ऐ मेरे वतन् के लोगो,50 साल का हुआ

50 साल का हुआ ऐ मेरे वतन के लोगो..

Sat, 26 Jan 2013

नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क]। देशभक्ति के हर अवसर पर गाया जाने वाला यह गीत युद्ध के नायकों और शहीदों के लिए श्रद्धांजलि है। इस गीत को सुनकर देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू भी रो पड़े थे। 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान इस गीत ने देशभक्ति के मनोबल को बढ़ाया। सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर द्वारा गाए इस गीत ने इस साल 50 साल पूरे कर लिये हैं।

प्रख्यात कवि प्रदीप द्वारा लिखे गए इस गीत ने कई मौकों पर भारतीयों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

ऐसे लिखा गाना : हर भारतीय की तरह प्रदीप भी 1962 के युद्ध की हार से निराश थे। एक दिन मुंबई के माहिम बीच पर सैर के लिए निकले। तभी गाने की पंक्तियां उनके दिमाग में आई। उन्होंने अपने साथ सैर पर आए साथी से पेन मांगा और सिगरेट की डिब्बी से पन्नी निकालकर उस पर गाने का पहला पैरा लिखा, 'ऐ मेरे वतन के लोगो, जरा आंख में भर लो पानी, जो शहीद हुए हैं उनकी..' कुछ हफ्तों बाद निर्माता महबूब खान ने उनसे नेशनल स्टेडियम में आयोजित होने वाले एक कार्यक्रम के लिए एक उद्घाटन गीत लिखने को कहा। प्रदीप ने स्वीकार कर लिया, लेकिन कोई जानकारी देने से इन्कार कर दिया। इसके बाद उन्होंने लता और संगीत निर्देशक सी रामचंद्र के साथ गीत को तैयार किया। उसके बाद जो हुआ, वह आज तक इतिहास है। प्रदीप को उनकी शानदार लेखनी की वजह से कई पुरस्कार मिले। 1997 में उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। एक साल बाद 11 दिसंबर, 1998 को उनका निधन हो गया।


ऐ मेरे वतन् के लोगो! तुम खूब लगा लो नारा !
ये शुभदिन है हम सबका! लहरा लो तिरंगा प्यारा
पर मत भूलो सीमा पर! वीरों ने है प्राण गँवाए!
कुछ याद उन्हें भी कर लो -२! जो लौट के घर न आए -२
ऐ मेरे वतन के लोगो! ज़रा आँख में भरलो पानी!
जो शहीद हुए हैं उनकी! ज़रा याद करो क़ुरबानी |प|
जब घायल हुआ हिमालय! खतरे में पड़ी आज़ादी!
जब तक थी साँस लड़े वो! फिर अपनी लाश बिछादी
संगीन पे धर कर माथा! सो गये अमर बलिदानी!
जो शहीद हुए हैं उनकी! ज़रा याद करो क़ुरबानी |१|
जब देश में थी दीवाली! वो खेल रहे थे होली!
जब हम बैठे थे घरों में! वो झेल रहे थे गोली
थे धन्य जवान वो अपने! थी धन्य वो उनकी जवानी!
जो शहीद हुए हैं उनकी! ज़रा याद करो क़ुरबानी |२|
कोई सिख कोई जाट मराठा -२! कोई गुरखा कोई मदरासी -२!
सरहद पे मरनेवाला! हर वीर था भारतवासी
जो ख़ून गिरा पर्वत पर! वो ख़ून था हिंदुस्तानी!
जो शहीद हुए हैं उनकी! ज़रा याद करो क़ुरबानी |३|
थी खून से लथपथ काया! फिर भी बन्दूक उठाके!
दस-दस को एक ने मारा! फिर गिर गये होश गँवा के
जब अन्त समय आया तो! कह गये के अब मरते हैं!
ख़ुश रहना देश के प्यारो -२! अब हम तो सफ़र करते हैं -२
क्या लोग थे वो दीवाने! क्या लोग थे वो अभिमानी!
जो शहीद हुए हैं उनकी! ज़रा याद करो क़ुरबानी |४|
तुम भूल न जाओ उनको! इसलिये कही ये कहानी!
जो शहीद हुए हैं उनकी! ज़रा याद करो क़ुरबानी
जय हिन्द। जय हिन्द की सेना -२!
जय हिन्द, जय हिन्द, जय हिन्द||

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

जन गण मन : राजस्थान का जिक्र तक नहीं

Veer Bal Diwas वीर बाल दिवस और बलिदानी सप्ताह

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग

इंडी गठबन्धन तीन टुकड़ों में बंटेगा - अरविन्द सिसोदिया

स्वामी विवेकानंद और राष्ट्रवाद Swami Vivekananda and Nationalism

अटलजी का सपना साकार करते मोदीजी, भजनलालजी और मोहन यादव जी