बिहार में : 10 प्रमुख दागदार नेताओं के बारे में


इनके 'दामन' पर लग चुका है 'दाग', अब बजेगी इन 10 नेताओं की 'पुंगी'!
Dainikbhaskar.com   |  Jul 12, 2013,
पटना। जन प्रतिनिधित्व कानून पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने कानून बनाने वाले नेताओं और राजनीतिक दलों की बेचैनी बढ़ा दी है। औपचारिक रूप से कांग्रेस, भाजपा समेत दूसरे दल भले ही इसका स्वागत करें। लेकिन, सच्चाई यह है कि अधिकतर दलों के छोटे-बड़े नेताओं पर इसकी गाज गिर सकती है।

इससे पहले जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 (4) के मुताबिक अगर कोई सांसद या विधायक को दो वर्ष से ज्यादा के कारावास की सजा सुनाई जाती है और वह तीन महीने के अंदर ऊपरी अदालत में अपील दाखिल कर देता है तो वह सदस्यता से अयोग्य नहीं माना जाएगा। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से यह धारा निरस्त हो गई है और सरकार के लिए आगे इस तरह का कोई कानूनी इंतजाम करने का रास्ता भी बंद हो गया है। इससे पहले पटना हाई कोर्ट ने 2004 में गैर सरकारी संगठन जन-चौकीदार की याचिका स्वीकार करते हुए जेल में बंद व्यक्ति के चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी। पटना हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद देश के कई नेताजिन पर आरोप सिद्ध हो चुके हैं, वे चुनाव लड़ने से वंचित हो जाएंगे।

बिहार में कई ऐसे नेता हैं जिन्होंने अपनी दबंगई से राजनीति में एंट्री ली, लेकिन किसी ने घोटाले की वजह से तो कोई अपने अपराधिक चरित्र की वजह से सजा पा चुका है ये उसके कगार पर है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं बिहार के ऐसे 10 प्रमुख नेताओं के बारे में जो या तो घोटालों के कारण या फिर अपने अपराधिक छवि के कारण चरित्र पर दाग लगा चुके हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इनका राजनीतिक करियर खत्म हो जाएगा...
01- लालू यादव: चारा घोटाले में लालू पहले भी जेल जा चुके हैं। वहीं, हाल-फिलहाल भी इन पर तलवार लटकी हुई है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने चारा घोटाले के इस मामले में सीबीआई के विशेष न्यायालय को फिलहाल फैसला देने पर रोक लगा दिया है, लेकिन दोषी करार दिए जा चुके लालू की राजनीतिक करियर से संकट टला नहीं है।
2- राजन तिवारी- गोविंदगंज के पूर्व विधायक राजन तिवारी की गिनती भी बाहुबलियों में होती है। रहने वाले तो वे हैं गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) के, लेकिन राजनीति करते हैं बिहार में। 'शॉर्प शूटर' माने जाने वाले राजन पर कई हाई प्रोफाईल मर्डर के आरोप हैं। कहा जाता है कि यूपी में अपने शागिर्द श्रीप्रकाश शुक्ला की हत्या का बदला लेने के लिए राजन ने लखनऊ में इंस्पेक्टर आरके सिंह और गाजियाबाद में एक अन्य इंस्पेक्टर को मौत के घाट उतार दिया था। यूपी के विधायक वीरेंद्र प्रताप शाही की हत्या में भी इनका नाम आया था।
राजन फिलहाल स्पीडी ट्रायल के तहत सूबे की सरकार में मंत्री रहे बृज बिहारी प्रसाद और पूर्णिया के माकपा विधायक रहे अजीत सरकार की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। राजन जेल में भी एक जगह नहीं बैठते, घूमते रहते रहते हैं। कभी पटना की बेउर जेल तो कभी यूपी और कभी झारखंड की जेलों में। जहां सुनवाई शुरू हुई, बोरिया-बिस्तर बंध जाता है, वहीं के लिए।
3-शहाबुद्दीन: बिहार में राजद के शासन में पूर्व सांसद शहाबुद्दीन खौफ का दूसरा नाम हुआ करते थे। फिलहाल वो जेल में बंद हैं। कोर्ट ने उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक लगा दी थी। इस दौरान उनकी पत्नी ने विरासत सम्हालने की कोशिश की, लेकिन जीत नसीब नहीं हो सकी। अगर जमानत पर रिहा भी होते हैं तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के हिसाब से ये चुनाव लड़ने लायक नहीं रहेंगे, क्योंकि इन पर पहले से ही आरोप सिद्ध हो चुके हैं।
4-पप्पू यादव: कभी लालू के कंधे को सहारा देने वाले पप्पू यादव इन दिनों कांग्रेस का दामन थामे हुए हैं। वामपंथी विधायक अजीत सरकार की हत्या के आरोप में फिलहाल ये जमानत पर जेल से बाहर हैं, लेकिन इन्हें भी चुनाव लड़ने से वंचित रहना पड़ सकता है। बता दें कि बिहार की राजनीति में खास पहचान बनाने वाले बाहुबली का नाम तो है राजेश रंजन पर पहचान है पप्पू यादव के नाम से। पप्पू की खास पहचान तब बनी जब वह 1990 में निर्दलीय विधायक बनकर बिहार विधानसभा में पहुंचे। उसके बाद का उनका सियासी सफर आपराधिक मामलों में विवादों से भरा रहा। मारधाड़ से भरपूर। तब बड़े-बड़े दबंग भी पप्पू से टकराने से बचते रहे। हालांकि पप्पू मानते रहे हैं कि सामाजिक अंतरविरोधों के कारण उनकी ऐसी छवि गढ़ दी गयी।
5-सुनील पांडे: नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यू के बाहुबली विधायक सुनील पांडे भी कई दफा जेल की हवा खा चुके हैं। इन पर कई अपराधिक मामले लंबित हैं। अगर कोर्ट ने इन्हें दोषी ठहरा दिया तो फिर ये राजनीति से दूर होकर अपनी दबंगई के चर्चे ही लोगों को सुनाते नजर आएंगे। इनका नाम कभी रणवीर सेना सुप्रीमो ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या के मामले में, तो कभी राजधानी पटना के होटल में हंगामा करने के मामले में सामने आता रहा है। हमेशा से ही इन पर आरोप लगते रहे हैं। यहां तक की इन्हें पार्टी से भी कुछ समय के लिए निकाला गया था, बाद में वापसी भी हो गई। इनके खिलाफ हत्या, अपहरण और रंगदारी के दो दर्जन से अधिक मामले थे। पुलिस अफसरों की मानें तो कत्ल करवाने में सुनील का कोई सानी नहीं है। कई हाई प्रोफाईल अपहरण के मामलों में भी इनका नाम आया।
 6-सूरजभान सिंह: राम विलास पासवान की पार्टी लोजपा से सांसद चुने गए सूरजभान सिंह इन दिनों जेल में बंद हैं। इन पर रामी सिंह की हत्या का आरोप था। कोर्ट इन्हें दोषी ठहरा चुका है, ऐसे में ये अब चुनाव लड़ने के योग्य नहीं रह गए हैं। कहा जाता है कि बिहार में एक समय इनका ऐसा दबदबा था कि इनके गुर्गे इशारा मिलते ही बड़े से बड़े अपराध को चुटकियों में अंजाम दे देते थे।
7-मुन्ना शुक्ला: बिहार के पूर्व मंत्री बृजबिहारी प्रसाद की हत्या के मामले में अदालत ने मुन्ना शुक्ला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इन पर जिलाधिकारी की हत्या के भी आरोप हैं। फिलहाल, मंत्री की हत्या के मामले में वे जेल में बंद हैं। जेल के अंदर रहते हुए जहां नर्तकी के डांस का लुत्फ उठाते हुए मीडिया में उनके फोटोग्राफ आए, तो कभी पीएचडी की डिग्री हासिल करने की खबर। सुप्रीम कोर्ट का डंडा इन पर भी पड़ेगा। अब ये चुनाव लड़ने के योग्य नहीं हैं।
8-आनंद मोहन- पूर्व सांसद आनंद मोहन फिलहाल गोपालगंज के डीएम जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में जेल में बंद हैं। जिलाधिकारी की हत्या के मामले में हाई कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसे उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे अस्वीकार किया जा चुका है। वे पांच सालों से जेल में बंद हैं। बिहार में कभी इनकी दबंगई के चर्चे आम थे। आनंद मोहन ने एक पार्टी भी बनाई थी, जिसका नाम बिहार पीपुल्स पार्टी था। बाद में जद (यू) से जुड़ गए। लेकिन, जदयू की सरकार बनते ही इन्हें जेल में डाल दिया गया। अब ये भी चुनाव लड़ने से वंचित रह जाएंगे।
9-रामा सिंह- बिहार के इस दबंग राजनेता पर हत्या और बलात्कार समेत कई मामले दर्ज हैं। रामा सिंह राम विलास पासवान की पार्टी लोजपा से जुड़े रहे हैं। बिहार के महनार से लोजपा के टिकट पर चुनाव भी जीते। अगर इन पर आरोप सिद्ध हो जाते हैं तो ये भी चुनाव लड़ने लायक नहीं रहेंगे।
10-तस्लीमुद्दीन- कभी सीमांचल की राजनीति में राजद के अगुवा एवं लालू के प्रबल सहयोगी रहे तस्लीमुद्दीन आए दिन पार्टियां बदलते रहते हैं। पहले राजद फिर जदयू और अब फिर से राजद के साथ हैं। इनकी दबंगई के चर्चे भी खूब हुआ करते थे। 69 वर्षीय इस राजनेता के खिलाफ हत्या और बलात्कार के कई मामले दर्ज हैं। तस्लीमुद्दीन केंद्र में मंत्री भी रह चुके हैं।

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