कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
यूनान, मिश्र, रोमयां सब मिट गए जहां से,
बाकि मगर है अब तक नामोनिशा हमारा।
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी,
सदियों रहा है दुश्मन, दौरे जहां हमारा।
वैदिक शास्त्रों मैं साफ़-साफ़ बताया है
जन्मना जायते शुद्रः
संस्कारात भवेत् द्विजः |
वेद-पठत भवेत् विप्र
ब्रह्म जनातति ब्राह्मणः |
अर्थात जन्म से मनुष्य शुद्र, संस्कार से द्विज (ब्रह्मण), वेद के पाठन-पाठन से विप्र और जो ब्रह्म को जनता है वो ब्राह्मण कहलाता है।
सिंहों के लेहड़े नहीं, हंसों की नहीं पात।
लालन की नहीं बोरियां, साधु ना चले जमात।।
अर्थात शेरों का झुंड नहीं होता, हंसों कभी पंक्ति बना कर नहीं उड़ते, हीरे, मोतियों को बोरियों में नहीं रखा जाता, और साधु अर्थात ब्राह्मण कभी भीड़ में नहीं चलते।
ऐसाम न विद्या, न तपो न ज्ञानम्।
धनम् न शीलम, न गुणों न धर्म:।
ते मृत्यु लोके भूमि भारभूता:।
मनुष्य रूपेण मृगाश्चरन्ति।।
अर्थात जिन लोगों के पास न विद्या है, न तप, न ज्ञान है, न धन है, न शील है, न गुण है, न धर्म है ऐसे लोग धरती में भार के समान हैं और मनुष्य के रूप में हिरण के समान विचरण कर रहे हैं।
हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक में बारहवें वर्ष कुंभ पर्व का आयोजन होता है। हरिद्वार और प्रयाग (इलाहाबाद) में दो कुंभ पर्वों के बीच 6 वर्ष के अंतराल में अर्धकुंभ होता है।
पद्मिनी नायके मेषे कुम्भ राशिगते गुरौ।
गंगाद्वारे भवेद्योग: कुम्भनामा तदोत्तम:।। (स्कन्द पुराण)
अर्थात जिस समय बृहस्पति कुम्भ राशि पर स्थित हो और सूर्य मेष राशि पर रहे, उस समय गंगाद्वार (हरिद्वार) में कुंभ योग होता है।
बाकि मगर है अब तक नामोनिशा हमारा।
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी,
सदियों रहा है दुश्मन, दौरे जहां हमारा।
वैदिक शास्त्रों मैं साफ़-साफ़ बताया है
जन्मना जायते शुद्रः
संस्कारात भवेत् द्विजः |
वेद-पठत भवेत् विप्र
ब्रह्म जनातति ब्राह्मणः |
अर्थात जन्म से मनुष्य शुद्र, संस्कार से द्विज (ब्रह्मण), वेद के पाठन-पाठन से विप्र और जो ब्रह्म को जनता है वो ब्राह्मण कहलाता है।
सिंहों के लेहड़े नहीं, हंसों की नहीं पात।
लालन की नहीं बोरियां, साधु ना चले जमात।।
अर्थात शेरों का झुंड नहीं होता, हंसों कभी पंक्ति बना कर नहीं उड़ते, हीरे, मोतियों को बोरियों में नहीं रखा जाता, और साधु अर्थात ब्राह्मण कभी भीड़ में नहीं चलते।
ऐसाम न विद्या, न तपो न ज्ञानम्।
धनम् न शीलम, न गुणों न धर्म:।
ते मृत्यु लोके भूमि भारभूता:।
मनुष्य रूपेण मृगाश्चरन्ति।।
अर्थात जिन लोगों के पास न विद्या है, न तप, न ज्ञान है, न धन है, न शील है, न गुण है, न धर्म है ऐसे लोग धरती में भार के समान हैं और मनुष्य के रूप में हिरण के समान विचरण कर रहे हैं।
हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक में बारहवें वर्ष कुंभ पर्व का आयोजन होता है। हरिद्वार और प्रयाग (इलाहाबाद) में दो कुंभ पर्वों के बीच 6 वर्ष के अंतराल में अर्धकुंभ होता है।
पद्मिनी नायके मेषे कुम्भ राशिगते गुरौ।
गंगाद्वारे भवेद्योग: कुम्भनामा तदोत्तम:।। (स्कन्द पुराण)
अर्थात जिस समय बृहस्पति कुम्भ राशि पर स्थित हो और सूर्य मेष राशि पर रहे, उस समय गंगाद्वार (हरिद्वार) में कुंभ योग होता है।
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