आधार कार्ड को हर काम का आधार न बनाएं सरकार: सुप्रीम कोर्ट




आधार कार्ड को हर काम का आधार न बनाएं सरकार: सुप्रीम कोर्ट
By  एजेंसी / मंगलवार, २५ मार्च २०१४

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को उसके इस आदेश को न मानने पर फटकार लगाई कि 'आधार कार्ड नहीं होने से किसी भी व्यक्ति को सरकारी सेवा हासिल करने से वंचित न किया जाए.' कोर्ट ने साथ ही निर्देश दिया कि आधार कार्ड धारकों के बायोमेट्रिक आंकड़े किसी भी जांच एजेंसी या सरकारी विभाग को नहीं दिए जाएं.

जस्टिस बी.एस. चौहान और न्यायमूर्ति जे. चेलामेस्वर की पीठ ने बंबई हाई कोर्ट की गोवा बेंच के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) को दुष्कर्म के एक आरोपी की फिंगर प्रिंट केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को देने के लिए कहा गया था.

बेंच ने यूआईडीएआई को यह निर्देश दिया कि आधार कार्ड धारक की अनुमति लिए बिना वह अपने पास मौजूद कार्ड धारक की कोई सूचना या आंकड़ा किसी भी एजेंसी या विभाग को न दे.

अदालत ने महाधिवक्ता मोहन परासरण से कहा कि वह उस अधिसूचना को रद्द करे जिसमें खास सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आधार कार्ड होना अनिवार्य किया गया है.
न्यायमूर्ति चौहान ने कहा, "आप उस अधिसूचना को वापस लेने के लिए निर्देश जारी कीजिए, जिसमें किसी भी सेवा का लाभ उठाने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य किया गया है."

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 24 सितंबर को निर्देश दिया था कि सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नहीं है.

बेंच ने अदालत के निर्देश का पालन नहीं किए जाने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि उसे कई शिकायतें मिली हैं कि आधार कार्ड नहीं होने के कारण किसी की शादी रजिस्टर्ड नहीं हो रही है, तो किसी की संपत्ति का रजिस्ट्रेशन नहीं हो रहा.

बेंच ने यूआईडीएआई की याचिका की सुनवाई कर रही थी, जिसमें बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी. हाई कोर्ट ने यूआईडीएआई को दुष्कर्म के आरोपी के बायोमीट्रिक विवरण जांच एजेंसी को देने का निर्देश दिया था.

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