चुनाव आते ही सेक्युलरिजम का बुर्का पहन लेती है कांग्रेसः नरेंद्र मोदी


चुनाव आते ही सेक्युलरिजम का बुर्का पहन लेती है कांग्रेसः नरेंद्र मोदी
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नवभारतटाइम्स.कॉम | Jul 15, 2013,
पुणे।। गुजरात के मुख्यमंत्री और बीजेपी की कैंपेन कमिटी के प्रमुख नरेंद्र मोदी ने रविवार को पुणे में बीजेपी वर्कर्स की बैठक से कांग्रेस और केंद्र सरकार पर सीधा हमला बोला। मोदी ने कांग्रेस पर एक तरह से मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए कहा कि जब-जब संकट आता है वह सेक्युलरिजम का बुर्का पहनकर बंकर में घुस जाती है। मोदी ने अपने भाषण में पीएम मनमोहन सिंह पर तीखे हमले किए। उन्होंने पीएम को 'अनर्थशास्त्री' कहा तो, रुपये की गिरती कीमत पर वित्तमंत्री पर ताना कसते हुए कहा कि रुपया उनकी उम्र तक पहुंच रहा है। मोदी ने कांग्रेस को खुली चुनौती देते हुए कहा कि वह यूपीए के 10 साल और एनडीए सरकार के 6 साल के कामकाज की तुलना करके देख ले कि किसने बेहतर काम किया है। उधर, कांग्रेस नेता और संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव शुक्ला ने मोदी के बयान को संविधान के खिलाफ बताया है। उन्होंने कहा कि मोदी एक ऐसे नेता हैं जो ऐसे हथकंडे अपनाते रहते हैं।

बुर्का पहन लेती है कांग्रेसः मोदी ने कांग्रेस पर सेक्युलरिजम के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाने का आरोप लगाया। मोदी ने कहा, 'केंद्र सरकार पर जब भी कोई संकट आता है वह सेक्युलरिजम का बुर्का पहन लेते हैं और बंकर में छिप जाते हैं। कांग्रेस की पिछले 50 साल से बुर्का पहनकर बंकर में छिपने की चाल अब नहीं चलेगी। उसे बढ़ती बेरोजगारी, गरीबी, महंगाई का जवाब देना होगा।'

वित्त मंत्री की उम्र तक पहुंचेगा रुपयाः मोदी ने रुपये की गिरती कीमत के लिए केंद्र सरकार के करप्शन को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि आजादी के समय रुपये और डॉलर की कीमत बराबर थी। 1 रुपया एक डॉलर के बराबर था। आज रुपये की कीमत दिनोंदिन टूटती चली जा रही है। ऐसा लग रहा है कि रुपया बहुत तेजी से भारतीय वित्त मंत्री के उम्र तक पहुंच जाएगा।
पीएम अर्थशास्त्री नहीं अनर्थशास्त्रीः मोदी ने पीएम मनमोहन सिंह पर तीखे हमले किए। उन्होंने कहा, 'रुपया आज डॉलर के मुकाबले 60 पर है। यह तब है जब देश के प्रधानमंत्री अर्थशास्त्र के विद्धान हैं। यह कौन सा अर्थशास्त्र है? यह कांग्रेस एक ऐसी धारा है जिसमें अच्छे से अच्छा शास्त्री भी 'अनर्थशास्त्री' बन जाता है। कांग्रेस में कोई भी गया, तबाही के रास्ते पर चल पड़ता है।'

यूपीए की विदेश नीति फेलः मोदी ने केंद्र सरकार की विदेश नीति पर भी वार किया और कहा कि पाकिस्तान सैनिकों के सिर काटकर ले जाता है और उनके पीएम को बिरयानी खिलाई जाती है। सरबजीत को मार दिया गया और दिल्ली की सरकार ने चूं तक नहीं की। इटली के लोग केरल में मछुआरों की मार देते हैं और वह भारत के कानून को स्वीकार करने से मना कर देते हैं।

शराब कंपनियों को बेचा अनाजः मोदी ने फूड सिक्यूरिटी स्कीम पर केंद्र सरकार की नीयत पर सवाल उठाए। मोदी ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने जब कहा कि अन्न सड़ रहा है तो उसे गरीबों तक क्यों नहीं बांटा गया? केंद्र सरकार ने तब अन्न बांटने से इनकार कर दिया था। शराब बनाने वालों को 65 पैसे में यह अन्न बेच दिया गया। मोदी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने शराब कंपनियों को बेचने के लिए अन्न को जानबूझकर सड़ने दिया।

ब्लैक मनी की रक्षक सरकारः मोदी ने अपने भाषण में केंद्र सरकार पर विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने के लिए गंभीरता न दिखाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार किसी खास कारण से ऐसा नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार काला धन जमा करने वाले लोगों को बचा रही है। मोदी ने कहा कि यूपीए के राज में जल, थल, नभ में भी करप्शन हुआ है।

आज शिक्षा 'मनी मेकिंग मशीन' बन गई: नरेंद्र मोदी ने इससे पहले पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज में भाषण दिया तो वह बहुत ही सावधान दिखाई दिए। उन्होंने कोशिश की कि कोई राजनीतिक बात न करें, लेकिन इशारों-इशारों में कई बार अपने विरोधियों और विपक्ष पर तीर चलाए। मोदी ने कहा, 'लोग पावर चाहते हैं जबकि मैं इम्पावरमेंट चाहता हूं।'

नरेंद्र मोदी ने सीधे-सीधे कांग्रेस सरकार के खिलाफ कुछ नहीं कहा, लेकिन उसकी नीतियों की आलोचना पूरे भाषण में करते रहे। मोदी ने कहा कि यह भारत का दुर्भाग्य है कि एक भी पड़ोसी उसका दोस्त नहीं है। सरकार की शिक्षा नीति पर निशाना साधते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी शिक्षा व्यवस्था बनाने की कोशिश नहीं की जा रही है, जो युवाओं की ताकत का इस्तेमाल कर सके। स्पोर्ट्स का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि ओलिंपिक गेम्स के बाद हम हर बार निराश होते हैं कि सवा अरब लोगों का देश चंद गोल्ड मेडल नहीं ला सकता, लेकिन शिक्षा को खेलों से जोड़ने की कोई कोशिश नहीं हो रही। मोदी ने कहा, 'अगर सैनिकों को अच्छे से ट्रेनिंग दी जाए तो पांच सात मेडल तो वे ही जी लाएं।'
बीजेपी कैंपेन कमिटी के अध्यक्ष और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज के युवाओं को सियासी पाठ पढ़ाया। उन्होंने कहा कि देश में निराशा का माहौल है, देश का युवा कुछ करना चाहता है, लेकिन उन्हें मार्गदर्शन नहीं मिल रहा है। मोदी ने कहा, "ये युवा न सिर्फ भारत को बल्कि पूरी दुनिया को निराशा के माहौल से बाहर निकालेंगे। भारत में गजब की ताकत है। यह देश 1,200 साल की गुलामी के बाद भी जिंदा है। सीना तानकर खड़ा है। विश्वविद्यालयी शिक्षा के 2,600 साल के इतिहास में भारत 1,800 साल तक दुनिया का सरताज रहा। सिर्फ गुलामी के 800 सालों में इसका नाश हुआ। पूरी दुनिया से लोग यहां पढ़ने आते थे।" नरेंद्र मोदी ने यहां 'युवा, समाज, आर्थिक स्थिति व वर्तमान राजनीति' विषय पर लेक्चर दिया। गौरतलब है कि इससे पहले दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में मोदी के भाषण को लेकर खूब चर्चा हुई थी।
अपने भाषण की शुरुआत में मोदी ने कहा कि इस जगह से (पुणे से) महान नेताओं को संदेश मिला है। उन्होंने कहा, 'यह सावरकर की धरती है, तिलक की धरती है। फर्ग्युसन कॉलेज में लेक्चर देने की तिथि तय हुई तो मैंने एक प्रयोग किया। मैंने सोशल मीडिया पर नौजवानों से पूछा कि मुझे फर्ग्युसन कॉलेज में क्या कहना चाहिए। करीब 2,500 नौजवानों ने मुझे सलाह दी। मैं बस उन्हीं की सलाह को आपको सामने रख रहा हूं। मैं सिर्फ माध्यम हूं, ये विचार कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक के 2,500 नौजवानों के हैं।'

उन्होंने कहा कि जो लोग यह सोचते हैं कि नौजवान सिर्फ जीन्स पहनते हैं और बाल बढ़ाते हैं, वे भ्रम में हैं। नौजवान सोचते हैं। देश के बारे में सोचते हैं। कुछ करना चाहते हैं। उनमें उमंग है। सामर्थ्य है। यह सब देख कर लगता है कि देश का भविष्य कभी भी अंधकारमय नहीं हो सकता है।

मोदी ने वहां मौजूद 5,000 छात्रों से कहा कि विश्व की समस्याओं के समाधान के लिए भी यह युवा शक्ति काम आ सकती है, बस कोई काम करवाने वाला शख्स चाहिए। मोदी ने कहा कि पूरे देश में निराशा का भाव है लेकिन मैं निराशा की बात नहीं करता। मुझे उम्मीदें दिखती हैं। नौजवानों का उमंग देखकर मैं उत्साहित हूं। मैं व्यवस्था बदलने में विश्वास रखता हूं।
भारत में पहले गुरुकुल शिक्षा की व्यवस्था थी। मोदी ने कहा कि हमारी गुरुकुल की शिक्षा परंपरा और अमेरिका की आधुनिक शिक्षा पद्धति की तुलना की जाए तो हमें पता चलेगा कि दोनों कुछ हद तक समान हैं। दोनों में लोगों को दिशा देने का काम होता है। हमें उस गुरुकुल व्यवस्था को आधुनिक पश्चिमी शिक्षा व्यवस्था से तुलना करने की जरूरत है। हमें गुरुकुल से विश्वकुल तक का सफर पूरा करना है। हमने उपनिषद से उपग्रह की यात्रा की है। दुनिया में पहला दीक्षांत समारोह भारत में हुआ था। तैतरीय उपनिषद में इसका विवरण मिलता है।

नरेंद्र मोदी ने पश्चिमीकरण पर भी अफसोस जाहिर किया। उन्होंने कहा, 'दुर्भाग्य की बात है कि हम अपनी व्यवस्था को छोड़कर पश्चिमी व्यवस्था की नकल करने लगे हैं। पहले शिक्षा 'मैन मेकिंग मशीन' थी, लेकिन अब यह 'मनी मेकिंग मशीन' बन गई है। यह सब पश्चिम की नकल का परिणाम है। लेकिन, स्थितियां बदली जा सकती है। बस विजन की जरूरत है। मुझे उम्मीद है कि यह स्थिति जरूर बदली जाएगी।'

गुजरात के मुख्यमंत्री ने कहा कि अब पश्चिम का वक्त चला गया है, पूर्व का वक्त आया है और बस बहस इस बात की है कि अगला नेतृत्व चीन करेगा या भारत। मोदी ने कहा कि चीन बहुत आगे बढ़ गया है और हमें उससे सबक लेने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि आज भी जब हम बेहतरीन शिक्षण संस्थानों की चर्चा करते हैं तो उनमें फर्ग्युसन कॉलेज, शांति निकेतन, बीएचयू जैसे संस्थान की चर्चा होती है। इनकी स्थापना में समाज का योगदान था, किसी सरकार का नहीं। शिक्षा हमेशा से समाज का काम रहा है। वह अपनी जरूरत के हिसाब से शिक्षा की व्यवस्था करता था। मोदी ने केरल और श्री नारायण गुरु की तारीफ की। उन्होंने कहा, 'आज केरल में शिक्षा के क्षेत्र में सबसे आगे है। वहां गांव-गांव तक शिक्षा फैल चुकी है। यह सरकार के बल पर नहीं। इसमें श्री नारायण गुरु का बड़ा योगदान रहा है। वह पिछड़ी जाति में पैदा हुए थे, लेकिन उन्होंने हर किसी को शिक्षित करने का प्रण लिया था। आज परिणाम आपके सामने है।'

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