्यक्ति के हित के लिए किसी से भी टकरा जाते थे। उन्होंने कहा कि वे शेखावत के साथ काम कर चुके हैं। उन्होंने देखा है कि वे सभी जनप्रतिनिधियों को कुछ न कुछ सिखाते रहते थे। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि भैरोंसिंह शेखावत ने कभी भी पार्टी और पार्टी की विचारधारा के साथ समझौता नहीं किया। आम व्यक्ति के प्रति उनकी सोच इतनी थी कि उन्होंने मुख्यमंत्री बनते ही अन्त्योदय जैसी योजना की शुरुआत की। वे राज्य के अंतिम व्यक्ति का हित चाहते थे। वे भैरोंसिंह शेखावत ही थे जिन्होंने राज्य के हर कोने से चुनाव लड़ा और जीत कर अपनी लोकप्रियता सिद्ध की। वे उपराष्ट्रपति के पद पर भी बैठे तो गरीबों की चिन्ता में रहे। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान जनहित के मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए। शोर शराबा करके जनता का धन बेकार नहीं करना चाहिए। राज्यसभा सभापति के रूप में कायम की गई उनकी मर्यादाएं आज भी मिसाल बनी हुई हैं। उन्होंने कहा कि भैरोंसिंह शेखावत का जीवन सीखने का संस्थान था उनके संस्मरणों को संकलित किया जाना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी उनको पढ़कर प्रेरणा ले सके। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने कहा कि भैरोंसिह शेखावत जैसा व्यक्तित्व राजस्थान में दूसरा नहीं हुआ है। उनके पिता देवीलाल और पुत्र अजयसिंह चौटाला की जीत में शेखावत का बड़ा योगदान रहा है। आज भैरोंसिंह शेखावत के गरीबों के प्रति विचार याद आते हैं। केन्द्र सरकार की नीतियों के कारण समाज के दो ही वर्ग रह गए हैं एक तो कमेरे और दूसरे लुटेरे। शेखावत ने सदा ही गरीब को ऊपर उठाने की बात कही। विधायक नरपतसिंह राजवी ने कहा कि भैरोंसिह शेखावत ने हमेशा जनता का प्यार कमाया। जो आज भी बरकरार है। वे ऐसे जननेता थे, जो गरीबों के लिए अंतिम समय तक काम करते रहे। उन्होंने कहा कि शेखावत हर आम व्यक्ति की पीड़ा को अपनी पीड़ा मानते थे। वे किसी भी पद पर रहे, उस पद की गरिमा बढ़ाई। जोधपुर के पूर्व महाराजा गजसिंह ने अपने मारवाड़ी भाषा में दिए सम्बोधन में कहा कि भैरोंसिह शेखावत हर जाति, धर्म और वर्ग को साथ लेकर चलने वाले जननेता थे। प्रशासन पर उनकी जोरदार पकड़ थी। इस अवसर पर महानगर टाइम्स के संपादक गोपाल शर्मा ने कहा कि भैरोंसिंह शेखावत के दो बार के लगातार के कार्यकाल में पुरुष साक्षरता 60 से बढ़कर 75 प्रतिशत तथा महिला साक्षरता 38 से बढ़कर 60 प्रतिशत तक जा पहुंची। राजस्थान को इस उपलब्धि के कारण दशक साक्षरता तथा महिला दशक साक्षरता का पुरस्कार मिला। उन्होंने कहा कि विश्व बैंक के तत्कालीन गवर्नर रॉर्बट कनमारा ने भैरोंसिंह शेखावत को दूसरा रॉब फैलर कहा था। रॉब फैलर अमेरिका के पहले अरबपति थे, जिन्होंने अपने आखिरी चालीस वर्ष समाज सेवा में लगा दिए। उन्होंने शेखावत से जुड़े संस्मरण सुनाते हुए कहा कि शेखावत गरीब व्यक्ति की चिंता करते थे। वे जब एफिल टॉवर गए तो वहां उन्हें उनके यहां काम करने वाले कर्मचारी सीताराम नजर नहीं आए। उन्होंने तत्काल उसके बारे में पूछताछ की तो पता लगा कि सीताराम को वहां नहीं लाया गया है। इस पर वे अधिकारियों पर नाराज हो गए और सीताराम को वहां लाने के निर्देश दिए। जब तक सीताराम नहीं आया तब तक शेखावत एफिल टावर पर नहीं चढ़े। खाचरियावास में आयोजित प्रतिमा अनावरण समारोह में पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह और जयपुर के महाराज देवराज सिंह भी मौजूद थे। समारोह की शुरुआत अतिथितियों के राजस्थानी संस्कृति से तिलक लगाकर स्वागत और मंगलाचरण में गूंजते वैदिक मंत्रों के सात्विक माहौल में हुई। इसके बाद पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, केन्द्रीय जनजाति राज्य मंत्री महादेव सिंह खंडेला, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी, जोधपुर के पूर्व महाराजा गजसिंह ने मंच पर लगी पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत की तस्वीर के सामने दीप प्रज्जवलित कर उन्हें नमन किया। लालकृष्ण आडवाणी ने मंच पर विराजमान सलेमाबाद स्थित निम्बार्क पीठ के पीठाधीश्वर श्रीजी महाराज तथा रेवासा पीठ के पीठाधीश्वर राघवाचार्य जी महाराज को माल्यार्पण कर उनका आशीर्वाद लिया। मंच पर मौजूद सभी संतों और अजमेर से आए खादिमों का भैरोंसिंह शेखावत के परिवारजनों ने अंग वस्त्र देकर अभिनन्दन किया। कार्यक्रम की शुरुआत में विधायक नरपतसिंह राजवी ने लालकृष्ण आडवाणी, प्रकाश सिंह बादल, जसवंत सिंह, महादेव सिंह खंडेला, भैरोंसिंह शेखावत की पुत्री रतन कंवर ने वसुन्धरा राजे, सांसद हरसिमरन कौर और लालकृष्ण आडवाणी की पुत्री प्रतिभा आडवाणी, भैरोंसिंह शेखावत के दत्तक पुत्र विक्रमादित्य सिंह ने गजसिंह, देवराज सिंह, दोहित्र अभिमन्यु सिंह ने ओमप्रकाश चौटाला का स्वागत किया। सभी अतिथितियों को श्रीनाथ जी की तस्वीर भेंट की गई। इस अवसर पर लालकृष्ण आडवाणी को 51 किलो तथा प्रकाश सिंह बादल, वसुंधरा राजे और ओमप्रकाश चौटाला को 11 किलो फूलों की माला पहनाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत में भैरोंसिंह शेखावत के दोहित्र अभिमन्यु सिंह ने स्वागत भाषण में कहा कि उनके नाना भैरोंसिंह शेखावत ने हमेशा जनता का प्यार कमाया और उनकी स्मृति में आज हो रहे मूर्ति अनावरण समारोह में आई भीड़ ने यह साबित कर दिया कि जनता के प्यार से बड़ी कमाई कोई नहीं है। उन्होंने इस अवसर पर आए लोगों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के अंत में भैरोंसिंह शेखावत की दोहित्री मूमल कंवर ने धन्यवाद भाषण में कहा कि आज इस अवसर पर आई भीड़ ने साबित कर दिया कि भैरोंसिंह शेखावत को लोग भूले नहीं हैं। वे आज भी लोगों के दिलों में जिन्दा हैं। कार्यक्रम में शेखावत की प्रतिमा बनाने वाले महावीर भारती और लक्ष्मण व्यास को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर पीडब्ल्यूडी मंत्री भरतसिंह, भाजपा के राजस्थान प्रभारी कप्तानसिंह सोलंकी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुमित्रा सिंह, पूर्व मंत्री और भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष भंवर लाल शर्मा, ललित किशोर चतुर्वेदी, रघुवीर सिंह कौशल, पूर्व मंत्री कालूलाल गुर्जर, वासुदेव देवनानी, खेमाराम मेघवाल, युनूस खान, मदन दिलावर, रामनारायण डूडी, सांसद वीपीसिंह, विधायक और उपनेता प्रतिपक्ष घनश्याम तिवाड़ी, किरण माहेश्वरी, सुन्दरलाल, सूर्यकान्ता व्यास, कालीचरण सराफ, भवानी सिंह राजावत, राव राजेन्द्र सिंह, राजपाल सिंह शेखावत, गोपाल जोशी, ज्ञानदेव आहूजा, राजकुमार रिणवां, शंकर सिंह राजपुरोहित, चन्द्रकान्ता मेघवाल, पुष्पेन्द्र सिंह, मानसिंह किणसरियां, अनिल जैन, निर्मल कुमावत, पूर्व सांसद रासासिंह रावत, पूर्व मुख्यसचेतक महावीर जैन, पूर्व मंत्री कुन्दनलाल मिगलानी, पूर्व विधायक रामलाल शर्मा, हाउसिंग बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष अजयपाल सिंह, अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष जसबीर सिंह, भाजपा प्रदेश महामंत्री सतीश पूनिया, प्रदेश उपाध्यक्ष सुमन शर्मा, कांग्रेस नेता लोकेन्द्र सिंह कालवी, भाजपा के झुंझूनूं जिलाध्यक्ष दशरथ सिंह शेखावत सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
जमीन से उठ कर भारतीय राजनीती के शीर्ष तक जाने वाले ऐसे जननायक को श्रधांजलि |
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